10-07-2021, 02:53 PM
ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की चोली के ऊपर के हिस्से को जंगली अंदाज में चूमने चाटने लगे थे.. मेरी दीदी का बदन उन्हें बेहद नरम गरम और मुलायम लग रहा था.. ठाकुर साहब ने आज तक बहुत सारी लड़कियों और औरतों के साथ संभोग किया था पर मेरी बहन का बदन उन्हें कुछ अलग नशा दे रहा था.. मेरी दीदी का बदन बेहद मांसल और नरम है इसलिए ठाकुर साहब को बड़ा मजा आ रहा था..
अब मेरी रूपाली दीदी जितना हो सकता था उतना प्रतिरोध करने लगी थी ठाकुर साहब का, पर आखिर क्या कर पाती, मेरी बहन ठहरी एक नाजुक मुलायम सी हाउसवाइफ और ठाकुर साहब तो एक खूंखार ताकतवर गुंडे थे.. मेरी रुपाली दीदी कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस ठाकुर साहब से छोड़ देने का गुहार लगा रही थी.. पर ठाकुर साहब तो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे...
दोनों मोटे कंबल के अंदर ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के त्रिकोण पर अपने मुसल का दबाव बढ़ा दिया था.. आज तो बस मेरी रूपाली दीदी को चोद देना चाहते थे ठाकुर साहब..
मेरी रूपाली दीदी: आअ ईईईईईई माआआ... ठाकुर साहब प्लीज छोड़ दीजिए मुझे..
ठाकुर साहब: नहीं रूपाली... आज तो किसी भी कीमत पर नहीं.. मुझे कर लेने दो ना..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन को चाट रहे थे लगातार.. उन्होंने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी बहन की साड़ी को खींच दि और उनकी कमर से खींचकर ढीला करने लगे... मेरी रूपाली दीदी लगातार ठाकुर साहब का विरोध कर रही थी.. उनको धक्का देकर हटाना चाहती थी.. मेरी बहन अपनी दोनों टांगों की जोर से उनको धकेलने की कोशिश कर रही थी .. मेरी बहन को एक अजीब तरह का एहसास हुआ था जब ठाकुर साहब ने उनको चुम्मा लिया था.. पर मेरी दीदी जानती थी कि यह ठीक नहीं हो रहा है.. वह बिल्कुल भी ठाकुर साहब के साथ ऐसा नहीं करना चाहती थी.. ठाकुर साहब के दोनों हाथ लगातार मेरी रुपाली दीदी की दोनों चुचियों के साथ खेल रहे थे.. वह तो मेरी बहन की चोली को ही फाड़ देना चाहते थे क्योंकि वह चोली खोलने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे.
ठाकुर साहब की जोर-जबर्दस्ती के कारण मेरी बहन की चोली के ऊपर के दो बटन टूट गए थे.. वह ऊपर की ओर आकर एक बार फिर मेरी बहन के होठों को चूमने लगे.. ठाकुर साहब की वासना के जाल से बचने के लिए मेरी रूपाली दीदी अपने चेहरे को कभी दाएं तो कभी बाय घुमाने लगी.. ठाकुर साहब के हाथ जो भी लग रहा था वह तो वहीं पर चुम्मा दिए जा रहे थे.. मेरी दीदी के गाल को.. उनके कान को.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे मेरी बहन के साथ...
