16-07-2021, 01:36 PM
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निहारिका वापस Drawing Room में आई तो उसने देखा की उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी अभी भी खाने के टेबल पर ही बैठे थें.
" कितने Lazy हो गये हो आप तीनों... ". निहारिका बोली.
वो अपनी पैंटी लेने आई थी पर उसने देखा की टेबल पर उसकी पैंटी नहीं थी.
" मेरी कच्छी कहाँ है ??? ". निहारिका ने पूछा और जवाब का इंतजार किये बिना ही आशीष का कान पकड़ कर ज़ोर से मरोड़ दिया, उसे पूरा यकीन था की ये हरकत उसके शैतान देवर की ही है.
" भाभी... मैंने नहीं लिया... I Swear ! ". आशीष बेचारे की गर्दन टेढ़ी हो गई.
निहारिका अपने ससुराल वाले इन मर्दों की आदतों से अच्छी तरह वाकिफ थी, वो चुपचाप अपने देवर को छोड़ कर अपने ससुर जी के पास गई तो उसने देखा कि उसके ससुर जी ने उसकी लाल पैंटी अपनी गोद में लुंगी में दबा रखी है. निहारिका ने नक़ली गुस्से भरी बड़ी बड़ी आँखों से अपने ससुर जी को देखा और अपनी पैंटी उठा ली.
" अभी मत लीजिये बाबू जी... एकदम नई है ना. पिछले Sunday को ही लाये थें आदित्य... ". अपने ससुर जी का मायूस चेहरा देख कर निहारिका को हँसी आ गई तो उसने उन्हें समझाते हुए कहा. " एक दो महीने पहन लूं , फिर दे दूंगी. "
" दे दीजिये पापा... पैंटी थोड़ी पुरानी पहनी हुई हो तो अच्छा रहता है... शरीर के अंदरुनी अंगों कि गंध उसमें समा जाती है. ". जेठ जी बोलें. " जैसे निहारिका कि ब्लैक कलर वाली पैंटी से अभी तक कितनी मादक महक आती है... ".
" भाभी ? राजेश भैया को आपने अपनी पैंटी दे रखी है ??? और मुझे ? ". आशीष ने कहा.
" हर बात में अपने पापा और भैया से Competition मत किया कीजिये देवर जी... वो लोग आपसे बड़े हैं ना. ". निहारिका बोली , और फिर डांटते हुए पूछा. " और कॉलेज क्यूं नहीं गये आप आज ? ".
आशीष के पास कोई जवाब नहीं था.
" ऐसा मत कीजिये देवर जी... मैं कहाँ भागी जा रही हूं ? ". निहारिका ने कहा, आशीष ने अपना सिर झुका लिया, निहारिका फिर अपने जेठ जी से बोली. " और आपका क्या बहाना है Showroom नहीं जाने का ? ".
" अरे बाबा... Market के एक दुकानदार कि मौत हो गई है, अभी दो दिन तक हम लोग कोई दुकान वगैरा नहीं खोलेंगे. ". राजेश ने कहा, उसका एक अच्छा खासा बड़ा कपड़ों का Showroom था उस शहर में.
निहारिका ने इस तरह से अपना सिर हिलाया जैसे कि बोलना चाह रही हो कि " आप लोग कभी नहीं सुधरोगे " पर बिना कुछ बोले अपनी पैंटी लेकर वहाँ से चली गई.
निहारिका घर में नंग धड़ग घुम रही थी और फिर भी उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी का आचरन सामान्य था, इसका ये मतलब नहीं था कि वो सेक्सी नहीं थी, बल्कि बात तो ये थी कि उन सबको इसकी आदत पड़ चुकी थी अब !
वैसे 30 साल कि निहारिका देखने में खूबसूरत तो थी ही पर उसकी खासियत उसकी सुंदरता नहीं बल्कि उसका बदन था. उसकी चुचियाँ बड़ी बड़ी थीं लेकिन नीचे लटकी हुई ना होकर ऊपर कि ओर टाईट उठी हुई थीं. वो अपने कांख ( Armpit ) के बाल नियमीत रूप से शेव करती थी पर उसे चूत का झांट छीलना पसंद नहीं था. उसके झांट काफी घने आते थें, इसलिये वो उन्हें कैची से इस कदर Trim करके रखती थी की उसका तिकोना झांट उसकी बूर को ढंक कर भी रखे और थोड़ी बहुत चूत की फूली हुई Lips भी दिखे. उसका पेट, जो की हल्का सा निकला हुआ था और इसी वजह से सेक्सी लगता था, नीचे मुड़ कर उसकी चूत में जाकर गायब हो रहा था और पीछे की ओर बड़ी गांड़ में तबदील होकर बाहर निकला हुआ था. उसकी गदराई जांघे आपस में सटी हुई रहती थीं और इसी कारण अगर वो नंगी भी खड़ी रहती थी तो उसकी बूर उसकी जांघों के बीच इस कदर छुप जाती थी की उसके दर्शन हो पाना मुश्किल था.
