17-07-2021, 07:03 PM
“तो फिर यहीं पर रह जाइए न, चेची?” अल्का प्रेम से मनुहार करी।
“अभी नहीं मोलूट्टी! लगी लगाई नौकरी ऐसे कैसे छोड़ दूँ?”
“अरे चेची! कृषि में बहुत लाभ हो रहा है! कु... मेरा मतलब है चिन्नू...”
“हा हा.. हाँ, कुट्टन सही शब्द है तुम्हारे लिए..” माँ ने अल्का को छेड़ा। अल्का लज्जा से मुस्कुराई।
“कुट्टन की मेहनत से पिछले कुछ वर्षों से, और इस वर्ष भी काफी लाभ हुआ है.. और भी होने का अनुमान है।”
“हम्म.. बहुत ख़ुशी हुई यह सुन कर!”
“चेची, तुम्हारे रिटायरमेंट में और कितना समय बचा है?”
“अरे अभी तो बहुत समय है.. कोई चौबीस पच्चीस साल!”
“अरे इतना! तो चेची.. आप लोग यहीं रह जाइए न!”
“रहेंगे बच्चे, रहेंगे!” अम्मा ने गहरी सांस ले कर कहा। फिर कुछ रुक कर उन्होंने आगे कहा, “तुम दोनों खुश तो हो न मेरे बच्चों?”
“हाँ अम्मा, बहुत!” अल्का ने कहा.. मैंने केवल सर हिला कर सहमति जताई। जब दो ‘बड़े’ लोग बात कर रहे हों, तो छोटे लोग अधिक नहीं बोलते! मुझे बचपन में ही यह सिखा दिया गया था।
“अच्छी बात है! लेकिन तुम दोनों ही एक बात याद रखना - जिस रास्ते पर तुम दोनों निकल पड़े हो, वह बस आगे की ओर ही जाता है.. इस रास्ते पर अब पीछे नहीं जाया जा सकता।”
जब हम दोनों ने कुछ नहीं कहा तो अम्मा ने आगे कहा,
“हमने तो तुम्हारे विवाह की अनुमति दे दी है, लेकिन गाँव के अग्रणी लोगों, मुखियाओं, और बड़े बुज़ुर्गों से भी इस बात के लिए आशीर्वाद लेना पड़ेगा। ... लेकिन, तुम दोनों उस बात की चिंता न करो.. मैं, अम्मा और तुम्हारे पिता जी सभी को मनाने का पूरा प्रयत्न करेंगे। लेकिन तुम दोनों ही मन में इस बात की सम्भावना रखना कि यह भी हो सकता है कि वो लोग न मानें। उस बात के लिए तैयार हो तुम दोनों?”
“अम्मा, अल्का के लिए मुझे कुछ भी करना पड़ेगा, मैं करूँगा! लेकिन इसका साथ कभी नहीं छोडूंगा... कभी भी नहीं!”
मैंने अल्का का हाथ अपने हाथ में थाम कर दृढ़ता से कहा। अम्मा ने एक गहरी दृष्टि मुझ पर, और फिर अल्का पर डाली और फिर अंत में मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत अच्छी बात है!”
फिर थोड़ा ठहर कर उन्होंने कहा, “एक घंटे में भोर हो जाएगी... तुम दोनों को उसके पहले एक और बार सहवास करना हो तो कर लो.. मैं अंदर चली जाती हूँ...”
“अम्मा!” मैंने बुरा मान जाने का नाटक किया।
“अच्छा अच्छा! ठीक है.. मत करो सहवास! लेकिन मैं तो जा रही हूँ... तुम्हारे पिताजी जागने वाले होंगे। क्या पता... शायद एक और बार हो जाए!”
कह कर अम्मा हँसती हुई कमरे के अंदर चली गईं।
“अभी नहीं मोलूट्टी! लगी लगाई नौकरी ऐसे कैसे छोड़ दूँ?”
“अरे चेची! कृषि में बहुत लाभ हो रहा है! कु... मेरा मतलब है चिन्नू...”
“हा हा.. हाँ, कुट्टन सही शब्द है तुम्हारे लिए..” माँ ने अल्का को छेड़ा। अल्का लज्जा से मुस्कुराई।
“कुट्टन की मेहनत से पिछले कुछ वर्षों से, और इस वर्ष भी काफी लाभ हुआ है.. और भी होने का अनुमान है।”
“हम्म.. बहुत ख़ुशी हुई यह सुन कर!”
“चेची, तुम्हारे रिटायरमेंट में और कितना समय बचा है?”
“अरे अभी तो बहुत समय है.. कोई चौबीस पच्चीस साल!”
“अरे इतना! तो चेची.. आप लोग यहीं रह जाइए न!”
“रहेंगे बच्चे, रहेंगे!” अम्मा ने गहरी सांस ले कर कहा। फिर कुछ रुक कर उन्होंने आगे कहा, “तुम दोनों खुश तो हो न मेरे बच्चों?”
“हाँ अम्मा, बहुत!” अल्का ने कहा.. मैंने केवल सर हिला कर सहमति जताई। जब दो ‘बड़े’ लोग बात कर रहे हों, तो छोटे लोग अधिक नहीं बोलते! मुझे बचपन में ही यह सिखा दिया गया था।
“अच्छी बात है! लेकिन तुम दोनों ही एक बात याद रखना - जिस रास्ते पर तुम दोनों निकल पड़े हो, वह बस आगे की ओर ही जाता है.. इस रास्ते पर अब पीछे नहीं जाया जा सकता।”
जब हम दोनों ने कुछ नहीं कहा तो अम्मा ने आगे कहा,
“हमने तो तुम्हारे विवाह की अनुमति दे दी है, लेकिन गाँव के अग्रणी लोगों, मुखियाओं, और बड़े बुज़ुर्गों से भी इस बात के लिए आशीर्वाद लेना पड़ेगा। ... लेकिन, तुम दोनों उस बात की चिंता न करो.. मैं, अम्मा और तुम्हारे पिता जी सभी को मनाने का पूरा प्रयत्न करेंगे। लेकिन तुम दोनों ही मन में इस बात की सम्भावना रखना कि यह भी हो सकता है कि वो लोग न मानें। उस बात के लिए तैयार हो तुम दोनों?”
“अम्मा, अल्का के लिए मुझे कुछ भी करना पड़ेगा, मैं करूँगा! लेकिन इसका साथ कभी नहीं छोडूंगा... कभी भी नहीं!”
मैंने अल्का का हाथ अपने हाथ में थाम कर दृढ़ता से कहा। अम्मा ने एक गहरी दृष्टि मुझ पर, और फिर अल्का पर डाली और फिर अंत में मुस्कुराते हुए कहा, “बहुत अच्छी बात है!”
फिर थोड़ा ठहर कर उन्होंने कहा, “एक घंटे में भोर हो जाएगी... तुम दोनों को उसके पहले एक और बार सहवास करना हो तो कर लो.. मैं अंदर चली जाती हूँ...”
“अम्मा!” मैंने बुरा मान जाने का नाटक किया।
“अच्छा अच्छा! ठीक है.. मत करो सहवास! लेकिन मैं तो जा रही हूँ... तुम्हारे पिताजी जागने वाले होंगे। क्या पता... शायद एक और बार हो जाए!”
कह कर अम्मा हँसती हुई कमरे के अंदर चली गईं।