10-07-2021, 06:52 PM
जब मेरी आँख खुली तो शाम घिर आई थी उसके फोन पर राजन का फोन आया था और वो उस से बाल्कनी में खड़ी बतिया रही थी
मै शॉर्ट्स पहने और बाल्कनी में गया,वा मेरी ओर पीठ किए खड़ी थी, उसके बाल खुले थे और आपस में उलझे हुए थे, कमीज़ पर सिलवट पड़ी हुई थी, और सलवार पहनी नही थी, पीछे का गला काफ़ी गहरा था और उसकी गर्दन के डायन तरफ कंधे से तोड़ा नीचे एक तिल था, इस हालत में भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी.
दबे पाँव मैं उसकी ओर गया और मुझे उसकी बातें सुनाई दी”अच्छा आज रात ऑफीस में ही रहोगे?”“क्या कहा दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रान्स्फर हो गया?”“ठीक है” कहते हुए उसने फोन काट दिया
मैने उसे पीछे से पकड़ लिया, अचानक से खुद को मेरी गिरफ़्त में देख कर वह घबरा गयी”अच्छा तुम हो मैं समझी...”
मैने उसकी बात काटते कहा”मैं समझी की वॉचमन होगा”
“छी कितनी गंदी सोच है तुम्हारी?” वह बोली
“सारे दिन मेरे साथ सेक्स किया और फिर भी पति की याद आ गयी?” मैने कहा
“नही उनका फोन आया था” उसने कहा मैं नीचे झुका और उसके कंधे के तिल को चूम कर कहा”तो आज आपके पति घर नही आएँगे?”
“हां” उसने अपने बालों को पीछे बाँधते कहा, उसने अपने मुँह में रब्बर बॅंड पकड़ा हुआ था
मैने उसके बूब्स दबाते कहा”तो फिर आज पूरी रात बॅंग बॅंग?” वह हँसे लगी, उसके मुँह से रब्बर बॅंड छूट कर नीचे गिर पड़ा, उसे उठाने वह नीचे झुकी और उसकी रेशमी काले बाल आज़ाद हो कर उसकी पीठ पर लहराने लगे.
मैने उसे उठा कर अपने बाएँ कंधे पर रख लिया और बेडरूम की तरफ बढ़ चला
“नही अमन मुझे नीचे उतारो मैं चिल्लाऊंगी”
“नही आज तो मैं तुम्हे सारी रात प्यार करूँगा” मैने उसको संभालते कहा
उसने मेरी पीठ पर काटा और गुद्दे मारने लगी
मैने उसे बेड पर लिटा दिया”शिखा जी आपका विरोध व्यर्थ है आज आप मेरे साथ कमाग्नि में जलेंगी” मैने उसकी शुद्ध हिन्दी में मज़ाक उड़ाया
“अमन जी मैं आपको सचेत कर दूं, आप मेरे पति की अनुपस्थिति में मुझसे संभोग करने की इच्छा कर रहे हैं| यह आप जैसी सभ्य पुरुष को शोभा नही देता कि आप अपने मित्र की पत्नी से रतिसुख की अपेक्षा करें”उसने मुझे चिढ़ाया
“मैं तो हूँ ही हरामी, दूसरे की बीवियों को चोद्ने में मुझे बड़ा आनंद आता है” मैने अपनी शॉर्ट्स खोलते कहा मेरा लंड उच्छल कर बाहर आ गया
“यदि ऐसा है, तो मैं उस आनंद से वंचित क्यूँ रहूं” शिखा ने कहा और मेरा लंड लपक कर पकड़ लिया”हे प्राण नाथ मैं अपने प्रेम की मुहर आप पर लगाउंगी अन्यथा न लें”उसने चुहल की
“अवश्य” मैने कहा और उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया,
मैने उसका सिर पकड़ लिया और उसके खुले बालों में अपनी उंगलियाँ फिरानी शुरू की लेकिन बाल कही कही उलझ गये थे”तुम अपने बालों का ध्यान नही रखती शिखा” मैने शिकायत करते कहा
एकदम से उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर निकाला और उपर गर्दन करते मुझे देख कर कहा”यह सब आपकी कृपा है प्राण नाथ, दोपहर में आपके साथ संभोग करते समय आपके मुँह और लंड का गाढ़ा चिपचिपा द्रव्य मेरे केशों में लग गया इसी कारण मेरे केश उलझ गये” और हँसने लगी
“षट अप शिखा” मैने कहा
“विश्वास ना हो तो सूंघ कर देख लीजिए”, उसने अपने पीछे के बाल आगे कंधे पर लाते कहा
“हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या” मैने कहा
“अभी लो” और वह हँसने लगी.
