10-07-2021, 06:31 PM
मैने घड़ी देखी सुबह के 6 बज रहे थे उजाला हो चुका था कॅब वाला कभी भी आ सकता था,
उसने चाय बनाई और में ब्रश कर के आया. वह कुर्सी पर बैठी और चाय का एक घूँट लिया”तुम किसी ज़रूरत के बारे में बात कर रहे थे”
“हमम्म” मैने चाय की चुस्कियाँ लेते कहा”पहले तो यह की ये बात तुम अपने दिल से निकाल दो, की तुम कुछ ग़लत कर रही हो”
“और?” उसने दूसरी चुस्की ली
“और यह की यह जो तुम कर रही हो वह जिस्मानी ज़रूरत है”
“कैसे” उसने अपने बालों हाथों से साँवरते बोला”भूख लगने पर तुम क्या करती हो?” मैने अख़बार उठाते कहा
“ये कैसा सवाल है?” उसने कहा
“जवाब दो शिखा भूख लगने पर तुम क्या करती हो” मैने दोहराया
“भूख लगने पर इंसान खाना ख़ाता है, और क्या?” उसने अपने बालों को कलुतचेर से बाँधते हुए कहा.
“तो यह तुम्हारी भूख ही है, जो राजन के साथ होते हुए नहीं बुझती” मैं उठ कर उसके पीछे गया और उसके बालों का क्लट्चर निकाल कर टेबल पर रखा, उसके काले लंबे खुश्बुदार बाल आज़ाद हो गये.”और तुम्हारी भूख प्यास का इलाज केवल मेरे पास है” मैने झुक कर उसके बालों को सूँघा और बाए हाथ से उसके उभरे हुए उरूज़ पर हाथ फेरा.
उसने उतीज़ना से आँखें बंद कर ली और मेरा हाथ थाम लिया”शायद तुम सही कहते हो अमन” शिखा ने हल्की आवाज़ में कहा
“जब तुम मेरे साथ होती हो छोड़ दो यह बेकार की चिंता और स्ट्रेस” मैने अपने हाथों से उसके बूब्स मसल्ते कहा|
वैसे ही वो गर्म होने लगी.”आ अमन थोड़ा इधर...हाँ हाँ... थोड़ा नीचे हाआँ... प्लीज़ उसको पकड़ के मस्लो...बड़ा अच्छा लग रहा है”
मैं समझ गया था उसकी भावनाएँ भड़का कर ही उसको चुप कराया जा सकता था वरना वो ऐसे ही रोते चीखते मेरा दिन खराब करती. मैने उसको अपने कंधो से उठा लिया, एक झटके से उसके बाल खुल कर मेरी पीठ पर लहराने लगे. मेरी नंगी पीठ पर उसके रेशमी बालों की छुअन अजीब गुदगुदी का अहसास दे रही थी.
“अरे अमन छोड़ो मुझे प्लीज़ नीचे उतारो”“हा हा हा”“उसने अपने मुट्ठी भींच कर मेरी पर गुद्दे मारना शुरू किया”“मैं कहती हूँ नीचे उतारो मुझे... देखो सुबह हो गयी है” उसे मुझे मनाते हुए कहा”छोड़ो ना मुझे”
“तुम हाइपर हो रही थी मैने सोचा तुम्हारा मूड थोड़ा नॉर्मल किया जाए” मैने हंसते हुए कहा
“नही देखो सुबह हो गयी है राजन अभी आता ही होगा, तुम्हे बॅंगलॉर भी तो जाना है, मुझे तुम्हारा नाश्ता भी तो बनाना है, फ्लाइट मिस हो गयी तो?” एक ही साँस में वह सब बोल गयी
मैने उसको बिस्तर पर लिटाया और खुद अपनी अंडरवेर उतार कर बगल में फेंक दी उसने भाँप लिया की मैं उसके साथ सेक्स करना चाहूँगा
“नही अमन प्लीज़ सुबह का वक़्त है, सुबह सुबह सेक्स नही किया करते” उसने कहा
“मेरा तो जब मन चाहे तब सेक्स करता हूँ” मैने उसकी बातों को इग्नोर करते कहा
“ग़लत है यह” उसने सामने तकिया लाते कहा
“किसने कहा” मैने तकिया हाटते कहा,
उसने हंसते हुए मुँह दूसरी और फेरते कहा”आयुर्वेद में लिखा है”
“अच्छा?”“हन”“मैने आयुर्वेद नही पढ़ा काम्सुत्र पढ़ा है” मैने आँखें मिचका कर कहा
“चलो उसकी एक दो पोज़िशन आज़माते हैं” मैने हंसते हुए कहा
“अभी?” उसने आखें फैला कर हैरानी से कहा
