17-07-2021, 06:20 PM
“जानू, जल्दी ही शाम हो जायेगी! नहाना नहीं है?” अल्का फुसफुसाई। मुझे वो और कितना उकसा सकती है!
बात तो सही थी! लेकिन फिर भी मेरे शरीर में उतनी तेजी नहीं आई - संभवतः, मैं अल्का को निर्वस्त्र करने की जल्दी में नहीं था। लेकिन बस यह ख़याल कि मेरी हर हरकत से उसका मूर्त रूप सामने आता जाएगा, बहुत ही रोमांचक और विलक्षण था। और मैं इस दृश्य के हर एक रसीले पल को अच्छे से अपनी आँखों में सोख लेना चाहता था।
मैंने हाथ बढ़ाया, और उसकी शर्ट का एक बटन खोल दिया, और उसकी आँखों में झाँका। मुझे प्रेरित करने के लिए वो मुस्कुराई। हम दोनों के ही माथे और होंठ के ऊपर पसीने छलक आए थे। गर्मी का प्रभाव था, या फिर घबराहट का? शर्ट के छः बटन खोलने में कम से कम दो मिनट तो लग ही गए होंगे। न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा था कि यदि यह काम जल्दी में किया तो अल्का को चोट न लग जाए! शर्ट के पट एक दूसरे से अलग तो हो गए, लेकिन अल्का की हरी झंडी के बाद भी मैं शर्ट के पट को उसके शरीर से अलग नहीं कर पा रहा था। मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए अल्का ने स्वयं ही शर्ट अपने शरीर से उतार कर अलग कर दी। वो सफ़ेद रंग की साधारण सी ब्रा पहने हुए थी। आगे मैंने जो किया वो उसके लिए भी अप्रत्याशित था - संभवतः वो सोच रही होगी कि अगला नंबर उसकी ब्रा का था, लेकिन मैंने उसकी जीन्स को निशाना बनाया। उसकी जीन्स उतारते समय मैं अधिक बेधड़क था।
अल्का कुछ देर ऐसे खड़ी रही - मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा में, लेकिन जब मैंने कोई हरकत नहीं दिखाई, तो वो स्वयं ही मेरे सामने मुड़ गई, और इस समय उसकी पीठ मेरे सामने हो गई। मेरे लिए संकेत स्पष्ट था - उसके स्तनों को मुक्त करने का समय आ गया था। काँपते हाथों से उसकी ब्रा का हुक खोला और बाकी का काम उसने ही कर दिया। मुझे मालूम था कि मेरे सामने पीठ किये खड़ी इस लड़की के स्तन अब अनावृत हो चले हैं। लेकिन, काम अभी भी बचा हुआ था। मैं घुटने के बल ज़मीन पर बैठ गया और धीरे धीरे उसकी चड्ढी उतारने लगा। पाँच मिनट तक चले इस वस्त्र-हरण कार्यक्रम को करते हुए मुझे ऐसा लगा कि जैसे घंटो बीत गए!
अपने स्तनों को हाथों से ढके हुए अल्का मेरी तरफ मुड़ी - योनि छुपाने का उसने कोई प्रयास नहीं किया। सच कहूँ, तो मुझे किसी भी तरह की उम्मीद नहीं थी कि हमारे बीच जो बात मज़ाक मज़ाक में शुरू हुई थी, वो इतनी गंभीर हो जाएगी। हम दोनों की सांसे अब धौंकनी के जैसे चलने लगीं थीं, मेरा शिश्न उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर ऊर्ध्व हो गया था, और पैंट के अंदर से बाहर होने को आतुर हो रहा था।
मैंने अल्का के दोनों हाथों को प्रेम से पकड़ कर हटाया - जो दिखा उसकी तो मैं बस कल्पना ही कर सकता था! आशा के अनुरूप, अल्का के सीने पर शानदार और ठोस स्तनों की अभिमानी जोड़ी उठी हुई थी। मेरी तर्जनी के नोक के आकार के समान ही गहरे भूरे रंग के चूचक, और उनके चारों तरफ तीन इंच का भूरे रंग का वृत्ताकार घेरा! वो घेरा सपाट नहीं था, बल्कि स्तनों पर से उठा हुआ था। कभी ताजमहल का गुम्बद देखा है? ठीक उसी के जैसे अल्का के स्तनों के तीन भाग थे - सबसे नीचे एक चिकना शुद्ध अर्द्ध-गोला, उसके ऊपर भूरे रंग की एक एक वृत्ताकार टोपी, और उसके भी ऊपर मेरी तर्जनी की नोक के आकार के चूचक! मेरी दृष्टि नीचे की तरफ गई - उसकी दोनों जांघों के बीच बहुत सहेज कर रखा हुआ घने बालों का एक नीड़ (घोंसला) था, और उसी नीड़ में छुपा हुआ था, अल्का का प्रेम-कूप!
“अल्का...” मेरे मुंह से बढ़ाई के शब्द अपने आप ही फूट पड़े, “तुम बहुत सुन्दर हो! आई ऍम सो लकी!”
निर्वस्त्र होते समय तो नहीं, लेकिन अपनी बढ़ाई सुनते ही अल्का के पूरे शरीर में लज्जा की लालिमा दौड़ गई।
“और... मेरा कुट्टन कैसा है?”
