13-04-2019, 07:42 AM
माँ का भंडुवा
" बोल तू है न अपनी माँ का भंडुवा , "
उनकी हाँ. उनकी ख़ुशी भरी सिसकियों में डूब गयी।
हचाक
एक मेरे जोरदार धक्के में ही उनका सुपाड़ा मेरी कोमल मखमली चूत के अंदर।
चूत की दीवालों को भींच कर ,निचोड़ कर ही मैं उनके सुपाड़े की हालात खराब कर दे रही थी।
एक तो उस बिचारे को मैंने तंग भी बहुत किया था ,आफिस में.
फिर ब्रा की शापिंग करवा के ,...
कुछ तो इनाम बनता था न।
लेकिन मैंने सुपाड़े से ज्यादा लन्ड अंदर नहीं लिया ,बस उसी को कभी गोल गोल कमर घुमा के तो कभी स्क्वीज कर के ,
सिर्फ मर्दों की उंगलियां ही थोड़े तंग कर सकती हैं
मेरी लंबी लंबी उँगलियाँ शार्प नाख़ून कभी उनके निपल्स पर तो कभी लन्ड के बेस पर,
वो कुलबुला रहे थे ,नीचे से पुश करने की कोशिश कर रहे थे ,
" बहुत मन कर रहा है ,अच्छा चल अपनी माँ को दस मोटी मोटी सूना ,... जैसी मम्मी सुनाती है न वैसी बल्कि उससे भी तेज ,गदहा ,घोड़ा ,कुत्ता कोई बचना नहीं चाहिए। "
और उनकी हर गाली के साथ ,मेरा एकदम स्लो पेस्ड धक्का ,...
दसवीं गाली के साथ ही उनका पूरा लन्ड अंदर ,..
और मैं फिर रुक गयी।
" सोच न जो गदहे ,घोड़े कुत्ते सब का घोंट सकती है
वो मेरी मम्मी के एकलौते दामाद का क्यों नहीं ,... जैसे मैं तुझे चोद रही हूँ उससे भी धक्कापेल तू उसको चोदना , मेरे और मम्मी के सामने , बोल चोदेगा न। "
और बिना उनके जवाब का इंतजार किये मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी।
कुछ देर तो बिचारा कंट्रोल कर पाया फिर वो भी नीचे से ,
और फिर सब नियम क़ानून उनकी माँ के भोसड़े में ,
हम दोनों की कुश्ती बराबर की चल रही थी ,
इस लिए है मैं तीन बार पहले ही उसके जीभ से झड़ चुकी थी ,
और उसका तो पहला ही ,
ऊपर से गालियां दे दे के ,...
अब उन्होंने भी कभी अपने मुंह से मेरे निपल्स चूसने शुरू किये तो कभी ऊँगली से क्लीट रगड़ना,
पंद्रह बीस मिनट तक नान स्टाप और अबकी फिर झड़ी मैं ही पहले।
लेकिन झड़ते हुए जब मेरी चूत ने उनके लन्ड को कस के सिकोड़ा तो वो भी ,...
खूब गाढ़ी मलाई ,....
और कुछ देर में वो सपड़ सपड़ चाट रहे थे।
उस चाटने का असर ये हुआ की मेरा मन फिर करने लगा।
उनका तो खड़ा हो ही गया था लेकिन अबकी मैंने उसे उसके मन की करने दी ,
उनकी फेवरिट पोज ,
डॉगी पोज
क्या धक्के थे , हर बार सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पे लगता था। दोनों चूंची पकड़ के जिस ताकत से वो धक्के मारता था , बस जान नहीं निकलती थी। मोटे लन्ड का बेस सीधे मेरी कसी कोमल चूत की दीवारों से टकराता था।
ये उनका नया रूप ,रफ ,हार्ड, वाइल्ड ,... मुझे कितना अच्छा लगता था मैं बता नहीं सकती।
मेरा चेहरा पिलो में धंसा हुआ था था और वो बिना रुके पूरी ताकत से चोद रहे थे और न मैं बोल रही थी न वो ,
बस मैं चुद रही थी वोचोद रहे थे।
अबकी मैं तीन बार झड़ी तब कहीं जाके वो ,
और मैं थेथर हो गयी थी लसर पसर ,एकदम थक कर चूर।
बस मैं और वो ,एक दूसरे को बांहों में बांधे सो गए।
लेकिन सोने के पहले मैंने उन्हें दूसरी सरप्राइज बता दी ,
हसबैंड नाइट।
और उन्हें फर्स्ट आना है।
क्या होगा कैसे होगा , ये मैंने कल के लिए छोड़ दिया।
" बोल तू है न अपनी माँ का भंडुवा , "
उनकी हाँ. उनकी ख़ुशी भरी सिसकियों में डूब गयी।
हचाक
एक मेरे जोरदार धक्के में ही उनका सुपाड़ा मेरी कोमल मखमली चूत के अंदर।
चूत की दीवालों को भींच कर ,निचोड़ कर ही मैं उनके सुपाड़े की हालात खराब कर दे रही थी।
एक तो उस बिचारे को मैंने तंग भी बहुत किया था ,आफिस में.
