01-07-2021, 04:41 AM
ठाकुर साहब बेहद खुश दिख रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी को पाने का उनको अपने बिस्तर की रानी बनाने का उनका सपना जो पूरा हो रहा था... इस दौरान मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब की तरह ना तो एक बार भी देखा ना ही उनसे बातचीत करने की कोई भी कोशिश की.. कंचन ने लंच तैयार कर दिया था.. हम सब ने मिलकर दोपहर को लंच किया.. मेरे जीजा जी को एक टेंपरेरी बेड पर सुला दिया गया था.. पूरे घर में सोनिया के दौड़ने चीखने और चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी.. मेरी दीदी की छोटी बेटी नूपुर वह भी नए घर में आकर सुकून से अपनी मम्मी की गोद में सो रही थी.. ठाकुर साहब की निगाहें मेरी रूपाली दीदी के बदन पर ही चिपक गई थी.. कंचन ठाकुर साहब की रखैल थी.. इस बात का एहसास हम सबको हो चुका था.. कंचन मेरी बहन को देखकर कुछ ज्यादा खुश तो नहीं थी पर उसने अपनी नाखुशी जाहिर नहीं की..
रात में मेरी रूपाली दीदी और कंचन ने साथ मिलकर डिनर तैयार किया.. हम सब ने एक साथ डिनर किया.. अब सोने की बारी थी...
ठाकुर साहब के घर में दो बेडरूम थे. 1 बैडरूम छोटा था जिसमें 6 बाई 4 का एक दीवान रखा हुआ था... मेरे जीजाजी को उसी दीवान पर सुला दिया गया..
ठाकुर साहब: अनूप तुम यहां पर ठीक हो ना..
मेरे जीजू: हां ठाकुर साहब.. मैं ठीक हूं.. इतना तो कोई अपने सगे परिवार के लिए भी नहीं करता है जो आपने हमारे लिए किया है..
ठाकुर साहब: अरे ऐसी कोई बात नहीं है..
मेरी रूपाली दीदी: मैं यहीं पर नीचे सो जाती हूं सोनिया के साथ..
ठाकुर साहब: तो फिर नूपुर कहां पर सोएगी.. ऐसा करो तुम मेरे बेडरूम में सो जाओ.. अपने दोनों बच्चों के साथ.
मेरे जीजू: हां रूपाली तुम ठाकुर साहब के बेडरूम में सो जाओ..
मेरी रूपाली दीदी दोनों मर्दों की बातें सुनकर हैरान रह गई..
ठाकुर साहब: हां रूपाली तुम अपने बच्चों के साथ और अपने भाई के साथ मेरे बेडरूम में सो जाओ.. मैं रोहन के साथ हॉल में सोफे पर सो जाऊंगा.. कंचन किचन में सो जाएगी..
मेरे जीजू: नहीं-नहीं ठाकुर साहब.. आप कैसी बात कर रहे हो.. अपने ही घर में क्या आप अपने नौकर के साथ सोएंगे?... रूपाली का भाई रोहन के साथ हॉल में सो जाएगा..आप रूपाली के साथ अपने बेडरूम में सो जाइए... क्यों ठीक है ना रूपाली?
मेरी रूपाली दीदी हैरान परेशान थी मेरे जीजू की बात सुनकर.. मेरा जीजा मेरी बहन को एक गुंडे के साथ उसके बेडरूम में उसके बिस्तर पर सोने के लिए कह रहा था..
मेरी रूपाली दीदी: अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता भी है क्या...
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली?
ठाकुर साहब: अनूप ठीक कह रहा है रुपाली.. तुम मेरे बिस्तर पर आ जाओ.. सोनिया और नूपुर के साथ.. मेरा बेड तो बहुत बड़ा है..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं.. तुम सोनिया को बीच में सुला देना.. नूपुर तो पालने में सो जाएगी... वैसे भी ठाकुर साहब का बिस्तर बहुत बड़ा है..
मेरी रूपाली दीदी: अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता नहीं है.
मेरे जीजू: तो क्या ठाकुर साहब अपने नौकर के साथ हॉल में सोएंगे सोफे पर?
