30-06-2021, 05:39 PM
(This post was last modified: 30-06-2021, 06:36 PM by babasandy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
ठाकुर साहब ने आवाज तो सुनी पर उन्होंने कोई परवाह किए बिना मेरी दीदी के दोनों पर्वतों के ऊपरी हिस्से को चूमना जारी रखा.. ठाकुर साहब जानते थे कि शायद वह मेरी रूपाली दीदी को दोबारा ऐसी हालत में नहीं ला पाएंगे.. इसलिए इस मौके का जितना हो सके उतना लाभ उठाना चाहते थे.. ऐसा लग रहा था कि मेरी रूपाली दीदी तो जैसे नशे में हो.. मेरी बहन के क्लीवेज लाइन पर वह अपने जीव को फिरआ ही रहे थे कि दरवाजे पर एक बार फिर नॉक ..नॉक.. तेज आवाज में हुई.. मेरी बहन को होश आया.. उन्होंने ठाकुर साहब को धक्का देकर अपने आप से अलग कर किया.. मेरी दीदी उठ कर बैठ गई.. अपनी ब्रा ठीक करने के बाद वह अपनी चोली पहनने लगी.. ठाकुर साहब ने एक बार फिर से मेरी बहन को दबोचने की कोशिश की... लेकिन दीदी ने उन को धक्का देकर अपने आप से अलग कर लिया... और अपने आप को संयमित करने की कोशिश करने लगी.
चोली पहनने के बाद मेरी बहन मन ही मन खुद को कोसने लगी ..... रूपाली... यह क्या करने जा रही थी तुम? इतना बड़ा पाप? ..
ठाकुर साहब के खड़े लंड पर धोखा हो चुका था.. उनका खड़ा लंड मुरझा के झुक गया था और मेरी रूपाली दीदी की आंखों के सामने लहरा रहा था.. वह मेरी बहन को निराश होकर देख रहे थे.
इस घटिया माहौल में मेरी रूपाली दीदी बेहद शर्मिंदा महसूस कर रही थी.. उन्हें खुद से ही शर्म आ रही थी..
ठाकुर साहब ने अपनी पैंट पहन ली और फिर अपनी शर्ट पहनने लगे.. उनके चेहरे पर बेहद निराशा के भाव थे जाहिर है अचानक माहौल जो बदल गया था. भारी मन से उन्होंने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल गए... सिमटी हुई शर्माई सी मेरी रुपाली दीदी कार के अंदर ही बैठी रही.
गाड़ी के बाहर ठाकुर साहब का नौकर रोहन( जिसकी उम्र भी तकरीबन मेरी उम्र के बराबर है यानी 19 साल थी), कार मैकेनिक के साथ उनका इंतजार कर रहा था.. देखते ही रोहन तो समझ गया था कि ठाकुर साहब मेरे रुपाली दीदी के साथ गाड़ी के अंदर क्या कर रहे थे.. पर उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह ठाकुर साहब का कुछ बोल सके..
मैकेनिक ने गाड़ी का परीक्षण किया.. उसने देखा कि गाड़ी के 2 टायर पंचर है.. दोनों टायर चेंज करना अभी संभव नहीं था इसीलिए ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी को अपनी दूसरी गाड़ी में ,जिसे रोहन लेकर आया था.. हमारे घर की तरफ चल पड़े.. रोहन वहीं पर रुक गया दूसरी गाड़ी के साथ है जिसका रिपेयर होना बाकी था..
मेरी रूपाली दीदी ने अपना चेहरा अच्छी तरह से ढक लिया था ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके.. पर रोहन ने तो उन को अच्छी तरह पहचान लिया था.. रोहन मेरे कॉलेज में पढ़ता है मेरी क्लास में..
पूरे रास्ते ठाकुर साहब और मेरी रूपाली दीदी के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई.. या यूं कहें कि मेरी बहन ने ठाकुर साहब को बातचीत करने का कोई मौका नहीं दिया. तकरीबन 20 मिनट में दोनों घर पहुंच गया.. ठाकुर साहब को बिना कुछ बोले हुए ही मेरी रूपाली दीदी हमारे अपार्टमेंट की तरफ भागने लगी.. दौड़ते हुए मेरी रूपाली दीदी की गांड साड़ी के अंदर हिल रही थी, जिसे देखकर ठाकुर साहब के अरमान मचल रहे थे.. मेरी बहन की हिलती हुई गांड देखकर ठाकुर साहब अपनी आंखें गर्म करते रहे तब तक जब तक कि मेरी दीदी उनकी आंखों से ओझल नहीं हो गई.
