17-07-2021, 06:10 PM
सच कहूँ - यह मेरे जीवन का पहला मौका था जब मैंने किसी जवान लड़की को नग्नता के इस दर्जे में देखा था। कोई आश्चर्य की बात नहीं कि मैं इस प्रकार की उत्तेजना महसूस कर रहा था। अल्का धीरे धीरे चलते हुए अंततः पानी में आने लगी और कुछ इस तरह बैठी कि उसके स्तन पानी की सतह से ठीक ऊपर रह गए। उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे पानी के ऊपर तैर रहे हों। … मेरे मन में आया कि उन्हें छू कर देखूं और महसूस करूँ कि एक लड़की के स्तन कैसे लगते हैं! लेकिन मैं अपने भाग्य को बहुत आज़माना नहीं चाहता था - मुझे महसूस हो रहा था कि अभी सब्र कर लेने से मुझे बाद में बहुत से लाभ हो सकते थे! अभी मैंने ऐसा कुछ किया तो हो सकता कि अल्का नाराज़ हो जाए, और ऐसे सुखद पल हमेशा के लिए समाप्त हो जाएँ! तो मैंने उस समय बस अल्का की छवि का आनंद उठाने की ही ठानी!
मैं तैरते हुए अल्का के पास गया। वो मुस्कुरा रही थी - स्पष्ट था कि उसको भी आनंद आ रहा था। मैंने कहा,
“अल्का, यह जगह तो बहुत सुन्दर है! कोई आश्चर्य नहीं कि तुमको भी यह जगह बहुत पसंद है! हम इस जगह को ज्यादा छेड़ेंगे नहीं, बल्कि यहाँ पर एक बहुत सुन्दर सा कुञ्ज बनाएँगे.... ठीक है?”
उत्तर में वह बस कुछ और मुस्कुराई। मैंने पूछा,
“यह तालाब कहाँ पर गहरा है?”
“आओ, मैं दिखाती हूँ…”
कह कर वो मेरे बगल आ कर खड़ी हो गई। हम दोनों एक दूसरे के अत्यंत समीप थे। मैंने महसूस किया कि उसके स्तन मेरे बाँह को स्पर्श कर रहे थे। अल्का को या तो संभवतः यह बात पता नहीं थी, या फिर वो जान कर भी अनजान बनी हुई थी। मैं क्यों शिकायत करता? उसके स्तनों को छूने की मेरी चाह जो पूरी हो रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और तालाब के बीच की तरफ जाने लगी।
“इस तरफ काफी गहरा है”
उसने कहा, और उसने बस तीन चार कदम ही चले होंगे कि वो अचानक ही पूरी तरह से पानी के अंदर हो ली। मुझे लगा कि वो डूब गई! मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, इसलिए मैंने सहज बोध से उसका हाथ मजबूती से पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगा। जब वो तरकीब काम में नहीं आई, तो मैंने उसके पीछे पानी के अंदर डुबकी लगाई, और अपने दोनों हाथ उसकी बगलों में डाल कर ऊपर की तरफ खींचा। मेरे ऐसा करते ही अल्का के पैर ज़मीन से हट गए, और वो पीछे की तरफ (मतलब मेरी तरफ) गिर गई। उसको सम्हालने के चक्कर में मेरे हाथ उसके सीने पर चले गए। मेरे दोनों हाथों में उसके ठोस गोलार्द्ध! कैसी किस्मत!! बस, थोड़ी ही देर पहले तो मैंने मन ही मन माँगा था कि मैं उसके स्तन महसूस कर सकूँ! मन की मुरादें इतनी जल्दी पूरी होती हैं क्या भला? मैं रुक नहीं सका। मेरे दोनों हाथ स्वतः ही उसके दोनों स्तनों को कोमलता से सौंदने और निचोड़ने लगे।
अल्का इस अचानक हुए घटनाक्रम से भौंचक्क हो गई। फिर वो संयत हो कर पानी में धीरे से सीधी खड़ी हो गई। उसके हाथ ऊपर की तरफ आए, और मेरे हाथों के ऊपर आ कर स्थापित हो गए - कुछ देर तक उसने मेरे हाथों को हटाने का कोई भी प्रयास नहीं किया। हम दोनों उसी अवस्था में जड़वत खड़े रहे। फिर वो मेरी तरफ मुड़ी, ऐसा करने से मेरे हाथ स्वतः उसके स्तनों से हट गए।
“ओ माँ! नीचे लगता है कोई बड़ा गड्ढा था। थैंक यू! मैं तो किनारे की तरफ जा रही हूँ।”
‘थैंक यू! यह तो मुझे बोलना चाहिए!’
अल्का चलती हुई तालाब के किनारे पर आई, और वहीँ पर बैठ गई। उसके बैठने का ढंग कुछ ऐसा था जिससे उसकी टाँगे सामने की तरफ कुछ खुल गईं थीं। हाँलाकि इस समय तालाब का पानी उसकी कमर तक तो था, लेकिन पानी साफ़ होने के कारण कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला था। मुझे दरअसल उसका शरीर साफ़ साफ़ दिख रहा था। अल्का की हलके धानी रंग की चड्ढी, जो पानी में जाने से पहले अपारदर्शी थी, इस समय पूरी तरह गीली होने के कारण उसके शरीर से पूरी तरह चिपकी हुई थी, और काफी पारदर्शी हो गई थी। अल्का की योनि पर उगी काले बालों की पट्टी मुझे साफ़ दिख रही थी। और साथ ही साथ उसकी योनि की फांकों के उभार भी दिख रहे थे। एक तो मैंने अभी अभी उसके स्तनों को अपने हाथों में महसूस किया था, और अब यह दृश्य! मेरी साँसे मेरे गले में ही अटक गईं। मेरा मुँह सूख गया। आज तो मन मांगी सभी मुरादें पूरी हो गईं थीं - आंशिक ही सही, लेकिन अल्का की योनि के दर्शन तो हो ही रहे थे! न जाने कैसे मेरा लिंग रक्त के दबाव से फटा क्यों नहीं!
