17-07-2021, 07:11 PM
“अच्छा जी?!” अल्का ने कहा और वो भी मेरी बात पर हँसने लगी।
“दूध पिलाओ न!”
“दूध? किधर है?” अल्का जान बूझ कर अनजान बनी हुई थी।
“इधर है!” मैंने उंगली से उसके एक स्तन को छुआ।
“हा हा! मैंने आपको उन्हें पीने से कब रोका?”
“न! तुम पिलाओ!”
“अच्छा.. उसके लिए मुझे पलंग पर बैठना पड़ेगा!”
“हाँ.. ठीक है!”
अल्का बिस्तर पर बैठी, और अपने हाथ पीठ के पीछे ले जा कर अपने कंचुकी की गाँठ खोलने लगी। कुछ ही क्षणों में उसके भरे हुए, सुडौल और गोल स्तन उसके पति के सम्मुख अनावृत हो गए। मैं अल्का की गोद में पीठ के बल लेट गया और फिर फुर्सत से उसके स्तन को मुँह में लेकर पीने लगा। मैं अल्का की अवस्था से अनभिज्ञ था, लेकिन अल्का अपने स्तन इस प्रकार पिए जाने से अत्यंत हर्षित थी। मैंने कम से कम दस मिनट तक उन दोनों पृयूरों को मन भर कर चूसा और फिर अल्का के रूप की प्रशंसा करी,
“मेरी मोलू.. सच कहता हूँ.. भगवान् शिव ने बड़ी फुर्सत से बैठ कर तुम जैसी मस्त चोदने लायक लड़की बनाई है!”
देर तक पिए जाने से अल्का के चूचक उत्तेजनावश पूरी तरह से खड़े हो गए थे। लेकिन ऐसा लगा कि अपनी प्रशंसा सुन कर अल्का के स्तन गर्व से तन गए हों!
“मौसी, तुम इतनी ‘चोदनीय’ हो कि अगर कोई मर्द तुमको एक बार देख ले, तो उसका कुन्ना तुरंत खड़ा हो जाए और वो तुमको बिना चोदे नहीं मानेगा!”
मैंने अल्का को छेड़ा! बात तो बहुत गन्दी थी, लेकिन आज का दिन सभ्यता दिखाने का नहीं था। अल्का को भी मेरी बात अच्छी लगी। वो मुस्कुराई। मैं शरारत करते हुए एक एक कर के उसके नोकदार चूचकों को बारी बारी से अपने मुँह में भर कर फिर से पीने लगा। बीच बीच में मैं उनको दाँत से काट भी लेता।
“पातिय.. पातिय..” अल्का कराहते हुए, आनंद लेती हुई बोली, “आराम से चूसो!”
लेकिन मैं तो अभी अपनी ही धुन में था। मैं उसके स्तनों को जोर जोर से पी रहा था, और काट रहा था। बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। मेरी उत्तेजना की तो पराकाष्ठा पहुँच गई थी। अगर समय रहते अल्का मुझे रोक न लेती, तो मैं संभवतः अल्का की छातियाँ ही खा लेता। अब तक मेरा लिंग भीषण रक्त प्रवाह से फूल कर बहुत बड़ा हो गया था। समय आ गया था।
“चल रानी! अब तुझे नंगी कर के चोदने का समय आ गया।” मैंने निर्लज्जता से कहा। किसी और समय यह बात कही होती, तो थप्पड़ पड़ गया होता। लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, आज का दिन सभ्यता दिखाने का तो बिलकुल भी नहीं था। मैंने निर्दयता से उसकी साड़ी उतार दी और फिर उसकी चड्ढी भी। अल्का पूर्ण नग्न पलंग पर चित्त हो कर लेटी हुई थी। मैं उसकी टांगों के बीच आ कर बैठ गया और फिर उसकी सुन्दर टाँगें खोल दी। अल्का शरमा गयी।
“मौसी, मैंने तुमको पहले कभी बताया है क्या कि तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है? मैंने बोला।
अल्का ने मुझ पर पलट वार किया, “कितनी लड़कियों की ‘चूत’ देखी है मेरे चिन्नू ने?”
“बताऊँगा.. फिर कभी बाद में!” कह कर मैं उसकी योनि को पीने लगा। अल्का कामुकता से सिसकने लगी। मेरी जीभ उसको सनसनीखेज़ आनंद दे रही थी। मैंने देखा कि रह रह कर अल्का स्वयं ही अपने स्तन दबाने लगती। सच में! वैवाहिक सम्भोग का आनंद अवर्णनीय है!