हमारे घर आने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने सबसे पहले अपनी छोटी बेटी
को अपना दूध पिलाया.. फिर वह मेरे पास आई.. सोनिया मेरे पास ही सो चुकी थी.. मेरी रुपाली दीदी मुझे देख कर मुस्कुराई और नहाने चली गई.
नहाने के बाद मेरी दीदी जीजू के पास गई..
मेरे जीजू: तुम ठीक तो हो ना रूपाली..
रूपाली दीदी: हां मैं ठीक हूं.
मेरे जीजू: अच्छा हुआ ठाकुर साहब तुम्हारे साथ में थे.
मेरी दीदी : हां..
मेरी रूपाली दीदी जीजू के सीने से लिपट गई और उनको चूमने लगी.. पर मेरी जीजू तो कुछ भी नहीं कर रहे थे वह चुपचाप लेटे हुए थे. मेरी बहन उनके ऊपर सवार हो गई और उन्होंने अपनी दोनों बड़ी बड़ी छातियों का भार जीजू के मुंह के ऊपर रख दिया..
मेरी दीदी अपनी छातियों को उनके मुंह पर घिसने लगी. मेरी बहन चाहती थी मेरा जीजू उनकी दुधारू बड़ी बड़ी छातियों को अपने मुंह में लेकर चूस डालें.. दूध के टैंकरों को चूसना तो दूर मेरे जीजा जी ने तो एक चुम्मा भी नहीं लिया... मेरी बहन को बुरा लगा... एक बार फिर वह मेरे जीजू के होठों को चूमने लगी हो..पर मेरे निकम्मे जीजू की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना देखकर मेरी रुपाली दीदी निराश हो गई.. वह मन ही मन मेरे जीजू की तुलना ठाकुर साहब से करने लगी थी.. फिर उन्हें अपने आप पर ही घृणा महसूस हुई... रूपाली.... यह तेरा पति है और वह एक गुंडा... तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है..
वह मेरी जीजू के ऊपर से हट गई..
मेरी रूपाली दीदी: गुड नाइट.
मेरे जीजू: गुड नाइट रूपाली..
जाने के पहले मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू के पैंट के ऊपर से ही उनके बर्बाद हो चुके लंड पर हाथ रखकर टटोलने की कोशिश की.. पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.. वहां पर मर्दानगी के नाम पर एक मरा हुआ चूहा था जो खड़ा होने में बिल्कुल असमर्थ था..
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली? सोना नहीं है क्या..
मेरी दीदी: जी ठीक है..
मेरी रूपाली दीदी कमरे से बाहर निकल अपनी किस्मत पर रो पड़ी.. उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया था कि अब मेरे जीजू अब उनकी चूत को चोदने की ताकत खो चुके.. फिर मेरी दीदी सोचने लगी.... तो क्या हुआ मैं परेशान क्यों हो रही हूं.. आखिर वह मेरे पति है. अभी मेरा ध्यान तो मेरे बच्चे मेरा भाई और मेरे पति के इलाज पर होना चाहिए .. अगर मेरे पति का अच्छे से इलाज हो गया तो मैं अपनी पुरानी जिंदगी वापस पा सकूंगी ...
दिनभर की घटनाओं से परेशान और थकी हुई होने के कारण मेरी रूपाली दीदी अपने बिस्तर पर आकर अपने दोनों बच्चों के बीच में लेट गई.. उनके मन में बेहद संकाय थी.. अपने भविष्य के बारे में..
उनको जल्दी ही नींद आ गई..
अगले दिन सोनिया को कॉलेज छोड़ने के बाद जब मेरी रुपाली दीदी वापस लौट रही थी तो रास्ते में एक बार फिर ठाकुर साहब खड़े थे..
ठाकुर साहब: नमस्ते रूपाली.. कैसी हो.
मेरी रूपाली दीदी ने उनको नजरअंदाज करने की कोशिश की.
ठाकुर साहब: कल के लिए माफी चाहता हूं रुपाली जी.. टायर पंचर हो गया था. आप को घर लौटने में बड़ी परेशानी हुई.
