09-07-2021, 02:14 PM
कोकशास्त्र
![[Image: kamsutra-standing.jpg]](https://i.ibb.co/F5TVRHN/kamsutra-standing.jpg)
थोड़ी देर में,
लगता है ये कोकशास्त्र बड़ा (सचित्र -चौरासी आसन सहित ) अच्छी तरह आज पढ़ के आये थे , और अपनी के बहिनिया के साथ सब के सब ट्राई करने मूड में थे और उनकी बहिन भी पूरा साथ दे रही थी और कुछ थोड़ी बहुत गड़बड़, कमी बेसी हो भी जाए तो कम्मो भौजी थीं न नाउन की तरह गाँठ जोड़ने वाली
गुड्डी रानी उनकी गोद में थी उन्ही की ओर मुंह किये , मेरी ननद ने कस के अपने दोनों हाथों से इनकी पीठ को पकड़ रखा था , दोनों के मुंह आमने सामने , चुम्मा चाटी खूब चल रही थी, खूंटा गुड्डी रानी की बिल में जड़ तक घुसा हुआ था , ये हलके हलके आगे पीछे कर रहे थे ,
![[Image: fucking-sitting-tumblr-047ae231d06258b96...04-400.gif]](https://i.ibb.co/0ykFjNL/fucking-sitting-tumblr-047ae231d06258b9695b1f3e4fe1dc91-df873f04-400.gif)
सावन भादो की बूंदाबांदी की तरह हलकी हलकी चुदाई चल रही थी , न इन्हे जल्दी थी न उसे
ये भी कस के उसकी पीठ को पकडे हुए थे , पर कम्मो भौजी थीं न बदमाशी को उन्होंने अपने ननद की टाँगे थोड़ी और फैला के देवर के हाथों में फंसा दिया।
अब लंड एकदम जड़ तक चिपक गया था , और बिना धक्के मारे पूरे घुसे लंड के बेस के जड़ से मेरी ननदिया के क्लिट को रगड़ने लगे और वो वो एकदम किनारे पर पुहंचने लगी तो उन्होंने पोज बदल दी,
अपनी बहन को अभी भी उन्होंने गोद में बिठा रखा था , लेकिन अब गुड्डी की पीठ उनके सीने से सटी थी , फायदा ये था की अब ये उसके दोनों छोटे छोटे टेनिस साइज उभारों को कस के रगड़ मसल सकते थे , झुक के चूम सकते थे, हलके से बाइट कर सकते थे ,
![[Image: sitting-4815940.webp]](https://i.ibb.co/HGxfFKj/sitting-4815940.webp)
खूंटा अभी भी पूरा घुसा हुआ था , आठ दस धक्के वो अपने चूतड़ उठा उठा के मारते तो दो चार वो वो भी, उस खूंटे पर सरकती, एक बार फिर कगार पर पहुँच रही थी , कोई मुझसे पूछे, उनकी उँगलियाँ और होंठ भी उतने ही शैतान थे जितना उनका खूंटा,
जब वो धक्के मारती , तो उनका एक हाथ उसकी चूँची पर और दूसरा क्लिट पर ,
और अबकी जब ननद ने झड़ना शुरू किया तो वो रुके नहीं , कभी नीचे से वो कस के धक्के मारते तो कभी क्लिट रगड़ देते,
गुड्डी की देह तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी , झड़ती फिर रुक जाती , फिर दुबारा ,.. आँखे उसकी मुंदी हुयी थीं , दोनों हाथों से अब उसने पलंग की चददर को कस के दबोच रखा था, बीच बीच में वो सिसकती , फिर रुक जाती , फिर कांपने लगती,
उनको कुछ होने का सवाल नहीं था , एक तो अभी झड़े दुबारा तो वो बहुत ही ज्यादा टाइम लेते थे , फिर लग रहा था कम्मो ने जो सूप में जड़ी बूटियां डाली थीं उसका भी असर था ,
खूंटा तो उनका तो वैसे भी बित्ते भर का, मेरी कलाई से भी मोटा, और एक समय लोहे का डंडा हो रहा था, जब गुड्डी का झड़ना रुका तो कुछ देर तक वो रुके
