13-04-2019, 05:52 PM
दिन दहाड़े
मेरे मन में तो बस उस लड़के का ख्याल था , लालची और बुद्धू , ...दस बार चक्कर लगा के ...
ऊपर कमरे में पहुंचा कर मेरी जेठानी ने पहले तो मुझे समझाया , दरवाजा अंदर से बंद कर लो , छह बजे से पहले मत खोलना , ... मैं किसी को भेजूंगी , तैयार होके सात बजे तक , कुछ देर तक मुंह दिखाई होगी , फिर चाट पार्टी ,...
लेकिन चलने के पहले वो अपने देवर को हड़काना नहीं भूलीं ,
" देख , दे तो जा रहीं हूँ , अपनी देवरानी को लेकिन ज्यादा तंग मत करना इसे , आराम करने देना। "
बस जेठानी के निकलते ही , मैंने एक बार उन्हें देखा , ... मुड़कर दरवाजा बोल्ट किया , और उन्हें देखते हुए दिखाते , ललचाते , धीमे धीमे अपनी साडी उतार कर , सीधे सोफे पर और बस चोली और साये में , ...
हलके से मैं बोली , उन्हें सुनाते ,... लालची
रजाई में धंस ली।
वो आलरेडी सिर्फ बनयायिन और पाजामे में थे . कहने की बात नहीं , अगले पल उन्होंने खींच कर अपनी बाँहों में , ...दबोच लिया , इतनी कस के की जैसे कुचल ही डालेंगे।
और फिर ,... मेरे होंठ ,... चुम्मी पर चुम्मी , न मैंने गिना न उन्होंने ,...
और जब उनकी चुम्मी बंद हुयी तो पीछे रहती , मेरे होंठों ने भी हलके से , एक चुम्मी , होंठों पर नहीं उनके गोरे गाल पर जड़ दी , और धीरे से बोला , ...
लालची , बेसबरे।
" मेरा मन करता है , बहुत करता है ,.. "
बस वही बात जो कल से वो बोल रहे थे ,...
" तुझे पाने को। "
सच में मेरा बालम एकदम बुद्धू था।
" आ तो गयीं हूँ आप के पास। "
मैंने हलके से बोला , और वो लड़का अलफ़ ,
' कल क्या बोला था , तुझे कसम भी दिलाई थी '
याद तो मुझे अच्छी तरह था , पर हो नहीं पारहा था मुझसे , उन्हें आप नहीं तुम बोलने का , कल बड़ी मुश्किल से मैं ये मानी थी की इस कमरे में , उन्हें मैं सिर्फ तुम बोलूंगी , ... और मैंने फिर एक चुम्मी ले कर उन्हें मनाया , और बोला
" ठीक है तुम्हारे पास , अब तो हरदम हूँ ,... न "
' हरदम का मतलब ,... हर पल,मेरे पास ... सच में कोमल , बहुत बहुत मन करता है "
कानों में भौरें की तरह मेरे साजन ने गुनगुनाया।
लेकिन उनका असली जिस चीज के लिए मन कर रहा था , वो काम उनकी उँगलियों ने शुरू कर दिया , और अब वो उँगलियाँ कल की तरह न घबड़ा रहीं थीं , न झिझक रही थीं।
झट से चोली के बटन उन्होंने खोल दी और फिर ब्रा की क्या बिसात थी ,...
बस उनके हाथों को मिल गया जिसके लिए वो इतने देर से बेसबरे हो रहे थे ,
अभी भी वो थोड़ा सा शरमा रहे थे , ललचाते तो बहुतथे , लेकिन उस मौके पर ,... बहुत हलके से , धीरे धीरे मेरे किशोर कड़े कच्चे उरोजों को हलके हलके छू रहे थे , ...
मैंने आज न उन्हें मना किया न टोका , बल्कि एक टांग उनके ऊपर रख कर और चिपक गयी।
और बड़ी जोर से गड़ा।
खूब मोटा , लंबा तना बौराया , बेसबरा लालची ,
एकदम इन्ही की तरह जिसका हरदम मन करता रहता है , ...
मैंने और कस के उन्हें भींच लिया ,...
गड़े तो गड़े ,... मेरा तो है ,...
ननदों की छेड़खानी , दुलारी की खुली खुली बातों ने ,
और जिस तरह से ननदों ने मुझसे चुदवाया खोल के कहलवाया था , ...
मन तो मेरा भी करने लगा था ,
लेकिन सबसे बढ़कर जिस तरह मंझली ननद ने एकदम खुल के नन्दोई जी कैसे उनकी लेते हैं , ... मैं भी तो ,...
