10-07-2021, 06:54 PM
“कुँवारी तो मेरी गांड भी है” उसने कहा
“तो चोद दूं इसे?” मैने पूछा वह कुछ ना बोली, वापस अपने चेहरे पर तकिया रख लिया और हँसने लगी
“वॅसलीन है?” उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
“नही अमृतंज़न है, चलेगा तुमको?”
“ना बाबा ना” उसने जीभ दाँत तले दबाते कहा”मेरी पोन्द जल जाएगी”
“क्यों गांड भी मरवानी है और जलवानी नही है?” मैने कहा”मेरा लंड भी तो जलेगा?”
'नहीं मेरी गीली गांड उसको जलने नही देगी” उसने कहा
“नहीं” मैने कहा
“हां मेरी गांड अगर मारनी है तो मेरी यही शर्त है” वह तुनक कर बोली”वॅसलीन ले आओ और मेरी पोन्द जी भर कर मार लो”
मैने ड्रावर खोला और हंस दिया .
मेरा हाथ उसने पकड़ लिया”क्या हुआ?” मैने पूछा
“वॅसलीन मत लगाओ, मैं कुछ जुगाड़ करती हूँ”उसने अपने बाल बाँधते हुए कहा
“जुगाड़?” मैने चौंक कर कहा”कैसा जुगाड़?”
“अरे बाबा तुम सवाल बहुत पूछते हो” उसने मुँह बना कर कहा
“मैं भी तो जानूं तुम चुदाई में कौन सा जुगाड़ लगाती हो” मैने कहा
“अरे बाबा कभी तो मुँह बंद रखा करो” उसने हाथ जोड़ कर कहा”और यहाँ मेरी तरफ मुँह करो”
मैने पलट कर उसकी ओर देखा
उसने अपने दाएँ हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया
मैने कहा”शिखा अब तुम्हें यह क्या सूझी?”
“तुम बस देखते जाओ” उसने तुनक कर कहा और मेरा पाँच इंची लंड मुँह मे भर लिया
“देखो दाँत मत गाड़ना” मैने उसे आगाह करते कहा
“उन्हुन्न्न” उसने मुँह में लंड भरते ही गर्दन को झटका दिया
मैने उसके बाल हाथों में पकड़ लिए और उसके मुँह में जोरों से धक्का दिया, मेरा लंड का सिरा उसके तालू से टकराया”आहह शिखा”मैने उत्तेजना से आँखें बंद कर लीं,
उसने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ का सिरा टीकाया और अंदर बाहर करने लगी,
मेरा लंड किसी फूल की भाँति खिलने लगा,
दो मिनट में ही लंड के सिरे की चमड़ी उलट गयी
“ख़ौं ख़ौं”शिखा अचानक खांसने लगी,
मैने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया, लेकिन मुझे अपने लंड पर काफ़ी हल्की सी ठंडी जलन महसूस हुई, ऐसा लगा लंड पर किसी ने बाम लगा दिया हो.
“आक थू” शिखा ने बलगाम वॉश बेसिन में थूकी,
मैने उसको देखा उसकी लंबी लंबी साँसे चल रहीं थी,
इधर मेरा लंड फूल कर कुप्पा हो गया था
“कैसे लगा मेरा लंड चूसना?” उसने आँखें घुमा कर मुझसे पूछा”मज़ा आया?”
“बहुत” मैने जवाब दिया.
“तो देर किस बात की?” उसने पूछा”अब तुम्हारा लंड मेरी पोन्द मारने को एकदम तैयार है”
“ठहरो” मैने कहा
“क्या हुआ?” उसने पूछा
“मेरा लंड तुम्हारे चूसने से ऐंठ गया है, ज़रा ठंडे पानी का फव्वारा मार लूँ”मैने बाथरूम की तरफ जाते कहा
“अरे नहीं उसने एंठा ही रहने दो, गांड में आसानी से जाएगा” शिखा ने मना किया
“नहीं कहीं फ्रॅक्चर हो गया तो?” मैने कहा
“पागल, शिश्न में हड्डी नहीं होती तो फ्रॅक्चर कैसे होगा?” उसने कहा
“ये शिश्न क्या है शिखा?” मैने पूछा”जीभ को संस्कृत में शिशिन कहते हैं?”