इस जंगली प्यार की वजह से कंबल तो नीचे खिसक चुका था.. ठाकुर साहब अपने ऊपर के बदन को नंगा कर चुके थे, मेरी रूपाली दीदी के ऊपर चढ़े हुए थे.. मेरी बहन की साड़ी भी लगभग खुल चुकी थी.. एक हाथ से ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की चूची दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी को घुटनों से ऊपर उठाने की कोशिश कर रहे थे.. उन्होंने मेरी दीदी की साड़ी को जांघों तक पहुंचा दिया था.. मेरी दीदी अपनी टांगों से उनको धक्का देने की कोशिश कर रही थी.. ठाकुर साहब अपने पजामे का नाड़ा ढीला करने लगे थे.. उन्होंने मेरी बहन के घुटने को हल्का सा मोड़ दिया था और उनकी टांगों के बीच में अपना जगह बनाने की कोशिश करने लगे थे... ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों टांगों को जितना हो सके उतना चौड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.. पर जैसा ठाकुर साहब सोचते थे यह उतना आसान नहीं था.. मेरी रूपाली दीदी अपनी पूरी ताकत से उनका प्रतिरोध कर रही थी.. ठाकुर साहब अब मेरी बहन की चोली खोलने के लिए उत्सुक नहीं लग रहे थे.. अब तो वह बस एक बार मेरी रुपाली दीदी की गरम गुलाबी चूत में लंड घुसा लेना चाहते थे...
अचानक सोनिया जग गई और मम्मी.. मम्मी.. चिल्लाने लगी.. मेरी बहन ठाकुर साहब को धक्का देने लगी पर ठाकुर साहब 1 इंच टस से मस नहीं हो रहे थे.. बिस्तर पर होने वाली हलचल के कारण सोनिया की आंख खुलने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी कि सोनिया उनको ठाकुर साहब को इस हालत में देखें..
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपसे भीख मांगती हूं.. प्लीज अभी मुझे छोड़ दीजिए.. मेरी बेटी जगने वाली है..दया कीजिए ..
ठाकुर साहब: कोई बात नहीं.. देखने दो उसको..
ठाकुर साहब किसी भी कीमत पर मेरी बहन की लेना चाहते थे .. उन्होंने अपना खूंखार लंड बाहर निकाला और मेरी दीदी की छेद पर टिका दिया.. मेरी दीदी को एहसास हो गया था.. तकरीबन 9 इंच लंबा 3 इंच मोटा लौड़ा उनके त्रिकोण के ऊपर पैंटी के ऊपर से रगड़ खा रहा था... मेरी दीदी को उस चीज का एहसास हो चुका था कि यह कितना बड़ा मोटा और खूंखार है... ठाकुर साहब के मोटे काले रंग के लंड पर मोटी मोटी नस दिख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की जांघों पर अपना मोटा मुसल रगड़ रहे थे.. मेरी बहन थरथर कांप रही थी.. मेरी रूपाली दीदी को गर्मी का एहसास होने लगा था.. वह लगभग रोने लगी थी यह सोच कर कि अगर यह हो गया तो फिर वह कहां जाएगी.. किसके सहारे रहेगी.. किसको अपना मुंह दिखाएगी.. मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर ठाकुर साहब को धक्का दिया और उनको बेड के नीचे गिरा दिया.. मेरी रूपाली दीदी अपनी चोली को ठीक करने लगी.. बड़ी तेजी से.. फिर उन्होंने अपनी साड़ी से खुद को ढक लिया और कंबल भी अपने ऊपर खींच ली..
उसके बाद मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसको थपकी देकर सुलाने लगी... ठाकुर साहब अपनी आंखों में हवस के अंगारे लिए हुए मेरी बहन को देख रहे थे और लोड़े को भी जो मुरझा गया था... उनको पहले बेहद गुस्सा तो आया पर वह फिर धीरे-धीरे शांत हो गए...
सोनिया फिर से नींद की आगोश में जा चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
मेरी रुपाली दीदी: ठाकुर साहब.. कुछ तो सोचिए... यह क्या हैवानियत कर रहे थे आप मेरे साथ...
ठाकुर साहब ने मन ही मन सोचा.. सच में यह आज कुछ ज्यादा ही हो गया.. इस मासूम हसीना की लेने के लिए यह तरीका ठीक नहीं था... जोर जबरदस्ती के साथ चोद देना ठीक नहीं है.. ठाकुर साहब ने अपना सर झुका लिया..
ठाकुर साहब: मैं क्या करता... मुझसे रहा नहीं गया.. तुम इतनी खूबसूरत हो तुमको देखकर मैं पागल हो गया था... रूपाली...
