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Adultery रीमा की दबी वासना
रीमा ने मिलमिलाते हुए आंख खोली विनीत को नंगा देखकर - हआआआआयय ये क्या है । वो तेजी से बेड के सिरहाने की ओर खिसक गई ।
विनीत - मैडम सूर्यदेव आ गया है । आपको भागना होगा नही तो हम सबको मार देगा । 
रीमा - क्या कैसे..... कब कहाँ से  ? मैं कही नही जाऊँगी । वो यहाँ कैसे आया |
विनीत - मैडम टाइम नही है अभी निकालो फिर बताऊंगा अगर जिंदा रहे तो । सूर्यदेव के साथ हथियार बंद आदमी है ।
रीमा - लेकिन वो यहाँ कैसे आ सकता है ? हे भगवान ये मुसीबत कब मेरा पीछा छोड़ेगी |
रीमा - मेरी रोहित से बात हो चुकी है | रोहित भी पूरी सिक्युरिटी फ़ोर्स लेकर आ रहा है ।
विनीत - कौन रोहित, कौन सी सिक्युरिटी , यहाँ सब सूर्यदेव की मुट्ठी में है |
रीमा - मेरा देवर रोहित, उससे मेरी बात हो गयी है, वो शहर से निकल चूका है |
विनीत - मैडम जब तक आपकी फ़ोर्स आएगी हम दोनों मर चुके होंगे । सूर्यदेव नीचे आ गया है ।
रीमा तेजी से उछली और फर्श पर आ गयी ।
रीमा - वो यहाँ कैसे आ गया |
विनीत ने सर झुकाकर - अभी यहाँ से निकलिए वरना कहानी सुनाने के लिए जिन्दा नहीं बचेगे | 
रीमा - मै यहाँ से कही नहीं जाउंगी |
तभी नीचे से धायं गोली चलने की आवाज आई | 
विनीत - ये नामुराद इतनी जल्दी यहाँ कैसे आ गया | 
विनीत ने वही पड़ी गीली तौलिया उठा ली जो रीमा ने नहाकर सूखने के लिए फैलाई थी । तेजी से उसके कमरे से बाहर निकल कर, एक केबिन खोल और फिर संकरे गलियारे से सीढ़ियों की तरफ आ गया । जितना तेज उतर सकते थे नीचे उतरे । फिर विनीत उसे तहखाने में ले गया । एक तेजी एक तरफ भागा और उसी तेजी से वापस आ गया । आगे से दाहिने जाकर कुछ सीढियां है उनको चढ़कर एक दरवाजा पड़ेगा । ये बिल्डिंग से बाहर निकलने का खुफिया दरवाजा था ।
 विनीत -  ये रही उसकी चाभी । उसे खोलकर सीधे पगडंडी पर तीन किमी जंगल की तरफ चलती जाना , वहाँ एक आदमी मशरूम बेचता है उसको मेरा नाम बताना । और कहना डॉक्टर साहब के लिए मशरूम बचाने है । इसका मतलब है तुम्हे छिपने की जगह पहुंचा कर वो मुझसे मिलने आएगा । मैं उसे सब समझा दूँगा ।
रीमा - लेकिन वो यहाँ आया कैसे । 
विनीत - मैं तुमसे झूठ नही बोलूंगा लेकिन मेरे रियल स्टेट में एक दोस्त है दबंग टाइप का, उसे और मुझे तुमारी असलियत मालूम है । तुमने मुझे जो बताया था वो झूठ था । सूर्यदेव तुमको ढूंढ रहा है और हम उससे कुछ पैसा कमाने चाहते थे लेकिन मेरे दोस्त ने बातों बातों में उसे बता दिया कि तुम मेरे साथ हो मिस रीमा ।
रीमा - मिसेज रीमा दुष्ट नालायक , हाय तुम मुझे पैसे लेकर उसे बेचने वाले थे ।
विनीत - आपने भी तो झूठ बोला, क्या है ऐसा जो सूर्यदेव आपके पीछे हाथ धोकर पड़ा है । 