“तुम्हारा लंड”उसने गुस्से से देखते हुए कहा
“मेरा लंड तो फूल कर कुकुरमुत्ते की तरह हो गया है, तुम्हारी गांड में डालूँगा तो तुम्हें दर्द होगा” मैने प्रतिवाद करते कहा
“हूँह” उसने मुँह बनाया”और डालो ठंडा पानी अपने लंड पर, फिर तो मुरझा ही जाएगा”
“नहीं, दरअसल मेरे लंड की चमड़ी जो पलट गयी है वहाँ हवा लगने से मुझे हल्की जलन हो रही है” मैने सच कह दिया
“यह कहों की तुम्हारी फट रही है” उसने मेरा मज़ाक उड़ाते कहा
“कमाल है, गांड तो तुम्हारी मारी जानी है और मेरी फटेगी क्यों?” मैने कहा
“अहहाहा” उसने हाथ नचा कर कहा”बड़े आए मेरी गांड मारने वाले, मेरी कड़क कुँवारी गांड को तुम्हारा लंड भेद न पाएगा”
“देखते हैं” मैने कहा
“तुम तो बस दिखाते ही रहो, करो कुछ नहीं”शिखा ने तुनक कर कहा
“तुम जब अपनी गांड फैलाओगी तब न तुम्हारी गांड मारूँगा” मैने समझा कर कहा
“पेच कसने के लिए पेचकस को गड्ढे में घुसा कर कसना पड़ता है, न की गड्ढे को चौड़ा करना पड़ता है” उसने मुँह बनाते कहा
“इस तकनीकी ज्ञान के लिए शुक्रिया, वैसे ये लंड है मेरा लंड कोई पेचकस नहीं है और न तुम्हारी गांड की गहराई इतनी है कि मुझे पेच कस लाना पड़ जाए, इसके लिए तो मेरी उंगलियाँ ही काफ़ी है” मैने उसकी गांड में उंगलियाँ घुसा दी
“अमन” उसने कहा”बात मेरी गांड मारने की हुई थी, गांड टटोलने की नहीं” शिखा बोली
“क्या फ़र्क पड़ता है?” मैने लापरवाही से कहा
“फ़र्क पड़ता है” उसने समझाते कहा”मेरा पेट खराब है”
“क्या?” मैने घबरा कर उंगलियाँ निकाल ली और हाथ धोने चला गया
“देखो तुम डर गये अमन” शिखा खिलखिला कर हंस पड़ी
“तो चोद दूं इसे?” मैने पूछा वह कुछ ना बोली, वापस अपने चेहरे पर तकिया रख लिया और हँसने लगी
“वॅसलीन है?” उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
“नही अमृतंज़न है, चलेगा तुमको?”
“ना बाबा ना” उसने जीभ दाँत तले दबाते कहा”मेरी पोन्द जल जाएगी”
“क्यों गांड भी मरवानी है और जलवानी नही है?” मैने कहा”मेरा लंड भी तो जलेगा?”
'नहीं मेरी गीली गांड उसको जलने नही देगी” उसने कहा
“नहीं” मैने कहा
“हां मेरी गांड अगर मारनी है तो मेरी यही शर्त है” वह तुनक कर बोली”वॅसलीन ले आओ और मेरी पोन्द जी भर कर मार लो”
मैने ड्रावर खोला और हंस दिया .
मेरा हाथ उसने पकड़ लिया”क्या हुआ?” मैने पूछा
“वॅसलीन मत लगाओ, मैं कुछ जुगाड़ करती हूँ”उसने अपने बाल बाँधते हुए कहा
“जुगाड़?” मैने चौंक कर कहा”कैसा जुगाड़?”
“अरे बाबा तुम सवाल बहुत पूछते हो” उसने मुँह बना कर कहा
“मैं भी तो जानूं तुम चुदाई में कौन सा जुगाड़ लगाती हो” मैने कहा
“अरे बाबा कभी तो मुँह बंद रखा करो” उसने हाथ जोड़ कर कहा”और यहाँ मेरी तरफ मुँह करो”
मैने पलट कर उसकी ओर देखा
उसने अपने दाएँ हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया
मैने कहा”शिखा अब तुम्हें यह क्या सूझी?”
