09-07-2021, 02:21 PM
ननद भौजी
" तेरी चूत तो आधी दर्जन बार झड़ चुकी है पर दोनों भौजाइयों की बिल अभी भी प्यासी है, चल चूस के झाड़ हम दोनों की।“
मान गयी मैं कम्मो भौजी को,
की बेचारी मेरी ननदिया की नस नस टूट रही थी , जिस तरह उसे दुहरे करके मेरे साजन ने रगड़ रगड़ के चोदा था। दूसरी कोई होती उठ नहीं पाती, और हाल तो इसकी भी यही हो रही थी, पर कम्मो भौजी , जानती थी वो , जितनी ये कच्ची कली थक के चूर रहेगी, उतना ही जो कहेगी करेगी उसका रेजिस्टेंस कम हो जाएगा, थोड़ा उसे जबरदस्ती सहने की भी आदत पड़ेगी,
कम्मो की प्लानिंग तो एक दिन में तीन चार मरद, दस बारह बार, चौबीस घंटे में, ...
लेकिन मान गयी मैं अपनी ननद को भी , एकदम क्विक लरनर, कन्या रस में भी, जिस तरह से वो कम्मो भौजी की चाट चूस रही थी, कम्मो को झाड़ना आसान नहीं था, लेकिन दस बारह मिनट में , वो कमसिन कभी अपनी भौजी की दोनों फांको को कस के चूस रही थी कभी जीभ अंदर ठेल देती और सिर्फ जीभ और होंठ ही नहीं, ननद रानी की लम्बी लम्बी उंगलिया कभी कम्मो की जाँघों पर फिसलतीं, तो कभी पिछवाड़े जाके भौजी के बड़े बड़े चूतड़ों को फैलाके , बीच की दरार में अंगूठा घुसेड़ देती,
साथ में गुड्डी की खेलती नाचती आँखे कभी कम्मो को चिढ़ाती तो कभी उकसातीं,
पर कम्मो तो कम्मो थी, कगार पे आने के पहले ही उसने मेरी ननद को उकसाया,
हम दोनों पहले भी चोर सिपाही खेल चुके थे। पर आज इनके सामने खुल्लम खुल्ला इनकी बहिन को अपनी चुसवाना , चटवाना,
और ये भी कम्मो की प्लानिंग का पार्ट था, ... मरदों की हालत लड़कियों को आपस में करते देखकर जितनी जल्दी ख़राब होती है उतनी किसी चीज से नहीं,
उनकी निगाहें हम तीनों की खेल तमाशे पर ही चिपकी थीं और असर उनके झंडे पर भी हो रहा था, अब वो धीरे धीरे सर उठाना शुरू कर चुका था
कुछ देर बाद मैंने ननद रानी को कम्मो भौजी को पास कर दिया और अबकी तो कम्मो भौजी अपने असली रंग में आ गयीं और जैसे अपने देवर को दिखाती , जबरदस्त गाली देती , उनकी बहन का मुंह चोद रही थी, असर हुआ और तम्बू अब पूरा तन गया था ,
मैंने कुछ कम्मो को इशारा किया , गुड्डी के कान में कुछ कहा , और अब हम दोनों अलग हो गए थे , और गुड्डी सीधे एक कुर्सी पर अपने भैया के सामने दोनों टाँगे मोड़ के ,
अपनी ऊँगली से पहले उसने अपनी गुलाबो को हलके से फैलाया, अपने भैया को दिखाते हुए रबड़ी मलाई निकाली और ऊँगली के टिप से चाट लिया, थोड़ा अपने निप्स पे लगाया और हलके हलके उन्हें देखते , दिखाते अपने आरहे उभारों को मसलते , जैसे उनसे पूछ रही हो , ...चाहिए।
अब उनसे नहीं रहा गया , वो बोल पड़े ,
" गुड्डी दो न ,... आओ न।"
वहीँ बैठे बैठे वो अपने निपल को फ्लिक करती रही , फिर उन्हें चिढ़ाते हुए बोली
" भैया कुछ चाहिए न तो साफ़ साफ़ मांग लेना चाहिए। "
खुल कर उन्हें पहले चूँची फिर चूत बोलना पड़ा , ...
