Thread Rating:
  • 10 Vote(s) - 1.9 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर...
#46
मेरी रूपाली दीदी:  मैं नाश्ता बनाने जा रही हूं.. आप ठीक तो हो ना? कल रात को अच्छे से नींद तो आई आपको.. आज डॉक्टर साहब आने वाले हैं आपके चेकअप के लिए..
 मेरे जीजा:  हा रूपाली.. मैं बिल्कुल ठीक से सोया.. कल रात में ठाकुर साहब को कुछ तकलीफ तो नहीं हुई.
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी कि तकलीफ कैसे होगी.. ठाकुर साहब को... कल रात को तो वह आपकी पत्नी की इज्जत लूटने वाले  थे.. आपको कुछ पता भी है..
 मेरी रूपाली दीदी किचन में घुस गई और कंचन के साथ मिलकर सोनिया के लिए नाश्ता तैयार करने लगी.
 कंचन:  कल रात कैसी गुजरी दीदी..
 मेरी बहन  कंचन का सवाल सुन कर हैरान हो गई थी और उसकी तरफ देखने लगी थी.
 मेरी रूपाली दीदी कंचन के सवाल का जवाब दे पाती इसके पहले ठाकुर साहब किचन के अंदर मौजूद थे.. उन्होंने कंचन को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया था और उसकी गर्दन को चूम रहे थे... मेरी रूपानी दीदी बगल में खड़ी होकर सब कुछ देख रही थी..
 कंचन की गांड पर अपना दबाव बढ़ाते हुए ठाकुर साहब मेरी बहन को  घूरे जा रहे थे..
 ठाकुर साहब:  आई लव यू रूपाली.. आई लव यू मेरी जान.
 ठाकुर साहब कंचन को पीछे से दबोच कर उसको प्यार कर रहे थे.. उन्होंने अपना हाथ मेरी रूपाली दीदी की तरफ बढ़ाया.. मेरी रूपाली दीदी उनकी पहुंच से दूर होने लगी थी.. कंचन मुड़ गई और  ठाकुर साहब से लिपट गई... कंचन और ठाकुर साहब के बीच का प्यार देखकर मेरी रुपाली दीदी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी.. उनकी चूचियां टाइट होने लगी थी .. ठाकुर साहब की नजर  मेरी रुपाली दीदी की उठती गिरती हुई  चुचियों पर ही टिके हुई थी... और कंचन लिपटी हुई थी उनके चौड़े सीने से..
 ठाकुर साहब:  आई लव यू रूपाली... तुम भी कंचन की तरह मुझसे चिपक जाओ ना..
 मेरी  दीदी:  नहीं... आप  यहां से जाइए... मुझे मेरी बेटी के लिए नाश्ता  तैयार करना है..
 ठाकुर साहब:  कल रात के लिए माफी चाहता हूं रूपाली.. कुछ ज्यादा ही हो गया तुम्हारे साथ.. लेकिन इसका मतलब यह मत समझ लेना कि मैं तुमको इतनी आसानी से जाने दूंगा.. तुम्हारी लेकर रहूंगा चाहे कुछ भी हो जाए... समझी मेरी जान... कंचन ने ठाकुर साहब का लौड़ा पकड़ लिया था... उनकी पैंट के ऊपर से...
 मेरी रूपाली दीदी घबरा रही थी कि यह क्या हो रहा है ..उनकी आंखों के सामने ठाकुर साहब और कंचन एक दूसरे के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे.. बुरी तरह चुम्मा चाटी करने लगे थे दोनों.. मेरी रूपाली दीदी काफी गंभीर हो चुकी थी..
 ठाकुर साहब:  तुम्हें नहीं पता तुम क्या चीज हो रूपाली.. मेरा यह सब कुछ तुम्हारे लिए ही है.. तुम जैसे चाहो मेरे साथ रह सकती हो.. कुछ भी खरीद सकती हो..