ठाकुर साहब: अरे कोई बात नहीं मैं नीचे सो जाऊंगा..
मेरी रूपाली दीदी: ठीक है ठाकुर साहब... सोनिया बीच में सो जाएगी..
सब कुछ तय हो चुका था.. ठाकुर साहब बहुत खुश लग रहे थे.. मैं और रोहन बाहर हॉल में सोफे पर सो गए..
रोहन की बहन कंचन भी किचन में नीचे जमीन पर सो गई.. मेरे जीजू ने मेरी बहन को ठाकुर साहब के बेडरूम में अपने बच्चों के साथ भेज दिया था.. मेरी रूपाली दीदी बिस्तर के एक कोने में दीवार की तरफ लेटी हुई थी , बीच में सोनिया, और ठाकुर साहब बिस्तर के दूसरे कोने पर लेटे हुए थे.. उनकी आंखों में नींद नहीं थी.. रात के तकरीबन 2:00 बज चुके थे..
अचानक ठाकुर साहब के बेडरूम का दरवाजा खुला.. ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर आया और किचन में घुस गय.. कंचन वहीं पर नीचे जमीन पर लेटी हुई थी.. ठाकुर साहब ने व्हिस्की का 1 का एक बड़ा पेग बनाया और पी गए... एक के बाद एक करके उन्होंने तीन चार पैग पी लिय.. और फिर अपने बेडरूम में वापस लौट गए ..अंदर से दरवाजा बंद कर लिया उन्होंने..
ठाकुर साहब ने सोनिया को उठाकर अपनी जगह पर सुला दिया.. और खुद बीच में आ गए.. मेरी रूपाली दीदी के पास... उन्होंने अपना हाथ मेरी रुपाली दीदी के नंगे पेट पर रख दिया और सहलाने लगे... चांदनी रात में मेरी रुपाली दीदी बेहद खूबसूरत लग रही थी..
रुपाली दीदी गहरी नींद में थी... ठाकुर साहब मेरी बहन के पीठ को उनकी चोली के ऊपर से चूमने लगे पीछे से... उनका हाथ मेरी बहन के नंगे पेट और नाभि को मसल रहा था.. मेरी रूपाली दीदी नींद से जाग गई..
मेरे रूपाली दीदी: ठाकुर साहब... यह आप क्या कर रहे हैं.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए...
ठाकुर साहब: प्लीज रूपाली.. मैं तुमसे बेहद प्यार करने लगा हूं.. तुम तो अच्छी तरह जानती ही हो ना रूपाली...
मेरी रूपाली दीदी: ऐसा मत कीजिए ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: सोनिया जाग जाएगी ..धीरे बोलो रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... यह गलत कर रहे हैं आप..
ठाकुर साहब: रूपाली.. मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया... क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती हो..
मेरी रुपाली दीदी: ठाकुर साहब... आप जो चाहते हो मैं वह आपके लिए कर सकती हो... परंतु यह नहीं..
ठाकुर साहब: मुझे तो बस यही चाहिए रूपाली..
ठाकुर साहब मेरी बहन के पेट को अपने हाथ से मसलते रहे और उनकी गांड पर अपना लंड दबाते रहे...
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब प्लीज मुझे छोड़ दीजिए... मैंने आपका क्या बिगाड़ा है.. जो आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं.
नाराज होकर मेरी रुपाली दीदी उठ कर बैठ गई.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया..
ठाकुर साहब: प्लीज रुपाली मेरा साथ दे दो.. बस एक बार.. तुम्हें जब से देखा है मुझे नींद नहीं आती है..
मेरी रूपाली दीदी: मेरी बेटियां यहीं पर सो रही है.. मेरा पति दूसरे कमरे में सो रहा है... मेरा भाई आपके नौकर के साथ हॉल में सो रहा है..
ठाकुर साहब:
: मैंने दरवाजा अच्छी तरह लॉक कर दिया है... वैसे भी तुम्हारा पति उठने की हालत में नहीं है...
दोनों बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे.. ठाकुर साहब ने कंबल खींच लिया मेरी रूपाली दीदी और अपने ऊपर... वह मेरी बहन की गर्दन को चूमने लगे और अपने एक हाथ से एक उंगली मेरी बहन की नाभि में अंदर बाहर करने लगे.. मेरी बहन तड़पने लगी...
