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Adultery मायके का जायका
#3
[quote='Meerachatwani111' pid='345500' dateline='1555154353']
मैं मीरा अपने साथ घटी इस घटना को आप सबके साथ बांट रही हूं, आशा है आप सभी अपने टिप्पणी से मुझे दिशा देंगे। कुछ दिन पहले की बात है, जब मैं शादी के कई बरस बाद एक लंबे समय के लिए मैके में रहने का मौका मिली थी। सौभाग्य से मेरे बचपन की सहेली सीमा भी आई हुईं थी। सीमा और मेरी दामन चोली जैसे संबंथ थे, जो शादी होने के बाद एक तरह से छुट गई थी।हम दोनो के शरीर करीब करीब थोरे अंतर के साथ समान हि थी। एक बात में हम दोनो एक मिजाज की थी और वह थी अपनी जवानी के जलवे दिखा कर अपना काम निकालना। कभी कभी ऊलटे बांस बरेली वाली बात हो जाती थी, पर केया कि जा सकती थी। खैर वह सब बाते अगली पोस्ट में दूंगी, अगर ईसे आप सबका समर्थन मिले तो।
मुझे मैंके आए हुए सप्ताह भर से ज्यादा दिन बित चुके थे। वो तो सीमा भी आई हुई थी वरना समय काटनी मुश्किल होती। उस दिन सीमा के साथ घर के छत पर बैठी अपने बिते दिनों की बात कर रहे थे। सीमा तो पहले ही से मुंहफट थी और शादी के बाद तो और आगे बढ गई थी। आगे मैं अपनी और सीमा के बिच में हो रहे संवाद को जैसे के तैसे लिख रही हूं। सीमा बोल रही थी...मीरा बिआह के बाद तोहार चूंची आ गांड त बरा फैल गईल बा, लागता दिन रात भतार पेलाई ठूकाई करते रहेलन। मैं उ की चूंचियों को मसलते बोली आ तोहार बुर गांड़ कौनो उपास रहेला बुरचोदि सीमा। सीमा तुरंत बरी अदा से साहाना लहजे में बोली, बन्नो याद है ना वो दामू आउर जत्तन भाई, जिनकर 7ईंची के लौड़ा घचाक से लेत रहनी ह आ बुरचोदी तोहार पैर आ हाथ हमनी के ना पकरले रहती त तोहार बुरिया में खूंटे ना गराईत ।[Image: IMG-20190412-232339.jpg]
[/quoteसीमा के मुंह से यह बात सुनते ही ,ऊस दिन की सारी बातें मेरी आंखो के आगे नाचने लगी, साथ ही सारे शरीर मे झनझनाहट सी होने लगी ।शर्म और अनी झेंप मिटाने के लिए मैं ने अपनी हथेलियों से सीमा की दोनो चुंचियों को कसके दबा ली, वह चिल्लाने लगी ,पर तबतक मैं उसे पटक कर उस पर चढ बैठी थी, और उसके चुंचियों को और कसके मसलती हुई बोली, रन्डी छिनरी सीमुआ तोहरा बरा मजा आवत रहे ना हमरा मुंह के आपन गांड से दबा के बंद क्ईले में आउर उ मादरचोद दमुआ पुरा 6ईंची के मूसर हमार बुर में एके झटका में धांस दिहलस हरामी जैसे ओकर मतारी के भोंशरी रहे, और ऊ शाला जत्तन भ्ईबा ओकरा बहिन के कुत्ता से चोदाई कैसे कभि तहरा मुंह में कभी हमरा चुंची से रगरत रहेस, सीमा जब तक जबाव देती,अचानक सिढियों के पिछे से आवाज़ आई.. कहां बानी हमार सौतनिया सब कहते हुए एक भरे पुरे बदन की महिला सामने आई, हमलोग भी अपनी कपड़ो को संभालती खरी हो गई ,सीमा निश्चित खरी मुश्कराते हुए बोली ,आई भौजाई, और मेरी तरफ मुडकर बोली, मीरा ई बारन रमेश भैया के माऊ, कहे खतिरा बाकी त अगल बगल के लौंडवन स ,,,,कहकर सीमा शैतानी भरे मुश्कराने लगी। हां मीरा बबुनी हम बानी उषा, बाकी त बत्इए दिहलन सीमा बबुनी ।बरी मन रहे जे अहां के देखी ।अब मैं भीउन कि हाथ पकर कर साथ बैठा लि और फिर कुछ देर तक परिचय बाते होती रही। गपशप होती रही ,फिर वो चलनेवाली ही थि जा हम त भूलाईए गैनी र सुनी न सीमा बबुनी राऊर भैया बजाज के आटो खरिद ल्ईलन ह ।ओकर पुजा करवावे खतिरा .....मंदिर जात बानी, अकेले जाए खतिरा हम मना कैनी ह त राउर भाई बोलले हं कि सीमा आउर मीरा से जाकर पुछ लि, अगर दोनो साथ रही त अकेला ना रही। बाकी हम बानी और दामोदर(दामु) दुनो रहबे करब। मैं दामु का नाम सुनके झिझक के सीमा के तरफ देखी, उसके सपाट चेहरे से मुझे अनुभव हुई की वह तैयार है। फिर मैं पलट कर भाभी को बोली भाभी मैं मा से पुछती हूं। तपाक से ऊषा भाभी बोली पुछ लिहीं बाकी हम त दोनो माई से पुछिए के आईल बानी। कब चले के बा सीमा पुछी। ऐ बबुनी वहां जाए में चार पांच घन्टा लागी। भोरवे में चलल जाई त्ईओ 12 बजे दिन से पहले पुजा ना होख पाई। हम त ईहां के राए देली ह कि शमवे केसात बजे ईहाँ से चलल जाए नौ बजे ले .....गाँव (उषा भाभी का मैके) पहुँच, आराम करके चार बजे ऊठ के वहां से चलके सात आठ बजे ले मंदिर पहूँच जाएब।मुझे भी क्ई दिन से घर में खाली बैठे रहने से उबाउपन महशूस हो रही थी अत्: सोची चलो ईस बहाने घुमने के साथ भगवान की पुजा भी कर लूंगी ।चलते चलते भाभी बोली हां एक बात सुन लिहीं तनि सज संवर के चलेब, हमर बस्ती के लोग भी देख ली कि हमार ससुराल के माल के।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 14-04-2019, 03:10 PM



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