फिर आसन बदला और मेरी ननदिया की ऐसी बेरहम चुदाई की, ऐसी बेदर्दी से चोदा, देखकर ही मैं काँप रही थी,
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थोड़ी देर में,
लगता है ये कोकशास्त्र बड़ा (सचित्र -चौरासी आसन सहित ) अच्छी तरह आज पढ़ के आये थे , और अपनी के बहिनिया के साथ सब के सब ट्राई करने मूड में थे और उनकी बहिन भी पूरा साथ दे रही थी और कुछ थोड़ी बहुत गड़बड़, कमी बेसी हो भी जाए तो कम्मो भौजी थीं न नाउन की तरह गाँठ जोड़ने वाली
गुड्डी रानी उनकी गोद में थी उन्ही की ओर मुंह किये , मेरी ननद ने कस के अपने दोनों हाथों से इनकी पीठ को पकड़ रखा था , दोनों के मुंह आमने सामने , चुम्मा चाटी खूब चल रही थी, खूंटा गुड्डी रानी की बिल में जड़ तक घुसा हुआ था , ये हलके हलके आगे पीछे कर रहे थे ,
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सावन भादो की बूंदाबांदी की तरह हलकी हलकी चुदाई चल रही थी , न इन्हे जल्दी थी न उसे
ये भी कस के उसकी पीठ को पकडे हुए थे , पर कम्मो भौजी थीं न बदमाशी को उन्होंने अपने ननद की टाँगे थोड़ी और फैला के देवर के हाथों में फंसा दिया।
अब लंड एकदम जड़ तक चिपक गया था , और बिना धक्के मारे पूरे घुसे लंड के बेस के जड़ से मेरी ननदिया के क्लिट को रगड़ने लगे और वो वो एकदम किनारे पर पुहंचने लगी तो उन्होंने पोज बदल दी,
अपनी बहन को अभी भी उन्होंने गोद में बिठा रखा था , लेकिन अब गुड्डी की पीठ उनके सीने से सटी थी , फायदा ये था की अब ये उसके दोनों छोटे छोटे टेनिस साइज उभारों को कस के रगड़ मसल सकते थे , झुक के चूम सकते थे, हलके से बाइट कर सकते थे ,
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खूंटा अभी भी पूरा घुसा हुआ था , आठ दस धक्के वो अपने चूतड़ उठा उठा के मारते तो दो चार वो वो भी, उस खूंटे पर सरकती, एक बार फिर कगार पर पहुँच रही थी , कोई मुझसे पूछे, उनकी उँगलियाँ और होंठ भी उतने ही शैतान थे जितना उनका खूंटा,
जब वो धक्के मारती , तो उनका एक हाथ उसकी चूँची पर और दूसरा क्लिट पर ,
और अबकी जब ननद ने झड़ना शुरू किया तो वो रुके नहीं , कभी नीचे से वो कस के धक्के मारते तो कभी क्लिट रगड़ देते,
गुड्डी की देह तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी , झड़ती फिर रुक जाती , फिर दुबारा ,.. आँखे उसकी मुंदी हुयी थीं , दोनों हाथों से अब उसने पलंग की चददर को कस के दबोच रखा था, बीच बीच में वो सिसकती , फिर रुक जाती , फिर कांपने लगती,
उनको कुछ होने का सवाल नहीं था , एक तो अभी झड़े दुबारा तो वो बहुत ही ज्यादा टाइम लेते थे , फिर लग रहा था कम्मो ने जो सूप में जड़ी बूटियां डाली थीं उसका भी असर था ,
खूंटा तो उनका तो वैसे भी बित्ते भर का, मेरी कलाई से भी मोटा, और एक समय लोहे का डंडा हो रहा था, जब गुड्डी का झड़ना रुका तो कुछ देर तक वो रुके
फिर आसन बदला और मेरी ननदिया की ऐसी बेरहम चुदाई की, ऐसी बेदर्दी से चोदा, देखकर ही मैं काँप रही थी,