“ऐसी नहीं” मैने कहा”घूम कर खड़ी हो जाओं शिखा'
वह हँसने लगी”बॅक ओफिस में जॉब करना है क्या”
“पहले तुम उठो तो सही” मैने उसके कंधे पकड़ कर उठाते कहा
“जो आज्ञा प्राणनाथ” वह उठने लगी और उठते उठते उसने मेरे अंडकोष को अपने दाँतों में भींच लिया
“आह क्या कर रही हो' मैं दर्द से कराहा.
“हा हा हा”वह हँसने लगी वह घूम कर खड़ी हो गयी
“अब मेरी बारी” मैने कहा और हँसती खड़ी हुई शिखा को घुमा दिया अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
“अमन तुमको तो मैने मेरे चिपके हुए बालों को सूंघने को कहा था, तुम तो मेरी गुदा में आईईईईईईई” शिखा बोलते बोलते चीखने लगी
“अब आया मज़ा?” मैने पीछे से उसके निप्पल्स मसल्ते कहा
“आह छोड़ो न अमन”वह रुआंसी हो गयी
“अपनी टांगे हटाओ”मैने कड़क आवाज़ में कहा
“क्यों” उसने दर्द भारी आवाज़ में कहा, उसके निप्पल्स मैने ज़्यादा ही जोरों से मरोड़ दिए थे
“तुम सवाल बहुत पूछती हो”कहते हुए मैने उसकी टाँग फैलाई
“अच्छा?” उसने पूछा
“हाँ, अब अपनी दाईं टाँग कुर्सी के हत्थे पर रखो” मैने उसकी जांघों में उंगलियाँ फिराते कहा
“नहीं अमन जांगों के बालों में कुछ न करो बहुत बुरी गुदगुदी होती है” उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा
“अब तो ज़रूर करूँगा”कहते हुए मैने उसकी जांघों में हाथ चलना शुरू किया
“आहह नहीं”
“हाँ बिल्कुल” मैने उसके विरोध को दरकिनार करते उसकी दाई तंग उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रख दी.
“आहह अमन जो करना है जल्दी करों मेरी टाँग रबर की तरह लचीली नहीं है जो तुम ज़बरदस्ती चौड़ी कर रहे हो” शिखा परेशान होते बोली
“जो मैं कुछ करूँगा न शिखा, तुम्हारी दर्द भारी चीख से पूरा कमरा गूँज उठेगा”मैने उसे चेतावनी देते कहा
“रहने दो” वह अपने बालों को बाँधते हुए बोली”तुम बस बड़ी बड़ी हांकना जानते हो”
'बालों को खुला रहने दो शिखा तुम्हें चोद्ते हुए मैं उनकी खुश्बू लूँगा”मैने उसके बालों को पकड़ते कहा
“पहले बताते तो मैं गजरा लगा लेती, वैसे भी मेरे बाल तुम्हारी लिक्विड़ से उलझ कर चिपक गये हैं” उसने उलझे बालों को ठीक करते कहा
“रूको उन्हें उलझा ही रहने दो” कहते हुए मैने अपने बाएँ हाथ की उंगलियों से उसका योनि प्रदेश टटोला
'आह” वह चिहुन्क उठी”तुम्हारा नाख़ून गड़ गया”
“अभी तो बहुत कुछ गाड़ेगा”मैने कहा
“हाँ हाँ, तुम तो अपनी शेखी बघारोगे” उसने अपने चूतड़ मेरे लंड से रगड़ते कहा
“आहह शिखा, दुबारा करो” मैने कहा”तुम्हारी मक्खन जैसी गांड जब लॉड से छूती है तो बदन में करंट दौड़ जाता है सच्ची” मैने कहा
वह अपनी कमर को कार के वाइपर की भाँति हिला रही थी, और मेरी उंगलियाँ उसकी चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रही थी.