कुछ देर बाद निहारिका फिर से वापस आई और इस बार Drawing Room में पड़ी Fridge को खोल कर साफ करने लगी.
" तुम्हारा काम ख़त्म नहीं हुआ बहु ? ". ससुर जी की आवाज में अब थोड़ी सी बेचैनी थी.
" घर में तीन तीन मर्द अगर काम में हाथ ना बटाने की ठान लें तो काम कभी ख़त्म होगा क्या बाबू जी ??? ". निहारिका तपाक से बोली, मानो उसका जवाब रेडी था.
तीनों की बोलती बंद हो गई और वो एक दूसरे को देखने लगें. फिर जेठ जी ने कुछ Notice किया और बोलें.
" निहारिका... आज तूम कुछ अलग लग रही हो. "
" जैसे की ? ". निहारिका ने बिना पीछे मुड़े ही पूछा.
" कुछ तो है... Wait. ". जेठ जी बोल कर कुछ सोचने लगे. आशीष और ससुर जी ने कोई ध्यान नहीं दिया क्यूंकि उन्हें पता था की राजेश Flirt कर रहा था.
" Got It ! ". जेठ जी को समझ में आ गया. " आज तूमने पायल पहन रखी है... ".
" और ? ". निहारिका मन ही मन मुस्कुरा रही थी.
जेठ जी उठ कर Fridge साफ कर रही निहारिका के पीछे गयें, फिर उसे अपनी ओर घुमा कर बोलें .
" और तुम्हारी ये करधनी. ".
राजेश की बात सुन कर आशीष और ससुर जी अब निहारिका को देखने लगें. उसने सही Notice किया था... आज निहारिका ने एक करधनी पहन रखी थी. वैसे तो वो धागे की बनी एक पतली सी साधारण सी करधनी थी, पर निहारिका के बदन पर उसकी वजह से चार चाँद लग गयें थें ! निहारिका ने करधनी कमर से थोड़ी ऊपर पेट पर पहनी थी जो की उसकी नाभी से होकर गुजर रही थी. करधनी टाईट थी, उसके सामने की ओर दो छोटे छोटे सुंदर से मोती झूल रहें थें, नाभी के एकदम पास में !
" भाभी एकदम रति की देवी लग रही है ना इस करधनी में पापा ? ". आशीष ने अपने पिता की ओर देख कर कहा.
" रात को आदित्य को रिझाने के लिये पहनी थी क्या ? ". राजेश ने मज़ाक किया.
" ये सेक्स या स्टाइल के लिये नहीं है जेठ जी... इसकी ताबीज़ सुख समृद्धि के लिये है. मेरी मम्मी ने दी थी शादी के वक़्त. ". निहारिका ने कहा.
" इसकी ताबीज़ तो दिख नहीं रही... ". जेठ जी ने निहारिका की कमरे निहारते हुए कहा.
" इस तरफ है... ". निहारिका घूम कर जेठ जी को अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली. उसकी गांड़ वाली Side में करधनी से एक छोटा सा ताबीज़ लटक रहा था.
" ताबीज़ पीछे क्यूं कर रखा है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" चूत वाली Side में रखने से अपशकुन होता है. ".
" जो भी हो... अच्छी लग रही हो इसमें. हमेशा पहन कर क्यूं नहीं रहती ? " . जेठ जी की नज़र नीचे ही थी.
" बहुत टाईट है जेठ जी... देखिये ना. इसलिये बस कभी कभार ही पहनती हूं. ". निहारिका ने मुँह बना कर नीचे अपनी करधनी को देखते हुए कहा.