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... यह मत कीजिए मेरे साथ.. आप जो कुछ भी कहोगे करुंगी मैं आपके लिए.. पर यह नही.. मैं एक अच्छे घर से हूं... शादीशुदा हूं..
ठाकुर साहब: तभी तो तुमको अपने घर लाया हूं रूपाली...
मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगा.
मेरी रूपाली दीदी: यह पाप है ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: रूपाली... यह पाप नहीं है.. प्यार है..
ठाकुर साहब ने कंबल नीचे फेंक दिया... उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी बहन की मुलायम चूची को पकड़ के जोर से दबा दिया... मेरी रूपाली दीदी की तो सिसकारी निकल गई..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गय.. उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ कर अपने दोनों हाथों से जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेरी बहन की आंखों में देखने लगे..
ठाकुर साहब: तुम्हें क्या लगता है मैं तुमको अपने बिस्तर पर क्यों लाया.. रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: यह पाप मुझे मत करवाइए ठाकुर साहब...
ठाकुर साहब: पाप नहीं रानी.. यह तो प्यार है..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के गुलाबी रसीले होंठों को चूमने लगे बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के हल्के.. मेरी बहन भी उनका साथ दे रही थी चुंबन.. थोड़ी देर में फ्रेंच किस में बदल गया था मेरी बहन और ठाकुर साहब का चुंबन.. दोनों के जीव आपस में टकराने लगी थी.. दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे.. एक दूसरे के होंठों को.. एक दूसरे की जीभ को..
मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी.. चोली के ऊपर से ही ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों चुचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. मेरी रूपाली दीदी की दोनों बेटियां अगल-बगल में सोई हुई थी.. दोनों प्रेमी युगल आपस में प्रेम कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी जानती थी कि यह गलत हो रहा है.. कमरे का एसी ऑन था.. गहरा अंधेरा था.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब का चुंबन अब जंगली हो चुका था.. ठाकुर साहब तो पागल हो चुके थे मेरी बहन को ठोकने के लिए..
मेरी रूपाली दीदी अपने होशो हवास में थी.. वह जानती थी कि ठाकुर साहब का मोटा मुसल लंड उनके गुलाबी छेद का रास्ता ढूंढ रहा है.. दीदी किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब को ऐसा करना नहीं देना चाह रही थी.. मेरी बहन उस गुंडे को अपने गुलाबी छेद का रास्ता नहीं दिखाना चाहती थी.. मेरी रूपाली दीदी परेशान थी.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे..
ठाकुर साहब ने मन ही मन फैसला कर लिया था कि आज की रात वह मेरी रूपाली दीदी की चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लेंगे..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक छाती पर अपना मुंह रख दिया और चूसने लगे मुंह में लेकर.. मेरी रूपाली दीदी के मुंह से कराह निकलने लगी.. एक औरत की सिसकारी जो अपने पति के साथ बिस्तर में निकालती है औरत.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती अपनी चूची पिलाती हुई मदमस्त होने लगी थी...
मेरे रूपाली दीदी: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही.. ठाकुर साहब ...नहीं..
ठाकुर साहब अपना लौड़ा मेरी रूपाली दीदी के त्रिकोण पर टीका कर रगड़ने लगे थे.. मेरी बहन के गुलाबी छेद पर ठाकुर साहब का झंडा और डंडा खड़ा था.. सब कुछ कपड़े के ऊपर से हो रहा था..
मेरी रूपाली दीदी अपना संयम खोने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपने कब्जे में ले लिया था... दोनों हवस और वासना की प्यास में झुलस रहे थे.. ठाकुर साहब मेरी दीदी की चूची को दबाए ही जा रहे थे.. मेरी बहन एक काम पीड़ित औरत की तरह सिसकारियां ले रही थी धीरे-धीरे.. ठाकुर साहब पूरी तरह उत्तेजित हो चुके हैं..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की चोली खोलने लगे..
27 साल की दो बच्चों की मां मेरी रूपाली दीदी एक गुंडे के नीचे थी.. ठाकुर साहब का बदन और मेरी दीदी का बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहा था.. दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे... किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब आज मेरी रूपाली दीदी को पेल देना चाहते थे ..