रीमा - लंबी कहानी है लेकिन तुम धोखेबाज, मीठी मीठी बातों में मुझे बहला फुसला कर अपना उल्लू सीधा कर रहा था और रोहित आता ही होगा सिक्युरिटी फ़ोर्स लेकर । तड़ाक ये तुमारी दगाबाजी की लिये । 

सिर्फ एक थप्पड़ मारा है क्योंकि मुझे पता था तुम मुझे  सूर्यदेव को नही देने वाले थे बल्कि जब तुमने मुझे नहाते हुए नंगा देखा तुमारी नियति मुझ पर तभी ही खराब हो गयी थी और इसीलिए बेदम होने के बाद भी लिजेल की नॉन स्टॉप गांड रात के दो बजे मारी । मेरे चूतड़ और नंगी पीठ अभी तक तुमारे दिमाग से उतरी नही है । ऐसा कमाल का फिगर देख तुमारे होश उड़ गए थे ।
[Image: 25311492.webp]
विनीत - वैसे आप हो भी कमाल, कभी पीछे से अपना फिगर देखा है | १ भी ग्राम ज्यादा फैट नहीं है | 18 साल जैसी लड़की की कमर और जवान औरत जैसे भरे पुरे चूतड़ | आप के इस रूप को देखकर तो बुड्ढ़े भी जवानी का अहसास करने लगेगे | उर्वशी मेनका जैसी अप्सरा जैसा जिस्म लेकर आई हो रीमा जी |  किसी भी आदमी की रातो की  हुस्न परी हो आप | अच्छा  आपको कैसे पता की मै अपने कमरे में क्या कर रहा था | उधर लिजेल की कराहे जा रही थी क्या ? 
रीमा - खाई खोदने वाला खुद ही उसमें गिरता है जाकर । जहाँ से तुम दूसरी औरतो को देखते थे वही से मैंने तुमारी हवस लीला देखी । बेचारी की गांड फाड़ के ही रख दी तुम दोनों । 
विनीत - शिट तुमने सब देख लिया शिट शिट शिट ओह  गॉड। 
रीमा - तुमने भी तो मेरा सब देख लिया, ऊपर से नीचे तक बाथरूम में  । आगे की तो झलक ही मिली थी । 
विनीत - यस मिसेज रीमा 
विनीत -मिसेज रीमा तुम बहुत बोल्ड हो, ये जानते हुए भी मैंने आपको पूरा नंगा देख लिया, असल में मैंने नहीं देखा आपने दिखाया | उसमे मेरी कोई गलती नहीं है, जब आपने तौलिया उठा लिया था तो फिर उसे ऊपर नीचे करके पहले जांघे और चूत और फिर चूंची दिखाने की क्या जरुरत थी |
रीमा - हाय तुम तो पूरी बेशर्मी पर उतर आये | 
विनीत - लोजी उसके बाद में पलट कर चूतड़ दिखाने की क्या जरुरत थी | इतना सब होने के बाद भी आप बाथरूम में नहाती रही, सच में बोल्डनेस बहुत है आपके अन्दर | 
रीमा - बोल्डनेस गयी भाड़ में, अभी तो निकलना होगा । 
विनीत ने आगे बढ़कर रीमा का हाथ थाम लिया - ट्रस्ट मी मेरा आपको किसी तरह का नुकसान पहुचाने का कोई इरादा नही था न ही आपको किसी मुसीबत में फंसाने के इरादा था । सच में दिल से कह रहा हूँ आप बहुत खूबसूरत है, आपकी एक झलक ने ही दिल में आग लगा दी है |
रीमा - बकवास बंद करो, इतनी काली रात में एक अकेली औरत और जंगल | यहाँ डर में मारे बुरा हाल है तुझे रोमांस सूझ रहा है | 
विनीत रीमा के करीब आता हुआ - सच में यकीं मानिये मेरा आपको किसी तरह का नुकसान पहुचाने का कोई इरादा नही था न ही आपको किसी मुसीबत में फंसाने के इरादा था ।