मेरी रूपाली दीदी : प्लीज ठाकुर साहब... यह सब बंद कीजिए.. मैं आपसे उम्र में ... मैं तो आपकी बेटी जैसी हूं... आप तो मेरे पति को बेटा कह कर बुलाते हो...
मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से लड़खड़ा रही थी बोलते हुए.. उनकी सांसे तेज तेज चल रही थी..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को सांत्वना देने की कोशिश की.. उन्होंने पानी का ग्लास भी मेरी दीदी को दिया.. पानी का ग्लास लेते हुए मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब अपने होशो हवास में आ चुके हैं.
मेरी रूपाली दीदी खुद को संयमित करने का प्रयास करने लगी थी..
ठाकुर साहब: रुपाली... जाओ तुम अपनी जगह पर सो जाओ नहीं तो सोनिया जाग जाएगी.
मेरी रूपाली दीदी: नहीं मुझे आपसे डर लग रहा है.. कहीं फिर आप मेरे साथ... नहीं मैं वहां नहीं सो रही..
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली.. तुम सोनिया को बीच में सुला दो.. मैं तुम्हारी जगह पर सो जाता हूं..
मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को आश्चर्य से देखने लगी..
ठाकुर साहब: मेरा विश्वास करो रूपाली.. मैं अब कुछ नहीं करूंगा तुम्हारे साथ...
मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए ठाकुर साहब की जगह पर जाने लगी और लेट गई सोनिया बीच में थी और ठाकुर साहब दूसरी तरफ...
अगले 2 घंटे तक मेरे रुपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों में से किसी को भी नींद नहीं आई... मेरी रूपाली दीदी सोच रही थी और भगवान को धन्यवाद दे रही थी कि उन्होंने इतनी शक्ति दे कि उन्होंने इस हालत में भी ठाकुर साहब को मनमानी नहीं करने दी.... दूसरी तरफ ठाकुर साहब निराश होकर लेटे हुए थे...
ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ एक प्यारा रोमांटिक चुदाई करने के मूड में थे.. और ठाकुर साहब सफल नहीं हो पाए थे.. पर ठाकुर साहब के अंदर की गर्मी शांत नहीं हुई थी.. वह मेरी बहन को हर कीमत पर चोदना चाहते थे.. शायद इसीलिए उनकी पत्नी उनको छोड़कर चली गई थी...
वैसे भी ठाकुर साहब को रंडियों के साथ मजा नहीं आता था.. वह एक घरेलू पतिव्रता नारी चाहते थे.. जो मेरी रुपाली दीदी के रूप में उनके हाथ आई थी... वह मेरी बहन को चाहते भी थे.. इसीलिए तो हमारे परिवार को अपने घर में लेकर आए थे.. सोचते हुए ठाकुर साहब को नींद आ गई.. सब कुछ नॉर्मल हो चुका था बिस्तर पर.. मेरी दीदी भी नींद की आगोश में जा चुकी थी..
मेरे जीजू: अरे रूपाली.. कल रात तुम्हारे बेडरूम का दरवाजा क्यों बंद था... मेरी दीदी घबरा गई पर खुद को संभाला..
मेरी रूपाली दीदी: वह कल रात हॉल से अजीब अजीब गाने की आवाज आ रही थी इसलिए.. सोनिया ठीक से सो नहीं पा रही थी..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. कल रात को ही हॉल में गंदे गंदे भोजपुरी गाने बजा रहा था.. तुम्हारा भाई सेंडी तो नहीं था..
मेरी रूपाली दीदी: सैंडी नहीं रोहन होगा... सैंडी को तो पता भी नहीं होगा इन सब गानों के बारे में ...
जीजू: तुम ठीक कह रही हो.. रोहन अच्छा लड़का नहीं है..
मेरी रुपाली दीदी: खैर छोड़ो बच्चों को... आप तो ठीक हो ना.
मेरे जीजू: हां मेरी जान आई लव यू..
लव यू टू अनूप... मेरी दीदी बोली...