रात में मेरी रूपाली दीदी और कंचन ने साथ मिलकर डिनर तैयार किया.. हम सब ने एक साथ डिनर किया.. अब सोने की बारी थी...
ठाकुर साहब के घर में दो बेडरूम थे. 1 बैडरूम छोटा था जिसमें 6 बाई 4 का एक दीवान रखा हुआ था... मेरे जीजाजी को उसी दीवान पर सुला दिया गया..
ठाकुर साहब: अनूप तुम यहां पर ठीक हो ना..
मेरे जीजू: हां ठाकुर साहब.. मैं ठीक हूं.. इतना तो कोई अपने सगे परिवार के लिए भी नहीं करता है जो आपने हमारे लिए किया है..
ठाकुर साहब: अरे ऐसी कोई बात नहीं है..
मेरी रूपाली दीदी: मैं यहीं पर नीचे सो जाती हूं सोनिया के साथ..
ठाकुर साहब: तो फिर नूपुर कहां पर सोएगी.. ऐसा करो तुम मेरे बेडरूम में सो जाओ.. अपने दोनों बच्चों के साथ.
मेरे जीजू: हां रूपाली तुम ठाकुर साहब के बेडरूम में सो जाओ..
मेरी रूपाली दीदी दोनों मर्दों की बातें सुनकर हैरान रह गई..
ठाकुर साहब: हां रूपाली तुम अपने बच्चों के साथ और अपने भाई के साथ मेरे बेडरूम में सो जाओ.. मैं रोहन के साथ हॉल में सोफे पर सो जाऊंगा.. कंचन किचन में सो जाएगी..
मेरे जीजू: नहीं-नहीं ठाकुर साहब.. आप कैसी बात कर रहे हो.. अपने ही घर में क्या आप अपने नौकर के साथ सोएंगे?... रूपाली का भाई रोहन के साथ हॉल में सो जाएगा..आप रूपाली के साथ अपने बेडरूम में सो जाइए... क्यों ठीक है ना रूपाली?
मेरी रूपाली दीदी हैरान परेशान थी मेरे जीजू की बात सुनकर.. मेरा जीजा मेरी बहन को एक गुंडे के साथ उसके बेडरूम में उसके बिस्तर पर सोने के लिए कह रहा था..
मेरी रूपाली दीदी: अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता भी है क्या...
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली?
ठाकुर साहब: अनूप ठीक कह रहा है रुपाली.. तुम मेरे बिस्तर पर आ जाओ.. सोनिया और नूपुर के साथ.. मेरा बेड तो बहुत बड़ा है..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. ठाकुर साहब ठीक कह रहे हैं.. तुम सोनिया को बीच में सुला देना.. नूपुर तो पालने में सो जाएगी... वैसे भी ठाकुर साहब का बिस्तर बहुत बड़ा है..
मेरी रूपाली दीदी: अनूप तुम क्या बोल रहे हो तुम को कुछ पता नहीं है.
मेरे जीजू: तो क्या ठाकुर साहब अपने नौकर के साथ हॉल में सोएंगे सोफे पर?
ठाकुर साहब: अरे कोई बात नहीं मैं नीचे सो जाऊंगा..
मेरी रूपाली दीदी: ठीक है ठाकुर साहब... सोनिया बीच में सो जाएगी..
सब कुछ तय हो चुका था.. ठाकुर साहब बहुत खुश लग रहे थे.. मैं और रोहन बाहर हॉल में सोफे पर सो गए..
रोहन की बहन कंचन भी किचन में नीचे जमीन पर सो गई.. मेरे जीजू ने मेरी बहन को ठाकुर साहब के बेडरूम में अपने बच्चों के साथ भेज दिया था.. मेरी रूपाली दीदी बिस्तर के एक कोने में दीवार की तरफ लेटी हुई थी , बीच में सोनिया, और ठाकुर साहब बिस्तर के दूसरे कोने पर लेटे हुए थे.. उनकी आंखों में नींद नहीं थी.. रात के तकरीबन 2:00 बज चुके थे..