" अभी ठीक किये देता हूं... ". जेठ जी ने कहा. उसने देखा की करधनी वाकई में काफी टाईट थी. उसे निहारिका की कमर वाली तरफ करधनी की एक गाठ मिली, उसने थोड़ी सी मसक्कत के बाद वो गाठ ढीली कर दी तो करधनी सरक के निहारिका की कमर से भी नीचे आ गई और उसके चूतड़ के उभारों पर टिक गई. अब ढीली करधनी सामने की ओर इतने नीचे आ गई थी की दोनों छोटे छोटे मोती उसकी चूत के आगे झूलने लगें, मानो चूत देवी की पहरेदारी कर रहें हों !!!
" अब ठीक है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" बेहतर है जेठ जी... So Sweet Of You ! ". निहारिका की खुशी का ठिकाना ना रहा.
निहारिका की करधनी अब जब उसकी कमर के नीचे चूत पर से होकर लिपटी पड़ी थी तो वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लगने लगी थी. आशीष की आँखे बड़ी हो गई और ससुर जी का मुँह खुला का खुला ही रह गया.
निहारिका ने देखा की ये सब करते करते जेठ जी थोड़े से उत्तेजित हो गयें थें, उनका लण्ड पजामे में आधा खड़ा साफ झलक रहा था. उसने आँखे उठा कर जेठ जी को देखा, दोनों की नज़रें मिली और दोनों को अंदर ही अंदर इशारे में समझ आ गया की अब क्या करना है.
निहारिका ने Fridge का दरवाजा बंद कर दिया और अपने दाये हाथ में जेठ जी लौड़ा उनके पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया, फिर बिना एक शब्द मुँह से निकाले उनके लण्ड से उन्हें खींचते हुए वहाँ से अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी. राजेश अपना लण्ड खड़ा किये उसके पीछे पीछे ऐसे चला गया मानो निहारिका ने अभी अभी उसे किसी मंत्र से अपने वश में कर लिया हो !!!
आशीष और ससुर जी समझ गयें की निहारिका अब राजेश को कमरे में ले जाकर चुदवायेगी ! उनके चेहरे पर Frustration साफ झलक रही थी. दोनों बेचारे बेवकूफ़ों की तरह ललचाई नज़रों से जाती हुई निहारिका के गांड़ पे थिरकते उसकी करधनी को देखते रहें.
निहारिका वापस Drawing Room में आई तो उसने देखा की उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी अभी भी खाने के टेबल पर ही बैठे थें.
" कितने Lazy हो गये हो आप तीनों... ". निहारिका बोली.
वो अपनी पैंटी लेने आई थी पर उसने देखा की टेबल पर उसकी पैंटी नहीं थी.
" मेरी कच्छी कहाँ है ??? ". निहारिका ने पूछा और जवाब का इंतजार किये बिना ही आशीष का कान पकड़ कर ज़ोर से मरोड़ दिया, उसे पूरा यकीन था की ये हरकत उसके शैतान देवर की ही है.
" भाभी... मैंने नहीं लिया... I Swear ! ". आशीष बेचारे की गर्दन टेढ़ी हो गई.
निहारिका अपने ससुराल वाले इन मर्दों की आदतों से अच्छी तरह वाकिफ थी, वो चुपचाप अपने देवर को छोड़ कर अपने ससुर जी के पास गई तो उसने देखा कि उसके ससुर जी ने उसकी लाल पैंटी अपनी गोद में लुंगी में दबा रखी है. निहारिका ने नक़ली गुस्से भरी बड़ी बड़ी आँखों से अपने ससुर जी को देखा और अपनी पैंटी उठा ली.
" अभी मत लीजिये बाबू जी... एकदम नई है ना. पिछले Sunday को ही लाये थें आदित्य... ". अपने ससुर जी का मायूस चेहरा देख कर निहारिका को हँसी आ गई तो उसने उन्हें समझाते हुए कहा. " एक दो महीने पहन लूं , फिर दे दूंगी. "
" दे दीजिये पापा... पैंटी थोड़ी पुरानी पहनी हुई हो तो अच्छा रहता है... शरीर के अंदरुनी अंगों कि गंध उसमें समा जाती है. ". जेठ जी बोलें. " जैसे निहारिका कि ब्लैक कलर वाली पैंटी से अभी तक कितनी मादक महक आती है... ".
" भाभी ? राजेश भैया को आपने अपनी पैंटी दे रखी है ??? और मुझे ? ". आशीष ने कहा.
" हर बात में अपने पापा और भैया से Competition मत किया कीजिये देवर जी... वो लोग आपसे बड़े हैं ना. ". निहारिका बोली , और फिर डांटते हुए पूछा. " और कॉलेज क्यूं नहीं गये आप आज ? ".