मेरे रूपाली दीदी: कोई बात नहीं..
ठाकुर साहब: क्या आप नाराज हो मुझसे?
मेरी रूपाली दीदी: जी नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. बहुत काम है.
मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करते हुए तेजी से वहां से निकल गई उनको वहीं छोड़कर.
ठाकुर साहब( मन ही मन): यह साली तो हाथ ही नहीं आती.. क्या करूं?
मेरी रूपाली दीदी जब वापस हमारे अपार्टमेंट के पास आई तो उन्होंने देखा कि घर का मकान मालिक खड़ा है.. मेरी बहन के प्राण सूख गए..
मकान मालिक: नमस्ते रुपाली जी.. कैसी हो आप..
मेरी दीदी: नमस्ते गुप्ता जी.. मैं ठीक हूं.
ठरकी गुप्ता मेरी बहन की छातियों को घूरता हुआ बोला: और आपके पति कैसे हैं..
मेरी दीदी : जी वह भी ठीक है.. उनकी हालत वैसी ही है..
मकान मालिक: क्या करूं रुपाली जी.. आप लोगों की हालत देखकर मुझे बड़ी दया आती है.. कुछ कहते हुए भी बुरा लगता है.. पर पिछले 3 महीनों से आप लोगों ने किराया नहीं दिया है घर का...
उसकी आंखों में मेरी रूपाली दीदी के लिए सिर्फ हवस थी.. उसका लंड उसकी लूंगी मैं खड़ा होने लगा था..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी अंदर आइए ना.
गुप्ता जी: ठीक है रुपाली जी..
गुप्ता जी घर के अंदर आ गय..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी मुझे थोड़ा समय दीजिए.. मैं कोशिश कर रही हूं.. जल्दी ही कुछ इंतजाम कर लूंगी.
गुप्ता जी: वह सब तो ठीक है रुपाली जी.. पर मेरे पास दो कस्टमर पहले से ही लाइन लगाकर खड़े हैं.. मैं अपना इतना नुकसान नहीं कर सकता.. वैसे अगर आप चाहो तो बस एक रात के लिए मेरे साथ...
गुप्ता जी की आंखों में हवस और उनकी बातें सुनकर मेरी रुपाली दीदी अच्छी तरह समझ गई वह क्या चाहते हैं....
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी... ऐसा मत कीजिए हमारे साथ..
गुप्ता जी नाराज होकर: ठीक है रुपाली जी.. आप लोग अपना पैकिंग कर लीजिए.. मैं 2 दिन के बाद फिर आऊंगा.. गुप्ता गुस्से में वहां से निकल गया... मेरे रुपाली दीदी रोने लगी..
मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू से इस बारे में बातचीत की.. उन्होंने गुप्ता जी के ऑफर के बारे में तो नहीं बताया.. बस घर खाली करने के बारे में बता दी..
मेरे जीजू: रूपाली.. अब हम क्या करेंगे ..कहां जाएंगे ऐसी हालत में.
मेरी रूपाली दीदी: मुझसे मत पूछो .. मैं क्या बताऊं मेरा तो पहले से ही दिमाग काम नहीं कर रहा है...
मेरी रूपाली दीदी ने मन ही मन सोच लिया था कोई रास्ता नहीं बचा हुआ है.. मुझे गुप्ता जी का बिस्तर गर्म करना ही पड़ेगा.. मेरी बहन गुप्ता जी के साथ संभोग करने के लिए अपना मन बना चुकी थी.. पर उनका मन किसी न किसी कोने में उन्हें ऐसा करने से मना कर रहा था.
अचानक हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजी.. मैंने दरवाजा खोला.. सामने ठाकुर रणवीर सिंह खड़े थे.. उनको देखकर मैं घबरा गया.
ठाकुर साहब: सैंडी.. क्या तुम्हारी रूपाली दीदी घर में है.. मुझे तुम्हारी दीदी से कुछ बात करनी है.
मैं: जी ठाकुर साहब.. मैं अभी उनको बुलाता हूं.
मैं रूपाली दीदी के पास गया और उनको बताया कि ठाकुर साहब उनसे मिलने के लिए आए हैं.
मेरी दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपने कमरे में जाओ..
मैं: ठीक है दीदी...