मैं टॉपलेस हो गयी थी तो मैं उन्हें कैसे छोड़ती ,
लेकिन खुद उनके कपडे उतारने की हिम्मत तो नहीं थी , पर मैंने उनकी बनयान बस जरा सा ऊपर सरकायी , और शिकायत की , उन्ही से ,... मुझे तो टॉप लेस कर दिया और खुद ,... बस उनकी बनयान उतर गयी और मेरे जोबन अब उनके चौड़े मजबूत सीने के नीचे दबे कुचले जा रहे थे।
फर्श पर मेरी ब्रा , चोली और उनकी बनियान बिखरी ,...
उनकी ऊँगली को भी अब और हिम्मत आ गयी , मेरे जोबन पर उनके होंठों ने डाका डालना शुरू कर दिया ,
उँगलियाँ साये के नाड़े से उलझी , और पल भर में पहले मेरा साया , फिर उनका पजामा ,
न मैंने पैंटी पहनी थी न उन्होंने चड्ढी ,
खूंटा सीधे मेरे निचले होंठों पर , मेरी उँगलियों ने कुछ गलती से कुछ जानबूझ कर ,...
और मैं एकदम समझ गयी ,
मेरी मंझली ननद जिस ' खूंटे ' की इतनी तारीफ कर रही थीं ,... मेरा वाला पक्का उससे २० नहीं २५ था।
लेकिन उस उंगली छूने का असर वो एकदम फनफना गया ,
मैं अब पीठ के बल लेटी थी , और वो मेरी खुली जाँघों के बीच में ,
और जब उन्होंने तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल कर अपने मूसलचंद पर लगाना शुरू किया ,... पहली बार मैंने 'उसे ' दिन दहाड़े देखा ,
दुष्ट , बदमाश , ... लेकिन बहुत प्यारा सा ,... और शर्म से आँखे बंद कर ली ,
जब उनकी उँगलियाँ मेरी निचले होंठों तक पहुंची , उन्हें फैलाया , वैसलीन से लिथड़ी चुपड़ी , उँगलियाँ , बहुत प्यार से सम्हाल कर , धीरे धीरे वैसलीन , ... फिर मंझली ऊँगली में वैसलीन लगाकर एकदम अंदर तक गोल गोल ,... थोड़ी देर तक
मैं सिहर रही थी , सिसक रही थी ,...
मेरे मन में तो बस उस लड़के का ख्याल था , लालची और बुद्धू , ...दस बार चक्कर लगा के ...
ऊपर कमरे में पहुंचा कर मेरी जेठानी ने पहले तो मुझे समझाया , दरवाजा अंदर से बंद कर लो , छह बजे से पहले मत खोलना , ... मैं किसी को भेजूंगी , तैयार होके सात बजे तक , कुछ देर तक मुंह दिखाई होगी , फिर चाट पार्टी ,...
लेकिन चलने के पहले वो अपने देवर को हड़काना नहीं भूलीं ,
" देख , दे तो जा रहीं हूँ , अपनी देवरानी को लेकिन ज्यादा तंग मत करना इसे , आराम करने देना। "
बस जेठानी के निकलते ही , मैंने एक बार उन्हें देखा , ... मुड़कर दरवाजा बोल्ट किया , और उन्हें देखते हुए दिखाते , ललचाते , धीमे धीमे अपनी साडी उतार कर , सीधे सोफे पर और बस चोली और साये में , ...
हलके से मैं बोली , उन्हें सुनाते ,... लालची
रजाई में धंस ली।
वो आलरेडी सिर्फ बनयायिन और पाजामे में थे . कहने की बात नहीं , अगले पल उन्होंने खींच कर अपनी बाँहों में , ...दबोच लिया , इतनी कस के की जैसे कुचल ही डालेंगे।
और फिर ,... मेरे होंठ ,... चुम्मी पर चुम्मी , न मैंने गिना न उन्होंने ,...
और जब उनकी चुम्मी बंद हुयी तो पीछे रहती , मेरे होंठों ने भी हलके से , एक चुम्मी , होंठों पर नहीं उनके गोरे गाल पर जड़ दी , और धीरे से बोला , ...
लालची , बेसबरे।
" मेरा मन करता है , बहुत करता है ,.. "
बस वही बात जो कल से वो बोल रहे थे ,...
