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Adultery रीमा की दबी वासना
उस दिन के बाद से एक हफ्ते तक प्रियम को ये ही नहीं समझ आया कि उसके साथ हुआ क्या ? वो ईमानदारी से आकलन करने की मनोस्थिति में ही नहीं था, उसकी रीमा चाची उसकी ऐसी गांड फाड़ेगी, ये उसने सपने में भी नहीं सोचा था | उसे इस बात का भी अफ़सोस था कि गलती भी उसकी ही थी, लेकिन इससे ज्यादा सोच पाने में वो असमर्थ था | अपने दोस्तों को भी इस बारे में कुछ भी बता पाने में असमर्थ था, क्योंकि सच बोलता तो उसकी खिल्ली उड़ाई जाती और झूठ बोलता तो पकड़ा जाता | ऊपर से राजू पहले दिन से ही प्रियम से अपने फ़ोन के बारे में पूछ रहा था | प्रियम का हर बार एक ही जवाब होता कि कही खो गया है या गिर गया है वो उसे एक नया स्मार्ट  फ़ोन लेकर दे देगा | अब सात दिन बीत चुके थे अब राजू का धैर्य जवाब दे रहा था | प्रियम ने हालाँकि खुद को सामन्य दिखाने की भरपूर कोशिश की लेकिन उसकी सुस्ती और कमजोर आत्मविश्वास ने राजू के अन्दर शक पैदा कर दिया | उसने अपने मोबाइल पर कई बार फ़ोन लगाया लेकिन मोबाईल स्विच ऑफ़ ही आ रहा था | प्रियम ने भी उसे सिर्फ इतना कहा की वो उसको नया  मोबाइल लाकर दे देगा इससे ज्यादा कुछ नहीं बोला | राजू समझ गया कुछ गड़बड़ है लेकिन प्रियम के मन की बात पता कैसे चले | एक दो बार उसने के साथ रीमा को लेकर अश्लील गप्पे मारने की कोशिश की लेकिन प्रियम ने अनमने भाव से मना कर दिया | प्रियम के खास दोस्तों में बस दो ही लोग थे एक जग्गू और दूसरा राजू | जग्गू से उसकी दोस्ती मतलब की थी चूँकि वो एक स्लम एरिया के मामूली से गुंडे का लड़का था, जो स्लम से निकालकर एक ठीक ठाक जगह रहने आ गया था | उसका बाप उसे अपने से अलग एक पढ़ा लिखा इंसान बनाना चाहता था इसीलिए उसको महंगे अंग्रेजी कॉलेज भेजा, लेकिन जग्गू एक नंबर का आवारा और बदमाश लड़का था | कॉलेज में आये दिन मारपीट करना धौंस दिखाना, कॉलेज के लड़के लडकियों को ड्रग्स बेचना (जो वो अपने बाप के पास से चुराता था ) और कभी कभार लडकियों को छेड़ना उसके लिए आम बात थी | पैसे और रसूखदार बाप की वजह से कॉलेज उसे फ़ैल नहीं करता था लेकिन बोर्ड में उसकी असलियत सामने आ ही जानी थी | इसके उलट राजू न केवल पढने में तेज था, बल्कि उसका दिमाग भी शार्प था | प्रियम अपनी बाते सिर्फ राजू से शेयर करता था लेकिन जग्गू को वो पता ही चल जाती थी | अभी तक जग्गू के मन में प्रियम की इमेज सिर्फ एक अमीर बाप की एकलौती औलाद की थी लेकिन जब से उसने रीमा चाची के लंड चूसने का किस्सा सुनाया तब से जग्गू की नजर में प्रियम की इज्जत और रुतबा दोनो बढ़ गया था | प्रियम और राजू दोनों कुंवारे थे, मतलब अभी तक दोनों के लंडो को चूत के अन्दर जाने का मौका नहीं मिला था  जबकि जग्गू कई बार अपने रहने की पुराणी जगह जाकर झुग्गी की लड़कियों को चोद कर अपना कुंवारापन कब का गँवा चूका था | फिर भी प्रियम ने जिस विस्तार से रीमा चाची द्वारा अपने लंड चूसने, मुट्ठ मारने और