17-07-2021, 06:45 PM
“लेकिन इस बात में भी एक बाधा है... तुम्हारी अम्मा और तुम्हारे अच्चन को भी इनके विवाह के लिए सहमत होना होगा। नहीं तो केवल मुझ बुढ़िया की बात का कोई महत्त्व नहीं है।”
“अम्मम्मा, आपका आशीर्वाद मिल गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि अम्मा और अच्चन भी मान जाएँगे!” मैंने अम्मम्मा के पैर छूते हुए कहा।
“तू उनको मना ले तो बहुत बढ़िया रहेगा। नहीं तो मेरे पास कोई और उपाय नहीं बचेगा! और मेरी बेटी कुँवारी ही रह जाएगी।”
“ऐसा नहीं होगा अम्मम्मा! आप अल्का के बच्चों - अपने कोच्चुमकन (नाती-नातिन) और वलीय कोच्चुमकन (पर नाती-नातिन) को अपनी गोद में जल्दी ही खिलाएँगीं!” मैंने शरारत से कहा।
“ईश्वर करें, कि ऐसा ही हो! लेकिन हमेशा याद रखना कि यह राह जिस पर तुम दोनों चल निकले हो, बड़ी कठिन है। कैसी भी कठिनाई आए, एक दूसरे का साथ कभी मत छोड़ना, और एक दूसरे का सम्बल बनना। तभी तुम्हारे प्रेम की परिणति होगी। अन्यथा समाज से दुत्कार के अतिरिक्त और कुछ नहीं पाओगे।”
“अम्मा, अब आप आशीर्वाद मिल गया है। चेची और अलियन को भी मना लेंगे और उनका भी आशीर्वाद ले लेंगे।” अल्का अम्मम्मा से लिपट कर बोली।
“मेरी प्यारी बेटी! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी को प्रेम हो गया है!”
अल्का ने कहा, “कभी कभी तो मुझे भी नहीं होता अम्मा! ये हमेशा शैतानी करने वाला लड़का, मेरे जीवन का सबसे बड़ा प्रेम बन जाएगा, यह तो मैंने भी नहीं सोचा था अम्मा! यह सब कुछ कैसे हो गया, मुझे तो याद भी नहीं पड़ता। मुझे तो बस ये मालूम है कि चिन्नू के साथ रहना मेरे लिए पूरी तरह से नैसर्गिक स्वभाव जैसा है। है न सब कुछ अविश्वसनीय सा?”
अम्मम्मा ने अल्का का मस्तक चूमते हुए कहा, “हाँ! और उससे मुझे एक बात ध्यान हो आई। तुम दोनों आज.. केवल आज के लिए एक विवाहित जोड़े के जैसे रहो।”
“क्या सच में अम्मा!” अल्का और मैं, दोनों ही एक साथ ही अम्मम्मा की बात पर आश्चर्यचकित हो कर बोल पड़े।
“हाँ! इसको मेरी तरफ से अपने होने वाले विवाह के लिए एक उपहार ही समझो। लेकिन पट्रन, जब तक तुम्हारा नया व्यवसाय चल न निकले, तब तक तुम दोनों का परिणय विधि के अनुसार नहीं हो सकेगा।”
“अम्मा! मेरी प्यारी अम्मा!!” अल्का ने आह्लादित होते हुए अम्मम्मा को अपने गले से लगा लिया।
“चल.. अब निर्लज्ज लड़की के जैसे नंगी मत रह और कुछ पहन ले..”
“अम्मा, लेकिन अभी अभी आप ही ने तो..”