मैंने अनजाने ही अल्का के सामने ही अपने लिंग को व्यवस्थित किया - मेरा दिमाग तो उसी जगह पर केंद्रित था। आँखें अल्का की योनि से हट ही नहीं पा रही थीं।
मैं तैरते हुए अल्का के पास गया। वो मुस्कुरा रही थी - स्पष्ट था कि उसको भी आनंद आ रहा था। मैंने कहा,
“अल्का, यह जगह तो बहुत सुन्दर है! कोई आश्चर्य नहीं कि तुमको भी यह जगह बहुत पसंद है! हम इस जगह को ज्यादा छेड़ेंगे नहीं, बल्कि यहाँ पर एक बहुत सुन्दर सा कुञ्ज बनाएँगे.... ठीक है?”
उत्तर में वह बस कुछ और मुस्कुराई। मैंने पूछा,
“यह तालाब कहाँ पर गहरा है?”
“आओ, मैं दिखाती हूँ…”
कह कर वो मेरे बगल आ कर खड़ी हो गई। हम दोनों एक दूसरे के अत्यंत समीप थे। मैंने महसूस किया कि उसके स्तन मेरे बाँह को स्पर्श कर रहे थे। अल्का को या तो संभवतः यह बात पता नहीं थी, या फिर वो जान कर भी अनजान बनी हुई थी। मैं क्यों शिकायत करता? उसके स्तनों को छूने की मेरी चाह जो पूरी हो रही थी। उसने मेरा हाथ पकड़ा और तालाब के बीच की तरफ जाने लगी।
“इस तरफ काफी गहरा है”
उसने कहा, और उसने बस तीन चार कदम ही चले होंगे कि वो अचानक ही पूरी तरह से पानी के अंदर हो ली। मुझे लगा कि वो डूब गई! मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था, इसलिए मैंने सहज बोध से उसका हाथ मजबूती से पकड़ कर अपनी तरफ खींचने लगा। जब वो तरकीब काम में नहीं आई, तो मैंने उसके पीछे पानी के अंदर डुबकी लगाई, और अपने दोनों हाथ उसकी बगलों में डाल कर ऊपर की तरफ खींचा। मेरे ऐसा करते ही अल्का के पैर ज़मीन से हट गए, और वो पीछे की तरफ (मतलब मेरी तरफ) गिर गई। उसको सम्हालने के चक्कर में मेरे हाथ उसके सीने पर चले गए। मेरे दोनों हाथों में उसके ठोस गोलार्द्ध! कैसी किस्मत!! बस, थोड़ी ही देर पहले तो मैंने मन ही मन माँगा था कि मैं उसके स्तन महसूस कर सकूँ! मन की मुरादें इतनी जल्दी पूरी होती हैं क्या भला? मैं रुक नहीं सका। मेरे दोनों हाथ स्वतः ही उसके दोनों स्तनों को कोमलता से सौंदने और निचोड़ने लगे।
अल्का इस अचानक हुए घटनाक्रम से भौंचक्क हो गई। फिर वो संयत हो कर पानी में धीरे से सीधी खड़ी हो गई। उसके हाथ ऊपर की तरफ आए, और मेरे हाथों के ऊपर आ कर स्थापित हो गए - कुछ देर तक उसने मेरे हाथों को हटाने का कोई भी प्रयास नहीं किया। हम दोनों उसी अवस्था में जड़वत खड़े रहे। फिर वो मेरी तरफ मुड़ी, ऐसा करने से मेरे हाथ स्वतः उसके स्तनों से हट गए।
“ओ माँ! नीचे लगता है कोई बड़ा गड्ढा था। थैंक यू! मैं तो किनारे की तरफ जा रही हूँ।”
‘थैंक यू! यह तो मुझे बोलना चाहिए!’
अल्का चलती हुई तालाब के किनारे पर आई, और वहीँ पर बैठ गई। उसके बैठने का ढंग कुछ ऐसा था जिससे उसकी टाँगे सामने की तरफ कुछ खुल गईं थीं। हाँलाकि इस समय तालाब का पानी उसकी कमर तक तो था, लेकिन पानी साफ़ होने के कारण कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला था। मुझे दरअसल उसका शरीर साफ़ साफ़ दिख रहा था। अल्का की हलके धानी रंग की चड्ढी, जो पानी में जाने से पहले अपारदर्शी थी, इस समय पूरी तरह गीली होने के कारण उसके शरीर से पूरी तरह चिपकी हुई थी, और काफी पारदर्शी हो गई थी। अल्का की योनि पर उगी काले बालों की पट्टी मुझे साफ़ दिख रही थी। और साथ ही साथ उसकी योनि की फांकों के उभार भी दिख रहे थे। एक तो मैंने अभी अभी उसके स्तनों को अपने हाथों में महसूस किया था, और अब यह दृश्य! मेरी साँसे मेरे गले में ही अटक गईं। मेरा मुँह सूख गया। आज तो मन मांगी सभी मुरादें पूरी हो गईं थीं - आंशिक ही सही, लेकिन अल्का की योनि के दर्शन तो हो ही रहे थे! न जाने कैसे मेरा लिंग रक्त के दबाव से फटा क्यों नहीं!
मैंने अनजाने ही अल्का के सामने ही अपने लिंग को व्यवस्थित किया - मेरा दिमाग तो उसी जगह पर केंद्रित था। आँखें अल्का की योनि से हट ही नहीं पा रही थीं।