23-07-2021, 06:47 PM
" Stupid !!! ". मेघना खिलखिलाकर हँस पड़ी.
अनिकेत को समझ नहीं आ रहा था की ये क्या चल रहा है.
" So cute ! ". अनिकेत का गाल अपनी ऊँगलीयों से दबाते हुये मेघना बोली. " डर गये ना ? ".
ठंडी साँस भरते हुये अनिकेत ने इधर उधर बेचैन होकर देखा, मानो अपना गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए शब्द तलाश रहा हो, पर कुछ बोले बिना ही रह गया.
" इधर आओ... बैठो... और बताओ की इतनी नाराज़गी क्यूँ है मुझसे ! ". मेघना ने मुस्कुराते हुये अनिकेत के टी शर्ट का कोना पकड़कर उसे अपनी ओर खींचते हुये कहा. अनिकेत ना चाहते हुये भी जाकर पलंग पर मेघना के बगल में बैठ गया.
" बात करो अनिकेत... मन का बैर बाहर निकल जाने दो... जितना बुरा भला कहना है मुझे कह लो ! बोलो क्या हुआ ? ". अनिकेत के कंधे पर हाथ रखते हुये मेघना बोली.
कुछ देर तक सिर नीचे किये हुये बैठे रहने के बाद अनिकेत ने अपनी गर्दन घुमाई, और मेघना की आँखों में देखते हुये कहा.
" आपने शुरू से ही मुझे अँधेरे में रखा... ना जाने क्या क्या झूठ बोला... ".
मेघना ध्यान से सुनती रही.
" उस दिन भी नहीं बताया की अभि भैया घर पर ही हैं... मेरी बेइज्जती हुई ! और अब मुझे झूठा मैसेज करके यहाँ बुलाया... पता नहीं आप चाहती क्या हैं भाभी ? ".
" मैं क्या चाहूँगी अनिकेत... मैं तो शादीशुदा हूँ ! ". मेघना बोली. " शायद तुम्हें कुछ चाहिए होगा... पड़ोस की भाभी के साथ थोड़ी मस्ती... ना शादी करने का झमेला ना ही कुछ खोने का, ना ही कोई वादा निभाने की दरकार ! ".
मेघना के मुँह से अचानक से निकले इतने कटु सीधे वाक्य सुनकर अनिकेत चुप पड़ गया.
" खोना तो बस मुझे है ! अपने हस्बैंड का विश्वास खो दिया... उनकी नज़रों में गिर गई ! कल को अगर उन्होंने मुझे छोड़ दिया तो मुझे अपनाओगे... बोलो ? ".
मेघना की बातें सच तो थीं, मगर उन बातों के सामने अनिकेत कमज़ोर पड़ कर झुकना नहीं चाहता था, मेघना के तर्क को अनसुना कर उसने पूछा.
" उस दिन आपने बताया क्यूँ नहीं की अभि भैया घर पर हैं ? ".
" क्यूंकि उन्होंने काफ़ी कुछ पहले ही देख लिया था... ". जवाब देने के लिए मानो तैयार बैठी मेघना ने तुरंत कहा. " तुमने तो आते ही मेरे साथ छेड़खानी शुरू कर दी, मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया. फिर अभि ने मुझे सब कुछ कंटिन्यू रखने को कहा... मैं डर भी गई थी ! ".
मेघना ने बिल्कुल वही बताया जो उस दिन सचमुच में हुआ था, लेकिन संतोषजनक जवाब मिल जाने पर भी अनिकेत का गुस्सा शांत नहीं हुआ था. ऊँची आवाज़ में उसने फिर से पूछा.
" और आज के झूठ का क्या बहाना सोचा है आपने भाभी ? ".
" तुम इतने दिनों से मेरे मैसेज को इग्नोर कर रहे थे, तो जानबूझकर करना पड़ा... और क्या करती ??? ". मेघना ने सीधे सीधे उत्तर दिया.
अनिकेत चुप हो गया.
" पूछोगे नहीं की उस दिन तुम्हारे जाने के बाद क्या हुआ ? ". मेघना ने थोड़ा नीचे झुककर अनिकेत का चेहरा निहारते हुये कहा. " और इतने दिनों में मेरे और अभि के बीच क्या क्या हुआ ? ".
" नहीं भाभी... ". अपनी नज़रें उठाकर मेघना की आँखों में देखते हुये अनिकेत पूरे आत्मविश्वास के साथ बोला. " मुझे आप दोनों के बीच नहीं पड़ना है... मुझसे बड़ी गलती हुई ! ".
" मतलब ? ".
" मुझे अब आपसे कोई सम्बन्ध नहीं रखना भाभी ! ". अनिकेत धीरे से बोला.
" तुम हम दोनों के बीच नहीं पड़ रहे अनिकेत... ". कहते हुये मेघना ने एक ठंडी आह भरी और पलंग से उठ खड़ी हुई.
मेघना की अधूरी बात का मतलब समझने की कोशिश करते हुये अनिकेत उसे आश्चर्य भरी नज़रों से घूरता रहा, मेघना चलकर ड्रेसिंग टेबल तक गई, आईने में अपना चेहरा देखा, अपने बाल ठीक कियें, फिर ड्रेसिंग टेबल पर पड़ा अपना मोबाइल उठाकर वापस से आकर पलंग पर अनिकेत के बगल में बैठ गई.
" मैं वैसी नहीं हूँ जैसा तुम समझ रहे हो... ". मेघना ने कहा. " और ना ही तुम्हारे अभिषेक भैया ! ".
अनिकेत को लगा की मेघना ये कहना चाह रही है की वो दोनों उतने बुरे नहीं हैं जितना की वो समझ रहा है, लेकिन दरअसल मेघना कुछ और ही कहना चाहती थी !
