17-07-2021, 06:42 PM
“यजमंट्टी आ रही हैं... तुम लोग जल्दी से ठीक हो जाओ..”
हमको चिन्नम्मा की आवाज़ सुनाई दी। उस समय हमारे दिमाग में यह बात नहीं आई कि हमारा समागम चिन्नम्मा से छुपा हुआ नहीं था, और उन्होंने सब कुछ देख लिया था.. या फिर न जाने कितना कुछ!
“चेट्टन, तुम जल्दी से छुप जाओ । जाओ.. जल्दी !”
अल्का ने मुझे अपने से परे धकेला। मैं जल्दी से उठा और वहीं एक कोने में जा कर छुप गया। कपड़े पहनने का समय न तो मेरे पास था, और न ही अल्का के पास। और मैं भी अल्का के ऊपर से बस ऐन मौके पर ही हट सका। मेरे पूरी तरह से छुपने से ठीक पहले ही अम्मम्मा (नानी) आँगन की तरफ आती हुई दिखाई दीं।
“अरे मोलूट्टी... तू ऐसे नंगी क्यों बैठी है? अगर पट्रन इधर आ गया और तुमको ऐसी हालत में देख लिया तो?”
“अरे यजमंट्टी, आप मोलूट्टी का परिणय करवा दो न? कितना समय हो गया! देखो न बेचारी कैसी हो गई है..” चिन्नम्मा ने अपना दाँव फेंका।
“अरे दस बारह साल से कोशिश कर रही हूँ.. न तो इसे कभी कोई पसंद आता है, और न ही किसी का नाम लेती है! देखो तो लक्ष्मी... कितनी बड़ी हो गई है! इतने बड़े बड़े मुलाक्कल और वो भी सूखे!”
“अम्मा!” कहते हुए अल्का ने शर्म अपना चेहरा ढँक लिया।
“क्या अम्मा?! मेरे सामने नंगी बैठी है, उसमे तो तुझे लज्जा नहीं या रही है। और मेरी इस बात से लज्जित हो रही है। अरे, लड़की इनमें से तो दूध की धार बहती रहनी चाहिए! जब मैं तेरी उम्र की थी, तब मेरे कितने बच्चे हो गए थे।”
“अम्मा, मैं कोई गाय हूँ क्या, जो मेरे दूध की धार बहती रहे?”
“गाय नहीं है... लेकिन मेरी कन्यका तो है! अब तक तेरे दो तीन बच्चे हो जाते, तो अच्छा रहता।”
“क्या अम्मा..”
“अरी! फिर वही बात! अभी चिन्नू भी ऐसे ही नंगा घूम रहा था, अब तू भी! चलो, वो तो अभी बच्चा है, लेकिन तू तो सयानी है न!”
“बच्चा है वो यजमंट्टी? उसका कुन्ना देखा है तुमने ? केले जैसा हो गया है!” चिन्नम्मा ने अपनी विशेष टिप्पणी जारी रखी।
“हट बेशरम!”
“बेशरम नहीं.. मैंने उसका अभ्यंगम किया है.. सब देखा है.. बढ़िया जवान नाती है तुम्हारा... अब तो उसका वीर्य भी बनने लगा है..” चिन्नम्मा ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बात कह दी। मुझे जवानी का प्रमाणपत्र मिल गया।
“हाँ ठीक है.. ठीक है... वो भी बड़ा हो गया है.. लेकिन बात इस लड़की की हो रही है.. कब तक इसको ऐसी कुँवारी घर में बैठाऊं ? अब तक तो इसके सीने से दूध आने लगना था!”
