09-07-2021, 02:18 PM
(This post was last modified: 09-07-2021, 02:19 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
भैया, निकाल लो न प्लीज लग रहा है , बस थोड़ा सा , बस थोड़ी देर,... "
अब वो भी मूड में आ गए थे, हलके से अपनी बहन के निप्स को मरोड़ते बोले,
" क्या निकाल लूँ , ये तो बोल, ... "
" हूँ हूँ बदमाश , गंदे ,... " उनके सीने पर जोर से मुक्के मारते वो शोख अदा से बोली,
जैसे दांत उन्होंने उसके गालों पर गड़ाए थे उससे भी तेज उसके छोटे जोबन के ऊपरी हिस्से पर गड़ाते वो बोले,
" सच्ची बोल न , तभी तो निकालूंगा"
" अच्छा डालते समय पूछा मुझसे, जो डाला था वही, ... " सिसकते हुए वो बोली।
अबकी निपल की घुंडी इन्होने कस के मरोड़ी और तब तक मरोडते रहे जब तक वो अपने मुंह से नहीं बोली,
" भैया, अपना वो , वो अपना वो , आपने लं, अपना लंड निकाल लो "
जवाब में उनकी तर्जनी ने उसकी क्लिट रगड़नी शुरू कर दी फिर छेड़ा,
" बस ये बता दे, कहाँ से निकालूँ अपना लंड " ...
और थोड़ी ही देर में उनकी शरमाती लजाती बहना ने खुल के बोल दिया
" मेरी चूत से , भैया निकाल दे न बस थोड़ा सा लंड "
यही तो मैं सुनना चाहती थी अपनी 'सीधी साधी ' ननदिया के मुंह से, ....
निकाला तो उन्होंने लेकिन उसके पहले उन्होंने जो किया , मैं एकदम दहल गयी,... गुड्डी को तो समझ में नहीं आया क्या हो रहा है , पर मैं समझ गयी,
कम्मो ने इशारे से मना किया मैं कुछ न बोलूं ,
उनका पूरा एक बित्ते का, मेरी कलाई से मोटा मूसल मेरी ननद के बिल में जड़ तक धंसा था जैसे किसी पतले मुंह वाली बोतल में कोई जबरदस्ती से मोटा कार्क पूरी ताकत से ठोंक दे,
अबतक उसकी दोनों जाँघे पूरी तरह फैली थी, बुर एकदम खुली थी , दोनों टाँगे उन्होंने खूब उसकी चौड़ी कर रखी थीं , और इसलिए पूरा अंदर,
लेकिन उन्होंने अब मेरी ननद की दोनों टाँगे क्रास कर दीं, और इतनी कस के उन्होंने दोनों पैरों को जकड़ के रखा था की वो इंच भर भी नहीं फैला सकती थी ,
जाँघे भी दोनों एकदम चिपकी , गुलाबो की दोनों फांके भी एकदम सटी, ...
" चल यार निकाल लेता हूँ, "... मुस्करा के वो बोले, पर जरा सा बाहर खींचते ही जिस तरह से वो दरेरते रगड़ते घिसटते बाहर निकलने लगा
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह, जोर से चिल्लाई वो,
कम्मो ने कस के मेरी ननद की दोनों मुलायम मुलायम पतली कलाइयों को कस के जकड़ लिया,
दोनों टाँगे, दुहरी कर के क्रास कर के चिपका के उन्होंने पकड़ ही रखा था,
उसे चुप कराने की कोशिश न उन्होंने की न कम्मो ने,
और जब आधा से थोड़ा ज्यादा करीब पांच साढ़े पांच इंच निकाल के उन्होंने पेलना शुरू किया , बिना जाँघों को फैलाये ठेलना शुरू किया, ...
मैं जान रही थी क्या होने वाला है,
इसके बारे में सिर्फ मेरी एक बड़ी भौजी ने गाँव में बताया था,
' अरे कौसन भोंसड़ी वाली हो , चार चार लड़कन क महतारी, ओहु को गौने क रात याद आय जायेगी, चुदवाने वाली और चोदने वाले दोनों को लगेगा जइसन कउनो कच्ची कली को चोद रहा है। "
और यहाँ तो चुदने वाली कच्ची कली ही थी , कुछ देर पहले ही उसकी नथ उतरी थी, ...
वो धीरे धीरे पुश कर रहे थे ,
वो चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , कम्मो ने दोनों हाथ कस के पकड़ रखे थे, ...
पांच -छह मिनट में मुझे लगा अब मेरी ननद को भी हल्का हलका मजा मिल रहा है, ...