उनकी चूत चूसने की कहानी बताई थी, उसके बाद जग्गू को लगा एक बार प्रियम की रीमा को नंगा करके चोदना बनता है, हो सकता है उसे चुदाई का कुछ नया एक्सपीरियंस मिले | अब तक उसे  कम उम्र लौडिया ही मिली थी जिनके हजारो नखरे थे, उन नखरो को झेलने में खड़े लंड को पसीने आ जाते थे, चुदाई का मजा लेना तो दूर बस किसी तरह से सारे जतन करके अपनी पिचकारी छोड़ने तक उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता था | कई बार बीचो बीच चुदाई में उठकर भाग गयी और जग्गू को हाथो से हिलाकर लंड की प्यास बुझानी पड़ी | जवान होती जवानी में किसकी चाहत नहीं होती औरत के बदन की मादक खुसबू को अपने में उतारने की लेकिन राजू जग्गू की तरह मुखर नहीं था | उसकी भी चाहत थी कि वो किसी लड़की को चोद कर कुंवारापन मिटा सके लेकिन वो फट्टू बहुत था इसलिए लडकियों के मामले में हमेशा पीछे की तरफ भागता था | प्रियम के किस्से सुनने के बाद से दोनों की जवान होती लालसाए और ज्यादा तेजी से जवान होने लगी थी, क्योंकि उनके किशोर मन में पता नहीं क्यों ये बात घर कर गयी थी कि अब वो दिन दूर नहीं जब वो रीमा को चोदकर जवानी के आंगन में पहला कदम रख सकते है | एक सपना था जो उन्हें पूरा होता हुआ नजर आ रहा था | इस सपने की उम्मीद जगाने वाला और कोई नहीं बल्कि प्रियम था | 

अब प्रियम को जल्दी ही जिस रीमा चाची के दर्शन हुई थे उसके बाद तो प्रियम की हिम्मत रीमा से नजर मिलाने तक कि भी नहीं थी | वो अन्दर ही अन्दर से बहुत पछता रहा था, उसे लग रहा था की अपना मामला उसे पाने और रीमा चाची के बीच ही रखना चाहिए था उसने राजू और जग्गू को बताकर शायद गलती कर दी | आये दिन जग्गू और राजू उसे रीमा को लेकर छेड़ते रहते और प्रियम बस चुपचाप उनके मजाक को सह लेता क्योंकि रीमा का नाम लेटे ही उसके सामने किचन का वो मंजर किसी फिल्म की तरह सामने चलने लगता |  रीमा ने उसका आत्मविश्वास हिलाकर रख दिया था | वो रीमा पर बात करने से साफ़ मना भी नहीं पा रहा था जबकि उसके दोनों दोस्त खासकर जग्गू उसके मुहँ पर रीमा को चोदने की बात करने लगता | प्रियम बस टालमटोल करके जैसे तैसे उससे पीछा छुड़ाता | 

इधर रीमा के आत्मविश्वास के क्या कहने थे, उसे लग रहा था की उसे आदमियों को कण्ट्रोल करना आ गया | उसने प्रियम से छीना मोबाईल, स्विच ऑफ़ करके अपने एडल्ट टॉयज वाले सीक्रेट ड्रोर में रखकर ताला लगा दिया | उसे उस मोबाईल से ज्यादा कोई मतलब था भी नहीं, बस अगर कभी प्रियम ने लाइन क्रॉस करी तो उसे धमकाने के लिए वो इस्तेमाल कर पायेगी | उस दिन के बाद रीमा अपने रूटीन काम में बिजी रही, उसका खुद के जिस्म के साथ खेलना भी जारी रहा | रीमा रोहित की बात होती, रीमा चाहती थी रोहित आये लेकिन अपनी तरफ से खुला आमंत्रण उसे देना अपने स्त्रीत्व स्वाभिमान के खिलाफ लगता था | उसको लगता था किसी न किसी दिन रोहित उसके जिस्म को भोगने की लालसा लिए हुए, उसकी चूत को चोदने की हवस से बेबस होकर किसी मल्लिका के गुलाम की तरह खुद ही आएगा |  