“मेरे सीने से दूध निकलवाने का बस यही तरीका बचा हुआ क्या अम्मा, कि तुम मुझे किसी भी घर के खूंटे से बाँध दो? अपनी लड़की के साथ किसी मवेशी के जैसे व्यवहार करो?” अल्का ने बनावटी भावनाओं के साथ कहा। अब तक वो अम्मम्मा के पास आ कर बैठ गई थी।
हमको चिन्नम्मा की आवाज़ सुनाई दी। उस समय हमारे दिमाग में यह बात नहीं आई कि हमारा समागम चिन्नम्मा से छुपा हुआ नहीं था, और उन्होंने सब कुछ देख लिया था.. या फिर न जाने कितना कुछ!
“चेट्टन, तुम जल्दी से छुप जाओ । जाओ.. जल्दी !”
अल्का ने मुझे अपने से परे धकेला। मैं जल्दी से उठा और वहीं एक कोने में जा कर छुप गया। कपड़े पहनने का समय न तो मेरे पास था, और न ही अल्का के पास। और मैं भी अल्का के ऊपर से बस ऐन मौके पर ही हट सका। मेरे पूरी तरह से छुपने से ठीक पहले ही अम्मम्मा (नानी) आँगन की तरफ आती हुई दिखाई दीं।
“अरे मोलूट्टी... तू ऐसे नंगी क्यों बैठी है? अगर पट्रन इधर आ गया और तुमको ऐसी हालत में देख लिया तो?”
“अरे यजमंट्टी, आप मोलूट्टी का परिणय करवा दो न? कितना समय हो गया! देखो न बेचारी कैसी हो गई है..” चिन्नम्मा ने अपना दाँव फेंका।
“अरे दस बारह साल से कोशिश कर रही हूँ.. न तो इसे कभी कोई पसंद आता है, और न ही किसी का नाम लेती है! देखो तो लक्ष्मी... कितनी बड़ी हो गई है! इतने बड़े बड़े मुलाक्कल और वो भी सूखे!”
“अम्मा!” कहते हुए अल्का ने शर्म अपना चेहरा ढँक लिया।
“क्या अम्मा?! मेरे सामने नंगी बैठी है, उसमे तो तुझे लज्जा नहीं या रही है। और मेरी इस बात से लज्जित हो रही है। अरे, लड़की इनमें से तो दूध की धार बहती रहनी चाहिए! जब मैं तेरी उम्र की थी, तब मेरे कितने बच्चे हो गए थे।”
“अम्मा, मैं कोई गाय हूँ क्या, जो मेरे दूध की धार बहती रहे?”
“गाय नहीं है... लेकिन मेरी कन्यका तो है! अब तक तेरे दो तीन बच्चे हो जाते, तो अच्छा रहता।”
“क्या अम्मा..”
“अरी! फिर वही बात! अभी चिन्नू भी ऐसे ही नंगा घूम रहा था, अब तू भी! चलो, वो तो अभी बच्चा है, लेकिन तू तो सयानी है न!”
“बच्चा है वो यजमंट्टी? उसका कुन्ना देखा है तुमने ? केले जैसा हो गया है!” चिन्नम्मा ने अपनी विशेष टिप्पणी जारी रखी।
“हट बेशरम!”
“बेशरम नहीं.. मैंने उसका अभ्यंगम किया है.. सब देखा है.. बढ़िया जवान नाती है तुम्हारा... अब तो उसका वीर्य भी बनने लगा है..” चिन्नम्मा ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बात कह दी। मुझे जवानी का प्रमाणपत्र मिल गया।
“हाँ ठीक है.. ठीक है... वो भी बड़ा हो गया है.. लेकिन बात इस लड़की की हो रही है.. कब तक इसको ऐसी कुँवारी घर में बैठाऊं ? अब तक तो इसके सीने से दूध आने लगना था!”
“मेरे सीने से दूध निकलवाने का बस यही तरीका बचा हुआ क्या अम्मा, कि तुम मुझे किसी भी घर के खूंटे से बाँध दो? अपनी लड़की के साथ किसी मवेशी के जैसे व्यवहार करो?” अल्का ने बनावटी भावनाओं के साथ कहा। अब तक वो अम्मम्मा के पास आ कर बैठ गई थी।