“आहह अमन” वह दर्द से बोली”बड़ा मज़ा आ रहा है” “रुक क्यों गये, और करो न”शिखा अन्मनि होते हुए बोली,
मैने उंगलियाँ उसकी चूत से निकाल ली थी”यह देखो क्या है?” मैने उसके सामने हाथ नचाते हुए कहा
“ईईईई यह मुझे क्यों दिखा रहे हो?” उसने चीख कर कहा”अपने हाथ दूर करो मुझसे”
“यह तुम्हारे चूत का रस है शिखा जी, गौर से देखो मेरे हाथों की इन उंगलियों को, तुम्हारी चूत का गाढ़ा रस इन्हें कितना चिपचिपा बना रहा है” मैने मज़ाक करते कहा.
“प्लीज़ अमन मुझे यह उंगलियों से मत छूना”उसने बदन चुराते कहा
“क्यों शिखा डार्लिंग?” मैने दूसरे हाथ से उसे करीब खींचते कहा
“मुझे घिन आती है” वह छूटने की कोशिश करते बोली
“अब यह देखो
“उसने मुझे देखा और देखती रह गयी,
मैं उसके देखते देखते ही अपनी पाँचों उंगलियाँ चाट गया”तुम बहुत नमकीन हो शिखा, अब से खाने में नमक कम डाला करना”मैने उसको छेड़ते कहा
“वाश्बेसिन कहा है?” उसने कसमसा कर कहा मैने उसे वाश्बेसिन दिखाया, वह भागते हुई गयी और थोड़ी ही देर में आवाज़ आने लगी”वॅक वॅक,,आक थू”
मै शॉर्ट्स पहने और बाल्कनी में गया,वा मेरी ओर पीठ किए खड़ी थी, उसके बाल खुले थे और आपस में उलझे हुए थे, कमीज़ पर सिलवट पड़ी हुई थी, और सलवार पहनी नही थी, पीछे का गला काफ़ी गहरा था और उसकी गर्दन के डायन तरफ कंधे से तोड़ा नीचे एक तिल था, इस हालत में भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी.
दबे पाँव मैं उसकी ओर गया और मुझे उसकी बातें सुनाई दी”अच्छा आज रात ऑफीस में ही रहोगे?”“क्या कहा दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रान्स्फर हो गया?”“ठीक है” कहते हुए उसने फोन काट दिया
मैने उसे पीछे से पकड़ लिया, अचानक से खुद को मेरी गिरफ़्त में देख कर वह घबरा गयी”अच्छा तुम हो मैं समझी...”
मैने उसकी बात काटते कहा”मैं समझी की वॉचमन होगा”
“छी कितनी गंदी सोच है तुम्हारी?” वह बोली
“सारे दिन मेरे साथ सेक्स किया और फिर भी पति की याद आ गयी?” मैने कहा
“नही उनका फोन आया था” उसने कहा मैं नीचे झुका और उसके कंधे के तिल को चूम कर कहा”तो आज आपके पति घर नही आएँगे?”
“हां” उसने अपने बालों को पीछे बाँधते कहा, उसने अपने मुँह में रब्बर बॅंड पकड़ा हुआ था
मैने उसके बूब्स दबाते कहा”तो फिर आज पूरी रात बॅंग बॅंग?” वह हँसे लगी, उसके मुँह से रब्बर बॅंड छूट कर नीचे गिर पड़ा, उसे उठाने वह नीचे झुकी और उसकी रेशमी काले बाल आज़ाद हो कर उसकी पीठ पर लहराने लगे.
