17-07-2021, 06:18 PM
उसी समय धनेश (हार्नबिल) पक्षी की आवाज़, उस हरे भरे निस्तब्ध वातावरण में गूंजने लगी। हम दोनों का ही ध्यान उसी तरफ आकर्षित हो गया। आँखें बंद कर के अगर लेट जाओ, तो वो गूँज सुन कर गहरी, सुख भरी नींद आ जाए। अल्का धीरे से मुस्कुरा दी।
“ये आवाज़ सुन रहे हो कुट्टन? इसको वेळम्पल पक्षी कहते हैं।”
“कितनी सुन्दर आवाज़ है!”
“आवाज़ से भी सुन्दर ये दिखने में होता है।”
मैं चारों तरफ देखने लगा कि शायद दिख जाए। अल्का कुछ देर न जाने क्या सोच कर चुप रही, फिर आगे बोली,
“और दिखने से भी अधिक सुन्दर होता है इसका व्यवहार! बहुत ही कम पशु पक्षी हैं कुट्टन, जो अपने पूरे जीवन को केवल साथी के संग बिता देते हैं। नर और मादा वेळम्पल हमेशा साथ-साथ रहते हैं। जब मादा अपने अंडे देती है, तो किसी पेड़ के कोटर के अंदर बैठ जाती है। दोनों उस कोटर को पलस्तर कर के बंद कर देते हैं और सिर्फ उतना खुला रखते हैं जिससे कि नर वेळम्पल अपनी साथी के लिए खाना पानी ला सके।”
अल्का उत्साह के साथ मेरा ज्ञान वर्द्धन कर रही थी।
“नर वेळम्पल यह काम लगातार करता है - पूरी लगन से। मतलब अण्डों से जब बच्चे निकल आते हैं, तो उनके भी खाने पीने की व्यवस्था नर ही करता है। और तब तक करता है, जब तक बच्चे कुछ बड़े नहीं हो जाते। खुद वो बेचारा कमज़ोर हो जाता है, लेकिन अपने परिवार को किसी तरह की कमी नहीं होने देता। पारिवारिक दायित्व संग-संग निभाने में इस पक्षी का कोई जवाब नहीं। वेळम्पल पक्षी का प्रेम हमें पारिवारिक प्रेम के लिए क्या नहीं सिखाता है..!”
अल्का चुप तो हो गई, लेकिन उसकी इस चुप्पी में बड़े रहस्य भरे हुए थे।
लेकिन वेळम्पल की गूँज मुझे खुद अपने समर्पण, अपने प्रेम की विवेचना करने पर विवश कर रही थी। वेळम्पल पक्षी - उन पर तो विवाह जैसे सामाजिक बंधन नहीं हैं। फिर भी अपने साथी के लिए उनमें पूर्ण समर्पण का भाव होता है। और दोनों ही उस भाव को पूरे उत्साह से निभाते हैं। क्या मेरे मन भी अल्का के लिए वैसा ही समर्पण का भाव है? या यह सिर्फ शारीरिक आसक्ति है? नहीं नहीं, यह सिर्फ शारीरिक आसक्ति तो नहीं है! रोमांटिक ख्याल तो अभी अभी आने शुरू हुए हैं। लेकिन अल्का के लिए प्रेम और आदर तो हमेशा से ही है। और जहाँ तक परिवार सम्हालने की बात है, तो खेती में जो अभी हाल फिलहाल की बरकत है, उसका कुछ श्रेय तो मुझे जाना ही चाहिए। आगे का आगे सीख लूँगा। अगर अल्का ने मुझे स्वीकार किया है, तो मैं भी तो उसको अपने जीवन में स्वीकार करना चाहता हूँ। बस, उससे यह सब कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी अब तक। सच में कितना अच्छा हो, अगर अल्का और मैं, हम दोनों हमेशा साथ रह सकें! एक परिवार के जैसे! एक विवाहित जोड़े के जैसे! एक पति-पत्नी के जैसे! सच में! कितना अच्छा हो!
‘विवाह!’ वह तो सांसारिक बंधन है। बंधन जो निभाना पड़ता है। लेकिन अलका के साथ मैं मन के बंधन में बंधना चाहता हूँ। बंधन जो मैं निभाना चाहता हूँ। वो बंधन जिससे मैं शरीर से और मन से, अलका से जुड़ जाऊँ। सम्बन्ध ऐसा हो कि हम बस अखंड प्रेम में लीन रहें। आज संसार में जहाँ बच्चे अपने घरों के भीतर भी सुरक्षित नहीं हैं, वहाँ कि वेळम्पल पक्षियों की पारिवारिक अवधारणा कितनी महान है! सच में! वेळम्पल पक्षियों का प्रेम हमें क्या नहीं सिखाता! हम खुद को अन्य जीवों से श्रेष्ठ समझते हैं। लेकिन हम इनसे कितना कुछ सीख सकते हैं!
