17-07-2021, 06:39 PM
अब मुझसे रहा नहीं गया। मैं उठा, और उसको खड़ा कर अपने गले से लगा लिया।
“मेरे स्वामी, तुम मुझको प्रसाद नहीं दोगे?”
“प्रसाद?”
“हाँ! मेरी योनि में प्रविष्ट हो कर मेरी पूजा सिद्ध कर दो...” उसने आँखे बंद किए हुए यह बात कह डाली।
मैंने अपने हाथ को उसकी योनि की तरफ बढ़ाया।
“नहीं!” उसने मुझे रोका।
मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि उस पर डाली।
“आज हाथ नहीं!” उसने काँपते हुए होंठों से से यह बात कह डाली।
‘हे प्रभु!’ यह क्या बात कह दी अल्का ने!
अचानक से ही मेरी धरती और आकाश का भेद संज्ञान करने की क्षमता गड्ड-मड्ड हो गई। यह काम तो पति-पत्नी करते हैं! यह सब क्या इतना जल्दी जल्दी नहीं हो रहा है! हो सकता है। लेकिन अपने सामने खड़ी इस सम्पूर्ण नग्न लड़की का क्या करूँ? अल्का से समागम करने का मन तो मेरा हमेशा से ही था, लेकिन आज, जब वो यह अवसर मुझे खुद ही प्रदान कर रही है तो ऐसी व्याकुलता, ऐसी बेचैनी क्यों महसूस हो रही है?
“अल्का?” मैंने दबी घुटी आवाज़ में कहा। उसने आँखें खोली।
“चेट्टन?”
“आर यू श्योर?”
“श्योर न होती, तो तुमसे ऐसी बड़ी बात कहती?”
कहते हुए उसने अपने काँपते होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मुझे चुम्बन लेने देने का कोई ज्ञान नहीं था; यह भी नहीं मालूम था कि इसको किया कैसे जाता है। अरे, मुझे तो यह भी नहीं मालूम था कि पति पत्नी आपस में क्या क्या करते हैं। मैंने उसके चुम्बन की प्रतिक्रिया में उसके होंठों पर तीन चार छोटे छोटे चुम्बन जड़ दिए। इतना तो मालूम ही था कि खड़े खड़े कुछ नहीं हो सकता। इसलिए मैंने धीरे से अल्का को वहीं ज़मीन पर लिटा दिया। आँगन में बारिश की मोटी मोटी बूँदें गिर रही थीं, और नानी या चिन्नम्मा कभी भी उस तरफ आ सकती थीं। अपने जीवन में इस तरह की उत्तेजना, इस तरह की लालसा और इस तरह की व्याकुलता मैंने पहले कभी नहीं महसूस करी थी।
“मेरे स्वामी, तुम मुझको प्रसाद नहीं दोगे?”
“प्रसाद?”
“हाँ! मेरी योनि में प्रविष्ट हो कर मेरी पूजा सिद्ध कर दो...” उसने आँखे बंद किए हुए यह बात कह डाली।
मैंने अपने हाथ को उसकी योनि की तरफ बढ़ाया।
“नहीं!” उसने मुझे रोका।
मैंने प्रश्नवाचक दृष्टि उस पर डाली।
“आज हाथ नहीं!” उसने काँपते हुए होंठों से से यह बात कह डाली।
‘हे प्रभु!’ यह क्या बात कह दी अल्का ने!
अचानक से ही मेरी धरती और आकाश का भेद संज्ञान करने की क्षमता गड्ड-मड्ड हो गई। यह काम तो पति-पत्नी करते हैं! यह सब क्या इतना जल्दी जल्दी नहीं हो रहा है! हो सकता है। लेकिन अपने सामने खड़ी इस सम्पूर्ण नग्न लड़की का क्या करूँ? अल्का से समागम करने का मन तो मेरा हमेशा से ही था, लेकिन आज, जब वो यह अवसर मुझे खुद ही प्रदान कर रही है तो ऐसी व्याकुलता, ऐसी बेचैनी क्यों महसूस हो रही है?
“अल्का?” मैंने दबी घुटी आवाज़ में कहा। उसने आँखें खोली।
“चेट्टन?”
“आर यू श्योर?”
“श्योर न होती, तो तुमसे ऐसी बड़ी बात कहती?”
कहते हुए उसने अपने काँपते होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मुझे चुम्बन लेने देने का कोई ज्ञान नहीं था; यह भी नहीं मालूम था कि इसको किया कैसे जाता है। अरे, मुझे तो यह भी नहीं मालूम था कि पति पत्नी आपस में क्या क्या करते हैं। मैंने उसके चुम्बन की प्रतिक्रिया में उसके होंठों पर तीन चार छोटे छोटे चुम्बन जड़ दिए। इतना तो मालूम ही था कि खड़े खड़े कुछ नहीं हो सकता। इसलिए मैंने धीरे से अल्का को वहीं ज़मीन पर लिटा दिया। आँगन में बारिश की मोटी मोटी बूँदें गिर रही थीं, और नानी या चिन्नम्मा कभी भी उस तरफ आ सकती थीं। अपने जीवन में इस तरह की उत्तेजना, इस तरह की लालसा और इस तरह की व्याकुलता मैंने पहले कभी नहीं महसूस करी थी।


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