 मेरी रूपाली दीदी:  आपका दिमाग तो ठीक है ना ठाकुर साहब?  मैं आपको बिल्कुल पसंद नहीं करती हूं.. प्यार करना तो दूर की बात है.. प्लीज आप लोग मेरे सामने यह मत कीजिए..
 ठाकुर साहब ने कंचन को आजाद कर दिया.. वह मेरी रूपाली दीदी के बिल्कुल पास गय और अपने घुटनों के बल बैठ गय. उन्होंने मेरी बहन की साड़ी का आंचल उनके सीने से हटा दिया.. आप मेरी बहन का नंगा पेट ठाकुर साहब की आंखों के सामने था.. उन्होंने मेरी दीदी की गोल गहरी नाभि पर चुम्मा लिया उनकी कमर के इर्द-गिर्द अपना हाथ डालकर..
 ठाकुर साहब:  आज तो बस इसी  छेद पर चुम्मा ले रहा हूं.. तुम्हारे हर छेद भी इसी तरह चुम्मा लूंगा रूपाली... समझ गई ना मेरी जान..
 कंचन अपने सामने यह कामुक नजारा देख रही थी..
 मेरी रुपाली  दीदी :   ठाकुर साहब... मुझे नहीं पता था कि आप इतने गिरे हुए इंसान हैं..
 ठाकुर साहब:  रूपाली अभी तो तुम्हें कुछ भी पता नहीं चला.. मैं बहुत गंदा आदमी हूं.. अभी तक तो मैं शराफत से काम ले रहा था.
 मेरी रूपाली दीदी :  यह कैसी शराफत है ठाकुर साहब.. आपकी शराफत तो कल रात ही मैंने देख ली थी..
 ठाकुर  साहब:  जो भी है... अभी मुझे कुछ काम से बाहर जाना है.. मेरे लिए नाश्ता तैयार कर दो तुम ..
 मेरी रूपाली दीदी:  मैं आपकी बीवी नहीं हूं जो आप मुझे इस तरह से आर्डर दे रहे हैं..
 ठाकुर साहब:  बीवी बन जाओगी तो मेरा आर्डर ले  लोगी?(  ठाकुर साहब की आंखों में बस  प्यास थी मेरी बहन के लिए)..
 मेरी दीदी अजीब सा महसूस करने लगी थी उनकी बात सुनकर..

 ठाकुर साहब:  डरो मत रुपाली... मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा.. तुमसे शादी करूंगा और फिर तुम को सुख दूंगा..
 मेरी रुपाली  दीदी:  आपके बदतमीजी का जवाब नहीं ठाकुर  साहब.. आप एक अकेली औरत को अपने घर में लाकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.. अगर मेरे पति अनूप ठीक होते तो आपकी हिम्मत भी नहीं होती..
 ठाकुर साहब:  तेरा पति?  हा हा हा?  अगर तुम्हारा पति ठीक भी होता तो मैं तो उसको एक हाथ से उठाकर पटक  देता..
 मेरी रूपाली दीदी मन ही मन जानते थे कि ठाकुर साहब बिल्कुल सच कह रहे हैं... ठाकुर साहब की मर्दानगी के आगे मेरा जीजा बिल्कुल चूहे की तरह था.. अगर ठाकुर साहब चाहे मेरे जीजाजी की हड्डी पसली एक कर सकते थे.. ठाकुर साहब के मुसल का एहसास मेरी बहन को चुका था.. कोई बराबरी नहीं थी ठाकुर साहब और  मेरे जीजाजी में..
 कल रात को मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब के औजार की मोटाई और लंबाई का एहसास करके उनको पीछे धक्का दिया था.. दीदी को अच्छी तरह पता था कि ठाकुर साहब के पास क्या चीज है.. मेरी रूपाली दीदी अपने छोटे  छेद के बारे में सोच रही थी.. ठाकुर साहब  बाहर निकल गय..
