01-07-2021, 06:09 PM
" भौजाई दो
मैं भी कम्मो का साथ देने पहुँच गयी, मैं पहले अपनी ननद की गोरी चिकनी खुली मांसल जाँघों को सहलाती रही, फिर कम्मो ने जोर से आँख मार के इशारा किया,
" भौजाई दो -दो और मजा सिर्फ एक ही ले, बड़ी नाइंसाफी है "
गच्चाक से मैंने भी अपनी मंझली ऊँगली कम्मो की दोनों ऊँगली के साथ,... कुछ मेरी ऊँगली में इनकी मलाई लगी थी , कुछ बहिनिया की बुर अपने भैया की मलाई से बजबजा रही थी,
गप्प से घुस गयी. और हम दोनों की तीनो उँगलियाँ मजे से कुँवारी ननद की चूत का रस ले रही थी , अब तो फट गयी थी और फटी उस से थी जिस से मैं चाहती थी फटे , एकदम अच्छी तरह से फटी भी थी , ....
गुड्डी जोर जोर से चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , आखिर एक साथ तीन तीन उँगलियाँ , एक किशोरी की कसी चूत में, ...
पर वो जितना चीख रही थी, सुबक रही थी, उतना ही हम दोनों को मजा आ रहा था, मैंने महसूस किया कम्मो ने एक ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ ली है ढूंढ रही है , मैं समझ गयी,
जी प्वाइंट, जैसे क्लिट बाहर होती है जादू की बटन उसी तरह ये चूत के अंदर और क्लिट से भी ज्यादा जोरदार, और मान गयी मैंने कम्मो रानी को,
चीखती सुबकती ननद रानी एकदम जैसे मस्ती से पागल हो गयीं ,
कम्मो ने हलके से उस प्वाइंट को छुआ ,
मैं क्यों पीछे रह जाती मेरा अंगूठा सीधे क्लिट पर , इस दुहरे अटैक से ननद रानी की हालत खराब , वो मस्त हो रही थी छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी , मचल रही थी,
और उस से ज्यादा इन की हालत खराब थी , झंडा एक बार फिर से फहराने लगा, उन की निगाह एकदम अपनी छुटकी बहिनिया पर चिपकी, कैसे वो मस्ता रही है,... ननद रानी झड़ने के कगार पर पहुंच गयीं थी, लग रहा था अब गयीं तब गयीं, पर वो झड़ जाती उस के पहले हम दोनों ने अपनी उँगलियाँ निकाल ली, कम्मो ने इनकी बहिना की बुर से निकली बहिना के रस से गीली दोनों ऊँगली सीधे इनके मुंह में
पर मैं स्वार्थी, अपनी ननद की प्रेम गली के रस का स्वाद लिए बिना मैं नहीं छोड़ने वाली थी तो मेरी ऊँगली मेरे होंठों के बीच, एकदम मस्त चाशनी, खूब गाढ़ी।
चासनी चाटने का मन तो कम्मो का भी कर रहा था, पर उसका काम ऊँगली से नहीं चलने वाला था, सीधे उसने ननदिया के रस कूप में होंठ लगाया, और कर चूसने लगी, फिर कुछ रुक के जैसे कोई जीभ से आम की फांकों को अलग कर कर के चाटे, एकदम उसी तरह, ...
और अपने देवर को दिखाते ललचाते अपनी जीभ वहीँ घुसेड़ दी जहाँ थोड़ी देर पहले उसके देवर का मोटा लंड घुसा था,
वो जीभ से चाट चूस नहीं रही थी, इनकी छुटकी बहिनिया को इन्ही के सामने चोद रही थी, जीभ से
हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,
मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,
जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,
मैं भी कम्मो का साथ देने पहुँच गयी, मैं पहले अपनी ननद की गोरी चिकनी खुली मांसल जाँघों को सहलाती रही, फिर कम्मो ने जोर से आँख मार के इशारा किया,
" भौजाई दो -दो और मजा सिर्फ एक ही ले, बड़ी नाइंसाफी है "
गच्चाक से मैंने भी अपनी मंझली ऊँगली कम्मो की दोनों ऊँगली के साथ,... कुछ मेरी ऊँगली में इनकी मलाई लगी थी , कुछ बहिनिया की बुर अपने भैया की मलाई से बजबजा रही थी,
गप्प से घुस गयी. और हम दोनों की तीनो उँगलियाँ मजे से कुँवारी ननद की चूत का रस ले रही थी , अब तो फट गयी थी और फटी उस से थी जिस से मैं चाहती थी फटे , एकदम अच्छी तरह से फटी भी थी , ....
गुड्डी जोर जोर से चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , आखिर एक साथ तीन तीन उँगलियाँ , एक किशोरी की कसी चूत में, ...
पर वो जितना चीख रही थी, सुबक रही थी, उतना ही हम दोनों को मजा आ रहा था, मैंने महसूस किया कम्मो ने एक ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ ली है ढूंढ रही है , मैं समझ गयी,
जी प्वाइंट, जैसे क्लिट बाहर होती है जादू की बटन उसी तरह ये चूत के अंदर और क्लिट से भी ज्यादा जोरदार, और मान गयी मैंने कम्मो रानी को,
चीखती सुबकती ननद रानी एकदम जैसे मस्ती से पागल हो गयीं ,
कम्मो ने हलके से उस प्वाइंट को छुआ ,
मैं क्यों पीछे रह जाती मेरा अंगूठा सीधे क्लिट पर , इस दुहरे अटैक से ननद रानी की हालत खराब , वो मस्त हो रही थी छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी , मचल रही थी,
और उस से ज्यादा इन की हालत खराब थी , झंडा एक बार फिर से फहराने लगा, उन की निगाह एकदम अपनी छुटकी बहिनिया पर चिपकी, कैसे वो मस्ता रही है,... ननद रानी झड़ने के कगार पर पहुंच गयीं थी, लग रहा था अब गयीं तब गयीं, पर वो झड़ जाती उस के पहले हम दोनों ने अपनी उँगलियाँ निकाल ली, कम्मो ने इनकी बहिना की बुर से निकली बहिना के रस से गीली दोनों ऊँगली सीधे इनके मुंह में
पर मैं स्वार्थी, अपनी ननद की प्रेम गली के रस का स्वाद लिए बिना मैं नहीं छोड़ने वाली थी तो मेरी ऊँगली मेरे होंठों के बीच, एकदम मस्त चाशनी, खूब गाढ़ी।
चासनी चाटने का मन तो कम्मो का भी कर रहा था, पर उसका काम ऊँगली से नहीं चलने वाला था, सीधे उसने ननदिया के रस कूप में होंठ लगाया, और कर चूसने लगी, फिर कुछ रुक के जैसे कोई जीभ से आम की फांकों को अलग कर कर के चाटे, एकदम उसी तरह, ...
और अपने देवर को दिखाते ललचाते अपनी जीभ वहीँ घुसेड़ दी जहाँ थोड़ी देर पहले उसके देवर का मोटा लंड घुसा था,
वो जीभ से चाट चूस नहीं रही थी, इनकी छुटकी बहिनिया को इन्ही के सामने चोद रही थी, जीभ से
हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,
मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,
जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,