Thread Rating:
  • 9 Vote(s) - 3.11 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery सोलवां सावन
झूले पे 
[Image: jhula-5.md.jpg]













झूले पे मेरे पीछे कामिनी भाभी थीं और आगे बसंती। 



बंसती के पीछे पूरबी और कामिनी भाभी के पीछे चम्पा भाभी। 


[Image: Teej-Poonam-Jhawar-hot-navel.jpg]


उनके अलावा दो तीन और भौजाइयां, गाँव की लड़कियां। पेंग एक ओर से चमेली भाभी दे रही थीं और दूसरी ओर से गीता। 

 
चमेली भाभी ने बताया की चन्दा जब मुझे छोड़ने गई थी उसके बाद नहीं आई शायद अपनी किसी सहेली के पास चली गई होगी। 
 
मैंने मुश्किल से अपनी मुश्कान दबाई। 

जब से बसंती ने भरौटी के लौंडों के बारे में बताया था, और ये भी की वो रास्ता चन्दा जिससे गई थी, कहाँ जाता है, मुझे अंदाज हो गया था कि चन्दा रानी कहाँ अपनी ओखल में धान कुटवा रही होंगी। 


[Image: Teej-11-download.jpg]

 
कामिनी भाभी जिस तरह से मुझे देखकर मुश्कुरा रही थीं, उनका इरादा साफ नजर आ रहा था और जिस तरह से मैं बसंती और उनके बीच में थी, फिर आज मेरी भाभी भी नहीं थी झूले पे की कोई उनका लिहाज झिझक करता। 

लेकिन मेरा ध्यान कामिनी भाभी से ज्यादा उनके पति के बारे में था, जिस तरह कल चम्पा भाभी और आज बसंती ने बताया था, सुन सोच के ही मेरी गीली हो रही थी।
 
पहली बार मैं जब भाभियों के साथ झूला झूलने आई थी, उससे आज मामला और ज्यादा ‘हाट हाट’ हो रहा था। ये बात नहीं थी की उस दिन मैं बच गई थी, खूब मस्त गाली भरी कजरी मैंने पहली बार सुना था, और भौजाइयों ने रगड़न मसलन भी की थी और उंगली भी। 
 
लेकिन पहला दिन था मेरा इसलिए मैं थोड़ी हिचक रही थी और भाभियां भी थोड़ा, सोच रही थीं की कहीं कुछ ज्यादा हो गया तो मैं शहर की छोरी कहीं, बिचक गई तो?
 
 
लेकिन अब उस ‘रतजगे’ वाली रात के बाद मैंने सारी भौजाइयों का और उन्होंने मेरा ‘सब कुछ’ देख भी लिया और हाथ वाथ भी लगा दिया था। और दो चार तो जो यहाँ थीं, चम्पा भाभी, बसंती, कामिनी भाभी इन सबको पक्का पता चल गया था की मैं भी अब उन्हीं की गोल में शामिल हो गई हूँ। फिर आज मेरी भाभी भी नहीं थीं साथ में कि, कुछ उनका लिहाज, हिचक, । 
 
और आज एक नई गौरेया भी आई थी। मुझसे भी दो साल छोटी, अभी आठवीं पास करके नौवें में गई थी आगे सुधी पाठक एवं पाठिकाएं स्वयं समझ सकती हैं। 



जी, सुनील की छोटी बहन नीरू। 


[Image: teen-young-9010.jpg]

 
और पूरबी के साथ जब नदी नहाने गई थी तो उसके कच्चे टिकोरों की मैं ‘नाप तौल’ अच्छे से की थी। 



टिकोरे आ गए थे बस अभी थोड़े छोटे थे और मूंगफली के दाने ऐसे, बस जैसे नौवीं में पढ़ने वाली लड़कियों के होते हैं। 


[Image: teen-young-19807615.jpg]


