15-04-2019, 04:33 PM
मुझे एक अजीबसा मजा आ रहा था ...... मैंने अपने जीभ से रिया की जीभ को धकेलना चाहा.......
मेरी इस कोशिश में मेरी जीभ रिया के मुह में चली गई ........
अब रिया मेरी जीभ को अपने मुह में लेकर चूस रही थी .....
मेरे निप्पल अब पूरी तरहसे कठोर हो गए थे .
रिया का दबाना, उमेठना और मेरे होटो को चूसना जारी था और मुझे पूरी तरह से पागल कर रहा था.
न जाने कितनी देर तक हम वैसे ही रहे ......
अचानक रियाने चुम्बन तोडा और अपने हाथ खीच कर अलग खड़ी हो गई .
जैसे उसने मुझे आसमान से उठाकर जमीं पर पटक दिया
मैं रिया की तरफ असंजस भरी नजरो से देखने लगी.
रिया मंद मुस्कुरा रही थी . मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था .
रिया धीमे कदमोसे चलते हुए मेरे पास आई , मेरी पीठ सहलाते हूए मुझे पलंग की ओर ले गयी.
उसने मेरे कंधे पकड़कर मुझे निचे बिठाया.
मैं एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्म से लाल हो गई. रिया ने धीरे से पुछा
"महक मेरी जान ..... कैसा लगा ?"
मैं तो शर्म से मरी जा रही थी , मैंने अपना चेहरा रिया की छातियो में छुपाना चाहा.
उसने फिर से मेरा चेहरा हाथो में लेकर एक चुम्बन जड़ दिया और फिरसे पुछा
"मेरी भोली रानी .... कैसा लगा यह खेल?"
मैंने मुस्कुराकर निचे देखा.
रिया : " देखो महक , अगर तुम जवानी का यह अद्भुत खेल सीखना चाहती हो तो शर्मना छोडो
और बताओ की तुम्हे ये सब कैसा लगा?"
मैं: "क्या कैसा लगा?"
रिया : "ओह , तो तुझे अच्छा नहीं लगा ...... ठीक है मैं चलती हूँ अपने घर ...."
मैं घबरा गयी .... मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती निचे बैठाते बोला
"रिया मैंने ऐसा तो नहीं बोला यार"
उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़कर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और बोली
"तो तुम्हे जवानी का अद्भुत खेल खेलना है ?"
जवाबमे इसबार मैंने खुद को समर्पित करते हूए रिया के होंठो पर अपने होठ रख दिए .
मेरी इस कोशिश में मेरी जीभ रिया के मुह में चली गई ........
अब रिया मेरी जीभ को अपने मुह में लेकर चूस रही थी .....
मेरे निप्पल अब पूरी तरहसे कठोर हो गए थे .
रिया का दबाना, उमेठना और मेरे होटो को चूसना जारी था और मुझे पूरी तरह से पागल कर रहा था.
न जाने कितनी देर तक हम वैसे ही रहे ......
अचानक रियाने चुम्बन तोडा और अपने हाथ खीच कर अलग खड़ी हो गई .
जैसे उसने मुझे आसमान से उठाकर जमीं पर पटक दिया
मैं रिया की तरफ असंजस भरी नजरो से देखने लगी.
रिया मंद मुस्कुरा रही थी . मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था .
रिया धीमे कदमोसे चलते हुए मेरे पास आई , मेरी पीठ सहलाते हूए मुझे पलंग की ओर ले गयी.
उसने मेरे कंधे पकड़कर मुझे निचे बिठाया.
मैं एक नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्म से लाल हो गई. रिया ने धीरे से पुछा
"महक मेरी जान ..... कैसा लगा ?"
मैं तो शर्म से मरी जा रही थी , मैंने अपना चेहरा रिया की छातियो में छुपाना चाहा.
उसने फिर से मेरा चेहरा हाथो में लेकर एक चुम्बन जड़ दिया और फिरसे पुछा
"मेरी भोली रानी .... कैसा लगा यह खेल?"
मैंने मुस्कुराकर निचे देखा.
रिया : " देखो महक , अगर तुम जवानी का यह अद्भुत खेल सीखना चाहती हो तो शर्मना छोडो
और बताओ की तुम्हे ये सब कैसा लगा?"
मैं: "क्या कैसा लगा?"
रिया : "ओह , तो तुझे अच्छा नहीं लगा ...... ठीक है मैं चलती हूँ अपने घर ...."
मैं घबरा गयी .... मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे जबरदस्ती निचे बैठाते बोला
"रिया मैंने ऐसा तो नहीं बोला यार"
उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़कर एक जोरदार चुम्बन जड़ दिया और बोली
"तो तुम्हे जवानी का अद्भुत खेल खेलना है ?"
जवाबमे इसबार मैंने खुद को समर्पित करते हूए रिया के होंठो पर अपने होठ रख दिए .