मेरी दीदी दरवाजे के पास गई जहां पर ठाकुर साहब खड़े थे..ठाकुर साहब मुस्कुराए..
ठाकुर साहब: रुपाली जी... क्या मैं अंदर आ सकता हूं..
मेरी रूपाली दीदी: जी ठाकुर साहब.. कुछ काम था आपको..
ठाकुर साहब: रुपाली आपके पति से मिलना है मुझे..
ठाकुर साहब मेरी बहन को हवस भरे निगाह से घूरते हुए हमारे घर के अंदर आ गय.. मेरी रूपाली दीदी ने उनको जीजू के कमरे का रास्ता दिखाया और खुद किचन के अंदर काम करने चली गई.
ठाकुर साहब मेरे जीजू के पास गए..
जीजू: नमस्ते ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: कैसे हो अनूप.. सब ठीक है ना..
जीजू: जी मैं ठीक हूं ठाकुर साहब... उस दिन आपने रुपाली की मदद की थी रास्ते में.. बड़ा एहसान है आपका मेरे ऊपर..
ठाकुर साहब: ऐसा कुछ भी नहीं है.. अनूप..
मुझे गुप्ता जी नीचे मिले थे वह बता रहे थे कि घर का किराया बचा हुआ है..
मेरे जीजू तो बिल्कुल चुप हो गए ठाकुर साहब की बात सुनकर..
ठाकुर साहब: सुनो अनूप मेरी बात ध्यान से.. गुप्ता अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नीयत ठीक नहीं है तुम्हारी पत्नी के लिए... घर के किराए के बदले वह तुम्हारी रूपाली को अपने बिस्तर पर... तुम क्या चाहते हो कि तुम्हारी पत्नी घर के किराए के लिए..
मेरे जीजू: ठाकुर साहब... मैं अपाहिज हो चुका हूं.. (रोने लगे)..
ठाकुर साहब: अनूप.. रोना बंद करो और मर्द बनो... अपनी बीवी को किसी ऐरे गैरे मर्द के हाथों का खिलौना मत बनने दो..
मेरे जीजू: ठाकुर साहब मैं क्या करूं आप ही मुझे कुछ रास्ता बताइए.
ठाकुर साहब: तुम लोग तो अच्छे लोग हो... तुम चाहो तो मैं तुम्हारी एक मदद कर सकता हूं.. बस इंसानियत के नाते.
मेरे जीजू : वह क्या ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: मैं एक 2BHK में रहता हूं.. अकेला रहता हूं.. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे परिवार को कुछ दिनों के लिए अपने घर में सहारा दे सकता हूं..
मेरे जीजू: यह आप क्या कर रहे हो ठाकुर साहब.. हम आपके ऊपर इतनी बड़ी मुसीबत नहीं बनना चाहते हैं..
ठाकुर साहब: देखो अनूप.. मैं भी अकेला रहता हूं.. घर में कोई नहीं है बस एक नौकरानी है खाना बनाने के लिए... तुम लोग साथ रहोगे तो बच्चे भी साथ रहेंगे और बच्चों के साथ मेरा भी मन लगेगा.. साथ ही साथ मुझे रूपाली के हाथों का खाना खाने के लिए भी मिलेगा..
मेरे जीजू: फिर भी ठाकुर साहब यह कैसे होगा.
ठाकुर साहब: तुम रूपाली से बात करके देखो एक बार..
मेरे जीजू ने रुपाली दीदी को आवाज दी.. मेरी बहन तो दरवाजे पर खड़ी हो सब कुछ सुन रही थी.. वह अंदर आ गई..
मेरे जीजू ने पूरी कहानी समझाई मेरी बहन को.
मेरी रूपाली दीदी: यह आप क्या कह रहे हैं.. ऐसा कैसे हो सकता है.. हम नहीं जा सकते हैं इनके साथ..
मेरे जीजू: अब क्या चारा है हमारे पास. मैं तो ठाकुर साहब को मना कर ही रहा हूं.. पर वह बार-बार अपने साथ आने के लिए हमें कह रहे हैं..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि क्यों ठाकुर साहब हमारे परिवार को अपने घर में रखना चाहते हैं ताकि वह उनके पास रह सके..
मेरी बहन: नहीं अनूप ...ऐसा नहीं हो सकता.. हम ठाकुर साहब के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते हैं.. धन्यवाद ठाकुर साहब.. पर हम लोग ऐसा नहीं कर सकते है..
