17-07-2021, 06:38 AM
अपडेट - 23
सर: डॉली हो सके तो तुम राज को अपने घर पर 1-2 मंत के लिए रख लो….वहाँ कम से कम आवरगर्दी तो नही कर पाएगा…और तुम और तुम्हारी भाभी की देख रेख मे पढ़ भी अच्छा लेगा….
मैं: पर सर वो…..
सर: पर क्या डॉली….देखो मैं तुम्हारे सिवाय किसी और पर भरोसा नही कर सकता…
मैं: पर सर मुझे भाभी और भैया से पूछना पड़ेगा…और आप तो जानते ही हो कि, अब मेरे हज़्बेंड भी साथ मे रहते है…
सर: ठीक है तुम घर पर बात कर लेना…पर मुझे तुम पर बड़ी आस है…
उसके बाद मैं सर के ऑफीस से बाहर आई तो मेरा सर चकरा रहा था…यही सोच सोच कर कि जिस लड़के की शकल तक मैं नही देखना चाहती उसे मैं अपने घर मे रख लूँ…पर अब एक बार फिर से वही जय सर के अच्छे होने का प्रेशर मेरे ऊपेर था. अब ना करू तो भी कैसे करू….मैं कॉलेज मे सारा दिन यही सोचती रही….फिर बहुत सोच विचार के बाद मेने ये सोच लिया कि, अब राज अगर मेरे घर मे रहे गा तो वो मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नही कर पाएगा…..
क्योंकि घर पर भैया और भाभी हमेशा माजूद होते है….दूसरा कारण ये भी था कि मैं सर को मना नही करना चाहती थी…आज मैं जिस मुकाम पर थी…वो सिर्फ़ सर के उस भरोसे के कारण था….जो उनको मेरे ऊपेर था….अगले दिन से एक्सट्रा क्लासस भी शुरू होने थी…उस दिन मैं और भाभी घर आए तो मेने भाभी को ये बात बताई तो भाभी ने भी हां कर दी….और फिर भैया से पूछा तो उन्होने ने भी यही कहा कि, अगर सर ऐसा चाहते है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए…
3-4 दिन गुजर चुके थी और एक्सट्रा क्लासस भी शुरू हो चुकी थी….जय सर का ड्राइवर मुझे कार से शाम को घर छोड़ देता था…इसलिए शाम को वापिस जाने मे कोई परेशानी नही होती थी….सॅटर्डे के दिन जय सर ने मुझसे कहा कि, कल से राज तुम्हारे घर पर रहने के लिए आ रहा है…अपने कुछ समान के साथ….समान ज़्यादा नही है…एक लॅपटॉप है….उसके कपड़े और उसके बुक्स और कॉलेज बॅग…मंडे से वो तुमहरे घर से ही तुम्हारे साथ कॉलेज आया करेगा….
उस समय आरके को सॅटर्डे सनडे की छुट्टी थी….इसलिए वो घर पर ही थे… मेने आरके को भी ये बात बता दी थी….आरके ने भी मना नही किया…और अगले दिन सर, हमारे घर आए राज को साथ लेकर….. हमने जो बन पड़ा उनकी वैसी खातिरदारी की. उसके बाद वो वापिस चले गये…..राज को नीचे बैठक के साथ वाला रूम दे दिया था…उसने अपना समान वही पर सेट क्या….आरके एक हफ्ते बाद आए थे. पर मैं उनमे वो जोश नही देख पे थी….जो एक पति अपनी नयी बिहाई पत्नी से एक हफ़्ता दूर रहने के बाद दिखता है….