अब मेरी रूपाली दीदी जितना हो सकता था उतना प्रतिरोध करने लगी थी ठाकुर साहब का, पर आखिर क्या कर पाती, मेरी बहन ठहरी एक नाजुक मुलायम सी हाउसवाइफ और ठाकुर साहब तो एक खूंखार ताकतवर गुंडे थे.. मेरी रुपाली दीदी कुछ भी नहीं कर पा रही थी बस ठाकुर साहब से छोड़ देने का गुहार लगा रही थी.. पर ठाकुर साहब तो बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं थे...
दोनों मोटे कंबल के अंदर ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन के त्रिकोण पर अपने मुसल का दबाव बढ़ा दिया था.. आज तो बस मेरी रूपाली दीदी को चोद देना चाहते थे ठाकुर साहब..
मेरी रूपाली दीदी: आअ ईईईईईई माआआ... ठाकुर साहब प्लीज छोड़ दीजिए मुझे..
ठाकुर साहब: नहीं रूपाली... आज तो किसी भी कीमत पर नहीं.. मुझे कर लेने दो ना..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की गर्दन को चाट रहे थे लगातार.. उन्होंने अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरी बहन की साड़ी को खींच दि और उनकी कमर से खींचकर ढीला करने लगे... मेरी रूपाली दीदी लगातार ठाकुर साहब का विरोध कर रही थी.. उनको धक्का देकर हटाना चाहती थी.. मेरी बहन अपनी दोनों टांगों की जोर से उनको धकेलने की कोशिश कर रही थी .. मेरी बहन को एक अजीब तरह का एहसास हुआ था जब ठाकुर साहब ने उनको चुम्मा लिया था.. पर मेरी दीदी जानती थी कि यह ठीक नहीं हो रहा है.. वह बिल्कुल भी ठाकुर साहब के साथ ऐसा नहीं करना चाहती थी.. ठाकुर साहब के दोनों हाथ लगातार मेरी रुपाली दीदी की दोनों चुचियों के साथ खेल रहे थे.. वह तो मेरी बहन की चोली को ही फाड़ देना चाहते थे क्योंकि वह चोली खोलने में खुद को असहज महसूस कर रहे थे.
ठाकुर साहब की जोर-जबर्दस्ती के कारण मेरी बहन की चोली के ऊपर के दो बटन टूट गए थे.. वह ऊपर की ओर आकर एक बार फिर मेरी बहन के होठों को चूमने लगे.. ठाकुर साहब की वासना के जाल से बचने के लिए मेरी रूपाली दीदी अपने चेहरे को कभी दाएं तो कभी बाय घुमाने लगी.. ठाकुर साहब के हाथ जो भी लग रहा था वह तो वहीं पर चुम्मा दिए जा रहे थे.. मेरी दीदी के गाल को.. उनके कान को.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे मेरी बहन के साथ...
इस जंगली प्यार की वजह से कंबल तो नीचे खिसक चुका था.. ठाकुर साहब अपने ऊपर के बदन को नंगा कर चुके थे, मेरी रूपाली दीदी के ऊपर चढ़े हुए थे.. मेरी बहन की साड़ी भी लगभग खुल चुकी थी.. एक हाथ से ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की चूची दबा रहे थे और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी को घुटनों से ऊपर उठाने की कोशिश कर रहे थे.. उन्होंने मेरी दीदी की साड़ी को जांघों तक पहुंचा दिया था.. मेरी दीदी अपनी टांगों से उनको धक्का देने की कोशिश कर रही थी.. ठाकुर साहब अपने पजामे का नाड़ा ढीला करने लगे थे.. उन्होंने मेरी बहन के घुटने को हल्का सा मोड़ दिया था और उनकी टांगों के बीच में अपना जगह बनाने की कोशिश करने लगे थे... ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों टांगों को जितना हो सके उतना चौड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.. पर जैसा ठाकुर साहब सोचते थे यह उतना आसान नहीं था.. मेरी रूपाली दीदी अपनी पूरी ताकत से उनका प्रतिरोध कर रही थी.. ठाकुर साहब अब मेरी बहन की चोली खोलने के लिए उत्सुक नहीं लग रहे थे.. अब तो वह बस एक बार मेरी रुपाली दीदी की गरम गुलाबी चूत में लंड घुसा लेना चाहते थे...