रोहित भी रीमा के पास आने की बहुत कोशिश करता, उसने प्रियम का अजीबो गरीब व्यवहार भी नोटिस किया, उसने प्रियम से इस बारे में पुछा, रीमा से भी जानने की कोशिश की लेकिन दोनों ने इस मामले को लेकर ओंठ सिल लिए थे | रोहित भी बेहद सतर्क था कि कही गलती से भी प्रियम को उसके और रीमा के बारे में नहीं पता चलना चाहिये, क्योंकि प्रियम अब बड़ा हो गया था और औरत मर्द के बीच की दुनिअदारी समझने लगा था | जाहिर सी बात है रोहित और रीमा दोनों ही अपनी अपनी जगह तड़प रहे थे लेकिन परिस्थितयो के हाथो मजबूर थे | रोहित चाहता तो रीमा से कही बाहर भी मिल सकता था लेकिन शहर के लोग उसे अच्छी तरह से जानते थे इसलिए कोई भी उसे कही भी पहचान सकता था | रंगीन मिजाज होना एक अलग बात है लेकिन अपने ही मारे हुए भाई की बीबी के साथ सेक्स करना!!!!!!!!!!!!!!! समाज में हजार तरह की बाते होने लगेगी | वो तो एक बार को सुन भी लेगा लेकिन रीमा का क्या होगा? अभी वो जहाँ भी जाती है उसे उसके पति की जगह का सम्मान मिलता है | एक झटके में सब ख़त्म हो जायेगा, उसे संयम रखन चाहिए | यही सब सोचकर कर खुद को समझा लेता था | फ़ोन पर बात करते समय एक एक दुसरे की भवनाओं का अंदाजा हो ही जाता था लेकिन क्या करे रोहित को इतना काम था कि एक दिन की भी छुट्टी नहीं थी ऊपर से उसे शायद अगले हफ्ते कम्पनी के नए प्रोजेक्ट की वजह से बाहर भी जाना पड़े | जाहिर सी बात है रोहित की धमक सिर्फ समाज में ही नहीं बल्कि उसके काम में भी वैसी ही थी | एक दिन रोहित ने बॉस से जल्दी जाने की छुट्टी मांगी, असल में राजू का बर्थडे था | राजू का बाप और रोहित दोनों जिगरी यार थे और सोशल स्टेटस भी बराबर होने के कारन उनमे खूब छनती थी | जाहिर सी बात है प्रियम और रोहित को जाना था | प्रियम सुबह से ही राजू के बर्थडे में जाने की तयारी कर रहा था | रोहित ने प्रियम को बोला था कि पांच बजे तक हर हाल में वो घर आ जायेगा | लेकिन जब वो बॉस के पास पंहुचा तो बॉस के केबिन में कुछ अलग ही रायता फैला हुआ था | कंपनी के ही क्वालिटी कण्ट्रोल डिपार्टमेंट की ऑडिट रिपोर्ट नेगेटिव आई थी और उसी डिपार्टमेंट की पॉजिटिव ऑडिट रेटिंग पर नए प्रोजेक्ट की डील फाइनल होनी थी | रोहित का काम डिजाईन और आर्किटेक्ट का था लेकिन अब ऑडिटर से रेटिंग पॉजिटिव करवाना बहुत जरुरी था वरना प्रोजेक्ट कंपनी के हाथ से निकल सकता था | बॉस रोहित की तरफ बहुत उम्मीदों से देख रहा था और रोहित भी मना कर सकने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि अगर क्लाइंट प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर देता तो रोहित का भी तो नुकसान था | रोहित ने ऑडिटर की बजट सीधे क्लाइंट से बात करने की सलाह बॉस को दी और तब तक एक जरुरी फ़ोन कॉल करके की बार कहकर बाहर आ गया | रोहित की बात सुनकर बॉस एकदम चौक गया | कुछ देर तो बाहर जा रहे रोहित को देखता रहा | फिर किसी को फ़ोन मिलाने लगा |
इधर रोहित ने घर पर फ़ोन मिलाया - हेल्लो प्रियम कैसे हो बेटा ??