“ये आवाज़ सुन रहे हो कुट्टन? इसको वेळम्पल पक्षी कहते हैं।”
“कितनी सुन्दर आवाज़ है!”
“आवाज़ से भी सुन्दर ये दिखने में होता है।”
मैं चारों तरफ देखने लगा कि शायद दिख जाए। अल्का कुछ देर न जाने क्या सोच कर चुप रही, फिर आगे बोली,
“और दिखने से भी अधिक सुन्दर होता है इसका व्यवहार! बहुत ही कम पशु पक्षी हैं कुट्टन, जो अपने पूरे जीवन को केवल साथी के संग बिता देते हैं। नर और मादा वेळम्पल हमेशा साथ-साथ रहते हैं। जब मादा अपने अंडे देती है, तो किसी पेड़ के कोटर के अंदर बैठ जाती है। दोनों उस कोटर को पलस्तर कर के बंद कर देते हैं और सिर्फ उतना खुला रखते हैं जिससे कि नर वेळम्पल अपनी साथी के लिए खाना पानी ला सके।”
अल्का उत्साह के साथ मेरा ज्ञान वर्द्धन कर रही थी।
“नर वेळम्पल यह काम लगातार करता है - पूरी लगन से। मतलब अण्डों से जब बच्चे निकल आते हैं, तो उनके भी खाने पीने की व्यवस्था नर ही करता है। और तब तक करता है, जब तक बच्चे कुछ बड़े नहीं हो जाते। खुद वो बेचारा कमज़ोर हो जाता है, लेकिन अपने परिवार को किसी तरह की कमी नहीं होने देता। पारिवारिक दायित्व संग-संग निभाने में इस पक्षी का कोई जवाब नहीं। वेळम्पल पक्षी का प्रेम हमें पारिवारिक प्रेम के लिए क्या नहीं सिखाता है..!”
अल्का चुप तो हो गई, लेकिन उसकी इस चुप्पी में बड़े रहस्य भरे हुए थे।
लेकिन वेळम्पल की गूँज मुझे खुद अपने समर्पण, अपने प्रेम की विवेचना करने पर विवश कर रही थी। वेळम्पल पक्षी - उन पर तो विवाह जैसे सामाजिक बंधन नहीं हैं। फिर भी अपने साथी के लिए उनमें पूर्ण समर्पण का भाव होता है। और दोनों ही उस भाव को पूरे उत्साह से निभाते हैं। क्या मेरे मन भी अल्का के लिए वैसा ही समर्पण का भाव है? या यह सिर्फ शारीरिक आसक्ति है? नहीं नहीं, यह सिर्फ शारीरिक आसक्ति तो नहीं है! रोमांटिक ख्याल तो अभी अभी आने शुरू हुए हैं। लेकिन अल्का के लिए प्रेम और आदर तो हमेशा से ही है। और जहाँ तक परिवार सम्हालने की बात है, तो खेती में जो अभी हाल फिलहाल की बरकत है, उसका कुछ श्रेय तो मुझे जाना ही चाहिए। आगे का आगे सीख लूँगा। अगर अल्का ने मुझे स्वीकार किया है, तो मैं भी तो उसको अपने जीवन में स्वीकार करना चाहता हूँ। बस, उससे यह सब कुछ कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी अब तक। सच में कितना अच्छा हो, अगर अल्का और मैं, हम दोनों हमेशा साथ रह सकें! एक परिवार के जैसे! एक विवाहित जोड़े के जैसे! एक पति-पत्नी के जैसे! सच में! कितना अच्छा हो!
‘विवाह!’ वह तो सांसारिक बंधन है। बंधन जो निभाना पड़ता है। लेकिन अलका के साथ मैं मन के बंधन में बंधना चाहता हूँ। बंधन जो मैं निभाना चाहता हूँ। वो बंधन जिससे मैं शरीर से और मन से, अलका से जुड़ जाऊँ। सम्बन्ध ऐसा हो कि हम बस अखंड प्रेम में लीन रहें। आज संसार में जहाँ बच्चे अपने घरों के भीतर भी सुरक्षित नहीं हैं, वहाँ कि वेळम्पल पक्षियों की पारिवारिक अवधारणा कितनी महान है! सच में! वेळम्पल पक्षियों का प्रेम हमें क्या नहीं सिखाता! हम खुद को अन्य जीवों से श्रेष्ठ समझते हैं। लेकिन हम इनसे कितना कुछ सीख सकते हैं!