पर मुझसे पहले कम्मो ये बात समझ गयी थीं
कम्मो को ननदों का मुंह बंद कराने के १५१ तरीके आते थे, लेकिन उसने हम दोनों का फेवरिट तरीका इस्तेमाल किया,
अब वो भी मूड में आ गए थे, हलके से अपनी बहन के निप्स को मरोड़ते बोले,
" क्या निकाल लूँ , ये तो बोल, ... "
" हूँ हूँ बदमाश , गंदे ,... " उनके सीने पर जोर से मुक्के मारते वो शोख अदा से बोली,
जैसे दांत उन्होंने उसके गालों पर गड़ाए थे उससे भी तेज उसके छोटे जोबन के ऊपरी हिस्से पर गड़ाते वो बोले,
" सच्ची बोल न , तभी तो निकालूंगा"
" अच्छा डालते समय पूछा मुझसे, जो डाला था वही, ... " सिसकते हुए वो बोली।
अबकी निपल की घुंडी इन्होने कस के मरोड़ी और तब तक मरोडते रहे जब तक वो अपने मुंह से नहीं बोली,
" भैया, अपना वो , वो अपना वो , आपने लं, अपना लंड निकाल लो "
जवाब में उनकी तर्जनी ने उसकी क्लिट रगड़नी शुरू कर दी फिर छेड़ा,
" बस ये बता दे, कहाँ से निकालूँ अपना लंड " ...
और थोड़ी ही देर में उनकी शरमाती लजाती बहना ने खुल के बोल दिया
" मेरी चूत से , भैया निकाल दे न बस थोड़ा सा लंड "
यही तो मैं सुनना चाहती थी अपनी 'सीधी साधी ' ननदिया के मुंह से, ....
निकाला तो उन्होंने लेकिन उसके पहले उन्होंने जो किया , मैं एकदम दहल गयी,... गुड्डी को तो समझ में नहीं आया क्या हो रहा है , पर मैं समझ गयी,
कम्मो ने इशारे से मना किया मैं कुछ न बोलूं ,
उनका पूरा एक बित्ते का, मेरी कलाई से मोटा मूसल मेरी ननद के बिल में जड़ तक धंसा था जैसे किसी पतले मुंह वाली बोतल में कोई जबरदस्ती से मोटा कार्क पूरी ताकत से ठोंक दे,
अबतक उसकी दोनों जाँघे पूरी तरह फैली थी, बुर एकदम खुली थी , दोनों टाँगे उन्होंने खूब उसकी चौड़ी कर रखी थीं , और इसलिए पूरा अंदर,
लेकिन उन्होंने अब मेरी ननद की दोनों टाँगे क्रास कर दीं, और इतनी कस के उन्होंने दोनों पैरों को जकड़ के रखा था की वो इंच भर भी नहीं फैला सकती थी ,
जाँघे भी दोनों एकदम चिपकी , गुलाबो की दोनों फांके भी एकदम सटी, ...
" चल यार निकाल लेता हूँ, "... मुस्करा के वो बोले, पर जरा सा बाहर खींचते ही जिस तरह से वो दरेरते रगड़ते घिसटते बाहर निकलने लगा
उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह, जोर से चिल्लाई वो,
कम्मो ने कस के मेरी ननद की दोनों मुलायम मुलायम पतली कलाइयों को कस के जकड़ लिया,
दोनों टाँगे, दुहरी कर के क्रास कर के चिपका के उन्होंने पकड़ ही रखा था,
उसे चुप कराने की कोशिश न उन्होंने की न कम्मो ने,
और जब आधा से थोड़ा ज्यादा करीब पांच साढ़े पांच इंच निकाल के उन्होंने पेलना शुरू किया , बिना जाँघों को फैलाये ठेलना शुरू किया, ...
मैं जान रही थी क्या होने वाला है,
इसके बारे में सिर्फ मेरी एक बड़ी भौजी ने गाँव में बताया था,
' अरे कौसन भोंसड़ी वाली हो , चार चार लड़कन क महतारी, ओहु को गौने क रात याद आय जायेगी, चुदवाने वाली और चोदने वाले दोनों को लगेगा जइसन कउनो कच्ची कली को चोद रहा है। "
और यहाँ तो चुदने वाली कच्ची कली ही थी , कुछ देर पहले ही उसकी नथ उतरी थी, ...
वो धीरे धीरे पुश कर रहे थे ,
वो चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , कम्मो ने दोनों हाथ कस के पकड़ रखे थे, ...
पांच -छह मिनट में मुझे लगा अब मेरी ननद को भी हल्का हलका मजा मिल रहा है, ...
पर मुझसे पहले कम्मो ये बात समझ गयी थीं
कम्मो को ननदों का मुंह बंद कराने के १५१ तरीके आते थे, लेकिन उसने हम दोनों का फेवरिट तरीका इस्तेमाल किया,
Last edited: Jul 1, 2021