17-07-2021, 07:13 PM
अल्का और मेरे विवाह के अब पूरे पैंतालीस बरस बीत गए है! और यह पैंतालीस बरस पूरे सुख और समृद्धि से भरे हुए थे।
परिवार के तीनों बुजुर्ग अपने अपने समय पर वैकुण्ठ सिधार गए हैं।
अल्का और मेरी तीन संताने हुईं –
पहली संतान लड़की, जो हमारे विवाह के नौ माह के भीतर ही हो गई। जाहिर सी बात है कि विवाह से पहले हमने जो प्रेम संयोग किया था, वो उसी की निशानी है।
दूसरी संतान एक पुत्र, जो पुत्री के दो साल बाद हुआ, और तीसरी संतान एक पुत्री, जो हमारे विवाह के पाँचवे साल में हुई।
हमारी तीनों संताने विवाहित हैं, और तीनों की ही अपनी अपनी संतानें हैं। बड़ी पुत्री के पुत्र का तो विवाह अभी अभी संपन्न हुआ है।
धन धान्य की हमको कभी कोई कमी नहीं महसूस हुई - तीसरी संतान के आते आते, हमारा परिवार अत्यंत धनाढ्य हो गया। सलाद और अन्य नगदी फ़सलों का व्यवसाय शुरू करने के बाद, हमने एक डेरी भी स्थापित की, जिससे और भी लाभ हुआ। जान पहचान के सभी लोग हमारी मिसाल देते- और हमसे ईर्ष्या भी करते! कैसे घर की लक्ष्मी घर में ही रही और कैसे उसकी चक्रवृद्धि होती रही।
हमारे बच्चे हमारे रक्त सम्बन्ध के बारे में जानते हैं। उनको मालूम है कि हम पति पत्नी होने से पहले, मौसी और भतीजा थे।
लेकिन उससे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता!
परिवार के तीनों बुजुर्ग अपने अपने समय पर वैकुण्ठ सिधार गए हैं।
अल्का और मेरी तीन संताने हुईं –
पहली संतान लड़की, जो हमारे विवाह के नौ माह के भीतर ही हो गई। जाहिर सी बात है कि विवाह से पहले हमने जो प्रेम संयोग किया था, वो उसी की निशानी है।
दूसरी संतान एक पुत्र, जो पुत्री के दो साल बाद हुआ, और तीसरी संतान एक पुत्री, जो हमारे विवाह के पाँचवे साल में हुई।
हमारी तीनों संताने विवाहित हैं, और तीनों की ही अपनी अपनी संतानें हैं। बड़ी पुत्री के पुत्र का तो विवाह अभी अभी संपन्न हुआ है।
धन धान्य की हमको कभी कोई कमी नहीं महसूस हुई - तीसरी संतान के आते आते, हमारा परिवार अत्यंत धनाढ्य हो गया। सलाद और अन्य नगदी फ़सलों का व्यवसाय शुरू करने के बाद, हमने एक डेरी भी स्थापित की, जिससे और भी लाभ हुआ। जान पहचान के सभी लोग हमारी मिसाल देते- और हमसे ईर्ष्या भी करते! कैसे घर की लक्ष्मी घर में ही रही और कैसे उसकी चक्रवृद्धि होती रही।
हमारे बच्चे हमारे रक्त सम्बन्ध के बारे में जानते हैं। उनको मालूम है कि हम पति पत्नी होने से पहले, मौसी और भतीजा थे।
लेकिन उससे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता!
समाप्त!