मैने उसे उठा कर अपने बाएँ कंधे पर रख लिया और बेडरूम की तरफ बढ़ चला
“नही अमन मुझे नीचे उतारो मैं चिल्लाऊंगी”
“नही आज तो मैं तुम्हे सारी रात प्यार करूँगा” मैने उसको संभालते कहा
उसने मेरी पीठ पर काटा और गुद्दे मारने लगी
मैने उसे बेड पर लिटा दिया”शिखा जी आपका विरोध व्यर्थ है आज आप मेरे साथ कमाग्नि में जलेंगी” मैने उसकी शुद्ध हिन्दी में मज़ाक उड़ाया
“अमन जी मैं आपको सचेत कर दूं, आप मेरे पति की अनुपस्थिति में मुझसे संभोग करने की इच्छा कर रहे हैं| यह आप जैसी सभ्य पुरुष को शोभा नही देता कि आप अपने मित्र की पत्नी से रतिसुख की अपेक्षा करें”उसने मुझे चिढ़ाया
“मैं तो हूँ ही हरामी, दूसरे की बीवियों को चोद्ने में मुझे बड़ा आनंद आता है” मैने अपनी शॉर्ट्स खोलते कहा मेरा लंड उच्छल कर बाहर आ गया
“यदि ऐसा है, तो मैं उस आनंद से वंचित क्यूँ रहूं” शिखा ने कहा और मेरा लंड लपक कर पकड़ लिया”हे प्राण नाथ मैं अपने प्रेम की मुहर आप पर लगाउंगी अन्यथा न लें”उसने चुहल की
“अवश्य” मैने कहा और उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया,
मैने उसका सिर पकड़ लिया और उसके खुले बालों में अपनी उंगलियाँ फिरानी शुरू की लेकिन बाल कही कही उलझ गये थे”तुम अपने बालों का ध्यान नही रखती शिखा” मैने शिकायत करते कहा
एकदम से उसने अपने मुँह से मेरा लंड बाहर निकाला और उपर गर्दन करते मुझे देख कर कहा”यह सब आपकी कृपा है प्राण नाथ, दोपहर में आपके साथ संभोग करते समय आपके मुँह और लंड का गाढ़ा चिपचिपा द्रव्य मेरे केशों में लग गया इसी कारण मेरे केश उलझ गये” और हँसने लगी
“षट अप शिखा” मैने कहा
“विश्वास ना हो तो सूंघ कर देख लीजिए”, उसने अपने पीछे के बाल आगे कंधे पर लाते कहा
“हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फ़ारसी क्या” मैने कहा
“अभी लो” और वह हँसने लगी.
“ऐसी नहीं” मैने कहा”घूम कर खड़ी हो जाओं शिखा'
वह हँसने लगी”बॅक ओफिस में जॉब करना है क्या”
“पहले तुम उठो तो सही” मैने उसके कंधे पकड़ कर उठाते कहा
“जो आज्ञा प्राणनाथ” वह उठने लगी और उठते उठते उसने मेरे अंडकोष को अपने दाँतों में भींच लिया
“आह क्या कर रही हो' मैं दर्द से कराहा.
“हा हा हा”वह हँसने लगी वह घूम कर खड़ी हो गयी
“अब मेरी बारी” मैने कहा और हँसती खड़ी हुई शिखा को घुमा दिया अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी.
“अमन तुमको तो मैने मेरे चिपके हुए बालों को सूंघने को कहा था, तुम तो मेरी गुदा में आईईईईईईई” शिखा बोलते बोलते चीखने लगी
“अब आया मज़ा?” मैने पीछे से उसके निप्पल्स मसल्ते कहा
“आह छोड़ो न अमन”वह रुआंसी हो गयी
“अपनी टांगे हटाओ”मैने कड़क आवाज़ में कहा
“क्यों” उसने दर्द भारी आवाज़ में कहा, उसके निप्पल्स मैने ज़्यादा ही जोरों से मरोड़ दिए थे
“तुम सवाल बहुत पूछती हो”कहते हुए मैने उसकी टाँग फैलाई
“अच्छा?” उसने पूछा
“हाँ, अब अपनी दाईं टाँग कुर्सी के हत्थे पर रखो” मैने उसकी जांघों में उंगलियाँ फिराते कहा
“नहीं अमन जांगों के बालों में कुछ न करो बहुत बुरी गुदगुदी होती है” उसने मेरा हाथ पकड़ते कहा
“अब तो ज़रूर करूँगा”कहते हुए मैने उसकी जांघों में हाथ चलना शुरू किया
“आहह नहीं”
“हाँ बिल्कुल” मैने उसके विरोध को दरकिनार करते उसकी दाई तंग उठा कर कुर्सी के हत्थे पर रख दी.