रीमा - सुनसान रात में अनजाने राह पर जंगल जा रही हूँ मुसीबत और कहते किसको है ।
विनीत - भरोसा करिये मेरा आदमी आपके लिए सारी व्यवस्था कर देगा । ये मोबाइल रख लीजिए लेकिन सिम निकाल कर फेंक देना । मैं नया ले लूँगा । इससे अंधेरे रास्ते मे रोशनी का सहारा मिल जाएगा । रीमा जाने वाली थी ।
विनीत - मैडम एक मिनट और 
रीमा झुन्झुलाई - अब क्या है | 
वो भाग के गया और जंगल पहनने वाले जूते का एक जोड़ा किसी कोने से उठा लाया । जूते धूल से सने हुए थे । 
विनीत - मैम पैर उठाइये । ये आपको जंगल मे जमीनी कीड़ो से बचा कर रखेगा ।
रीमा - बहुत धूल जमी है ।
अभी इतना टाइम नही है - विनीत बोला ।
रीमा ने वो हार्ड लैथर के जूते पहने और गोली की रफ्तार से निकल गयी । तीन किमी तो उसने भाग के ही पूरे कर लिए । रास्ता बिल्कुल सीधा था इसलिए कोई दिक्कत नही हुई। वहां पहुंच कर उसने मोबाइल की टॉर्च जलाई और आगे का रास्ता देखने लगी । एक पगडण्डी पर 100 कदम  चलने पर एक झोपड़ी दिखाई पड़ी ।
रीमा - मशरूम चाहिए, डॉक्टर विनीत ने भेजा है ।
झोपड़ी से कोई आवाज नही आई । रीमा ने दो तीन बार आवाज दी ।फिर कुछ देर वही वेट करती रही और निराश कदमों से लौटने लगी । अभी मुश्किल से 10 कदम ही चली होगी । 
आदमी - डॉक्टर साहब के लिए मशरूम बचाने है ।
रीमा तेजी से पलटी - हाँ हाँ वही जल्दी जल्दी में भूल गयी । 
आदमी - नाम ।
रीमा - रीमा ।
आदमी - इतनी रात को क्या मुसीबत ...। वो आगे कुछ बोल पाता ।
रीमा - सूर्यदेव ।
आदमी बड़बड़ाया - जब से ये शैतान इस कस्बे पैदा हुआ है रात को भी चैन नही है ।
आदमी - रुको, लालटेन जला लू चलता हूँ फिर । बिस्तर तो लायी नही होगी ।
रीमा - नही ।
आदमी - ये लाइट बंद करो ।
रीमा ने मोबाइल की टॉर्च बंद कर दी । आदमी लालटेन जला कर आया, उसके दूसरे हाथ मे दो लाठी थी । असल मे एक लाठी और दूसरी भाली थी ।
लाठी रीमा को देता हुआ - ये पकड़ो , जंगल मे कई बार जरूरत पड़ती है ।
रीमा उसके साथ पीछे पीछे चल दी । लगभग आधे घंटे चलने के बाद , एक लकड़ी के पुराने खोखे में साथ लाया कम्बल बिछा दिया ।आदमी - पौ फटने में बस अब पहर भर की देर है । तब तक यही आराम करो , सुबह आऊँगा नाश्ता लेकर, अगर देर हो जाये तो इधर उधर निकल मत जाना । आगे जंगल घना है और उधर जंगली जानवर से ज्यादा खतरनाक अघोरी है, जिंदा ही तुम्हें लाश बना देगें और फिर तुमारे जिस्म पर साधना करेंगे । चुपचाप यही पड़ी रहना, यहाँ कोई नही आएगा।
आदमी चला गया, रीमा उस घनघोर जंगल के घटाटोप अँधेरे में, उस लकड़ी के ढांचे में दुबक गयी । उसने आँखे तो बंद की लेकिन सो नही पाई । बार बार उसे लग रहा था रोहित अब तक कस्बे में पँहुच उसे ढूंढ रहा होगा । 