अनिकेत को समझ नहीं आ रहा था की ये क्या चल रहा है.
" So cute ! ". अनिकेत का गाल अपनी ऊँगलीयों से दबाते हुये मेघना बोली. " डर गये ना ? ".
ठंडी साँस भरते हुये अनिकेत ने इधर उधर बेचैन होकर देखा, मानो अपना गुस्सा ज़ाहिर करने के लिए शब्द तलाश रहा हो, पर कुछ बोले बिना ही रह गया.
" इधर आओ... बैठो... और बताओ की इतनी नाराज़गी क्यूँ है मुझसे ! ". मेघना ने मुस्कुराते हुये अनिकेत के टी शर्ट का कोना पकड़कर उसे अपनी ओर खींचते हुये कहा. अनिकेत ना चाहते हुये भी जाकर पलंग पर मेघना के बगल में बैठ गया.
" बात करो अनिकेत... मन का बैर बाहर निकल जाने दो... जितना बुरा भला कहना है मुझे कह लो ! बोलो क्या हुआ ? ". अनिकेत के कंधे पर हाथ रखते हुये मेघना बोली.
कुछ देर तक सिर नीचे किये हुये बैठे रहने के बाद अनिकेत ने अपनी गर्दन घुमाई, और मेघना की आँखों में देखते हुये कहा.
" आपने शुरू से ही मुझे अँधेरे में रखा... ना जाने क्या क्या झूठ बोला... ".
मेघना ध्यान से सुनती रही.
" उस दिन भी नहीं बताया की अभि भैया घर पर ही हैं... मेरी बेइज्जती हुई ! और अब मुझे झूठा मैसेज करके यहाँ बुलाया... पता नहीं आप चाहती क्या हैं भाभी ? ".
" मैं क्या चाहूँगी अनिकेत... मैं तो शादीशुदा हूँ ! ". मेघना बोली. " शायद तुम्हें कुछ चाहिए होगा... पड़ोस की भाभी के साथ थोड़ी मस्ती... ना शादी करने का झमेला ना ही कुछ खोने का, ना ही कोई वादा निभाने की दरकार ! ".
मेघना के मुँह से अचानक से निकले इतने कटु सीधे वाक्य सुनकर अनिकेत चुप पड़ गया.
" खोना तो बस मुझे है ! अपने हस्बैंड का विश्वास खो दिया... उनकी नज़रों में गिर गई ! कल को अगर उन्होंने मुझे छोड़ दिया तो मुझे अपनाओगे... बोलो ? ".
मेघना की बातें सच तो थीं, मगर उन बातों के सामने अनिकेत कमज़ोर पड़ कर झुकना नहीं चाहता था, मेघना के तर्क को अनसुना कर उसने पूछा.
" उस दिन आपने बताया क्यूँ नहीं की अभि भैया घर पर हैं ? ".
" क्यूंकि उन्होंने काफ़ी कुछ पहले ही देख लिया था... ". जवाब देने के लिए मानो तैयार बैठी मेघना ने तुरंत कहा. " तुमने तो आते ही मेरे साथ छेड़खानी शुरू कर दी, मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया. फिर अभि ने मुझे सब कुछ कंटिन्यू रखने को कहा... मैं डर भी गई थी ! ".
मेघना ने बिल्कुल वही बताया जो उस दिन सचमुच में हुआ था, लेकिन संतोषजनक जवाब मिल जाने पर भी अनिकेत का गुस्सा शांत नहीं हुआ था. ऊँची आवाज़ में उसने फिर से पूछा.
" और आज के झूठ का क्या बहाना सोचा है आपने भाभी ? ".
" तुम इतने दिनों से मेरे मैसेज को इग्नोर कर रहे थे, तो जानबूझकर करना पड़ा... और क्या करती ??? ". मेघना ने सीधे सीधे उत्तर दिया.
अनिकेत चुप हो गया.
" पूछोगे नहीं की उस दिन तुम्हारे जाने के बाद क्या हुआ ? ". मेघना ने थोड़ा नीचे झुककर अनिकेत का चेहरा निहारते हुये कहा. " और इतने दिनों में मेरे और अभि के बीच क्या क्या हुआ ? ".
" नहीं भाभी... ". अपनी नज़रें उठाकर मेघना की आँखों में देखते हुये अनिकेत पूरे आत्मविश्वास के साथ बोला. " मुझे आप दोनों के बीच नहीं पड़ना है... मुझसे बड़ी गलती हुई ! ".
" मतलब ? ".
" मुझे अब आपसे कोई सम्बन्ध नहीं रखना भाभी ! ". अनिकेत धीरे से बोला.
" तुम हम दोनों के बीच नहीं पड़ रहे अनिकेत... ". कहते हुये मेघना ने एक ठंडी आह भरी और पलंग से उठ खड़ी हुई.
मेघना की अधूरी बात का मतलब समझने की कोशिश करते हुये अनिकेत उसे आश्चर्य भरी नज़रों से घूरता रहा, मेघना चलकर ड्रेसिंग टेबल तक गई, आईने में अपना चेहरा देखा, अपने बाल ठीक कियें, फिर ड्रेसिंग टेबल पर पड़ा अपना मोबाइल उठाकर वापस से आकर पलंग पर अनिकेत के बगल में बैठ गई.
" मैं वैसी नहीं हूँ जैसा तुम समझ रहे हो... ". मेघना ने कहा. " और ना ही तुम्हारे अभिषेक भैया ! ".
अनिकेत को लगा की मेघना ये कहना चाह रही है की वो दोनों उतने बुरे नहीं हैं जितना की वो समझ रहा है, लेकिन दरअसल मेघना कुछ और ही कहना चाहती थी !