“हाँ हाँ! मैंने कहा था कि आज तुम दोनों विवाहित जोड़ो के जैसे रह सकते हो। लेकिन थोड़ा तो सोच - ‘उपहार’ यदि खुला हुआ हो, तो उसका महत्त्व, उसके लिए उत्साह थोड़ा कम हो जाता है। अपनी पत्नी को अपने हाथों से निर्वस्त्र करना, एक पति के लिए बड़े अधिकार और गौरव की बात है।”
अल्का शरमा कर मुस्कुरा दी और अपने कपड़े पहनने के लिए कमरे के अंदर जाने लगी।
“अम्मम्मा, आपका आशीर्वाद मिल गया है। मुझे पूरा विश्वास है कि अम्मा और अच्चन भी मान जाएँगे!” मैंने अम्मम्मा के पैर छूते हुए कहा।
“तू उनको मना ले तो बहुत बढ़िया रहेगा। नहीं तो मेरे पास कोई और उपाय नहीं बचेगा! और मेरी बेटी कुँवारी ही रह जाएगी।”
“ऐसा नहीं होगा अम्मम्मा! आप अल्का के बच्चों - अपने कोच्चुमकन (नाती-नातिन) और वलीय कोच्चुमकन (पर नाती-नातिन) को अपनी गोद में जल्दी ही खिलाएँगीं!” मैंने शरारत से कहा।
“ईश्वर करें, कि ऐसा ही हो! लेकिन हमेशा याद रखना कि यह राह जिस पर तुम दोनों चल निकले हो, बड़ी कठिन है। कैसी भी कठिनाई आए, एक दूसरे का साथ कभी मत छोड़ना, और एक दूसरे का सम्बल बनना। तभी तुम्हारे प्रेम की परिणति होगी। अन्यथा समाज से दुत्कार के अतिरिक्त और कुछ नहीं पाओगे।”
“अम्मा, अब आप आशीर्वाद मिल गया है। चेची और अलियन को भी मना लेंगे और उनका भी आशीर्वाद ले लेंगे।” अल्का अम्मम्मा से लिपट कर बोली।
“मेरी प्यारी बेटी! मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मेरी बेटी को प्रेम हो गया है!”
अल्का ने कहा, “कभी कभी तो मुझे भी नहीं होता अम्मा! ये हमेशा शैतानी करने वाला लड़का, मेरे जीवन का सबसे बड़ा प्रेम बन जाएगा, यह तो मैंने भी नहीं सोचा था अम्मा! यह सब कुछ कैसे हो गया, मुझे तो याद भी नहीं पड़ता। मुझे तो बस ये मालूम है कि चिन्नू के साथ रहना मेरे लिए पूरी तरह से नैसर्गिक स्वभाव जैसा है। है न सब कुछ अविश्वसनीय सा?”
अम्मम्मा ने अल्का का मस्तक चूमते हुए कहा, “हाँ! और उससे मुझे एक बात ध्यान हो आई। तुम दोनों आज.. केवल आज के लिए एक विवाहित जोड़े के जैसे रहो।”
“क्या सच में अम्मा!” अल्का और मैं, दोनों ही एक साथ ही अम्मम्मा की बात पर आश्चर्यचकित हो कर बोल पड़े।
“हाँ! इसको मेरी तरफ से अपने होने वाले विवाह के लिए एक उपहार ही समझो। लेकिन पट्रन, जब तक तुम्हारा नया व्यवसाय चल न निकले, तब तक तुम दोनों का परिणय विधि के अनुसार नहीं हो सकेगा।”
“अम्मा! मेरी प्यारी अम्मा!!” अल्का ने आह्लादित होते हुए अम्मम्मा को अपने गले से लगा लिया।
“चल.. अब निर्लज्ज लड़की के जैसे नंगी मत रह और कुछ पहन ले..”
“अम्मा, लेकिन अभी अभी आप ही ने तो..”
“हाँ हाँ! मैंने कहा था कि आज तुम दोनों विवाहित जोड़ो के जैसे रह सकते हो। लेकिन थोड़ा तो सोच - ‘उपहार’ यदि खुला हुआ हो, तो उसका महत्त्व, उसके लिए उत्साह थोड़ा कम हो जाता है। अपनी पत्नी को अपने हाथों से निर्वस्त्र करना, एक पति के लिए बड़े अधिकार और गौरव की बात है।”
अल्का शरमा कर मुस्कुरा दी और अपने कपड़े पहनने के लिए कमरे के अंदर जाने लगी।