अचानक ठाकुर साहब के बेडरूम का दरवाजा खुला.. ठाकुर साहब अपने बेडरूम से बाहर आया और किचन में घुस गय.. कंचन वहीं पर नीचे जमीन पर लेटी हुई थी.. ठाकुर साहब ने व्हिस्की का 1 का एक बड़ा पेग बनाया और पी गए... एक के बाद एक करके उन्होंने तीन चार पैग पी लिय.. और फिर अपने बेडरूम में वापस लौट गए ..अंदर से दरवाजा बंद कर लिया उन्होंने..
ठाकुर साहब ने सोनिया को उठाकर अपनी जगह पर सुला दिया.. और खुद बीच में आ गए.. मेरी रूपाली दीदी के पास... उन्होंने अपना हाथ मेरी रुपाली दीदी के नंगे पेट पर रख दिया और सहलाने लगे... चांदनी रात में मेरी रुपाली दीदी बेहद खूबसूरत लग रही थी..
रुपाली दीदी गहरी नींद में थी... ठाकुर साहब मेरी बहन के पीठ को उनकी चोली के ऊपर से चूमने लगे पीछे से... उनका हाथ मेरी बहन के नंगे पेट और नाभि को मसल रहा था.. मेरी रूपाली दीदी नींद से जाग गई..
मेरे रूपाली दीदी: ठाकुर साहब... यह आप क्या कर रहे हैं.. प्लीज मुझे छोड़ दीजिए...
ठाकुर साहब: प्लीज रूपाली.. मैं तुमसे बेहद प्यार करने लगा हूं.. तुम तो अच्छी तरह जानती ही हो ना रूपाली...
मेरी रूपाली दीदी: ऐसा मत कीजिए ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: सोनिया जाग जाएगी ..धीरे बोलो रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... यह गलत कर रहे हैं आप..
ठाकुर साहब: रूपाली.. मैंने तुम्हारे लिए इतना कुछ किया... क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती हो..
मेरी रुपाली दीदी: ठाकुर साहब... आप जो चाहते हो मैं वह आपके लिए कर सकती हो... परंतु यह नहीं..
ठाकुर साहब: मुझे तो बस यही चाहिए रूपाली..
ठाकुर साहब मेरी बहन के पेट को अपने हाथ से मसलते रहे और उनकी गांड पर अपना लंड दबाते रहे...
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब प्लीज मुझे छोड़ दीजिए... मैंने आपका क्या बिगाड़ा है.. जो आप मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं.
नाराज होकर मेरी रुपाली दीदी उठ कर बैठ गई.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया..
ठाकुर साहब: प्लीज रुपाली मेरा साथ दे दो.. बस एक बार.. तुम्हें जब से देखा है मुझे नींद नहीं आती है..
मेरी रूपाली दीदी: मेरी बेटियां यहीं पर सो रही है.. मेरा पति दूसरे कमरे में सो रहा है... मेरा भाई आपके नौकर के साथ हॉल में सो रहा है..
ठाकुर साहब:
: मैंने दरवाजा अच्छी तरह लॉक कर दिया है... वैसे भी तुम्हारा पति उठने की हालत में नहीं है...
दोनों बहुत धीरे-धीरे बात कर रहे थे.. ठाकुर साहब ने कंबल खींच लिया मेरी रूपाली दीदी और अपने ऊपर... वह मेरी बहन की गर्दन को चूमने लगे और अपने एक हाथ से एक उंगली मेरी बहन की नाभि में अंदर बाहर करने लगे.. मेरी बहन तड़पने लगी...
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब... यह मत कीजिए मेरे साथ.. आप जो कुछ भी कहोगे करुंगी मैं आपके लिए.. पर यह नही.. मैं एक अच्छे घर से हूं... शादीशुदा हूं..
ठाकुर साहब: तभी तो तुमको अपने घर लाया हूं रूपाली...
मैं हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूंगा.
मेरी रूपाली दीदी: यह पाप है ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: रूपाली... यह पाप नहीं है.. प्यार है..