 कंचन:  क्या दीदी... आपने तो ठाकुर साहब को नाराज कर दिया... मैं तो समझ रही थी कि ठाकुर साहब ने कल रात को आपका  बाजा बजा दिया.. लेकिन वह तो आपसे प्यार करने लगे है..
 मेरी रुपाली  दीदी:  चुप करो कुछ भी बोलती हो तुम...
 कंचन:  अच्छा दीदी मैं तो कुछ नहीं बोलती .. आज की रात ठाकुर साहब आपकी जरूर लेंगे...
 मेरी  दीदी :  तुमको कैसे पता..
 कंचन:  मुझे सब पता है दीदी ठाकुर साहब के बारे में.. जब वह मुझे इस घर में पहली बार लेकर आए थे तभी मुझे समझ आ गया था..
 मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कंचन क्या कह रही है.. दीदी किचन से निकलकर बाहर आ गई.. मैं और रोहन हॉल में बैठकर टीवी देख रहे थे.. ठाकुर साहब हॉल में खड़े मेरे रुपाली दीदी के सामने थे..
 ठाकुर साहब:  मैं नहाने जा रहा हूं रूपाली... मुझे बाहर जाना है बहुत सारा काम है.. मैं तुम्हारे पति की तरह निकम्मा नहीं हूं.. जब मैं नहा कर आऊंगा तो मेरा नाश्ता तैयार रखना..
 मेरी रूपाली दीदी:  मेरे पति की हालत पर  कुछ तो तरस खाइए ठाकुर साहब..
 ठाकुर साहब:  उसका हाथ तो ठीक है.. आजकल इंटरनेट पर कितने सारे काम होते हैं.. कुछ भी कर सकता है.. पर करना ही नहीं चाहता अनूप..
 मैं और रोहन चुपचाप  मेरी दीदी और ठाकुर साहब के बीच होने वाली बातचीत को सुन रहे थे...
 ठाकुर साहब:  वह तो बस तुमसे काम करवाना चाहता है.. खुद्दार  पति की पत्नी होने का सुख तुम्हें कभी नहीं मिलेगा अनूप से..
 मेरी रूपाली दीदी और मैं भी अच्छी तरह जानता था कि ठाकुर साहब की बातों में कुछ तो सच्चाई है.. रोहन मुस्कुरा  रहा था... कंचन भी किचन से बाहर आकर उन दोनों के बीच की बातचीत सुन  रही थी.
 ठाकुर साहब:  देखो रूपाली मुझे बाहर जाना है किसी काम से.. आज डॉक्टर आने वाला है  तुम्हारे पति का चेकअप करने के लिए.. मैंने पैसे रख दिय टेबल पर... डॉक्टर को दे देना जाने के समय... चेकअप के बाद... समझ गई ना..
 मेरी रूपाली दीदी सर झुका के ठाकुर साहब के सामने खड़ी थी...
 तुम दोनों बाहर जाओ.. ठाकुर साहब ने मुझे और रोहन को कहा.. हम दोनों बड़ी तेजी से बाहर निकल गए घर से..
 ठाकुर साहब:  देखो रूपाली.. मुझे माफ कर दो मैंने आज तुम्हारे साथ बहुत बदतमीजी के साथ बात की..
 उन्होंने मेरी दीदी का चेहरा अपने हाथों में ले  उनको चुम्मा लेने की कोशिश की.. दीदी  दूर हो गई ठाकुर साहब से..
 मेरी रूपाली दीदी:  क्या आप मेरे पति के लिए एक व्हीलचेयर का इंतजाम कर सकते हैं?
 ठाकुर साहब:  व्हीलचेयर?  वह किसलिए रूपाली?  जब रात में मैं तुम्हारी लूंगा तो तुम्हारा पति  व्हील चेयर पर आकर देखेगा सब कुछ.. इसलिए?
 मेरी रूपाली दीदी शर्मिंदा होकर चुपचाप नीचे की तरफ देखने लगी थी..