पूरबी ने मुझे उकसाया तो मैंने नीचे का भी हाल चेक किया, बस सुनहली झांटें, रेशम के धागे ऐसी बस आ रही थीं।
 
लेकिन भौजाइयों के बीच ननद आ जाये तो फिर… 

और भौजाई भी कौन गुलबिया, एकदम बसंती के टक्कर की बल्की छेड़ने में, खुल के गारी देने में उससे भी दो हाथ आगे। 
 
वही, जो हम लोगों के यहां पानी लाती थी और उसका मर्द कुंवे पे पानी भरता था, जिसकी आज इतनी बड़ाई बसंती ने की थी। 

आज गुलबिया ठीक नीरू के पीछे बैठी और मैं समझ गई की जहाँ पेंग तेजी हुई, नीरू के टिकोरे उसके हाथों में होंगे। 
 
 “ओहो ओहो तनी सा धीरे-धीरे पेंग मार पिया, धीरे-धीरे पेंग मार पीया, 
 तनी सा धीरे-धीरे पेंग मार पिया, जरा सा धीरे-धीरे पेंग मार पिया। 
 
एक ओर से पूरबी ने पेंग मारते हुए कजरी शुरू की। 
 
तो गुलबिया ने छेड़ा- 


[Image: Gulabiya-5064d53d6eb2f7ad030b02c3f86f8ef1.jpg]



“अरे धीरे-धीरे मारने में न मारने वाले को मजा न मरवाने वाली को…” 
 
जवाब चम्पा भाभी ने दिया- 

“अरे जस नया माल लेके बैठी हो तो शुरू-शुरू में धीरे-धीरे ही मारनी पड़ेगी न…” 
 
पूरबी और कजरी जो पेंग मार रही थी उन्होंने रफ़्तार बढ़ा दी। 
 
और एक भौजी जो गुलबिया के पीछे बैठीं थी उन्होंने बोला- 

“अरे जरा छुटकी ननदिया को जोर से पकड़ो न…”


[Image: Joru-K-kacchetikore17-1.jpg]

 
और गुलबिया ने नीरू के नए-नए आये उभारों के ठीक नीचे हाथ लगाते हुए कस के दबोच लिया। 
 
मेरी हालत कुछ कम नहीं थी लेकिन मैं जानती थी क्या होनेवाला था? पेंग तेज होने के साथ ही मेरा आँचल उड़ के जैसे हटा, कामिनी भाभी ने मेरे दोनों कबूतर गपुच लिए और बसंती का हाथ मेरे चिकने पेट पे था। 
 
 पुरवा पवनवा उड़ावेला अंचरवा रामा, अरे ननदी जुबना झलकावे ला हरी। 
 अरे रामा ननदी, दुनों जुबना झलकावे ला हरी, अरे लौंडन के ललचावे ला हरी। 
 
अबकी कजरी गुलबिया ने छेड़ी, और कामिनी भाभी ने जैसे उसकी ताकीद करते हुए सीधे मेरी चोली में हाथ डाल दिया 


और सीधे मेरे जुबना उनके हाथ में। 
 
बादल बहुत जोर से घिर आये थे और लग रहा था बारिश अब हुई, तब हुई। 


हवा भी हल्की-हल्की चल रही थी और झूले के पेंग की रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी। कजरी के बीच सिसकियों की आवाजें भी आ रही थीं। 


[Image: rain-nice-5.gif]

और तब तक टप-टप बूंदें पड़ने लगी और मैं समझ गई की अब भौजाइयां और जोश में आ जाएंगी, और हुआ भी वही। 
 
मुश्किल से दिख रहा था। 



कहीं दूर बिजली भी चमक रही थी। सब लोग अच्छी तरह भींज गए थे, लेकिन न झूले की रफ़्तार कम हुई और न भौजाइयों की शरारतों की। 


[Image: Rain-Lightning-tenor.gif]

 
Like Reply


Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 15-04-2019, 08:37 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



Users browsing this thread: 19 Guest(s)