" तुझे पाने को। "
सच में मेरा बालम एकदम बुद्धू था।
" आ तो गयीं हूँ आप के पास। "
मैंने हलके से बोला , और वो लड़का अलफ़ ,
' कल क्या बोला था , तुझे कसम भी दिलाई थी '
याद तो मुझे अच्छी तरह था , पर हो नहीं पारहा था मुझसे , उन्हें आप नहीं तुम बोलने का , कल बड़ी मुश्किल से मैं ये मानी थी की इस कमरे में , उन्हें मैं सिर्फ तुम बोलूंगी , ... और मैंने फिर एक चुम्मी ले कर उन्हें मनाया , और बोला
" ठीक है तुम्हारे पास , अब तो हरदम हूँ ,... न "
' हरदम का मतलब ,... हर पल,मेरे पास ... सच में कोमल , बहुत बहुत मन करता है "
कानों में भौरें की तरह मेरे साजन ने गुनगुनाया।
लेकिन उनका असली जिस चीज के लिए मन कर रहा था , वो काम उनकी उँगलियों ने शुरू कर दिया , और अब वो उँगलियाँ कल की तरह न घबड़ा रहीं थीं , न झिझक रही थीं।
झट से चोली के बटन उन्होंने खोल दी और फिर ब्रा की क्या बिसात थी ,...
बस उनके हाथों को मिल गया जिसके लिए वो इतने देर से बेसबरे हो रहे थे ,
अभी भी वो थोड़ा सा शरमा रहे थे , ललचाते तो बहुतथे , लेकिन उस मौके पर ,... बहुत हलके से , धीरे धीरे मेरे किशोर कड़े कच्चे उरोजों को हलके हलके छू रहे थे , ...
मैंने आज न उन्हें मना किया न टोका , बल्कि एक टांग उनके ऊपर रख कर और चिपक गयी।
और बड़ी जोर से गड़ा।
खूब मोटा , लंबा तना बौराया , बेसबरा लालची ,
एकदम इन्ही की तरह जिसका हरदम मन करता रहता है , ...
मैंने और कस के उन्हें भींच लिया ,...
गड़े तो गड़े ,... मेरा तो है ,...
ननदों की छेड़खानी , दुलारी की खुली खुली बातों ने ,
और जिस तरह से ननदों ने मुझसे चुदवाया खोल के कहलवाया था , ...
मन तो मेरा भी करने लगा था ,
लेकिन सबसे बढ़कर जिस तरह मंझली ननद ने एकदम खुल के नन्दोई जी कैसे उनकी लेते हैं , ... मैं भी तो ,...
मैं टॉपलेस हो गयी थी तो मैं उन्हें कैसे छोड़ती ,
लेकिन खुद उनके कपडे उतारने की हिम्मत तो नहीं थी , पर मैंने उनकी बनयान बस जरा सा ऊपर सरकायी , और शिकायत की , उन्ही से ,... मुझे तो टॉप लेस कर दिया और खुद ,... बस उनकी बनयान उतर गयी और मेरे जोबन अब उनके चौड़े मजबूत सीने के नीचे दबे कुचले जा रहे थे।
फर्श पर मेरी ब्रा , चोली और उनकी बनियान बिखरी ,...
उनकी ऊँगली को भी अब और हिम्मत आ गयी , मेरे जोबन पर उनके होंठों ने डाका डालना शुरू कर दिया ,
उँगलियाँ साये के नाड़े से उलझी , और पल भर में पहले मेरा साया , फिर उनका पजामा ,
न मैंने पैंटी पहनी थी न उन्होंने चड्ढी ,
खूंटा सीधे मेरे निचले होंठों पर , मेरी उँगलियों ने कुछ गलती से कुछ जानबूझ कर ,...
और मैं एकदम समझ गयी ,
मेरी मंझली ननद जिस ' खूंटे ' की इतनी तारीफ कर रही थीं ,... मेरा वाला पक्का उससे २० नहीं २५ था।
लेकिन उस उंगली छूने का असर वो एकदम फनफना गया ,
मैं अब पीठ के बल लेटी थी , और वो मेरी खुली जाँघों के बीच में ,
और जब उन्होंने तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल कर अपने मूसलचंद पर लगाना शुरू किया ,... पहली बार मैंने 'उसे ' दिन दहाड़े देखा ,
दुष्ट , बदमाश , ... लेकिन बहुत प्यारा सा ,... और शर्म से आँखे बंद कर ली ,
जब उनकी उँगलियाँ मेरी निचले होंठों तक पहुंची , उन्हें फैलाया , वैसलीन से लिथड़ी चुपड़ी , उँगलियाँ , बहुत प्यार से सम्हाल कर , धीरे धीरे वैसलीन , ... फिर मंझली ऊँगली में वैसलीन लगाकर एकदम अंदर तक गोल गोल ,... थोड़ी देर तक
मैं सिहर रही थी , सिसक रही थी ,...