प्रियम - डैड कहाँ तक पंहुचे, मै ready हूँ ?
रोहित - तुम अभी से ready हो गए |
प्रियम - यस डैड |
रोहित - हुन्हुन्हुन्हून | कुछ देर चुप्पी के बाद ......................
प्रियम - हेल्लो डैड डैड .,..........हेल्लो |
रोहित - बेटा एक प्रॉब्लम है, मुझे ऑफिस में बहुत ही अर्जेंट एक मीटिंग करनी है और इसमें रात के बारह बज सकते है, तो मै पांच बजे तक घर नहीं आ पाउगां |
प्रियम - नोनोनोन्नोनोनोनोनो दैदैदैद्द्द्दद्द्द , नो डैड डोंट से इट |
रोहित - प्रियम लिसेन तो मी केयरफुल्ली, इट्स अर्जेंट, वैरी अर्जेंट |
प्रियम मायूस होता हुआ - आप हमेशा यही करते हो, लास्ट वन इयर में मैंने एक भी बर्थडे पार्टी अटेंड नहीं है सिर्फ आपकी वजह से | राजू मेरा सबसे बेस्ट फ्रेंड है मुझे ये पार्टी अटेंड करनी है | 
रोहित - यू डोंट अंडरस्टैंड, थिस इस वैरी टफ फॉर मी, लेकिन मेरा ऑफिस में रहन बहुत इम्पोर्टेन्ट है | 
दोनों कुछ देर छुप रहे ......................... समस्या ये थी पार्टी शहर से दूर बने एक गेस्ट हाउस में थी, वहां तक कोई भी पब्लिक व्हीकल नहीं जाता था और बाकि सारे लोग अपनी अपनी प्लानिंग के हिसाब से निकल गए थे | प्रियम को अकेला इस तरह जाने की परमिशन रोहित दे नहीं सकता था | उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे | तभी केबिन से बॉस की आवाज आई |
रोहित ने फ़ोन काटते हुए प्रियम से कहा - बॉस इस कालिंग मी, मै बस तुम्हे अभी  फ़ोन  करता हूँ | डोंट बी सैड, मै कुछ करता हूँ | 
रोहित केबिन में घुस गया और बॉस के साथ क्लाइंट के साथ प्रॉब्लम को दुसरे तरीके से डिस्कस करने लगा | असल में रोहित को कुछ टाइम चाहिए था क्लाइंट से, कम से कम 6 महीने , तब तक एक और साइकिल ऑडिट हो जायेगा | वो क्लाइंट को ये समझाने में लगा था चूँकि ये एक बड़ा प्रोजेक्ट है, भले ही उनकी कंपनी को ऐसे प्रोजेक्ट का एक लम्बा एक्सपीरियंस है फिर भी क्यों न एक पायलेट प्रोजेक्ट पहले बनाकर स्टडी कर ली जाये ताकि फाइनल प्रोजेक्ट के फील्ड चैलेंज कम हो जायेगे | इसके पीछे रोहित का मकसद प्रोजेक्ट को 6-9 महीने डिले करने का था | क्लाइंट इस बात पर राजी तो हो गया लेकिन उसे पूरा प्लान अभी के अभी स्टेप by स्टेप समझना था | रोहित माथा पकड़कर बैठ गया | बॉस ने रोहित को उलझन में देख फ़ोन का स्पीकर म्यूट किया - रोहित एनी प्रॉब्लम, हमने कुछ ज्यादा तो नहीं प्रोमिस कर दिया |
रोहित - नहीं सर, आई कैन हैंडल इट |
बॉस - कुछ परेशान लग रहे हो |
रोहित - अब आपसे क्या छुपाना, मेरे बेटे के बेस्ट फ्रेंड का बर्थडे है और मैंने उसे प्रॉमिस किया था, मै उसे अपने साथ पार्टी में ले जाऊंगा |
बॉस - तुम नहीं जा रहे हो तो वो अकेला चला जाये, अब इतना भी छोटा नहीं है तुमारा बेटा |