ठाकुर साहब: फिर से सोच लो रूपाली... कहां जाओगी तुम लोग..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. कहां जाएंगे हम लोग.. वह गुप्ता भी अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नियत ठीक नहीं है तुम्हारे लिए..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब हम लोग अपने लिए कुछ ना कुछ इंतजाम कर लेंगे.. आप चिंता मत कीजिए हमारे लिए...
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली मैं चलता हूं..
मेरे जीजू: माफ कर दीजिए ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: अरे माफी की कोई बात नहीं है.. अनूप.. जब तुम्हारी पत्नी ने मना कर दिया तो फिर कुछ नहीं हो सकता है.. मैं चलता हूं.
ठाकुर साहब निकल गए वहां से...
अगले 2 दिन किसी प्रकार बीत गय... बड़ी मुश्किल से..
तीसरे दिन गुप्ता जी घर पर आ धमके.. और हमें घर से बाहर निकालने की धमकी देने लगे.. उनको लग रहा था कि धमकी देने से मेरी रूपाली दीदी उनके नीचे आ जाएगी बड़ी आसानी से...
मेरे जीजू: रूपाली? अब क्या? तुम्हारी जिद की वजह से ठाकुर साहब नाराज हो गए... अब हम इस घर को खाली करके कहां जाएंगे.
मेरी रूपाली दीदी: तो तुम क्या चाहते हो कि हम लोग उस गुंडे के घर में जाकर रहें..
मेरे जीजू: गुंडा नहीं है वह... यहां का एमएलए बनने वाला है... रूपाली.. अब हम क्या करेंगे..
मेरी रूपाली दीदी: तो मैं क्या करूं?
मेरे जीजू: तुम्हारे पास कोई और जगह जाने के लिए? बोलो?
मेरी दीदी: नहीं.
मेरे जीजू: ठीक है.. ठाकुर साहब से बात करता हूं.
मेरे रूपाली दीदी: तुमको जो करना है करो.. मैं बात नहीं करने वाली उनसे.. चाहे कुछ भी हो जाए..
मेरी जीजू ठाकुर साहब को कॉल करके उनसे बात करने लगे..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि उनके पास कोई चारा नहीं है... आज या तो ठाकुर साहब के घर पर जाना होगा या फिर इस गुप्ता का बिस्तर गर्म करना होगा.
मेरी रूपाली दीदी को लगा ठाकुर साहब के घर पर जाना ही आसान रास्ता है.
जब ठाकुर साहब ने मेरे जीजू से बात की फोन पर, तो उन्हें बड़ी खुशी हुई... उन्होंने अपने नौकर रोहन को बुलाया और हमारे परिवार को उनके घर में शिफ्ट करने की हिदायत दी..
रोहन ने सारा काम बहुत तेजी से कर दीया... घर शिफ्ट करने में कोई तकलीफ नहीं हुई.. रोहन के कारण.. सब कुछ बड़ी आसानी के साथ हो गया था.. 30 जून को हमारा पूरा परिवार ठाकुर साहब के घर में शिफ्ट हो चुका था.. सब कुछ रोहन कर रहा था.. हमारे घर में कुछ खास ज्यादा फर्नीचर भी नहीं था.. इसीलिए कुछ ज्यादा तकलीफ भी नहीं हुई.
ठाकुर साहब के घर में एक नौकरानी थी... कंचन.. 27 बरस की.. रोहन की बहन.. कंचन का पति उसकी शादी के 1 महीने के बाद ही मर गया था... वाह ठाकुर साहब के घर का नौकर था.. कंचन के पति के मरने के बाद ठाकुर साहब ने कंचन को अपने घर में नौकरानी रखा हुआ था और उसके भाई रोहन को अपने घर में नौकर...
रोहन उस टू बीएचके फ्लैट के हॉल में सोता था... और उसकी बहन कंचन ठाकुर साहब के साथ बेडरूम में..
चोली पहनने के बाद मेरी बहन मन ही मन खुद को कोसने लगी ..... रूपाली... यह क्या करने जा रही थी तुम? इतना बड़ा पाप? ..
ठाकुर साहब के खड़े लंड पर धोखा हो चुका था.. उनका खड़ा लंड मुरझा के झुक गया था और मेरी रूपाली दीदी की आंखों के सामने लहरा रहा था.. वह मेरी बहन को निराश होकर देख रहे थे.