गुड्डी अब उनके पास बैठी और अपने लम्बे नाख़ून से उनके तन्नाए खूंटे पर हलके से खरोचने लगी और बोलने लगी,
" दो दिन बाद जब अपने ससुराल जाओगे न तो जानते हो सबसे पहले ,... "
वो कुछ बोले तो मेरे मुंह से निकल गया इनकी साली सलहज लेकिन मेरी ननद ने बात काट दी , और उनसे बोला,
" नहीं भैया, बस आप ससुराल में जिद्द कर के बैठ जाइएगा , अपनी सास से, जहाँ से मेरी मीठी मीठी भाभी निकली हैं , जहाँ से आपकी दोनों मस्तानी सालियाँ निकली हैं बस , उसी का दरशन , मेरी भौजी की मातृभूमि का , और अच्छी तरह से वहां, ... "
मान गयी मैं अपनी ननद को , मैं और कम्मो मुस्करा रही थीं , अब इसे सिखाने पढ़ाने की जरूरत नहीं थी, पर कम्मो ने उससे जा के कहा
" हे दोनों भौजाइयों की अच्छी तरह से चूस ली तो ज़रा अपने भैया का भी तो चूस। "
गुड्डी ने शुरू तो किया पर आधे में ही उसकी हालत खराब , था भी तो उनका एकदम बांस मोटा, ...
पर मुझसे नहीं रहा गया , मैंने जाकर पीछे से उसका सर दबा दिया ,.... और वो गों गो करती रही मैं सर दबाये रही ,
वो छटपटा रही थी पर कम्मी ने इशारा किया , छोडूं नहीं मैं और हलके हलके प्रेस करती रहूं ,
एक इंच और , दो इंच ,... वो जो गैग रिफ्लेक्स होता है ,... लेकिन वो , मेरी ननद वो भी और कुछ देर में ही आलमोस्ट पूरा,...
जब मैंने सर छोड़ दिया तो भी वो कस कस के चूसती रही,...
और जब सर निकाला उसने तो विजयी भाव से उसने पहले अपने भैया कोदेखा फिर दोनों भाभियों को ,
खुश होके मैंने उसे चूम लिया , लेकिन कम्मो भाभी ने एक नयी शर्त रख दी ,
" अबकी तुम को चढ़ के ऊपर ,... "
ननद मेरी अब समझदार हो गयी उलटे कम्मो से बोली ,
" एकदम भौजी लेकिन पहले आप अपने देवर कम ननदोई के ऊपर चढ़ जाइये, मैं देख के वैसे ही ,... "
" तेरी चूत तो आधी दर्जन बार झड़ चुकी है पर दोनों भौजाइयों की बिल अभी भी प्यासी है, चल चूस के झाड़ हम दोनों की।“
मान गयी मैं कम्मो भौजी को,
की बेचारी मेरी ननदिया की नस नस टूट रही थी , जिस तरह उसे दुहरे करके मेरे साजन ने रगड़ रगड़ के चोदा था। दूसरी कोई होती उठ नहीं पाती, और हाल तो इसकी भी यही हो रही थी, पर कम्मो भौजी , जानती थी वो , जितनी ये कच्ची कली थक के चूर रहेगी, उतना ही जो कहेगी करेगी उसका रेजिस्टेंस कम हो जाएगा, थोड़ा उसे जबरदस्ती सहने की भी आदत पड़ेगी,
कम्मो की प्लानिंग तो एक दिन में तीन चार मरद, दस बारह बार, चौबीस घंटे में, ...