रोहित - बॉस प्रॉब्लम ये है पार्टी, रिवर लाउन्ज में है |
बॉस - वो तो ये प्रॉब्लम है, और कोइ नहीं जो उसके साथ जा सके | 
रोहित - राजू के साथ ही जा सकता था लेकिन वो लोग तो सुबह से ही बाहर है फैमिली सहित, है तो एक दो लोग, लेकिन सर ईमानदारी से कंहू, मुझे किसी पर भरोसा नहीं |
बॉस - मै समझ सकता हूँ | तुमारी सिस्टर आने वाली थी, कब आ रही है वो |
रोहित - सर वो जीजा जी के प्लान बदलते रहते है, जब उन्हें छुट्टी होगी तभी आयेगें |
बॉस - इट मीन्स कोई क्लोज रिलेटिव नहीं है जो प्रियम को रिवर लाउन्ज ले जा सके | यू नो रोहित हाउ इम्पोर्टेन्ट थिस इस |
रोहित - आई अंडरस्टैंड सर |
बॉस थोड़ा सोचकर - रोहित करेक्ट मी अगर मै गलत हूँ, याद है तुमने एक बार एक गॉर्जियस ब्यूटीफुल वैरी सिंपल लेडी से मिलवाया था, सीमा नाम था शायद उनका | 
रोहित - सर रीमा |
बॉस - वो ब्यूटीफुल लेडी भी तो तुमारी शायद रिलेटिव है !!!!!!!!!!!!!!!!!!! इफ आई ऍम नॉट रांग |
रोहित  मन ही मन बॉस को गलिय देता हुआ - साले ठरकी बुड्ढ़े, इस उम्र में तो तेरा वियाग्रा खाकर भी नहीं खड़ा होगा, रीमा के बारे में सोचना छोड़ दे हरामखोर साले | मुझे भी पता है वो ब्यूटीफुल है |

रोहित - यस बॉस, वो मेरे बड़े भाई की विडो है | कुछ सोचकर .........................
रोहित - बॉस आप क्लाइंट से कुछ देर गप्पे मारो, मै बस दो मिनट में आया |
बॉस - गुड लक, ब्यूटीफुल लेडी को हेल्लो बोलना |
रोहित मन ही मन में - ठरकी बुड्ढ़े काम पर ध्यान दे ----- ओके सर बोल दूगां |

रोहित ने रीमा को फ़ोन मिलाया | रीमा अभी घर पंहुची नहीं थी रास्ते में ही थी | आज के उसके कुछ अलग प्लान थे | उसने सोच रखा था, जाकर सबसे पहले 20 मिनट का पॉवर नैप लेगी | फिर मिनिमम कपड़ो में किचन की सफाई करेगी | फिर जल्दी खाना बनाकर, आज अपने सीक्रेट ड्रोर की सफाई करेगी | रोहित तो आने से रहा तो उसे अपनी प्यास अपने तरीके से ही बुझानी पड़ेगी, इसलिए उसी ड्रोर से अपने सीक्रेट टॉयज निकालेगी, जिन्हें खरीदने के बाद से एक बार भी रोहित के असली टॉय के दर्शन रीम को दुर्लभ हो गए, अब इन नकली मशीनी टॉयज से काम चलाना उसकी मजबूरी थी | इन टॉयज के साथ हर तरह की आजादी थी रीमा को लेकिन वो पुरुष देह का कठोर स्पर्श, उसकी मादक गंध, उसकी बलिष्ट भुजाये, चौड़ी छाती और गन्दी गन्दी मादकता फैलाती बाते | बहुत कुछ दिमाग में चल रहा था, लेकिन इतना तय था आज वो कुछ बड़ा खेल खुद के साथ खेलने वाली थी | जैसे ही उसका फ़ोन बजा, उसकी सोचने की तन्द्रा टूटी | स्क्रीन पर पर रोहित का नाम देखेते ही थोडा आश्चर्य हुआ, क्योंकि रोहित के फ़ोन आने का टाइम अक्सर फिक्स ही होता है | इस समय अचानक रोहित का फ़ोन आने से रीमा का चौकना स्वाभाविक था |
रीमा ने कॉल उठाई - हेल्लो रोहित ......
