20-07-2021, 04:17 PM
साढ़े दस बजे थे जब शशांक ने अपने पसंदीदा 'स्वाद स्नैक्स सेंटर' का दरवाजा खटखटाया। वह जानता था कि केंद्र के बंद होने का समय आ गया है। वह पार्सल पाने की उम्मीद में अंदर आया था। पिछले छह महीने से वह स्नैक सेंटर के नियमित ग्राहक हैं। उन्होंने चाय और मैगी से लेकर पावभाजी और बिरयानी तक सभी व्यंजन आजमाए थे।.................
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.