फिर ब्रा की शापिंग करवा के ,...
कुछ तो इनाम बनता था न।
लेकिन मैंने सुपाड़े से ज्यादा लन्ड अंदर नहीं लिया ,बस उसी को कभी गोल गोल कमर घुमा के तो कभी स्क्वीज कर के ,
सिर्फ मर्दों की उंगलियां ही थोड़े तंग कर सकती हैं
मेरी लंबी लंबी उँगलियाँ शार्प नाख़ून कभी उनके निपल्स पर तो कभी लन्ड के बेस पर,
वो कुलबुला रहे थे ,नीचे से पुश करने की कोशिश कर रहे थे ,
" बहुत मन कर रहा है ,अच्छा चल अपनी माँ को दस मोटी मोटी सूना ,... जैसी मम्मी सुनाती है न वैसी बल्कि उससे भी तेज ,गदहा ,घोड़ा ,कुत्ता कोई बचना नहीं चाहिए। "
और उनकी हर गाली के साथ ,मेरा एकदम स्लो पेस्ड धक्का ,...
दसवीं गाली के साथ ही उनका पूरा लन्ड अंदर ,..
और मैं फिर रुक गयी।
" सोच न जो गदहे ,घोड़े कुत्ते सब का घोंट सकती है
वो मेरी मम्मी के एकलौते दामाद का क्यों नहीं ,... जैसे मैं तुझे चोद रही हूँ उससे भी धक्कापेल तू उसको चोदना , मेरे और मम्मी के सामने , बोल चोदेगा न। "
और बिना उनके जवाब का इंतजार किये मैंने उनकी धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी।
कुछ देर तो बिचारा कंट्रोल कर पाया फिर वो भी नीचे से ,
और फिर सब नियम क़ानून उनकी माँ के भोसड़े में ,
हम दोनों की कुश्ती बराबर की चल रही थी ,
इस लिए है मैं तीन बार पहले ही उसके जीभ से झड़ चुकी थी ,
और उसका तो पहला ही ,
ऊपर से गालियां दे दे के ,...
अब उन्होंने भी कभी अपने मुंह से मेरे निपल्स चूसने शुरू किये तो कभी ऊँगली से क्लीट रगड़ना,
पंद्रह बीस मिनट तक नान स्टाप और अबकी फिर झड़ी मैं ही पहले।
लेकिन झड़ते हुए जब मेरी चूत ने उनके लन्ड को कस के सिकोड़ा तो वो भी ,...
खूब गाढ़ी मलाई ,....
और कुछ देर में वो सपड़ सपड़ चाट रहे थे।
उस चाटने का असर ये हुआ की मेरा मन फिर करने लगा।
उनका तो खड़ा हो ही गया था लेकिन अबकी मैंने उसे उसके मन की करने दी ,
उनकी फेवरिट पोज ,
डॉगी पोज
क्या धक्के थे , हर बार सुपाड़ा सीधे बच्चेदानी पे लगता था। दोनों चूंची पकड़ के जिस ताकत से वो धक्के मारता था , बस जान नहीं निकलती थी। मोटे लन्ड का बेस सीधे मेरी कसी कोमल चूत की दीवारों से टकराता था।
ये उनका नया रूप ,रफ ,हार्ड, वाइल्ड ,... मुझे कितना अच्छा लगता था मैं बता नहीं सकती।
मेरा चेहरा पिलो में धंसा हुआ था था और वो बिना रुके पूरी ताकत से चोद रहे थे और न मैं बोल रही थी न वो ,
बस मैं चुद रही थी वोचोद रहे थे।
अबकी मैं तीन बार झड़ी तब कहीं जाके वो ,
और मैं थेथर हो गयी थी लसर पसर ,एकदम थक कर चूर।
बस मैं और वो ,एक दूसरे को बांहों में बांधे सो गए।
लेकिन सोने के पहले मैंने उन्हें दूसरी सरप्राइज बता दी ,
हसबैंड नाइट।
और उन्हें फर्स्ट आना है।
क्या होगा कैसे होगा , ये मैंने कल के लिए छोड़ दिया।