आशीष के पास कोई जवाब नहीं था.
" ऐसा मत कीजिये देवर जी... मैं कहाँ भागी जा रही हूं ? ". निहारिका ने कहा, आशीष ने अपना सिर झुका लिया, निहारिका फिर अपने जेठ जी से बोली. " और आपका क्या बहाना है Showroom नहीं जाने का ? ".
" अरे बाबा... Market के एक दुकानदार कि मौत हो गई है, अभी दो दिन तक हम लोग कोई दुकान वगैरा नहीं खोलेंगे. ". राजेश ने कहा, उसका एक अच्छा खासा बड़ा कपड़ों का Showroom था उस शहर में.
निहारिका ने इस तरह से अपना सिर हिलाया जैसे कि बोलना चाह रही हो कि " आप लोग कभी नहीं सुधरोगे " पर बिना कुछ बोले अपनी पैंटी लेकर वहाँ से चली गई.
निहारिका घर में नंग धड़ग घुम रही थी और फिर भी उसके ससुर जी, देवर और जेठ जी का आचरन सामान्य था, इसका ये मतलब नहीं था कि वो सेक्सी नहीं थी, बल्कि बात तो ये थी कि उन सबको इसकी आदत पड़ चुकी थी अब !
वैसे 30 साल कि निहारिका देखने में खूबसूरत तो थी ही पर उसकी खासियत उसकी सुंदरता नहीं बल्कि उसका बदन था. उसकी चुचियाँ बड़ी बड़ी थीं लेकिन नीचे लटकी हुई ना होकर ऊपर कि ओर टाईट उठी हुई थीं. वो अपने कांख ( Armpit ) के बाल नियमीत रूप से शेव करती थी पर उसे चूत का झांट छीलना पसंद नहीं था. उसके झांट काफी घने आते थें, इसलिये वो उन्हें कैची से इस कदर Trim करके रखती थी की उसका तिकोना झांट उसकी बूर को ढंक कर भी रखे और थोड़ी बहुत चूत की फूली हुई Lips भी दिखे. उसका पेट, जो की हल्का सा निकला हुआ था और इसी वजह से सेक्सी लगता था, नीचे मुड़ कर उसकी चूत में जाकर गायब हो रहा था और पीछे की ओर बड़ी गांड़ में तबदील होकर बाहर निकला हुआ था. उसकी गदराई जांघे आपस में सटी हुई रहती थीं और इसी कारण अगर वो नंगी भी खड़ी रहती थी तो उसकी बूर उसकी जांघों के बीच इस कदर छुप जाती थी की उसके दर्शन हो पाना मुश्किल था.
कुछ देर बाद निहारिका फिर से वापस आई और इस बार Drawing Room में पड़ी Fridge को खोल कर साफ करने लगी.
" तुम्हारा काम ख़त्म नहीं हुआ बहु ? ". ससुर जी की आवाज में अब थोड़ी सी बेचैनी थी.
" घर में तीन तीन मर्द अगर काम में हाथ ना बटाने की ठान लें तो काम कभी ख़त्म होगा क्या बाबू जी ??? ". निहारिका तपाक से बोली, मानो उसका जवाब रेडी था.
तीनों की बोलती बंद हो गई और वो एक दूसरे को देखने लगें. फिर जेठ जी ने कुछ Notice किया और बोलें.
" निहारिका... आज तूम कुछ अलग लग रही हो. "
" जैसे की ? ". निहारिका ने बिना पीछे मुड़े ही पूछा.
" कुछ तो है... Wait. ". जेठ जी बोल कर कुछ सोचने लगे. आशीष और ससुर जी ने कोई ध्यान नहीं दिया क्यूंकि उन्हें पता था की राजेश Flirt कर रहा था.
" Got It ! ". जेठ जी को समझ में आ गया. " आज तूमने पायल पहन रखी है... ".
" और ? ". निहारिका मन ही मन मुस्कुरा रही थी.
जेठ जी उठ कर Fridge साफ कर रही निहारिका के पीछे गयें, फिर उसे अपनी ओर घुमा कर बोलें .
" और तुम्हारी ये करधनी. ".
