17-07-2021, 06:50 PM
अल्का शर्म से मुस्कुरा दी और वापस मेरे अभी भी तने हुए शिश्न की तरफ देखने लगी।
“पियो न!” मैंने मनुहार करी। अल्का ने एक चुस्की ली, और चुस्की लेते ही उसने आँखें सिकोड़ लीं।
“क्या हुआ? अच्छी नहीं है?” सच कहूँ तो मुझे भी नहीं मालूम था कि उसका स्वाद अच्छा है या खराब। एकदम नया सा स्वाद था; कुछ समझ नहीं आया कि वह स्वाद पसंद आना चाहिए या नहीं।
“पता नहीं.. लेकिन मुझे एक बात पता है कि एक बहुत ही स्वादिष्ट पीने की चीज़ मेरी ब्लाउज में है..”
“वो तो सबसे स्वादिष्ट चीज़ है मोलू!” मैंने छूटते ही कहा। और फिर मनुहार करते हुए आगे कहा, “मेरी मोलू, तुम मुझसे एक वायदा करो... जब तुम मेरे साथ रहो न, तो पूरी नंगी रहा करो!”
“हाय चिन्नू! अपनी अम्माई को तुम ‘ऐसे’ देखना चाहते हो?” अल्का ने छेड़ते हुए कहा।
“हाँ, लेकिन अपनी अम्माई को नहीं, अपनी भार्या को.. हाँ... ‘ऐसे’ और हमेशा!”
कह कर मैंने अल्का के होंठों पर एक चुम्बन लिया और उसको बिस्तर पर लिटा कर, उसके शरीर से कपड़े धीरे धीरे उतार कर ज़मीन पर डाल दिया, जैसे उसने कोई फालतू सी चीज़ पहनी हुई हो। इस बात की आशंका और पूर्वानुमान अल्का को थी ही.. आखिर हम सम्भोग करने ही तो इस कमरे में आए थे। इसलिए अल्का ने भी कम से कम कपड़े ही पहने थे। उसने ब्लाउज पहनी थी, ब्रा नहीं। साड़ी और पेटीकोट पहनी थी, लेकिन चड्ढी नहीं। मतलब वो खुद भी हमारे मिलान के लिए तैयार थी। लेकिन फिर भी, लड़कियों को एक तरह की घबराहट तो होती ही है। अल्का को भी थी, लेकिन फिर उसने धीरे धीरे खुद को संयत किया..
मैं उसके होंठों पर लम्बे लम्बे चुम्बन देते हुए उनको चूसने लगा। ऐसे जैसे मैं उसके होंठों को ही नहीं, बल्कि उनके साथ साथ उनकी लालिमा भी चूस लेना चाहता था। चुम्बन के दौरान ही अल्का पूरी तरह से नग्न हो गई। उसने लज्जा से अपनी आँखें बंद कर लीं, और खुद को चादर से ढँक लिया। मैंने उस चादर को भी हटा दिया। अब अल्का ने अपने सीने पर अपने हाथ आड़े तिरछे रख लिए, एक तरह से अपने मुलाक्कल छुपाने की नाकामयाब कोशिश! उसके दोनों हाथों को हटा कर मैं मुग्ध हो कर उसके शरीर को देखने लगा। कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद मैं कांपते हुए स्वर में बोला,
“तुम कितनी सुन्दर हो, मोलू!”
अल्का ने करवट बदलकर खुद को छुपाते हुए कहा, “क्या सुन्दर लगा मुझमें?”
उत्तर देने से पहले मैंने मन भर कर अल्का को निहारा। मुझे खुद ही अपने भाग्य पर संदेह हो आया। क्या यह सब मेरे साथ सच में हो रहा है, या बस कोई मीठा सपना है! अगर यह एक सपना है, तो भगवान्, इस सपने को यूँ ही चलने दें!
“मुझे तो तुम पूरी की पूरी सुन्दर लगती हो, मोलू!” मेरी आवाज़ में अब उत्तेजना आने लगी थी।
“ऐसे नहीं कुट्टन! मुझे मालूम है कि तुम उत्तेजित हो और मेरे साथ रमण करना चाहते हो। मेरी भी तो यही इच्छा है! इसलिए तुम खुल कर, एक कामुक प्रेमी की तरह मुझे बताओ कि तुमको मुझमें क्या सुन्दर लगता है?”