बात तो सही थी! लेकिन फिर भी मेरे शरीर में उतनी तेजी नहीं आई - संभवतः, मैं अल्का को निर्वस्त्र करने की जल्दी में नहीं था। लेकिन बस यह ख़याल कि मेरी हर हरकत से उसका मूर्त रूप सामने आता जाएगा, बहुत ही रोमांचक और विलक्षण था। और मैं इस दृश्य के हर एक रसीले पल को अच्छे से अपनी आँखों में सोख लेना चाहता था।
मैंने हाथ बढ़ाया, और उसकी शर्ट का एक बटन खोल दिया, और उसकी आँखों में झाँका। मुझे प्रेरित करने के लिए वो मुस्कुराई। हम दोनों के ही माथे और होंठ के ऊपर पसीने छलक आए थे। गर्मी का प्रभाव था, या फिर घबराहट का? शर्ट के छः बटन खोलने में कम से कम दो मिनट तो लग ही गए होंगे। न जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा था कि यदि यह काम जल्दी में किया तो अल्का को चोट न लग जाए! शर्ट के पट एक दूसरे से अलग तो हो गए, लेकिन अल्का की हरी झंडी के बाद भी मैं शर्ट के पट को उसके शरीर से अलग नहीं कर पा रहा था। मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए अल्का ने स्वयं ही शर्ट अपने शरीर से उतार कर अलग कर दी। वो सफ़ेद रंग की साधारण सी ब्रा पहने हुए थी। आगे मैंने जो किया वो उसके लिए भी अप्रत्याशित था - संभवतः वो सोच रही होगी कि अगला नंबर उसकी ब्रा का था, लेकिन मैंने उसकी जीन्स को निशाना बनाया। उसकी जीन्स उतारते समय मैं अधिक बेधड़क था।
अल्का कुछ देर ऐसे खड़ी रही - मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा में, लेकिन जब मैंने कोई हरकत नहीं दिखाई, तो वो स्वयं ही मेरे सामने मुड़ गई, और इस समय उसकी पीठ मेरे सामने हो गई। मेरे लिए संकेत स्पष्ट था - उसके स्तनों को मुक्त करने का समय आ गया था। काँपते हाथों से उसकी ब्रा का हुक खोला और बाकी का काम उसने ही कर दिया। मुझे मालूम था कि मेरे सामने पीठ किये खड़ी इस लड़की के स्तन अब अनावृत हो चले हैं। लेकिन, काम अभी भी बचा हुआ था। मैं घुटने के बल ज़मीन पर बैठ गया और धीरे धीरे उसकी चड्ढी उतारने लगा। पाँच मिनट तक चले इस वस्त्र-हरण कार्यक्रम को करते हुए मुझे ऐसा लगा कि जैसे घंटो बीत गए!
अपने स्तनों को हाथों से ढके हुए अल्का मेरी तरफ मुड़ी - योनि छुपाने का उसने कोई प्रयास नहीं किया। सच कहूँ, तो मुझे किसी भी तरह की उम्मीद नहीं थी कि हमारे बीच जो बात मज़ाक मज़ाक में शुरू हुई थी, वो इतनी गंभीर हो जाएगी। हम दोनों की सांसे अब धौंकनी के जैसे चलने लगीं थीं, मेरा शिश्न उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच कर ऊर्ध्व हो गया था, और पैंट के अंदर से बाहर होने को आतुर हो रहा था।
मैंने अल्का के दोनों हाथों को प्रेम से पकड़ कर हटाया - जो दिखा उसकी तो मैं बस कल्पना ही कर सकता था! आशा के अनुरूप, अल्का के सीने पर शानदार और ठोस स्तनों की अभिमानी जोड़ी उठी हुई थी। मेरी तर्जनी के नोक के आकार के समान ही गहरे भूरे रंग के चूचक, और उनके चारों तरफ तीन इंच का भूरे रंग का वृत्ताकार घेरा! वो घेरा सपाट नहीं था, बल्कि स्तनों पर से उठा हुआ था। कभी ताजमहल का गुम्बद देखा है? ठीक उसी के जैसे अल्का के स्तनों के तीन भाग थे - सबसे नीचे एक चिकना शुद्ध अर्द्ध-गोला, उसके ऊपर भूरे रंग की एक एक वृत्ताकार टोपी, और उसके भी ऊपर मेरी तर्जनी की नोक के आकार के चूचक! मेरी दृष्टि नीचे की तरफ गई - उसकी दोनों जांघों के बीच बहुत सहेज कर रखा हुआ घने बालों का एक नीड़ (घोंसला) था, और उसी नीड़ में छुपा हुआ था, अल्का का प्रेम-कूप!
“अल्का...” मेरे मुंह से बढ़ाई के शब्द अपने आप ही फूट पड़े, “तुम बहुत सुन्दर हो! आई ऍम सो लकी!”
निर्वस्त्र होते समय तो नहीं, लेकिन अपनी बढ़ाई सुनते ही अल्का के पूरे शरीर में लज्जा की लालिमा दौड़ गई।
“और... मेरा कुट्टन कैसा है?”