10-07-2021, 06:25 PM
शिखा बेंद्रे, अपने पति राजन बेंद्रे के साथ मेरे सामने वाले फ्लॅट में रहती थी, दोनो की शादी हुए 3 साल हो गये लेकिन कोई औलाद नहीं|
राजन एक कंपनी में काम करता था और टुरिंग जॉब होने की वजह से सफ़र करता|
शिखा एक हाउसवाइफ थी. दोनो अपर मिडिल क्लास मराठी कपल थे और गैर मराठी लोगों से ज़्यादा बात नहीं करते.
वह तो मैं तीन महीने पहले इनके सामने वाले फ्लॅट में शिफ्ट हुआ तो बात चीत शुरू हुई.
मुझे आज भी याद है वो दिन जब शिखा ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया था|
दोपहर के बारह बज रहे थे और मैं अभी सो कर उठा ही था, टूथ ब्रश हाथ में लिए हुए मैं टूथ पेस्ट लगा ही रहा था की घंटी बजी”अब कौन मरने आ गया इस वक्त”मैने सोचा और दरवाज़ा खोला|
जो सामने देखा तो हैरान रह गया. हरी रेशमी ट्रडीशनल नौ गज की पीली साड़ी पहने एक दम गोरी, पतली बौहों, बड़ी आँखों और लाल होंठों वाली सुंदर लड़की अपना पल्लू ठीक करते हुए सामने खड़ी थी.
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने पूछा उसके होंठ एक दूसरे से जुदा हुए हुए और मैं एकटक उन्हें देखता रहा
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने तेज आवाज़ में पूछा.
मेरा ध्यान टूटा”ओह... माफ़ कीजिएगा अपने कुछ कहा?”“मैने पूछा
भाभी जी घर पर हैं?” एक एक शब्द पर ज़ोर देती हुई शिखा ने झल्ला कर पूछा.
“जी नहीं, मैं शादीशुदा नहीं हूँ”मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैं अभी भी उसकी सुंदरता को एकटक अपनी आँखों से निहार रहा था, वाकई शिखा ऐसी खूबसूरत दिखती थी कि हर मर्द वैसी खूबसूरत बीवी पाने की दुआ करता हो.
“क्या? आर यू बॅचलर?” पीछे से एक तेज आवाज़ सुनाई दी मैने देखा तकरीबन पाँच फुट ८ इंच का साँवले से थोड़ा काला और दुबला आदमी बनियान और पायज़मा पहने सामने खड़ा था|
“जी साहब” मैने जवाब दिया
“हाउ इस दिस पॉसिब्ल? और सोसाइटी डोज़्न्ट अलौज़ बॅचलर टेनेंट” वह आदमी अपनी इंग्लीश झाड़ते हुए बोला
“आई बेग युवर पार्डन, आई एम नॉट ए टेनेंट आई एम ओनर” मैने कहा
“ओ आई सी...सॉरी आई फॉर मिस अंडरस्टॅंडिंग”वह झेंपते हुए बोला
मैने बुदबुदाते हुए कहा”यू शुड बी...”
“वॉट? डिड यू साइड सम्तिंग?” उसने चौंक कर पूछा
“साले के कान बड़े तेज हैं”मैने मन ही मन सोचा”आई जस्ट विस्पर्ड इट्स ओके”मैने मुस्कुराते कहा
“एनीवे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ... आई एम राजन बेंद्रे असोसीयेट वाइस प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” लेकिन वह अपनी बात पूरी न कर सका,
उसकी पत्नी शिखा चिल्लाई”अर्रर...दूध उबल गया” शिखा को दूध जलने की महक आई और वह उल्टे पाँव भागी
“वॉट? हाउ कम?” राजन ने उसकी ओर मूड कर तेज़ आवाज़ में कहा”स्टुपिड वुमन...”
मैं सन्न रह गया मैने शिखा को देखा, उसे अपने पति द्वारा किसी अंजन आदमी के सामने की गयी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसकी आँखें भर आईं,
मैं कुछ कहने जा ही रहा था कि राजन बेंद्रे मेरी ओर मुखातिब हुआ
“एक्सकूज़ अस” और मेरा कहना न सुनते हुए”भड़ाक” से मेरे मुँह पर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.
राजन के लिए गुस्से, और शिखा के लिए हमदर्दी और दोनो के अजीबोगरीब बिहेवियर से हैरत भरे जसबातों मुझ पर हावी हो गये”चूतिया साला” गुस्से से यह लफ्ज़ मेरे मुँह से निकला|”.
जी साहब” नीचे सीढ़ियों से आवाज़ आई
यह आवाज़ लुटिया रहमान थी, लुटिया हमारी सोसाइटी में कचरा बीना करता था और कान से कमज़ोर था.”साहेब अपने अपुन को याद किया?”
“नहीं भई”मैने मुँह फेरते कहा, राजन की अपनी बीवी से बदसलूकी से मेरा मन उचट गया था.