लेकिन मान गयी मैं अपनी ननद को भी , एकदम क्विक लरनर, कन्या रस में भी, जिस तरह से वो कम्मो भौजी की चाट चूस रही थी, कम्मो को झाड़ना आसान नहीं था, लेकिन दस बारह मिनट में , वो कमसिन कभी अपनी भौजी की दोनों फांको को कस के चूस रही थी कभी जीभ अंदर ठेल देती और सिर्फ जीभ और होंठ ही नहीं, ननद रानी की लम्बी लम्बी उंगलिया कभी कम्मो की जाँघों पर फिसलतीं, तो कभी पिछवाड़े जाके भौजी के बड़े बड़े चूतड़ों को फैलाके , बीच की दरार में अंगूठा घुसेड़ देती,
साथ में गुड्डी की खेलती नाचती आँखे कभी कम्मो को चिढ़ाती तो कभी उकसातीं,
पर कम्मो तो कम्मो थी, कगार पे आने के पहले ही उसने मेरी ननद को उकसाया,
हम दोनों पहले भी चोर सिपाही खेल चुके थे। पर आज इनके सामने खुल्लम खुल्ला इनकी बहिन को अपनी चुसवाना , चटवाना,
और ये भी कम्मो की प्लानिंग का पार्ट था, ... मरदों की हालत लड़कियों को आपस में करते देखकर जितनी जल्दी ख़राब होती है उतनी किसी चीज से नहीं,
उनकी निगाहें हम तीनों की खेल तमाशे पर ही चिपकी थीं और असर उनके झंडे पर भी हो रहा था, अब वो धीरे धीरे सर उठाना शुरू कर चुका था
कुछ देर बाद मैंने ननद रानी को कम्मो भौजी को पास कर दिया और अबकी तो कम्मो भौजी अपने असली रंग में आ गयीं और जैसे अपने देवर को दिखाती , जबरदस्त गाली देती , उनकी बहन का मुंह चोद रही थी, असर हुआ और तम्बू अब पूरा तन गया था ,
मैंने कुछ कम्मो को इशारा किया , गुड्डी के कान में कुछ कहा , और अब हम दोनों अलग हो गए थे , और गुड्डी सीधे एक कुर्सी पर अपने भैया के सामने दोनों टाँगे मोड़ के ,
अपनी ऊँगली से पहले उसने अपनी गुलाबो को हलके से फैलाया, अपने भैया को दिखाते हुए रबड़ी मलाई निकाली और ऊँगली के टिप से चाट लिया, थोड़ा अपने निप्स पे लगाया और हलके हलके उन्हें देखते , दिखाते अपने आरहे उभारों को मसलते , जैसे उनसे पूछ रही हो , ...चाहिए।
अब उनसे नहीं रहा गया , वो बोल पड़े ,
" गुड्डी दो न ,... आओ न।"
वहीँ बैठे बैठे वो अपने निपल को फ्लिक करती रही , फिर उन्हें चिढ़ाते हुए बोली
" भैया कुछ चाहिए न तो साफ़ साफ़ मांग लेना चाहिए। "
खुल कर उन्हें पहले चूँची फिर चूत बोलना पड़ा , ...
गुड्डी अब उनके पास बैठी और अपने लम्बे नाख़ून से उनके तन्नाए खूंटे पर हलके से खरोचने लगी और बोलने लगी,
" दो दिन बाद जब अपने ससुराल जाओगे न तो जानते हो सबसे पहले ,... "
वो कुछ बोले तो मेरे मुंह से निकल गया इनकी साली सलहज लेकिन मेरी ननद ने बात काट दी , और उनसे बोला,
" नहीं भैया, बस आप ससुराल में जिद्द कर के बैठ जाइएगा , अपनी सास से, जहाँ से मेरी मीठी मीठी भाभी निकली हैं , जहाँ से आपकी दोनों मस्तानी सालियाँ निकली हैं बस , उसी का दरशन , मेरी भौजी की मातृभूमि का , और अच्छी तरह से वहां, ... "
मान गयी मैं अपनी ननद को , मैं और कम्मो मुस्करा रही थीं , अब इसे सिखाने पढ़ाने की जरूरत नहीं थी, पर कम्मो ने उससे जा के कहा
" हे दोनों भौजाइयों की अच्छी तरह से चूस ली तो ज़रा अपने भैया का भी तो चूस। "
गुड्डी ने शुरू तो किया पर आधे में ही उसकी हालत खराब , था भी तो उनका एकदम बांस मोटा, ...
पर मुझसे नहीं रहा गया , मैंने जाकर पीछे से उसका सर दबा दिया ,.... और वो गों गो करती रही मैं सर दबाये रही ,
वो छटपटा रही थी पर कम्मी ने इशारा किया , छोडूं नहीं मैं और हलके हलके प्रेस करती रहूं ,
एक इंच और , दो इंच ,... वो जो गैग रिफ्लेक्स होता है ,... लेकिन वो , मेरी ननद वो भी और कुछ देर में ही आलमोस्ट पूरा,...
जब मैंने सर छोड़ दिया तो भी वो कस कस के चूसती रही,...
और जब सर निकाला उसने तो विजयी भाव से उसने पहले अपने भैया कोदेखा फिर दोनों भाभियों को ,
खुश होके मैंने उसे चूम लिया , लेकिन कम्मो भाभी ने एक नयी शर्त रख दी ,
" अबकी तुम को चढ़ के ऊपर ,... "
ननद मेरी अब समझदार हो गयी उलटे कम्मो से बोली ,
" एकदम भौजी लेकिन पहले आप अपने देवर कम ननदोई के ऊपर चढ़ जाइये, मैं देख के वैसे ही ,... "