अचानक सोनिया जग गई और मम्मी.. मम्मी.. चिल्लाने लगी.. मेरी बहन ठाकुर साहब को धक्का देने लगी पर ठाकुर साहब 1 इंच टस से मस नहीं हो रहे थे.. बिस्तर पर होने वाली हलचल के कारण सोनिया की आंख खुलने लगी थी.. मेरी रूपाली दीदी किसी भी कीमत पर नहीं चाहती थी कि सोनिया उनको ठाकुर साहब को इस हालत में देखें..
मेरी रूपाली दीदी: मैं आपसे भीख मांगती हूं.. प्लीज अभी मुझे छोड़ दीजिए.. मेरी बेटी जगने वाली है..दया कीजिए ..
ठाकुर साहब: कोई बात नहीं.. देखने दो उसको..
ठाकुर साहब किसी भी कीमत पर मेरी बहन की लेना चाहते थे .. उन्होंने अपना खूंखार लंड बाहर निकाला और मेरी दीदी की छेद पर टिका दिया.. मेरी दीदी को एहसास हो गया था.. तकरीबन 9 इंच लंबा 3 इंच मोटा लौड़ा उनके त्रिकोण के ऊपर पैंटी के ऊपर से रगड़ खा रहा था... मेरी दीदी को उस चीज का एहसास हो चुका था कि यह कितना बड़ा मोटा और खूंखार है... ठाकुर साहब के मोटे काले रंग के लंड पर मोटी मोटी नस दिख रही थी.. ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी की जांघों पर अपना मोटा मुसल रगड़ रहे थे.. मेरी बहन थरथर कांप रही थी.. मेरी रूपाली दीदी को गर्मी का एहसास होने लगा था.. वह लगभग रोने लगी थी यह सोच कर कि अगर यह हो गया तो फिर वह कहां जाएगी.. किसके सहारे रहेगी.. किसको अपना मुंह दिखाएगी.. मेरी रूपाली दीदी ने पूरी ताकत लगाकर ठाकुर साहब को धक्का दिया और उनको बेड के नीचे गिरा दिया.. मेरी रूपाली दीदी अपनी चोली को ठीक करने लगी.. बड़ी तेजी से.. फिर उन्होंने अपनी साड़ी से खुद को ढक लिया और कंबल भी अपने ऊपर खींच ली..
उसके बाद मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी बाहों में ले लिया और उसको थपकी देकर सुलाने लगी... ठाकुर साहब अपनी आंखों में हवस के अंगारे लिए हुए मेरी बहन को देख रहे थे और लोड़े को भी जो मुरझा गया था... उनको पहले बेहद गुस्सा तो आया पर वह फिर धीरे-धीरे शांत हो गए...
सोनिया फिर से नींद की आगोश में जा चुकी थी.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे..
मेरी रुपाली दीदी: ठाकुर साहब.. कुछ तो सोचिए... यह क्या हैवानियत कर रहे थे आप मेरे साथ...
ठाकुर साहब ने मन ही मन सोचा.. सच में यह आज कुछ ज्यादा ही हो गया.. इस मासूम हसीना की लेने के लिए यह तरीका ठीक नहीं था... जोर जबरदस्ती के साथ चोद देना ठीक नहीं है.. ठाकुर साहब ने अपना सर झुका लिया..
ठाकुर साहब: मैं क्या करता... मुझसे रहा नहीं गया.. तुम इतनी खूबसूरत हो तुमको देखकर मैं पागल हो गया था... रूपाली...
मेरी रूपाली दीदी : प्लीज ठाकुर साहब... यह सब बंद कीजिए.. मैं आपसे उम्र में ... मैं तो आपकी बेटी जैसी हूं... आप तो मेरे पति को बेटा कह कर बुलाते हो...