इस घटिया माहौल में मेरी रूपाली दीदी बेहद शर्मिंदा महसूस कर रही थी.. उन्हें खुद से ही शर्म आ रही थी..
ठाकुर साहब ने अपनी पैंट पहन ली और फिर अपनी शर्ट पहनने लगे.. उनके चेहरे पर बेहद निराशा के भाव थे जाहिर है अचानक माहौल जो बदल गया था. भारी मन से उन्होंने कार का दरवाजा खोला और बाहर निकल गए... सिमटी हुई शर्माई सी मेरी रुपाली दीदी कार के अंदर ही बैठी रही.
गाड़ी के बाहर ठाकुर साहब का नौकर रोहन( जिसकी उम्र भी तकरीबन मेरी उम्र के बराबर है यानी 19 साल थी), कार मैकेनिक के साथ उनका इंतजार कर रहा था.. देखते ही रोहन तो समझ गया था कि ठाकुर साहब मेरे रुपाली दीदी के साथ गाड़ी के अंदर क्या कर रहे थे.. पर उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह ठाकुर साहब का कुछ बोल सके..
मैकेनिक ने गाड़ी का परीक्षण किया.. उसने देखा कि गाड़ी के 2 टायर पंचर है.. दोनों टायर चेंज करना अभी संभव नहीं था इसीलिए ठाकुर साहब मेरी रूपाली दीदी को अपनी दूसरी गाड़ी में ,जिसे रोहन लेकर आया था.. हमारे घर की तरफ चल पड़े.. रोहन वहीं पर रुक गया दूसरी गाड़ी के साथ है जिसका रिपेयर होना बाकी था..
मेरी रूपाली दीदी ने अपना चेहरा अच्छी तरह से ढक लिया था ताकि उन्हें कोई पहचान ना सके.. पर रोहन ने तो उन को अच्छी तरह पहचान लिया था.. रोहन मेरे कॉलेज में पढ़ता है मेरी क्लास में..
पूरे रास्ते ठाकुर साहब और मेरी रूपाली दीदी के बीच में कोई बातचीत नहीं हुई.. या यूं कहें कि मेरी बहन ने ठाकुर साहब को बातचीत करने का कोई मौका नहीं दिया. तकरीबन 20 मिनट में दोनों घर पहुंच गया.. ठाकुर साहब को बिना कुछ बोले हुए ही मेरी रूपाली दीदी हमारे अपार्टमेंट की तरफ भागने लगी.. दौड़ते हुए मेरी रूपाली दीदी की गांड साड़ी के अंदर हिल रही थी, जिसे देखकर ठाकुर साहब के अरमान मचल रहे थे.. मेरी बहन की हिलती हुई गांड देखकर ठाकुर साहब अपनी आंखें गर्म करते रहे तब तक जब तक कि मेरी दीदी उनकी आंखों से ओझल नहीं हो गई.
हमारे घर आने के बाद मेरी रूपाली दीदी ने सबसे पहले अपनी छोटी बेटी
को अपना दूध पिलाया.. फिर वह मेरे पास आई.. सोनिया मेरे पास ही सो चुकी थी.. मेरी रुपाली दीदी मुझे देख कर मुस्कुराई और नहाने चली गई.
नहाने के बाद मेरी दीदी जीजू के पास गई..
मेरे जीजू: तुम ठीक तो हो ना रूपाली..
रूपाली दीदी: हां मैं ठीक हूं.
मेरे जीजू: अच्छा हुआ ठाकुर साहब तुम्हारे साथ में थे.
मेरी दीदी : हां..
मेरी रूपाली दीदी जीजू के सीने से लिपट गई और उनको चूमने लगी.. पर मेरी जीजू तो कुछ भी नहीं कर रहे थे वह चुपचाप लेटे हुए थे. मेरी बहन उनके ऊपर सवार हो गई और उन्होंने अपनी दोनों बड़ी बड़ी छातियों का भार जीजू के मुंह के ऊपर रख दिया..