अगली सुबह वो आदमी लाठी टेकता लगभग 8 बजे आया - रीमा को उजाला निकलने के बाद हल्की नीद आ गयी थी | बूढ़े आदमी ने रीमा को घूर कर देखा | असल में सिर्फ बाथरोब पहनकर रीमा भागी थी | अभी वो जैसे लेटी थी उससे उसकी दोनों जांघे शुरआत में आखिरी तक बाहर झांक रही थी | 
बुढा आदमी - लगता है बहुत जल्दी में थी, कपड़ा नही नहीं पहन पायी | ये लो चार पराठे है और लस्सी और ये पानी अब शाम को खाना मिलेगा और तब तक यही पड़ी रहना | पानी हिसाब से खर्च करना | अब शाम को ही लेकर आऊंगा | देखते है डॉक्टर साहब क्या प्लान बताते है | और ये नंगी जांघे वान्घे ढककर रखो | इ नंगई यहाँ नहीं चलती |
रीमा - कपड़े है ही कहाँ | 
बुढा - कपड़े नहीं है कम्बल है आधा बिछाओ और आधा लपेटो | 
तुम रईसों को का पता कैसे कम में गुजारा किया जात है | 
इतना कहकर वो उसी पगडण्डी पर चला गया | जंगल इतना घना था की सूरज की रौशनी बहुत कम जमीन तक आ रही थी | रीमा ने खाना खाया और फिर लुढ़क गयी | सोने की कोशिश करी लेकिन नीद नहीं आई | खोखे से बाहर निकल आई | तभी कुछ देर इधर उधर घूमती रही | तभी उसे शोरगुल सुनाई दिया | गोली चलने की आवाज भी सुनाई पड़ी | रीमा मारे डर के अन्दर जंगल की तरफ भागने लगी | वो सूर्यदेव के आदमी थे | बुढा तो नहीं मिला लेकिन उसकी झोपड़ी को उन्होंने राख का देर बना दिया | रीमा घनघोर जंगल की झाड़ियो में काफी देर डुबकी रही फिर हिम्मत करके बाहर निकली तब तक सिक्युरिटी के सायरन बजने लगे | कुत्तो के भौकने की आवाजे और हूटर की आवाजे बढती ही जा रही थी | रीमा को समझ नहीं आया ये किसकी सिक्युरिटी है | वो तेजी से उसी हालत में अन्दर की और जंगल की गहराई में भागी | 
भागते भागते वो एक जंगल के एक खंडहर में पंहुच गयी | कुछ देर वही बैठकर सुस्ताने लगी | फिर पानी पिया | वो पछता रही थी क्यों उसने डॉक्टर का मोबाईल फेंक दिया | वहां बैठे बैठे शाम हो गयी | अब तो उसे भूख भी लग आई थी | अँधेरा होने से पहले उसने एक ऊँचा पत्थर दूंढ लिया यहाँ से लगभग सारा खंडहर दीखता था | लेकिन भूख का क्या करे | पत्थर से उतरकर कुछ खाने लायक ढूढ़ने लगी | जैसे जैसे वो खंडहर के अन्दर जाती गयी, जगल झाड़ियाँ कम होते गए और पत्थर की सिलापट भी साफ़ सुथरे | रीमा की भूख उसे बेधड़क आगे ले जाती गयी | वहां शायद कोई रहता था | रीमा को एक तरफ घास की बनी चटाई दिखी | दूसरी तरफ एक कच्चा घड़ा और उसके पास में जंगली पपीते और कुछ और फल थे | रीमा ने सतर्क निगाहों से इधर उधर देखा और फिर फलो वाली टोकरी उठा ली और उलटे पाँव वहां से लौट आई | फिर उसी ऊँची पत्थर पर आकर उसने जी भर के वे फल खाए | उसी कम्बल की बिछाकर खुद को उसी में लपेट लिया |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 23-07-2021, 02:41 PM



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