बिस्तर पर वही स्लो सेक्स और कुछ ख़ास नही….पर इन दो दिनो मे हम दोनो बहुत घूमे फिर शॉपिंग की अच्छे -2 रेस्टोरेंट मे डिन्नर लंच करना ये दो दिन कैसे निकल गये पता नही चला….मंडे को मैं और भाभी कॉलेज के लिए तैयार हुए तो देखा कि राज भी कॉलेज जाने के लिए तैयार है…पर वो अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ मूह घुमा लिया…
इन दो दिनो मे मेरे उससे कोई बात नही हुई थी….और ना ही मेने उससे पढ़ाया था.. पर राज अपनी औकात मे रहा था..मतलब उसने घर के अंदर मेरी तरफ आँख उठा कर नही देखा था….खैर मैं और भाभी बस पकड़ कॉलेज पहुँचे ….दोस्तो यहा से मेरी लाइफ मे बहुत टर्न आया…जिसने मेरी लाइफ को बदल कर रख दिया था…एक साल से भी कम समय मे बहुत कुछ बदल गया था….कहाँ तो खाने के भी लाले पड़े रहते थे…और अब हर तरफ से इनकम आनी शुरू हो चुकी थी….आरके मेरी और भाभी की सॅलरी को मिलने और घर के सभी खरच और ऐशो आराम के चीज़े खरीदने के बाद भी हम 50000 रुपये महीने का बचा लेते थे……
अब मेरा नेचर भी चेंज होने लगा था…ख़ासतोर पर भाभी का….क्योंकि आरके अपनी सॅलरी मे से अपने लिए खर्चा निकाल कर बाकी का मेरे और भाभी मे बाँट देता था.. भाभी तो अब हर महीने मे एक दो नयी ड्रेस खरीद ही लेती थी….हर सनडे शॉपिंग पर जाती थी…और कुछ ना कुछ खरीद ज़रूर लेती थी….अब चलते हैं इस स्टोरी के उस मोड़ कर जहाँ से सब कुछ बदल जाने वाला था….राज को हमारे घर आए हुए दो हफ्ते बीत चुके थे….और वो एक दम शरीफ बच्चे की तरह घर के सभी क़ायदे नीयम मानते हुए रह रहा था……
इस दौरान वो कभी कभी जब मैं भाभी या भैया के पास बैठी होती, तो वो मुझे अपनी स्टडी के प्राब्लम शेर कर लेता…पर नज़रें उठा कर नही देखता…जब कभी मैं ऊपेर अपने रूम मे अकेली होती तो वो कभी मेरे रूम के अंदर नही आता बाहर से ही डोर नॉक करके खड़ा हो जाता…और मैं उसे बाहर आकर उसकी स्टडी मे आए प्रॉब्लम मे हेल्प कर देती…उसमे आए ये बदलाव मेरे लिए कोई मायने नही रखते थे…पर एक सकून था कि, मुझे उसकी वजह से अब कोई परेशानी नही हो रही थी….
वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था….मैं और भाभी तैयार होकर घर से कॉलेज जाने के लिए निकली और बस पकड़ कर कॉलेज पहुँची….राज उस दिन भी बाइक से ही कॉलेज आया था…मंडे का दिन था….और सुबह सुबह ही आरके वापिस चले गये थी….उस दिन जो भी हुआ वो मेरे साथ नही हुआ था…वो सब मुझे बाद मे पता चला था…किससे वो आप खुद ही समझ जाएँगे…..
उस दिन रोज के तरह कॉलेज ऑफ हुआ, तो भाभी घर जाने के लिए कॉलेज से बाहर निकली 2 बज रहे थे….और मुझे 5 बजे एक्सट्रा क्लासस के बाद छुट्टी होने को थी…जैसे ही भाबी कॉलेज से बाहर निकल कर बस स्टॉप की तरफ जाने लगी, तो पीछे से राज की बाइक आकर उनसे थोड़ा आगे जा कर रुक गयी….”आए बैठिए….” राज ने भाभी के पास आने के बाद कहा…”नही राज मई चली जाउन्गी बस से…” भाभी ने दूर से आती हुई बस की तरफ देख कर कहा….
राज: मॅम मुझे भी तो आपके ही घर जाना है….फिर आप बस मे जाकर क्यों फज़ूल पैसे खरच करेंगे….चले बैठिया ना….
भाभी: ओके चलो….(भाभी मुस्कुराते हुए राज के पीछे बैठ गयी…)
मैं रोड तो एक दम सही था…पर जब मेन रोड से उतर कर जो सड़क हमारे एरिया तक जाती थी..उसकी हालत बहुत ख़स्ता थी…भाभी और बाकी के लोग मेन रूड से जो बस से सफ़र करते थे वहाँ उतर कर आगे पैदल ही जाते थी…वैसे वहाँ खड़े रिक्कशे भी मिल जाते थी…पर बहुत पैसे चार्ज करते थे…इसलिए मैं और भाभी वहाँ से पैदल चल कर घर जाया करती थी….पर मुझे तो अब सर की कार ही घर पर ड्रॉप कर देती थी….