“दूध पिलाओ न!”
“दूध? किधर है?” अल्का जान बूझ कर अनजान बनी हुई थी।
“इधर है!” मैंने उंगली से उसके एक स्तन को छुआ।
“हा हा! मैंने आपको उन्हें पीने से कब रोका?”
“न! तुम पिलाओ!”
“अच्छा.. उसके लिए मुझे पलंग पर बैठना पड़ेगा!”
“हाँ.. ठीक है!”
अल्का बिस्तर पर बैठी, और अपने हाथ पीठ के पीछे ले जा कर अपने कंचुकी की गाँठ खोलने लगी। कुछ ही क्षणों में उसके भरे हुए, सुडौल और गोल स्तन उसके पति के सम्मुख अनावृत हो गए। मैं अल्का की गोद में पीठ के बल लेट गया और फिर फुर्सत से उसके स्तन को मुँह में लेकर पीने लगा। मैं अल्का की अवस्था से अनभिज्ञ था, लेकिन अल्का अपने स्तन इस प्रकार पिए जाने से अत्यंत हर्षित थी। मैंने कम से कम दस मिनट तक उन दोनों पृयूरों को मन भर कर चूसा और फिर अल्का के रूप की प्रशंसा करी,
“मेरी मोलू.. सच कहता हूँ.. भगवान् शिव ने बड़ी फुर्सत से बैठ कर तुम जैसी मस्त चोदने लायक लड़की बनाई है!”
देर तक पिए जाने से अल्का के चूचक उत्तेजनावश पूरी तरह से खड़े हो गए थे। लेकिन ऐसा लगा कि अपनी प्रशंसा सुन कर अल्का के स्तन गर्व से तन गए हों!
“मौसी, तुम इतनी ‘चोदनीय’ हो कि अगर कोई मर्द तुमको एक बार देख ले, तो उसका कुन्ना तुरंत खड़ा हो जाए और वो तुमको बिना चोदे नहीं मानेगा!”
मैंने अल्का को छेड़ा! बात तो बहुत गन्दी थी, लेकिन आज का दिन सभ्यता दिखाने का नहीं था। अल्का को भी मेरी बात अच्छी लगी। वो मुस्कुराई। मैं शरारत करते हुए एक एक कर के उसके नोकदार चूचकों को बारी बारी से अपने मुँह में भर कर फिर से पीने लगा। बीच बीच में मैं उनको दाँत से काट भी लेता।
“पातिय.. पातिय..” अल्का कराहते हुए, आनंद लेती हुई बोली, “आराम से चूसो!”
लेकिन मैं तो अभी अपनी ही धुन में था। मैं उसके स्तनों को जोर जोर से पी रहा था, और काट रहा था। बड़ी देर तक यही खेल चलता रहा। मेरी उत्तेजना की तो पराकाष्ठा पहुँच गई थी। अगर समय रहते अल्का मुझे रोक न लेती, तो मैं संभवतः अल्का की छातियाँ ही खा लेता। अब तक मेरा लिंग भीषण रक्त प्रवाह से फूल कर बहुत बड़ा हो गया था। समय आ गया था।
“चल रानी! अब तुझे नंगी कर के चोदने का समय आ गया।” मैंने निर्लज्जता से कहा। किसी और समय यह बात कही होती, तो थप्पड़ पड़ गया होता। लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा था, आज का दिन सभ्यता दिखाने का तो बिलकुल भी नहीं था। मैंने निर्दयता से उसकी साड़ी उतार दी और फिर उसकी चड्ढी भी। अल्का पूर्ण नग्न पलंग पर चित्त हो कर लेटी हुई थी। मैं उसकी टांगों के बीच आ कर बैठ गया और फिर उसकी सुन्दर टाँगें खोल दी। अल्का शरमा गयी।
“मौसी, मैंने तुमको पहले कभी बताया है क्या कि तुम्हारी चूत बहुत सुंदर है? मैंने बोला।
अल्का ने मुझ पर पलट वार किया, “कितनी लड़कियों की ‘चूत’ देखी है मेरे चिन्नू ने?”
“बताऊँगा.. फिर कभी बाद में!” कह कर मैं उसकी योनि को पीने लगा। अल्का कामुकता से सिसकने लगी। मेरी जीभ उसको सनसनीखेज़ आनंद दे रही थी। मैंने देखा कि रह रह कर अल्का स्वयं ही अपने स्तन दबाने लगती। सच में! वैवाहिक सम्भोग का आनंद अवर्णनीय है!