“हाँ अभी इसी वक़्त” मैं बोला”2-4 शॉट लगाएँगे”
“अच्छा?” उसने पूछा
“हाँ”
“डॉगी स्टाइल करते हैं” उसने शरमाते हुए कहा
“नही पहले साइड किक करते हैं” मैने कहा
“नही, मेरी बम दुखती है बाबा” उसने परेशान होते हुए कहा
“बस एक ही शॉट” मैं मनाते हुए बोला
“अच्छा चलो ठीक है| लेकिन ज़्यादा ज़ोर से नही”
“ओके”
मैने उसका गऊन उतारने की कोशिश की उसने लेते लेते ही घुटने खड़े कर लिए
“क्या हुआ”
“मुझे शर्म आती है”
“तुम क्या पहली बार कर रही हो”
“फिर भी”
“पैर नीचे लिटाओ, मुझे गाऊन उतरना है”
“नही”
“जल्दी”
“तुमने तो बात दिल पे ले ली”
“हाँ”
“मैं तो बस मज़े ले रही थी”
“चलो अब ज़्यादा नखरे मत दिखाओ, मुझे लेट हो रहा है”
“मेरी बात सुनो आज रहने देते हैं, तुम्हारा कॅब वाला आ जाएगा तुम्हारी फ्लाइट छूट जाएगी”
“छूटने दो”
“तुम्हारा नाश्ता बनाना है, तुम भूखे कैसे जाओगे”
“तुम वह सब रहने दो, बाहर खा लूँगा कुछ”
“आआह नही”
मैने उसके हाथों के उपर अपने हाथ रख कर दबाया और कहा”बहाने मत बनाओ”
“प्लीज़ नही”
“आज तुम्हे शॉट नही लगाया तो अगले 3 दिन काम में मन नही लगेगा”
“नही ना”
“हाँ” और मैने उसके गाऊन के फटे हिस्से में उंगली डाली और उसको फाड़ते चला गया
“चिरर्र तररर...” की आवाज़ से गाऊन फट गया
“हाय मेरा नया गाऊन फाड़ डाला” उसने शर्मा कर कहा
“अभी तो और भी बहुत कुछ फाड़ना है” मैने मुस्कुरा कर कहा
“क्या फड़ोगे?” उसने मुझे अपनी ओर खींच कर कहा
“क्या फड़वाने का इरादा है?” मैने आँख मारी
“हटो शैतान” कह के उसने करवट बदली
“नही” कहते हुए मैने बाएँ हाथ से वापस ज़बरदस्ती उसे पीठ के बल लिटाया
“हा हा हा हा” वो हंस पड़ी
“चलो अब जल्दी अपने कपड़े उतरो शिखा, मुझे देर हो रही है, नो मोर एक्सक्यूसस” मैने उसे कहा
“तुम तो एकदम ऑफीसर की तरह हुक्म देते हो” उसने गाऊन उतरते हुए कहा.
मैने देखा उसका दूधिया शफ्फाक़ जिस्म पर अब केवल ब्रा और चड्डी थी
“ब्रा और चड्डी उतरने के लिए क्या अब राजन को बुलाना पड़ेगा?” मैने कहा
“हट शैतान” वह शरमाई
“तो उतार दो इसे भी, मैने बेड पर बैठते हुए कहा उसको नंगा इस हालत में देखते हुए अंजाने ही मेरा लंड फूल रहा था
“सच्ची उतार दूँ?” उसने पूछा
“हां बाबा” मैने हाथ जोड़ कर कहा
“ऐसे नहीं मेरे पैरों पर सिर झुका कर कहना होगा” उसने हुकुम सुनाया
मैने उसके पैरों के पास सिर रखा”प्लीज़ अब तो उतार दो?”
“हां ऐसे” उसने कहा”जब तक मैं ना कहूँ सिर ना उठना”
“अच्छा बाबा ओके, अब उतार भी दो, इतना क्या नखरा”
“देखो फिर ना नही कहना” उसने चेताया
“नही बाबा अब और मत खेलो”मैने कहा
“1...2...3” कहकर उसने एक झटके से मेरी गर्दन उठाई और अपनी पहनी हुई उतार कर अंडरवेर मेरे नाक पर दबा दी”हा हा हा हा...” वो ज़ोरों से हंसते हुए बोली
इधर मेरा बदबू के मारे बुरा हाल था”यक” मैने थूकते हुए कहा
“मज़ा आया न मिसटर अमन, पहले शॉट मारने के लिए बेचैन हो रहे थे मैने किसी गूगली डाल दी ना, बोल्ड हो गये” उसने शरारती हँसी हंसते हुए कहा
मैं लपक कर उस पर कूदा, और अपने नंगे बदन तले उसको दबाया दोनो हाथो से उसके हाथ पकड़े और अपने पैर के अंगूठो के बीच उसके पैर दबाए