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मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam
#41
Heart 
आपकी खातिर.

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" मेरा Purse कहाँ है निहारिका ? ". आदित्य ने पूछा.

" एक साल दो महीने हो गयें हमारी शादी को... आपको अब तक मेरी आदत छूट जानी चाहिये थी. " निहारिका पीछे से आई और अपने पति को उसका Purse देते हुए उसके कंधे पर हाथ रख कर बोली.

" एक साल तीन महीने... ". आदित्य ने अपनी पत्नि की गलती सुधारते हुए कहा. " और हाँ... आदत छूटी नहीं है, तुम्हारी आदत पड़ गई है. "

" इतना रोमांस लाते कहाँ से हो ? ". निहारिका ने हँस कर कहा. " अच्छा सुनो... शाम को ऑफिस से जल्दी आ रहे हो ना ? ".

" इतना Miss करोगी मुझे सारा दिन ??? ".

" Miss नहीं... आज आप मेरी Jewellery लाने वाले हो. "

" अरे हाँ... Ofcourse. "

" याद नहीं था ना आपको... I Know. "

जवाब में आदित्य ने अपनी पत्नि के गाल पर एक Kiss किया और कमरे से बाहर निकल गया . निहारिका कमरे की खिड़की का पर्दा हटा कर बाहर की ओर देखती रही जब की आदित्य घर से बाहर निकल कर अपनी Car में बैठ नहीं गया, उसने उसे हाथ दिखा कर Bye किया और वापस कमरे में आकर बिस्तर ठीक करने लगी.

" बीवी जी... ". तभी घर की बाई अंदर आकर बोली.

" बोल मालती... ". निहारिका ने उसकी ओर देखे बिना ही अपना काम करते हुए कहा.

" मैं जा रही हूं बीवी जी. नाश्ता बना दिया है, Lunch भी, घर साफ कर दिया... कपड़े बस धोने बाकि हैं. "

" कपड़े आज छोड़ दे... शाम को आ जाना... चल जा. "

घर की बाई मालती चली गई. कुछ देर बाद निहारिका अपने बेडरूम से निकल कर बाहर Drawing Room में गई. Drawing Room में पहले से ही खाने के टेबल पर उसके ससुर जी, जेठ जी ( पति के बड़े भैया ) और छोटा देवर बैठे हुए थें. निहारिका ने घर का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और फिर वहाँ से लौटते वक़्त सबसे पूछा.

" नाश्ता लगा दूं क्या आप सबको ? ".

" हाँ भाभी... बहुत भूख लगी है. ". छोटे देवर आशीष ने कहा, जेठ जी राजेश, और ससुर जी चुप रहें.

निहारिका वापस अपने कमरे में आई और अपनी नाईटी खोल दी. अंदर उसने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहन रखी थी, उसने अपनी ब्रा भी खोल दी पर पैंटी पहने रही. उसने अपने बंधे हुए काले बाल भी खोल कर अपने कंधे पर फैला लिये और उसी हालत में किचन की तरफ चल पड़ी.

किचन में उसने देखा की बाई नाश्ते में ओमलेट और टोस्ट बना कर गई है. उसने अपना और घर के बाकि सदस्यों का नाश्ता Tray में लिया और Drawing Room में वैसे ही अधनंगी अवस्था में आ गई. अपने देवर और जेठ जी के बीच में खड़ी होकर वो खाने के टेबल पर नाश्ता लगाने लगी.

" ये पैंटी कब खरीदी भाभी ??? ". आशीष ने अपने बगल में खड़ी निहारिका की गांड़ पर हाथ फेरते हुए पूछा.

" मेरी पैंटी के बारे में पूछ रहे हो तो मेरी गांड़ क्यूं छू रहे हो देवर जी ??? ". निहारिका उसकी ओर देखे बिना ही मुस्कुरा कर बोली.

" खाने के वक़्त नहीं आशीष... ". ससुर जी ने अपने छोटे बेटे को मना किया, फिर निहारिका को घूरते हुए बोला. " वैसे जंच रही हो रेड पैंटी में... बहु ! ".