ठाकुर साहब ने कंबल नीचे फेंक दिया... उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी बहन की मुलायम चूची को पकड़ के जोर से दबा दिया... मेरी रूपाली दीदी की तो सिसकारी निकल गई..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के ऊपर सवार हो गय.. उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ कर अपने दोनों हाथों से जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया और मेरी बहन की आंखों में देखने लगे..
ठाकुर साहब: तुम्हें क्या लगता है मैं तुमको अपने बिस्तर पर क्यों लाया.. रूपाली..
मेरी रूपाली दीदी: यह पाप मुझे मत करवाइए ठाकुर साहब...
ठाकुर साहब: पाप नहीं रानी.. यह तो प्यार है..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी के गुलाबी रसीले होंठों को चूमने लगे बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के हल्के.. मेरी बहन भी उनका साथ दे रही थी चुंबन.. थोड़ी देर में फ्रेंच किस में बदल गया था मेरी बहन और ठाकुर साहब का चुंबन.. दोनों के जीव आपस में टकराने लगी थी.. दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे.. एक दूसरे के होंठों को.. एक दूसरे की जीभ को..
मेरी रूपाली दीदी की आंखें बंद थी.. चोली के ऊपर से ही ठाकुर साहब मेरी बहन की दोनों चुचियों को बुरी तरह मसल रहे थे. मेरी रूपाली दीदी की दोनों बेटियां अगल-बगल में सोई हुई थी.. दोनों प्रेमी युगल आपस में प्रेम कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी जानती थी कि यह गलत हो रहा है.. कमरे का एसी ऑन था.. गहरा अंधेरा था.. मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब का चुंबन अब जंगली हो चुका था.. ठाकुर साहब तो पागल हो चुके थे मेरी बहन को ठोकने के लिए..
मेरी रूपाली दीदी अपने होशो हवास में थी.. वह जानती थी कि ठाकुर साहब का मोटा मुसल लंड उनके गुलाबी छेद का रास्ता ढूंढ रहा है.. दीदी किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब को ऐसा करना नहीं देना चाह रही थी.. मेरी बहन उस गुंडे को अपने गुलाबी छेद का रास्ता नहीं दिखाना चाहती थी.. मेरी रूपाली दीदी परेशान थी.. ठाकुर साहब जबरदस्ती कर रहे थे..
ठाकुर साहब ने मन ही मन फैसला कर लिया था कि आज की रात वह मेरी रूपाली दीदी की चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लेंगे..
ठाकुर साहब ने मेरी बहन की चोली के ऊपर से उनकी एक छाती पर अपना मुंह रख दिया और चूसने लगे मुंह में लेकर.. मेरी रूपाली दीदी के मुंह से कराह निकलने लगी.. एक औरत की सिसकारी जो अपने पति के साथ बिस्तर में निकालती है औरत.. मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती अपनी चूची पिलाती हुई मदमस्त होने लगी थी...
मेरे रूपाली दीदी: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही.. ठाकुर साहब ...नहीं..
ठाकुर साहब अपना लौड़ा मेरी रूपाली दीदी के त्रिकोण पर टीका कर रगड़ने लगे थे.. मेरी बहन के गुलाबी छेद पर ठाकुर साहब का झंडा और डंडा खड़ा था.. सब कुछ कपड़े के ऊपर से हो रहा था..
मेरी रूपाली दीदी अपना संयम खोने लगी थी.. ठाकुर साहब ने मेरी बहन को अपने कब्जे में ले लिया था... दोनों हवस और वासना की प्यास में झुलस रहे थे.. ठाकुर साहब मेरी दीदी की चूची को दबाए ही जा रहे थे.. मेरी बहन एक काम पीड़ित औरत की तरह सिसकारियां ले रही थी धीरे-धीरे.. ठाकुर साहब पूरी तरह उत्तेजित हो चुके हैं..
ठाकुर साहब मेरी रुपाली दीदी की चोली खोलने लगे..
27 साल की दो बच्चों की मां मेरी रूपाली दीदी एक गुंडे के नीचे थी.. ठाकुर साहब का बदन और मेरी दीदी का बदन एक दूसरे से रगड़ खा रहा था.. दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे... किसी भी कीमत पर ठाकुर साहब आज मेरी रूपाली दीदी को पेल देना चाहते थे ..