“पियो न!” मैंने मनुहार करी। अल्का ने एक चुस्की ली, और चुस्की लेते ही उसने आँखें सिकोड़ लीं।
“क्या हुआ? अच्छी नहीं है?” सच कहूँ तो मुझे भी नहीं मालूम था कि उसका स्वाद अच्छा है या खराब। एकदम नया सा स्वाद था; कुछ समझ नहीं आया कि वह स्वाद पसंद आना चाहिए या नहीं।
“पता नहीं.. लेकिन मुझे एक बात पता है कि एक बहुत ही स्वादिष्ट पीने की चीज़ मेरी ब्लाउज में है..”
“वो तो सबसे स्वादिष्ट चीज़ है मोलू!” मैंने छूटते ही कहा। और फिर मनुहार करते हुए आगे कहा, “मेरी मोलू, तुम मुझसे एक वायदा करो... जब तुम मेरे साथ रहो न, तो पूरी नंगी रहा करो!”
“हाय चिन्नू! अपनी अम्माई को तुम ‘ऐसे’ देखना चाहते हो?” अल्का ने छेड़ते हुए कहा।
“हाँ, लेकिन अपनी अम्माई को नहीं, अपनी भार्या को.. हाँ... ‘ऐसे’ और हमेशा!”
कह कर मैंने अल्का के होंठों पर एक चुम्बन लिया और उसको बिस्तर पर लिटा कर, उसके शरीर से कपड़े धीरे धीरे उतार कर ज़मीन पर डाल दिया, जैसे उसने कोई फालतू सी चीज़ पहनी हुई हो। इस बात की आशंका और पूर्वानुमान अल्का को थी ही.. आखिर हम सम्भोग करने ही तो इस कमरे में आए थे। इसलिए अल्का ने भी कम से कम कपड़े ही पहने थे। उसने ब्लाउज पहनी थी, ब्रा नहीं। साड़ी और पेटीकोट पहनी थी, लेकिन चड्ढी नहीं। मतलब वो खुद भी हमारे मिलान के लिए तैयार थी। लेकिन फिर भी, लड़कियों को एक तरह की घबराहट तो होती ही है। अल्का को भी थी, लेकिन फिर उसने धीरे धीरे खुद को संयत किया..
मैं उसके होंठों पर लम्बे लम्बे चुम्बन देते हुए उनको चूसने लगा। ऐसे जैसे मैं उसके होंठों को ही नहीं, बल्कि उनके साथ साथ उनकी लालिमा भी चूस लेना चाहता था। चुम्बन के दौरान ही अल्का पूरी तरह से नग्न हो गई। उसने लज्जा से अपनी आँखें बंद कर लीं, और खुद को चादर से ढँक लिया। मैंने उस चादर को भी हटा दिया। अब अल्का ने अपने सीने पर अपने हाथ आड़े तिरछे रख लिए, एक तरह से अपने मुलाक्कल छुपाने की नाकामयाब कोशिश! उसके दोनों हाथों को हटा कर मैं मुग्ध हो कर उसके शरीर को देखने लगा। कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद मैं कांपते हुए स्वर में बोला,
“तुम कितनी सुन्दर हो, मोलू!”
अल्का ने करवट बदलकर खुद को छुपाते हुए कहा, “क्या सुन्दर लगा मुझमें?”
उत्तर देने से पहले मैंने मन भर कर अल्का को निहारा। मुझे खुद ही अपने भाग्य पर संदेह हो आया। क्या यह सब मेरे साथ सच में हो रहा है, या बस कोई मीठा सपना है! अगर यह एक सपना है, तो भगवान्, इस सपने को यूँ ही चलने दें!
“मुझे तो तुम पूरी की पूरी सुन्दर लगती हो, मोलू!” मेरी आवाज़ में अब उत्तेजना आने लगी थी।
“ऐसे नहीं कुट्टन! मुझे मालूम है कि तुम उत्तेजित हो और मेरे साथ रमण करना चाहते हो। मेरी भी तो यही इच्छा है! इसलिए तुम खुल कर, एक कामुक प्रेमी की तरह मुझे बताओ कि तुमको मुझमें क्या सुन्दर लगता है?”