17-07-2021, 05:09 PM
मेरे सुझावों के कारण, पिछले इन तीन वर्षों में हमारी कृषि आय प्रतिवर्ष औसतन कोई बीस प्रतिशत बढ़ी। यह एक बड़ी बात थी। मौसी अगर यह बात मेरे माता पिता को बता देतीं, तो उनके सामने मेरी बात मानने का कोई चारा न रहता! लेकिन मेरे ही आग्रह के कारण उन्होंने यह रहस्य मेरे माता-पिता के सामने नहीं खोला।
खैर, केरल जाने से पूर्व मुझे उनसे एक बार पुनः एक लम्बा चौड़ा भाषण सुनना पड़ा और अंततः मैं केरल के लिए रवाना हो गया। पहले साल में सिर्फ एक दो बार ही वहाँ जाता था, और वो भी बस एक एक सप्ताह के लिए, लेकिन इस बार पूरे एक साल के लिए जा रहा था, और वो भी अपने सपने को साकार करने के लिए। अपना भविष्य बनाने! मैं बहुत खुश था!
तब उत्तर भारत से केरल तक जाने में काफी अधिक समय लग जाता था। एक ट्रैन थी, जो कि करीब ढाई दिन लेती थी एर्नाकुलम तक पहुँचने में। फिर वहाँ से बस, और फिर बैलगाड़ी ले कर करीब तीन दिन की एक लम्बी यात्रा के बाद मैं शाम को अपने ननिहाल पहुंचा।
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“अम्माई (मौसी)!” मैंने जैसे ही अल्का मौसी को दरवाज़े पर देखा, मेरे चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान फ़ैल गई। मौसी का चेहरा पहले से ही ख़ुशी में सौ वाट के बल्ब जैसा चमक रहा था।
“चिन्नू!!”
मेरा नाम वैसे तो अर्चित है, लेकिन मौसी मुझे चिन्नू ही कहती हैं। वो मुझसे मिलने के लिए दौड़ती हुई मेरे पास आईं। उनके पास आकर मैं उनके पैर छूने के लिए झुका तो उन्होंने मुझे बीच में ही रोक लिया और अपने गले से लगा लिया।
“इतने दिनों के बाद आए! मेरी याद नहीं आती?” मौसी ने लाड़ से शिकायत करी।
“आती क्यों नहीं! बहुत आती है। लेकिन अम्मा और अच्चन पढ़ाई के बहाने से मुझे आने ही नहीं दिए। अब आया हूँ - इस बार तो कम से कम पूरे साल भर रहूँगा! और अगर किस्मत तेज रही, तो हमेशा!”
उनके गले लग कर मुझे महसूस हुआ, कि वाकई उनकी कितनी कमी महसूस होती रही है मुझे। मैंने उसी आवेश में उनको और ज़ोर से गले लगा लिया, और उनके गाल को चूम लिया। मौसी मुस्कुराई। और मुझे कंधे से पकड़े हुए ही एक दो कदम पीछे हट कर मुझे देखने लगी।
“तुम तो कितने बड़े हो गए!! मुझसे भी ऊंचे!”
“हा हा हा!”
“और सिर्फ ऊंचे ही नहीं,” उन्होंने मेरी भुजाओं को महसूस करते हुए कहना जारी रखा, “मज़बूत भी!”
“एक्सरसाइज करता हूँ न!” मैंने इम्प्रैशन झाड़ा!
“हाँ! तभी तो! वरना वहाँ का खाना पीना तो यहाँ के जैसा थोड़े ही है!” वो मुझे ऐसे देख रही थीं, जैसे मेरे पूरे शरीर का अनुपात पता लगा लेंगी...
“पिछली बार जब तुम आए थे तो कैसे दुबले पतले थे.… लेकिन अभी देखो! पूरे नौजवान बन गए हो! और हैंडसम भी!” उन्होंने आँख मारते हुए कहा।
खैर, केरल जाने से पूर्व मुझे उनसे एक बार पुनः एक लम्बा चौड़ा भाषण सुनना पड़ा और अंततः मैं केरल के लिए रवाना हो गया। पहले साल में सिर्फ एक दो बार ही वहाँ जाता था, और वो भी बस एक एक सप्ताह के लिए, लेकिन इस बार पूरे एक साल के लिए जा रहा था, और वो भी अपने सपने को साकार करने के लिए। अपना भविष्य बनाने! मैं बहुत खुश था!
तब उत्तर भारत से केरल तक जाने में काफी अधिक समय लग जाता था। एक ट्रैन थी, जो कि करीब ढाई दिन लेती थी एर्नाकुलम तक पहुँचने में। फिर वहाँ से बस, और फिर बैलगाड़ी ले कर करीब तीन दिन की एक लम्बी यात्रा के बाद मैं शाम को अपने ननिहाल पहुंचा।
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“अम्माई (मौसी)!” मैंने जैसे ही अल्का मौसी को दरवाज़े पर देखा, मेरे चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान फ़ैल गई। मौसी का चेहरा पहले से ही ख़ुशी में सौ वाट के बल्ब जैसा चमक रहा था।
“चिन्नू!!”
मेरा नाम वैसे तो अर्चित है, लेकिन मौसी मुझे चिन्नू ही कहती हैं। वो मुझसे मिलने के लिए दौड़ती हुई मेरे पास आईं। उनके पास आकर मैं उनके पैर छूने के लिए झुका तो उन्होंने मुझे बीच में ही रोक लिया और अपने गले से लगा लिया।
“इतने दिनों के बाद आए! मेरी याद नहीं आती?” मौसी ने लाड़ से शिकायत करी।
“आती क्यों नहीं! बहुत आती है। लेकिन अम्मा और अच्चन पढ़ाई के बहाने से मुझे आने ही नहीं दिए। अब आया हूँ - इस बार तो कम से कम पूरे साल भर रहूँगा! और अगर किस्मत तेज रही, तो हमेशा!”
उनके गले लग कर मुझे महसूस हुआ, कि वाकई उनकी कितनी कमी महसूस होती रही है मुझे। मैंने उसी आवेश में उनको और ज़ोर से गले लगा लिया, और उनके गाल को चूम लिया। मौसी मुस्कुराई। और मुझे कंधे से पकड़े हुए ही एक दो कदम पीछे हट कर मुझे देखने लगी।
“तुम तो कितने बड़े हो गए!! मुझसे भी ऊंचे!”
“हा हा हा!”
“और सिर्फ ऊंचे ही नहीं,” उन्होंने मेरी भुजाओं को महसूस करते हुए कहना जारी रखा, “मज़बूत भी!”
“एक्सरसाइज करता हूँ न!” मैंने इम्प्रैशन झाड़ा!
“हाँ! तभी तो! वरना वहाँ का खाना पीना तो यहाँ के जैसा थोड़े ही है!” वो मुझे ऐसे देख रही थीं, जैसे मेरे पूरे शरीर का अनुपात पता लगा लेंगी...
“पिछली बार जब तुम आए थे तो कैसे दुबले पतले थे.… लेकिन अभी देखो! पूरे नौजवान बन गए हो! और हैंडसम भी!” उन्होंने आँख मारते हुए कहा।