मेरी दीदी अपनी छातियों को उनके मुंह पर घिसने लगी. मेरी बहन चाहती थी मेरा जीजू उनकी दुधारू बड़ी बड़ी छातियों को अपने मुंह में लेकर चूस डालें.. दूध के टैंकरों को चूसना तो दूर मेरे जीजा जी ने तो एक चुम्मा भी नहीं लिया... मेरी बहन को बुरा लगा... एक बार फिर वह मेरे जीजू के होठों को चूमने लगी हो..पर मेरे निकम्मे जीजू की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना देखकर मेरी रुपाली दीदी निराश हो गई.. वह मन ही मन मेरे जीजू की तुलना ठाकुर साहब से करने लगी थी.. फिर उन्हें अपने आप पर ही घृणा महसूस हुई... रूपाली.... यह तेरा पति है और वह एक गुंडा... तू ऐसा सोच भी कैसे सकती है..
वह मेरी जीजू के ऊपर से हट गई..
मेरी रूपाली दीदी: गुड नाइट.
मेरे जीजू: गुड नाइट रूपाली..
जाने के पहले मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू के पैंट के ऊपर से ही उनके बर्बाद हो चुके लंड पर हाथ रखकर टटोलने की कोशिश की.. पर हाय रे मेरी रूपाली दीदी की किस्मत.. वहां पर मर्दानगी के नाम पर एक मरा हुआ चूहा था जो खड़ा होने में बिल्कुल असमर्थ था..
मेरे जीजू: क्या हुआ रूपाली? सोना नहीं है क्या..
मेरी दीदी: जी ठीक है..
मेरी रूपाली दीदी कमरे से बाहर निकल अपनी किस्मत पर रो पड़ी.. उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया था कि अब मेरे जीजू अब उनकी चूत को चोदने की ताकत खो चुके.. फिर मेरी दीदी सोचने लगी.... तो क्या हुआ मैं परेशान क्यों हो रही हूं.. आखिर वह मेरे पति है. अभी मेरा ध्यान तो मेरे बच्चे मेरा भाई और मेरे पति के इलाज पर होना चाहिए .. अगर मेरे पति का अच्छे से इलाज हो गया तो मैं अपनी पुरानी जिंदगी वापस पा सकूंगी ...
दिनभर की घटनाओं से परेशान और थकी हुई होने के कारण मेरी रूपाली दीदी अपने बिस्तर पर आकर अपने दोनों बच्चों के बीच में लेट गई.. उनके मन में बेहद संकाय थी.. अपने भविष्य के बारे में..
उनको जल्दी ही नींद आ गई..
अगले दिन सोनिया को कॉलेज छोड़ने के बाद जब मेरी रुपाली दीदी वापस लौट रही थी तो रास्ते में एक बार फिर ठाकुर साहब खड़े थे..
ठाकुर साहब: नमस्ते रूपाली.. कैसी हो.
मेरी रूपाली दीदी ने उनको नजरअंदाज करने की कोशिश की.
ठाकुर साहब: कल के लिए माफी चाहता हूं रुपाली जी.. टायर पंचर हो गया था. आप को घर लौटने में बड़ी परेशानी हुई.
मेरे रूपाली दीदी: कोई बात नहीं..
ठाकुर साहब: क्या आप नाराज हो मुझसे?
मेरी रूपाली दीदी: जी नहीं.. ऐसी कोई बात नहीं है.. बहुत काम है.
मेरी रूपाली दीदी ठाकुर साहब को नजरअंदाज करते हुए तेजी से वहां से निकल गई उनको वहीं छोड़कर.
ठाकुर साहब( मन ही मन): यह साली तो हाथ ही नहीं आती.. क्या करूं?
मेरी रूपाली दीदी जब वापस हमारे अपार्टमेंट के पास आई तो उन्होंने देखा कि घर का मकान मालिक खड़ा है.. मेरी बहन के प्राण सूख गए..
मकान मालिक: नमस्ते रुपाली जी.. कैसी हो आप..
मेरी दीदी: नमस्ते गुप्ता जी.. मैं ठीक हूं.
ठरकी गुप्ता मेरी बहन की छातियों को घूरता हुआ बोला: और आपके पति कैसे हैं..
मेरी दीदी : जी वह भी ठीक है.. उनकी हालत वैसी ही है..
मकान मालिक: क्या करूं रुपाली जी.. आप लोगों की हालत देखकर मुझे बड़ी दया आती है.. कुछ कहते हुए भी बुरा लगता है.. पर पिछले 3 महीनों से आप लोगों ने किराया नहीं दिया है घर का...