खैर स्टोरी की तरफ रुख़ करते है….10 मिनिट बाद भाभी और राज दोनो मेन रोड से घर की तरफ जाने वाली रोड पर आ चुके थे…पहले तो भाभी राज से काफ़ी पीछे बैठी हुई थी…पर जैसे ही बाइक उस खराब रास्ते पर उतरी तो बाइक के गड्ढों मे जंप लगाने से भाभी आगे की तरफ खिसक गयी…भाभी बहुत कम बार बाइक पर बैठी थी... क्योंकि भैया के पास बाइक तो थी ही नही होती भी कहाँ से…
भाभी: आह राज बाइक धीरे चलाओ ना….तुम तो मुझे गिरा ही दोगे….
राज: अब इससे और क्या स्लो चलाऊ….एक तो इस सड़क की हालत बहुत खराब है…
तभी फिर से बाइक का पिछला टाइयर गड्ढे म्व गया और फिर से बाइक थोड़ा सा ऊपेर उछली.. “ओह्ह्ह राज मैं गिर जाउन्गी…” भाभी भी बाइक पर उछल पड़ी
…”मॅम आप मुझे पकड़ लीजिए… फिर नही गिरेन्गी आप….”
भाभी: अच्छा ठीक है…(भाभी राज के साथ सट गयी…उसने एक हाथ राज के टाइट कंधे पर रखा और दूसरा हाथ राज की लेफ्ट साइड मे कमर पर रख कर पकड़ लिया… भाभी के 34ड्ड साइज़ की बड़ी-2 चुचियाँ राज की पीठ मे रगड़ खाने लगी…जिससे राज जो कि इस उम्र मे ही सेक्स के बारे मे ना सिर्फ़ जानता था…बल्कि कर भी चुका था..उसे भी भाभी की कठोर चुचियो का अहसास अपनी पीठ पर हो रहा था…)
सर: डॉली हो सके तो तुम राज को अपने घर पर 1-2 मंत के लिए रख लो….वहाँ कम से कम आवरगर्दी तो नही कर पाएगा…और तुम और तुम्हारी भाभी की देख रेख मे पढ़ भी अच्छा लेगा….
मैं: पर सर वो…..
सर: पर क्या डॉली….देखो मैं तुम्हारे सिवाय किसी और पर भरोसा नही कर सकता…
मैं: पर सर मुझे भाभी और भैया से पूछना पड़ेगा…और आप तो जानते ही हो कि, अब मेरे हज़्बेंड भी साथ मे रहते है…
सर: ठीक है तुम घर पर बात कर लेना…पर मुझे तुम पर बड़ी आस है…
उसके बाद मैं सर के ऑफीस से बाहर आई तो मेरा सर चकरा रहा था…यही सोच सोच कर कि जिस लड़के की शकल तक मैं नही देखना चाहती उसे मैं अपने घर मे रख लूँ…पर अब एक बार फिर से वही जय सर के अच्छे होने का प्रेशर मेरे ऊपेर था. अब ना करू तो भी कैसे करू….मैं कॉलेज मे सारा दिन यही सोचती रही….फिर बहुत सोच विचार के बाद मेने ये सोच लिया कि, अब राज अगर मेरे घर मे रहे गा तो वो मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नही कर पाएगा…..
क्योंकि घर पर भैया और भाभी हमेशा माजूद होते है….दूसरा कारण ये भी था कि मैं सर को मना नही करना चाहती थी…आज मैं जिस मुकाम पर थी…वो सिर्फ़ सर के उस भरोसे के कारण था….जो उनको मेरे ऊपेर था….अगले दिन से एक्सट्रा क्लासस भी शुरू होने थी…उस दिन मैं और भाभी घर आए तो मेने भाभी को ये बात बताई तो भाभी ने भी हां कर दी….और फिर भैया से पूछा तो उन्होने ने भी यही कहा कि, अगर सर ऐसा चाहते है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए…
3-4 दिन गुजर चुके थी और एक्सट्रा क्लासस भी शुरू हो चुकी थी….जय सर का ड्राइवर मुझे कार से शाम को घर छोड़ देता था…इसलिए शाम को वापिस जाने मे कोई परेशानी नही होती थी….सॅटर्डे के दिन जय सर ने मुझसे कहा कि, कल से राज तुम्हारे घर पर रहने के लिए आ रहा है…अपने कुछ समान के साथ….समान ज़्यादा नही है…एक लॅपटॉप है….उसके कपड़े और उसके बुक्स और कॉलेज बॅग…मंडे से वो तुमहरे घर से ही तुम्हारे साथ कॉलेज आया करेगा….
