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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..



काजल भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर..

काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, केशव ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो काजल की कुंवारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...

काजल भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की केशव का लंबा लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठूस लिया , ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..

पर केशव जानता था की ऐसा कुछ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डूब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी...

केशव ने उसके भरे हुए कुल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....काजल ने भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार में ...

केशव का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....

''
आआआआआआआआआआआआआआअहह ................ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ......... आआआआआआआआअहह ..... ओह केशव ................... म्*म्म्ममममममममममममममममममममम ''


हल्का दर्द भी हुआ काजल को...आख़िर उसकी सील जो टूटी थी अंदर से...और खून की दो बूँद भी टपक गयी बाहर...जो सीधा जाकर गिरी जीते हुए हज़ार के नोट पर...

थोड़ी देर तक ऐसे ही खड़ा रहा केशव...और फिर उसने झुक कर काजल की पीठ को चूम लिया...और फिर धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा...और फिर वैसे ही धीरे-2 वापिस अंदर डाल दिया...

ये घिसाई का एहसास काजल को अंदर तक हिला गया....ऐसा सेंसेशन तो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किया था....ऐसा लग रहा था की उसके अंदर रेशम से बनी कोई चीज़ फिसल रही है...उसकी गुदगुदाहट को महसूस करके वो अपना वो थोड़ा बहुत दर्द भी भूल गयी...और फिर से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी...

''
उम्म्म्ममममममममममम येस्स्स्स ............ ओह केशव ...... बहुत अक्चा लग रहा है ............ अहहsssssssssssssssssssssss ...क्या फीलिंग है .......... आई एम लविंग इट ................ उम्म्म्मममममममम .....करते रहो .... ऐसे ही ....''
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 13-04-2019, 03:43 PM



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