“तुम बस देखते जाओ” उसने तुनक कर कहा और मेरा पाँच इंची लंड मुँह मे भर लिया
“देखो दाँत मत गाड़ना” मैने उसे आगाह करते कहा
“उन्हुन्न्न” उसने मुँह में लंड भरते ही गर्दन को झटका दिया
मैने उसके बाल हाथों में पकड़ लिए और उसके मुँह में जोरों से धक्का दिया, मेरा लंड का सिरा उसके तालू से टकराया”आहह शिखा”मैने उत्तेजना से आँखें बंद कर लीं,
उसने मेरे लंड के सिरे पर अपनी जीभ का सिरा टीकाया और अंदर बाहर करने लगी,
मेरा लंड किसी फूल की भाँति खिलने लगा,
दो मिनट में ही लंड के सिरे की चमड़ी उलट गयी
“ख़ौं ख़ौं”शिखा अचानक खांसने लगी,
मैने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया, लेकिन मुझे अपने लंड पर काफ़ी हल्की सी ठंडी जलन महसूस हुई, ऐसा लगा लंड पर किसी ने बाम लगा दिया हो.
“आक थू” शिखा ने बलगाम वॉश बेसिन में थूकी,
मैने उसको देखा उसकी लंबी लंबी साँसे चल रहीं थी,
इधर मेरा लंड फूल कर कुप्पा हो गया था
“कैसे लगा मेरा लंड चूसना?” उसने आँखें घुमा कर मुझसे पूछा”मज़ा आया?”
“बहुत” मैने जवाब दिया.
“तो देर किस बात की?” उसने पूछा”अब तुम्हारा लंड मेरी पोन्द मारने को एकदम तैयार है”
“ठहरो” मैने कहा
“क्या हुआ?” उसने पूछा
“मेरा लंड तुम्हारे चूसने से ऐंठ गया है, ज़रा ठंडे पानी का फव्वारा मार लूँ”मैने बाथरूम की तरफ जाते कहा
“अरे नहीं उसने एंठा ही रहने दो, गांड में आसानी से जाएगा” शिखा ने मना किया
“नहीं कहीं फ्रॅक्चर हो गया तो?” मैने कहा
“पागल, शिश्न में हड्डी नहीं होती तो फ्रॅक्चर कैसे होगा?” उसने कहा
“ये शिश्न क्या है शिखा?” मैने पूछा”जीभ को संस्कृत में शिशिन कहते हैं?”
“तुम्हारा लंड”उसने गुस्से से देखते हुए कहा
“मेरा लंड तो फूल कर कुकुरमुत्ते की तरह हो गया है, तुम्हारी गांड में डालूँगा तो तुम्हें दर्द होगा” मैने प्रतिवाद करते कहा
“हूँह” उसने मुँह बनाया”और डालो ठंडा पानी अपने लंड पर, फिर तो मुरझा ही जाएगा”
“नहीं, दरअसल मेरे लंड की चमड़ी जो पलट गयी है वहाँ हवा लगने से मुझे हल्की जलन हो रही है” मैने सच कह दिया
“यह कहों की तुम्हारी फट रही है” उसने मेरा मज़ाक उड़ाते कहा
“कमाल है, गांड तो तुम्हारी मारी जानी है और मेरी फटेगी क्यों?” मैने कहा
“अहहाहा” उसने हाथ नचा कर कहा”बड़े आए मेरी गांड मारने वाले, मेरी कड़क कुँवारी गांड को तुम्हारा लंड भेद न पाएगा”
“देखते हैं” मैने कहा
“तुम तो बस दिखाते ही रहो, करो कुछ नहीं”शिखा ने तुनक कर कहा
“तुम जब अपनी गांड फैलाओगी तब न तुम्हारी गांड मारूँगा” मैने समझा कर कहा
“पेच कसने के लिए पेचकस को गड्ढे में घुसा कर कसना पड़ता है, न की गड्ढे को चौड़ा करना पड़ता है” उसने मुँह बनाते कहा
“इस तकनीकी ज्ञान के लिए शुक्रिया, वैसे ये लंड है मेरा लंड कोई पेचकस नहीं है और न तुम्हारी गांड की गहराई इतनी है कि मुझे पेच कस लाना पड़ जाए, इसके लिए तो मेरी उंगलियाँ ही काफ़ी है” मैने उसकी गांड में उंगलियाँ घुसा दी
“अमन” उसने कहा”बात मेरी गांड मारने की हुई थी, गांड टटोलने की नहीं” शिखा बोली
“क्या फ़र्क पड़ता है?” मैने लापरवाही से कहा
“फ़र्क पड़ता है” उसने समझाते कहा”मेरा पेट खराब है”
“क्या?” मैने घबरा कर उंगलियाँ निकाल ली और हाथ धोने चला गया
“देखो तुम डर गये अमन” शिखा खिलखिला कर हंस पड़ी