10-07-2021, 06:28 PM
“आउच” मैने ज़ोरो से चीखा
शिखा ने मेरी चादर खींच ली थी
“बीप... बीप... बीप”“ओह साला अलार्म बज गया” मैने उठते हुए कहा
“ढपाक” की आवाज़ के साथ शिखा मेरे उपर औंधे मुँह कूदी और मुझे वापस बिस्तर पर पीठ के बल गिरा दिया अब वो मेरे उपर सवार थी और मैं पूरा नंगा पीठ के बल उसके नीचे लेटा हुआ था
“हटो शिखा अभी इस सब का वक़्त नही है” मैने उसको हटाने की कोशिश की”आआह नही” मैं दोबारा दर्द से कराहा उसने मेरे कान ज़ोरों से अपने दाँतों तले दबाए और काट खाए”उफ्फ”
“सुनो” वह फुस फुसाई
“नही देखो अलार्म क्लॉक बज रही है...5:30 बजे ड्राइवर आएगा, बॅंगलुर की फ्लाइट पकड़नी है” मैने मना करते हुए कहा
“हा हा हा” वह हंसते हुए बोली वो मेरी जांघों पर बैठ गयी मेरा लंड एकदम तन कर उसकी नाभि पर टिक गया, मेरे लंड को उसके गर्म मुलायम गद्देदार पेट का अहसास हुआ
“अभी मैं तुम्हे शिखा एरलाइन्स की फ्लाइट पर ले चलती हूँ” वह हंसते हुए बोली और फिर घुटनों के बाल बैठ कर तोड़ा उठ कर उसने अपनी अंडरगार्मेंट निकाल कर बगल में फेंक दी, दाएँ हाथ से उसने नाइट लॅंप बुझा दिया और बाएँ हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी पुच्चि में बेदर्दी से खींच कर घुसाया.
“उफ्फ क्या कर रही हो” मैं दर्द से चीखा
“तुम्हे प्यार कर रही हूँ” उसने झुक कर अपनी नाक मेरी नाक से टकरा कर कहा और बाए गाल को अपने जीभ से सहलाया”अभी 4:30 ही हुए हैं फ्लाइट सवा आठ की है, चलो ना एक शॉट मारते हैं” उसने मनाते हुए कहा
“आइी ईई”
“क्या हुआ मेरे राजा?”
“उफ़फ्फ़” मैं दोबारा हल्के से चीखा मेरा सबूत लंड उसकी पुच्चि में जा घुसा था और अब उसकी पुच्चि में धंसते हुए मेरे लंड का गुलाब खिल उठा था.
“अया” मेरे गर्म गुलाब को अपने अंदर पा कर उसने चैन की साँस ली.
मैने देखा मेरी जांघों को बीच अपनी टाँग फैलाए मेरे लंड को अपनी योनि में दबाए वह घुटनो के बल खड़ी हुई थी, उसके दोनो हथेलियन मेरी हथेलियों पर टिकी थी उसने अपनी गर्दन पीछे की ओर झुकाई और उसकी पुकचि मेरे लंड के इर्द गिर्द तेज़ी से दबाव बनाते हुए आ धँसी अब की बार मैने उसकी हथेलियों पर दो उंगलियों के बीच अपनी उंगलियाँ फसाईं और अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट ली और उसे उपर की ओर धक्का दिया.
“अयाया...उफ़फ्फ़” वह दर्द से बिलबिला उठी और उतनी ही तेज़ी से मुझ पर आ गिरी.
हमारी गर्म सांसो की आवाज़ से आज समा हाँफ रहा था सर्द अंधेरी रात में हम दोनो के जिस्म से पसीना पसीना हो गये थे वो धीरे धीरे उपर नीचे होने लगी, उसके उपर नीचे होते हुई जिस्म की छुअन से मेरा गुलाब भी अंदर बाहर होने लगा हौले हौले उसने अपनी स्पीड बधाई और उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी.
मैं उसकी तेज चलती साँसों की आवाज़ सुन कर हंस पड़ा ऐसे लग रहा था जैसे कोई स्टीम एंजिन पफ पफ करते हुए जा रहा हो.
“क्या हुआ ऐसे पागलों के जैसे हंस क्यो रहे हो?” वह गुस्सा हो कर बोली और उसने मेरे लंड पर अपनी चूत की दीवारों से दबाव बढ़ाया,
मुझे गुदगुदी हो रही थी”हा हा हा” मैने उस गुदगुदी से खुद को बचाने के लिए खुद को सिकोड़ना चाहा
“आइ नही.....तुम्हारी चिकनी डंडी मेरी गिरफ़्त से निकल रही है... हँसो मत” वह अपने दाँत भींच कर बोली - उसने अपने हथेलियों की पकड़ मेरी हथेलियों पर और मज़बूत की, किसी भी कीमत पर वो मेरे लंड को अपनी छूट से निकालने नही देना चाहती थी
“स्लॉप” की आवाज़ से मेरा लंड उसकी पुच्चि से निकल गया मैने देखा उस नीली रोशनी में मेरी जांघों के बीच मेरा लंड मीनार की तरह टन कर खड़ा था और हमारी मुहब्बत के रंग में सराबोर हो कर चौदहवी के चाँद की तरह चमक रहा था.
“सब गड़बड़ कर दिया तुमने” शिखा शिकायती लहज़े में बोली”कुछ देर अपनी हँसी कंट्रोल नही कर सकते थे?”“तुम जानते हो की अब 4-5 दीनो तक मुझे तुम्हारा प्यार नही मिलेगा” उसकी आँखों में आँसू भर आए”तुम हमेशा अपनी मनमानी करते हो” उसने रुआंसी हो कर कहा”कभी मेरा ख़याल नही करते”
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शिखा की कद्र उसके पति राजन को न थी, वह हमेशा उसको सबके सामने जली-कटी सुना कर बेइज्जत करता. असल में उस जैसा इंसान, किसी भी लिहाज से शिखा के लायक नहीं था| उसकी शिखा के लिए बेरूख़ी का ही नतीजा था कि उसे अमन की बाँहों के सहारे की ज़रूरत पड़ी, और अमन ने हाथ में आया हुआ मौका लपका. अब यह शिखा की चरित्रहीनता थी या राजन की रिश्तों को लेकर असंवेदनशीलता, कुछ कह नहीं सकते हाँ, राजन एक पति के तौर पर पूरी तरह”फेल' हुआ
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