निहारिका ने मुँह में ही अपनी हँसी दबा ली पर उसके जेठ जी और देवर जी हँसने लगे.

" इतना भी मज़ाक उड़ाने की ज़रूरत नहीं... आजकल ऐसी हो पैंटी का प्रचलन है. ". कहते हुए निहारिका ने अपनी पैंटी उतार कर वहीं खाने के टेबल पर उन सबकी Plates के बीच में रख दी और खुद अपने ससुर जी के बगल में पूरी नंगी बैठ गई नाश्ता करने के लिये !!!

उसके जेठ जी ने उसकी पैंटी हाथ में उठा ली और सूंघ कर बोले. " हम्म्म्ममममममम... खुशबु तो अच्छी है... रात को पहन कर सोई थी क्या ??? ".

" छी... आपलोग दिन ब दिन गंदे और बेशरम होते जा रहे हो. ". निहारिका ने कहा, और फिर अपने ससुर जी की ओर मुँह करके बोली. " और बाबू जी आप भी... ".

" मैंने क्या किया बहु ? ". ससुर जी हँसने लगें................

चारों फिर इधर उधर की बातें करते हुए नाश्ता करने लगें.

" अच्छा आज पहले कौन चोदेगा ? ". कुछ देर बाद निहारिका ने खाते खाते पूछा. " आज आदित्य शाम को जल्दी घर आ जायेंगे... "

" मुझे कॉलेज जाना है भाभी... पहले मुझे करने दो ना. ". आशीष ने कहा.

" वैसे मैं आज कुछ और सोच रही थी... ". निहारिका ने कहा.

" क्या ? ". जेठ जी ने पूछा.

" देखती हूं... बताती हूं. " निहारिका ने कुछ सोचते हुए कहा.

" भाभी एक बात पूछूं ? . " आशीष बोला.

" बोलिये ना देवर जी... ".

" आपको बुरा नहीं लगता ? ".

" क्या देवर जी ? ".

" वही... आदित्य भैया के बारे में ! ".

निहारिका एकदम से चुप हो गई.

" बहु... तूमने फिर कभी Try किया था क्या ? ". इस बार ससुर जी ने कहा.

" रोज़ करती हूं बाबू जी... पर उनमें कोई हरकत ही नहीं होती. कोई उत्तेजना ही नहीं आती. ". निहारिका खाते खाते रुक गई.

" मन छोटा मत करो निहारिका... ". जेठ जी ने कहा.

" आदित्य भैया का लण्ड थोड़ा सा भी खड़ा नहीं होता क्या ??? ". आशीष ने पूछा, फिर ये सोच कर की कहीं भाभी को बुरा ना लगे, थोड़ा संभल कर बोला. " I Mean... Sorry भाभी... मेरा मतलब है आप इतनी सुंदर हो फिर भी... ".

" अगर होता तो आज मैं इस तरह से... ". कहते कहते निहारिका रुक गई. फिर मुस्कुरा का बोली. " मगर वो मुझे बहुत प्यार करते हैं... और मुझे इस बात की खुशी है. मेरे लिये इतना काफी है. ".

ससुर जी ने निहारिका के कंधे को सहलाते हुए उसे सांत्वना दी.

सबका नाश्ता खत्म हुआ तो निहारिका ने सारे Plates उठा लिये पर अपनी पैंटी वहीं टेबल पर छोड़ दी.

" वैसे भाभी आप कुछ बताने वाली थीं सोच कर... ". आशीष ने कहा.

" आकर बताती हूं... ". नंगी निहारिका वहाँ से जाते हुए बोली. देवर, जेठ जी और ससुर जी घर की बहु की थिरकते हुए चूतड़ देखते रहें.


[Image: IMG-20200506-023950.jpg]

निहारिका घर में नंगी घूमती रही और घर के छिट पुट काम निपटाये, एक आध कपड़े धोये और यही सब करते करते दिन के 11 बज गयें.
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RE: मनमोहक गंदी कहानियाँ... RoccoSam - by usaiha2 - 16-07-2021, 01:34 PM



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