“साहेब कचरा डाले नही हैं क्या आज?”“डॅस्टबिन में पड़ा है उठा लो” मैने कहा और अंदर चला गया.
#
राजन एक कंपनी में काम करता था और टुरिंग जॉब होने की वजह से सफ़र करता|
शिखा एक हाउसवाइफ थी. दोनो अपर मिडिल क्लास मराठी कपल थे और गैर मराठी लोगों से ज़्यादा बात नहीं करते.
वह तो मैं तीन महीने पहले इनके सामने वाले फ्लॅट में शिफ्ट हुआ तो बात चीत शुरू हुई.
मुझे आज भी याद है वो दिन जब शिखा ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया था|
दोपहर के बारह बज रहे थे और मैं अभी सो कर उठा ही था, टूथ ब्रश हाथ में लिए हुए मैं टूथ पेस्ट लगा ही रहा था की घंटी बजी”अब कौन मरने आ गया इस वक्त”मैने सोचा और दरवाज़ा खोला|
जो सामने देखा तो हैरान रह गया. हरी रेशमी ट्रडीशनल नौ गज की पीली साड़ी पहने एक दम गोरी, पतली बौहों, बड़ी आँखों और लाल होंठों वाली सुंदर लड़की अपना पल्लू ठीक करते हुए सामने खड़ी थी.
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने पूछा उसके होंठ एक दूसरे से जुदा हुए हुए और मैं एकटक उन्हें देखता रहा
“भाभी जी घर पर हैं?” उसने तेज आवाज़ में पूछा.
मेरा ध्यान टूटा”ओह... माफ़ कीजिएगा अपने कुछ कहा?”“मैने पूछा
भाभी जी घर पर हैं?” एक एक शब्द पर ज़ोर देती हुई शिखा ने झल्ला कर पूछा.
“जी नहीं, मैं शादीशुदा नहीं हूँ”मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया मैं अभी भी उसकी सुंदरता को एकटक अपनी आँखों से निहार रहा था, वाकई शिखा ऐसी खूबसूरत दिखती थी कि हर मर्द वैसी खूबसूरत बीवी पाने की दुआ करता हो.
“क्या? आर यू बॅचलर?” पीछे से एक तेज आवाज़ सुनाई दी मैने देखा तकरीबन पाँच फुट ८ इंच का साँवले से थोड़ा काला और दुबला आदमी बनियान और पायज़मा पहने सामने खड़ा था|
“जी साहब” मैने जवाब दिया
“हाउ इस दिस पॉसिब्ल? और सोसाइटी डोज़्न्ट अलौज़ बॅचलर टेनेंट” वह आदमी अपनी इंग्लीश झाड़ते हुए बोला
“आई बेग युवर पार्डन, आई एम नॉट ए टेनेंट आई एम ओनर” मैने कहा
“ओ आई सी...सॉरी आई फॉर मिस अंडरस्टॅंडिंग”वह झेंपते हुए बोला
मैने बुदबुदाते हुए कहा”यू शुड बी...”
“वॉट? डिड यू साइड सम्तिंग?” उसने चौंक कर पूछा
“साले के कान बड़े तेज हैं”मैने मन ही मन सोचा”आई जस्ट विस्पर्ड इट्स ओके”मैने मुस्कुराते कहा
“एनीवे... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ... आई एम राजन बेंद्रे असोसीयेट वाइस प्रेसीडेंट, बॅंक ऑफ...” लेकिन वह अपनी बात पूरी न कर सका,
उसकी पत्नी शिखा चिल्लाई”अर्रर...दूध उबल गया” शिखा को दूध जलने की महक आई और वह उल्टे पाँव भागी
“वॉट? हाउ कम?” राजन ने उसकी ओर मूड कर तेज़ आवाज़ में कहा”स्टुपिड वुमन...”
मैं सन्न रह गया मैने शिखा को देखा, उसे अपने पति द्वारा किसी अंजन आदमी के सामने की गयी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसकी आँखें भर आईं,
मैं कुछ कहने जा ही रहा था कि राजन बेंद्रे मेरी ओर मुखातिब हुआ
“एक्सकूज़ अस” और मेरा कहना न सुनते हुए”भड़ाक” से मेरे मुँह पर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.
राजन के लिए गुस्से, और शिखा के लिए हमदर्दी और दोनो के अजीबोगरीब बिहेवियर से हैरत भरे जसबातों मुझ पर हावी हो गये”चूतिया साला” गुस्से से यह लफ्ज़ मेरे मुँह से निकला|”.
जी साहब” नीचे सीढ़ियों से आवाज़ आई
यह आवाज़ लुटिया रहमान थी, लुटिया हमारी सोसाइटी में कचरा बीना करता था और कान से कमज़ोर था.”साहेब अपने अपुन को याद किया?”
“नहीं भई”मैने मुँह फेरते कहा, राजन की अपनी बीवी से बदसलूकी से मेरा मन उचट गया था.
“साहेब कचरा डाले नही हैं क्या आज?”“डॅस्टबिन में पड़ा है उठा लो” मैने कहा और अंदर चला गया.
#