 ठाकुर साहब:  ठीक है रुपाली.. व्हीलचेयर का इंतजाम हो जाएगा..
 मैं कुछ और पैसे रख दूंगा.. व्हीलचेयर की खातिर कम से कम एक चुम्मा तो दे दो.. मेरी रानी..
 रूपाली दीदी:  बस कीजिए अपनी बकवास... कुछ भी बोलते हैं आप.. मैं नहीं करूंगी आपके साथ यह सब..
 ठाकुर साहब:  तुम नहीं सुधरने वाली... मैं नहाने जा रहा हूं मेरा नाश्ता तैयार रखना... बोलते हुए ठाकुर साहब वॉशरूम में घुस गय..
 इसके बाद  कुछ खास नहीं हुआ.. ठाकुर साहब नहाने के बाद नाश्ता किय और फिर चले गए घर से बाहर अपने काम के लिए..
 मेरी रूपाली दीदी ने भी सोनिया को कॉलेज छोड़ दिया और वापस घर आकर अपनी छोटी बेटी नूपुर को  अपना दूध पिला बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी.... यह कंचन क्या चीज है... मुझे कंचन की तरह ठाकुर साहब के रंडी नहीं बनना है... मेरी दीदी ने जीजू को खाना खिलाया... फिर मुझे और रोहन को भी... कंचन की निगाहें मेरे रूपाली दीदी पर टिकी हुई थी.. मेरी दीदी अपने बेडरूम में गई यानी कि ठाकुर साहब के  बेडरूम में उनके बिस्तर पर लेट कर अपने आने वाले भविष्य के बारे में सोचने लगी... मेरी दीदी को नींद आ गई..
 ठाकुर साहब ने मेरी बहन के साथ जो कुछ भी किया था वह किसी भी तरह से ठीक नहीं था.. लेकिन साथ ही साथ वह हमारे घर की आर्थिक  स्थिति को भी संभाल रहे थे... मेरी  रुपाली  दीदी ठाकुर साहब के ही ख्यालों में खोई हुई थी.. व्हीलचेयर..?
 मेरी बहन का पति दूसरे कमरे में सो रहा था.. और मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब के साथ उनके बिस्तर पर.. ठाकुर साहब की उम्र कुछ ज्यादा ही थी.. मेरी रुपाली दीदी की तुलना में.. ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के साथ कुछ मौज मस्ती करना चाहते थे.. इस बात में तो कोई शक नहीं..
 मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी.. उन्होंने मन ही मन फैसला किया कि वह ठाकुर साहब को बोलेगी कि कोई नौकरी दिला दें.. ताकि वह ठाकुर साहब का उधार चुका सकें... पर ठाकुर साहब ... उनका तो इरादा कुछ और ही था.. मेरी बहन की लेने का... बिना कंडोम के..
 
 मेरी बहन को नींद आ गई.. शाम को डॉक्टर साहब आए.. उन्होंने मेरे जीजाजी का चेकअप किया.. डॉक्टर साहब ने सुझाव दिया कि मेरे जीजाजी को एक व्हीलचेयर की जरूरत है... मेरी दीदी उनकी बात सुनकर हैरान थी.. ठाकुर साहब ने भी तो यही कहा था..
 ठाकुर साहब के पर्स में से पैसा निकाल कर मेरी रूपाली दीदी ने डॉक्टर को दिया और उनको जाने दिया... डॉक्टर साहब के जाने के बाद मेरी रूपाली दीदी और मेरे जीजा जी ने एक साथ लंच किया.. मेरी दीदी अच्छा महसूस कर रही थी.. सब कुछ अच्छा हो रहा था...
 मैं और रोहन अब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन चुके थे..
[+] 2 users Like babasandy's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी रूपाली दीदी और जालिम ठाकुर... - by babasandy - 10-07-2021, 11:49 PM



Users browsing this thread: 11 Guest(s)