“आहह अमन जो करना है जल्दी करों मेरी टाँग रबर की तरह लचीली नहीं है जो तुम ज़बरदस्ती चौड़ी कर रहे हो” शिखा परेशान होते बोली
“जो मैं कुछ करूँगा न शिखा, तुम्हारी दर्द भारी चीख से पूरा कमरा गूँज उठेगा”मैने उसे चेतावनी देते कहा
“रहने दो” वह अपने बालों को बाँधते हुए बोली”तुम बस बड़ी बड़ी हांकना जानते हो”
'बालों को खुला रहने दो शिखा तुम्हें चोद्ते हुए मैं उनकी खुश्बू लूँगा”मैने उसके बालों को पकड़ते कहा
“पहले बताते तो मैं गजरा लगा लेती, वैसे भी मेरे बाल तुम्हारी लिक्विड़ से उलझ कर चिपक गये हैं” उसने उलझे बालों को ठीक करते कहा
“रूको उन्हें उलझा ही रहने दो” कहते हुए मैने अपने बाएँ हाथ की उंगलियों से उसका योनि प्रदेश टटोला
'आह” वह चिहुन्क उठी”तुम्हारा नाख़ून गड़ गया”
“अभी तो बहुत कुछ गाड़ेगा”मैने कहा
“हाँ हाँ, तुम तो अपनी शेखी बघारोगे” उसने अपने चूतड़ मेरे लंड से रगड़ते कहा
“आहह शिखा, दुबारा करो” मैने कहा”तुम्हारी मक्खन जैसी गांड जब लॉड से छूती है तो बदन में करंट दौड़ जाता है सच्ची” मैने कहा
वह अपनी कमर को कार के वाइपर की भाँति हिला रही थी, और मेरी उंगलियाँ उसकी चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रही थी.
“आहह अमन” वह दर्द से बोली”बड़ा मज़ा आ रहा है” “रुक क्यों गये, और करो न”शिखा अन्मनि होते हुए बोली,
मैने उंगलियाँ उसकी चूत से निकाल ली थी”यह देखो क्या है?” मैने उसके सामने हाथ नचाते हुए कहा
“ईईईई यह मुझे क्यों दिखा रहे हो?” उसने चीख कर कहा”अपने हाथ दूर करो मुझसे”
“यह तुम्हारे चूत का रस है शिखा जी, गौर से देखो मेरे हाथों की इन उंगलियों को, तुम्हारी चूत का गाढ़ा रस इन्हें कितना चिपचिपा बना रहा है” मैने मज़ाक करते कहा.
“प्लीज़ अमन मुझे यह उंगलियों से मत छूना”उसने बदन चुराते कहा
“क्यों शिखा डार्लिंग?” मैने दूसरे हाथ से उसे करीब खींचते कहा
“मुझे घिन आती है” वह छूटने की कोशिश करते बोली
“अब यह देखो
“उसने मुझे देखा और देखती रह गयी,
मैं उसके देखते देखते ही अपनी पाँचों उंगलियाँ चाट गया”तुम बहुत नमकीन हो शिखा, अब से खाने में नमक कम डाला करना”मैने उसको छेड़ते कहा
“वाश्बेसिन कहा है?” उसने कसमसा कर कहा मैने उसे वाश्बेसिन दिखाया, वह भागते हुई गयी और थोड़ी ही देर में आवाज़ आने लगी”वॅक वॅक,,आक थू”