उस समय आरके को सॅटर्डे सनडे की छुट्टी थी….इसलिए वो घर पर ही थे… मेने आरके को भी ये बात बता दी थी….आरके ने भी मना नही किया…और अगले दिन सर, हमारे घर आए राज को साथ लेकर….. हमने जो बन पड़ा उनकी वैसी खातिरदारी की. उसके बाद वो वापिस चले गये…..राज को नीचे बैठक के साथ वाला रूम दे दिया था…उसने अपना समान वही पर सेट क्या….आरके एक हफ्ते बाद आए थे. पर मैं उनमे वो जोश नही देख पे थी….जो एक पति अपनी नयी बिहाई पत्नी से एक हफ़्ता दूर रहने के बाद दिखता है….
बिस्तर पर वही स्लो सेक्स और कुछ ख़ास नही….पर इन दो दिनो मे हम दोनो बहुत घूमे फिर शॉपिंग की अच्छे -2 रेस्टोरेंट मे डिन्नर लंच करना ये दो दिन कैसे निकल गये पता नही चला….मंडे को मैं और भाभी कॉलेज के लिए तैयार हुए तो देखा कि राज भी कॉलेज जाने के लिए तैयार है…पर वो अपनी बाइक से कॉलेज जा रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ मूह घुमा लिया…
इन दो दिनो मे मेरे उससे कोई बात नही हुई थी….और ना ही मेने उससे पढ़ाया था.. पर राज अपनी औकात मे रहा था..मतलब उसने घर के अंदर मेरी तरफ आँख उठा कर नही देखा था….खैर मैं और भाभी बस पकड़ कॉलेज पहुँचे ….दोस्तो यहा से मेरी लाइफ मे बहुत टर्न आया…जिसने मेरी लाइफ को बदल कर रख दिया था…एक साल से भी कम समय मे बहुत कुछ बदल गया था….कहाँ तो खाने के भी लाले पड़े रहते थे…और अब हर तरफ से इनकम आनी शुरू हो चुकी थी….आरके मेरी और भाभी की सॅलरी को मिलने और घर के सभी खरच और ऐशो आराम के चीज़े खरीदने के बाद भी हम 50000 रुपये महीने का बचा लेते थे……
अब मेरा नेचर भी चेंज होने लगा था…ख़ासतोर पर भाभी का….क्योंकि आरके अपनी सॅलरी मे से अपने लिए खर्चा निकाल कर बाकी का मेरे और भाभी मे बाँट देता था.. भाभी तो अब हर महीने मे एक दो नयी ड्रेस खरीद ही लेती थी….हर सनडे शॉपिंग पर जाती थी…और कुछ ना कुछ खरीद ज़रूर लेती थी….अब चलते हैं इस स्टोरी के उस मोड़ कर जहाँ से सब कुछ बदल जाने वाला था….राज को हमारे घर आए हुए दो हफ्ते बीत चुके थे….और वो एक दम शरीफ बच्चे की तरह घर के सभी क़ायदे नीयम मानते हुए रह रहा था……
इस दौरान वो कभी कभी जब मैं भाभी या भैया के पास बैठी होती, तो वो मुझे अपनी स्टडी के प्राब्लम शेर कर लेता…पर नज़रें उठा कर नही देखता…जब कभी मैं ऊपेर अपने रूम मे अकेली होती तो वो कभी मेरे रूम के अंदर नही आता बाहर से ही डोर नॉक करके खड़ा हो जाता…और मैं उसे बाहर आकर उसकी स्टडी मे आए प्रॉब्लम मे हेल्प कर देती…उसमे आए ये बदलाव मेरे लिए कोई मायने नही रखते थे…पर एक सकून था कि, मुझे उसकी वजह से अब कोई परेशानी नही हो रही थी….
वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था….मैं और भाभी तैयार होकर घर से कॉलेज जाने के लिए निकली और बस पकड़ कर कॉलेज पहुँची….राज उस दिन भी बाइक से ही कॉलेज आया था…मंडे का दिन था….और सुबह सुबह ही आरके वापिस चले गये थी….उस दिन जो भी हुआ वो मेरे साथ नही हुआ था…वो सब मुझे बाद मे पता चला था…किससे वो आप खुद ही समझ जाएँगे…..
उस दिन रोज के तरह कॉलेज ऑफ हुआ, तो भाभी घर जाने के लिए कॉलेज से बाहर निकली 2 बज रहे थे….और मुझे 5 बजे एक्सट्रा क्लासस के बाद छुट्टी होने को थी…जैसे ही भाबी कॉलेज से बाहर निकल कर बस स्टॉप की तरफ जाने लगी, तो पीछे से राज की बाइक आकर उनसे थोड़ा आगे जा कर रुक गयी….”आए बैठिए….” राज ने भाभी के पास आने के बाद कहा…”नही राज मई चली जाउन्गी बस से…” भाभी ने दूर से आती हुई बस की तरफ देख कर कहा….
राज: मॅम मुझे भी तो आपके ही घर जाना है….फिर आप बस मे जाकर क्यों फज़ूल पैसे खरच करेंगे….चले बैठिया ना….
भाभी: ओके चलो….(भाभी मुस्कुराते हुए राज के पीछे बैठ गयी…)
मैं रोड तो एक दम सही था…पर जब मेन रोड से उतर कर जो सड़क हमारे एरिया तक जाती थी..उसकी हालत बहुत ख़स्ता थी…भाभी और बाकी के लोग मेन रूड से जो बस से सफ़र करते थे वहाँ उतर कर आगे पैदल ही जाते थी…वैसे वहाँ खड़े रिक्कशे भी मिल जाते थी…पर बहुत पैसे चार्ज करते थे…इसलिए मैं और भाभी वहाँ से पैदल चल कर घर जाया करती थी….पर मुझे तो अब सर की कार ही घर पर ड्रॉप कर देती थी….
खैर स्टोरी की तरफ रुख़ करते है….10 मिनिट बाद भाभी और राज दोनो मेन रोड से घर की तरफ जाने वाली रोड पर आ चुके थे…पहले तो भाभी राज से काफ़ी पीछे बैठी हुई थी…पर जैसे ही बाइक उस खराब रास्ते पर उतरी तो बाइक के गड्ढों मे जंप लगाने से भाभी आगे की तरफ खिसक गयी…भाभी बहुत कम बार बाइक पर बैठी थी... क्योंकि भैया के पास बाइक तो थी ही नही होती भी कहाँ से…
भाभी: आह राज बाइक धीरे चलाओ ना….तुम तो मुझे गिरा ही दोगे….
राज: अब इससे और क्या स्लो चलाऊ….एक तो इस सड़क की हालत बहुत खराब है…
तभी फिर से बाइक का पिछला टाइयर गड्ढे म्व गया और फिर से बाइक थोड़ा सा ऊपेर उछली.. “ओह्ह्ह राज मैं गिर जाउन्गी…” भाभी भी बाइक पर उछल पड़ी
…”मॅम आप मुझे पकड़ लीजिए… फिर नही गिरेन्गी आप….”
भाभी: अच्छा ठीक है…(भाभी राज के साथ सट गयी…उसने एक हाथ राज के टाइट कंधे पर रखा और दूसरा हाथ राज की लेफ्ट साइड मे कमर पर रख कर पकड़ लिया… भाभी के 34ड्ड साइज़ की बड़ी-2 चुचियाँ राज की पीठ मे रगड़ खाने लगी…जिससे राज जो कि इस उम्र मे ही सेक्स के बारे मे ना सिर्फ़ जानता था…बल्कि कर भी चुका था..उसे भी भाभी की कठोर चुचियो का अहसास अपनी पीठ पर हो रहा था…)