मेरी रूपाली दीदी पूरी तरह से लड़खड़ा रही थी बोलते हुए.. उनकी सांसे तेज तेज चल रही थी..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन को सांत्वना देने की कोशिश की.. उन्होंने पानी का ग्लास भी मेरी दीदी को दिया.. पानी का ग्लास लेते हुए मेरी रूपाली दीदी ने महसूस किया कि ठाकुर साहब अपने होशो हवास में आ चुके हैं.
मेरी रूपाली दीदी खुद को संयमित करने का प्रयास करने लगी थी..
ठाकुर साहब: रुपाली... जाओ तुम अपनी जगह पर सो जाओ नहीं तो सोनिया जाग जाएगी.
मेरी रूपाली दीदी: नहीं मुझे आपसे डर लग रहा है.. कहीं फिर आप मेरे साथ... नहीं मैं वहां नहीं सो रही..
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली.. तुम सोनिया को बीच में सुला दो.. मैं तुम्हारी जगह पर सो जाता हूं..
मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को आश्चर्य से देखने लगी..
ठाकुर साहब: मेरा विश्वास करो रूपाली.. मैं अब कुछ नहीं करूंगा तुम्हारे साथ...
मेरी रूपाली दीदी घबराते हुए ठाकुर साहब की जगह पर जाने लगी और लेट गई सोनिया बीच में थी और ठाकुर साहब दूसरी तरफ...
अगले 2 घंटे तक मेरे रुपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों में से किसी को भी नींद नहीं आई... मेरी रूपाली दीदी सोच रही थी और भगवान को धन्यवाद दे रही थी कि उन्होंने इतनी शक्ति दे कि उन्होंने इस हालत में भी ठाकुर साहब को मनमानी नहीं करने दी.... दूसरी तरफ ठाकुर साहब निराश होकर लेटे हुए थे...
ठाकुर साहब मेरी बहन के साथ एक प्यारा रोमांटिक चुदाई करने के मूड में थे.. और ठाकुर साहब सफल नहीं हो पाए थे.. पर ठाकुर साहब के अंदर की गर्मी शांत नहीं हुई थी.. वह मेरी बहन को हर कीमत पर चोदना चाहते थे.. शायद इसीलिए उनकी पत्नी उनको छोड़कर चली गई थी...
वैसे भी ठाकुर साहब को रंडियों के साथ मजा नहीं आता था.. वह एक घरेलू पतिव्रता नारी चाहते थे.. जो मेरी रुपाली दीदी के रूप में उनके हाथ आई थी... वह मेरी बहन को चाहते भी थे.. इसीलिए तो हमारे परिवार को अपने घर में लेकर आए थे.. सोचते हुए ठाकुर साहब को नींद आ गई.. सब कुछ नॉर्मल हो चुका था बिस्तर पर.. मेरी दीदी भी नींद की आगोश में जा चुकी थी..
मेरे जीजू: अरे रूपाली.. कल रात तुम्हारे बेडरूम का दरवाजा क्यों बंद था... मेरी दीदी घबरा गई पर खुद को संभाला..
मेरी रूपाली दीदी: वह कल रात हॉल से अजीब अजीब गाने की आवाज आ रही थी इसलिए.. सोनिया ठीक से सो नहीं पा रही थी..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. कल रात को ही हॉल में गंदे गंदे भोजपुरी गाने बजा रहा था.. तुम्हारा भाई सेंडी तो नहीं था..
मेरी रूपाली दीदी: सैंडी नहीं रोहन होगा... सैंडी को तो पता भी नहीं होगा इन सब गानों के बारे में ...
जीजू: तुम ठीक कह रही हो.. रोहन अच्छा लड़का नहीं है..
मेरी रुपाली दीदी: खैर छोड़ो बच्चों को... आप तो ठीक हो ना.
मेरे जीजू: हां मेरी जान आई लव यू..
लव यू टू अनूप... मेरी दीदी बोली...