रोहित - हेल्लो रीमा , हाउ आर यू |
रीमा - मै अच्छी हूँ, अपना बतावो |
रोहित - एक काम है मेरा, अगर कर सको तो बहुत अहसानमंद रहूँगा तुमारा |
रीमा ने ताना मारा - मुझे पता था, बिना मतलब इस अबला को याद कौन करता है..........................
रोहित - रीमा मजाक नहीं, इट्स सीरियस  |
उसके बाद रोहित ने सारी राम कहानी रीमा को सुना डाली | पहले तो प्रियम के साथ इतनी दूर जाने में रीमा हिचकी, वो निश्चित नहीं थी कि प्रियम कैसे रियेक्ट करेगा पब्लिक के सामने| उसके मन में हल्का सा संदेह था, इतनी दूर प्रियम के साथ अकेले गाड़ी में जाना ठीक रहेगा या नहीं, उसके अपने प्लान थे, अब उसे बेबी सिटर बनकर प्रियम के आगे पीछे घूमना पड़ेगा, पहले सोचा मना कर दे, क्या हो जायेगा अगर वो बर्थडे पार्टी में नहीं जायेगा लेकिन फिर रोहित के जोर देने पर सोचने को मजबूर हो गयी  ........, फिर हिम्मत करके उसने रोहित को हाँ कर दी | उसने सोचा जो होगा देखा जायेगा ........ | 
रोहित ने प्रियम को फ़ोन मिलाया, प्रियम को जब उसने रीमा के साथ जाने के बारे में बताया तो एकदम से प्रियम उखड़ सा गया |
प्रियम - डैड ये आपके मेरे बीच की बात थी, ये रीमा आंटी बीच में कहाँ से आ गयी | आपने प्रॉमिस किया था चलने के लिए, मै किसी और के साथ नहीं जाऊंगा |
रोहित - मै मानता हूँ मैंने प्रोमिस किया था लेकिन अभी मै नहीं आ सकता | प्रॉब्लम क्या है रीमा के साथ जाने में |
मै नहीं चाहता तुमारी पार्टी मिस हो | मैंने रीमा से बात कर ली है |
प्रियम चौककर - क्या !!!!!!! आपने आंटी से बात भी कर ली और मुझसे पुछा तक नहीं डैड | 
रोहित - तो क्या हो गया, तू ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहा है जैसे कोई बाहरी हो |
प्रियम - डैड मुझे आपके साथ जाना था, वहां ढेर सरो मस्ती करनी थी | आपको तो पता है न रीमा आंटी का नेचर | शी ऑलवेज बी सीरियस |
रोहित मन ही मन में - साले अपने बाप को चुतिया बना रहा है, मन ही मन में लड्डू फुट रहे होंगे | रोहित को असलियत पता नहीं थी इसलिए रोहित अपने हिसाब से अनुमान लगा रहा था - देख प्रियम तेरे पास ज्यादा आप्शन है नहीं , मै नहीं आ सकता बहुत ही इम्पोर्टेन्ट काम है | अब तुझे अगर राजू के पार्टी में जाना है तो तेरे पास सिर्फ यही एक रास्ता है | मैंने रीमा को बोल दिया है, एक घंटे के अन्दर वो रेडी होकर गाड़ी लेकर घर पर आ जाएगी | तू तैयार रहना | नहीं जाना है तो अभी बता दे |
प्रियम छुप रहा .....................................................
रोहित - बोल हाँ या न | 
प्रियम की सारी खुशियाँ हवा हो चुकी थी, बेहद मायुस आवाज में - ओके डैड .........|
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 13-04-2019, 05:44 PM



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