राजेश की बात सुन कर आशीष और ससुर जी अब निहारिका को देखने लगें. उसने सही Notice किया था... आज निहारिका ने एक करधनी पहन रखी थी. वैसे तो वो धागे की बनी एक पतली सी साधारण सी करधनी थी, पर निहारिका के बदन पर उसकी वजह से चार चाँद लग गयें थें ! निहारिका ने करधनी कमर से थोड़ी ऊपर पेट पर पहनी थी जो की उसकी नाभी से होकर गुजर रही थी. करधनी टाईट थी, उसके सामने की ओर दो छोटे छोटे सुंदर से मोती झूल रहें थें, नाभी के एकदम पास में !
" भाभी एकदम रति की देवी लग रही है ना इस करधनी में पापा ? ". आशीष ने अपने पिता की ओर देख कर कहा.
" रात को आदित्य को रिझाने के लिये पहनी थी क्या ? ". राजेश ने मज़ाक किया.
" ये सेक्स या स्टाइल के लिये नहीं है जेठ जी... इसकी ताबीज़ सुख समृद्धि के लिये है. मेरी मम्मी ने दी थी शादी के वक़्त. ". निहारिका ने कहा.
" इसकी ताबीज़ तो दिख नहीं रही... ". जेठ जी ने निहारिका की कमरे निहारते हुए कहा.
" इस तरफ है... ". निहारिका घूम कर जेठ जी को अपनी गांड़ दिखाते हुए बोली. उसकी गांड़ वाली Side में करधनी से एक छोटा सा ताबीज़ लटक रहा था.
" ताबीज़ पीछे क्यूं कर रखा है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" चूत वाली Side में रखने से अपशकुन होता है. ".
" जो भी हो... अच्छी लग रही हो इसमें. हमेशा पहन कर क्यूं नहीं रहती ? " . जेठ जी की नज़र नीचे ही थी.
" बहुत टाईट है जेठ जी... देखिये ना. इसलिये बस कभी कभार ही पहनती हूं. ". निहारिका ने मुँह बना कर नीचे अपनी करधनी को देखते हुए कहा.
" अभी ठीक किये देता हूं... ". जेठ जी ने कहा. उसने देखा की करधनी वाकई में काफी टाईट थी. उसे निहारिका की कमर वाली तरफ करधनी की एक गाठ मिली, उसने थोड़ी सी मसक्कत के बाद वो गाठ ढीली कर दी तो करधनी सरक के निहारिका की कमर से भी नीचे आ गई और उसके चूतड़ के उभारों पर टिक गई. अब ढीली करधनी सामने की ओर इतने नीचे आ गई थी की दोनों छोटे छोटे मोती उसकी चूत के आगे झूलने लगें, मानो चूत देवी की पहरेदारी कर रहें हों !!!
" अब ठीक है ? ". जेठ जी ने पूछा.
" बेहतर है जेठ जी... So Sweet Of You ! ". निहारिका की खुशी का ठिकाना ना रहा.
निहारिका की करधनी अब जब उसकी कमर के नीचे चूत पर से होकर लिपटी पड़ी थी तो वो बहुत ही ज़्यादा सेक्सी लगने लगी थी. आशीष की आँखे बड़ी हो गई और ससुर जी का मुँह खुला का खुला ही रह गया.
निहारिका ने देखा की ये सब करते करते जेठ जी थोड़े से उत्तेजित हो गयें थें, उनका लण्ड पजामे में आधा खड़ा साफ झलक रहा था. उसने आँखे उठा कर जेठ जी को देखा, दोनों की नज़रें मिली और दोनों को अंदर ही अंदर इशारे में समझ आ गया की अब क्या करना है.
निहारिका ने Fridge का दरवाजा बंद कर दिया और अपने दाये हाथ में जेठ जी लौड़ा उनके पजामे के ऊपर से ही पकड़ लिया, फिर बिना एक शब्द मुँह से निकाले उनके लण्ड से उन्हें खींचते हुए वहाँ से अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी. राजेश अपना लण्ड खड़ा किये उसके पीछे पीछे ऐसे चला गया मानो निहारिका ने अभी अभी उसे किसी मंत्र से अपने वश में कर लिया हो !!!
आशीष और ससुर जी समझ गयें की निहारिका अब राजेश को कमरे में ले जाकर चुदवायेगी ! उनके चेहरे पर Frustration साफ झलक रही थी. दोनों बेचारे बेवकूफ़ों की तरह ललचाई नज़रों से जाती हुई निहारिका के गांड़ पे थिरकते उसकी करधनी को देखते रहें.