उसकी आंखों में मेरी रूपाली दीदी के लिए सिर्फ हवस थी.. उसका लंड उसकी लूंगी मैं खड़ा होने लगा था..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी अंदर आइए ना.
गुप्ता जी: ठीक है रुपाली जी..
गुप्ता जी घर के अंदर आ गय..
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी मुझे थोड़ा समय दीजिए.. मैं कोशिश कर रही हूं.. जल्दी ही कुछ इंतजाम कर लूंगी.
गुप्ता जी: वह सब तो ठीक है रुपाली जी.. पर मेरे पास दो कस्टमर पहले से ही लाइन लगाकर खड़े हैं.. मैं अपना इतना नुकसान नहीं कर सकता.. वैसे अगर आप चाहो तो बस एक रात के लिए मेरे साथ...
गुप्ता जी की आंखों में हवस और उनकी बातें सुनकर मेरी रुपाली दीदी अच्छी तरह समझ गई वह क्या चाहते हैं....
मेरी रूपाली दीदी: प्लीज गुप्ता जी... ऐसा मत कीजिए हमारे साथ..
गुप्ता जी नाराज होकर: ठीक है रुपाली जी.. आप लोग अपना पैकिंग कर लीजिए.. मैं 2 दिन के बाद फिर आऊंगा.. गुप्ता गुस्से में वहां से निकल गया... मेरे रुपाली दीदी रोने लगी..
मेरी रूपाली दीदी ने मेरे जीजू से इस बारे में बातचीत की.. उन्होंने गुप्ता जी के ऑफर के बारे में तो नहीं बताया.. बस घर खाली करने के बारे में बता दी..
मेरे जीजू: रूपाली.. अब हम क्या करेंगे ..कहां जाएंगे ऐसी हालत में.
मेरी रूपाली दीदी: मुझसे मत पूछो .. मैं क्या बताऊं मेरा तो पहले से ही दिमाग काम नहीं कर रहा है...
मेरी रूपाली दीदी ने मन ही मन सोच लिया था कोई रास्ता नहीं बचा हुआ है.. मुझे गुप्ता जी का बिस्तर गर्म करना ही पड़ेगा.. मेरी बहन गुप्ता जी के साथ संभोग करने के लिए अपना मन बना चुकी थी.. पर उनका मन किसी न किसी कोने में उन्हें ऐसा करने से मना कर रहा था.
अचानक हमारे घर के दरवाजे की घंटी बजी.. मैंने दरवाजा खोला.. सामने ठाकुर रणवीर सिंह खड़े थे.. उनको देखकर मैं घबरा गया.
ठाकुर साहब: सैंडी.. क्या तुम्हारी रूपाली दीदी घर में है.. मुझे तुम्हारी दीदी से कुछ बात करनी है.
मैं: जी ठाकुर साहब.. मैं अभी उनको बुलाता हूं.
मैं रूपाली दीदी के पास गया और उनको बताया कि ठाकुर साहब उनसे मिलने के लिए आए हैं.
मेरी दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपने कमरे में जाओ..
मैं: ठीक है दीदी...
मेरी दीदी दरवाजे के पास गई जहां पर ठाकुर साहब खड़े थे..ठाकुर साहब मुस्कुराए..
ठाकुर साहब: रुपाली जी... क्या मैं अंदर आ सकता हूं..
मेरी रूपाली दीदी: जी ठाकुर साहब.. कुछ काम था आपको..
ठाकुर साहब: रुपाली आपके पति से मिलना है मुझे..
ठाकुर साहब मेरी बहन को हवस भरे निगाह से घूरते हुए हमारे घर के अंदर आ गय.. मेरी रूपाली दीदी ने उनको जीजू के कमरे का रास्ता दिखाया और खुद किचन के अंदर काम करने चली गई.
ठाकुर साहब मेरे जीजू के पास गए..
जीजू: नमस्ते ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: कैसे हो अनूप.. सब ठीक है ना..
जीजू: जी मैं ठीक हूं ठाकुर साहब... उस दिन आपने रुपाली की मदद की थी रास्ते में.. बड़ा एहसान है आपका मेरे ऊपर..
ठाकुर साहब: ऐसा कुछ भी नहीं है.. अनूप..
मुझे गुप्ता जी नीचे मिले थे वह बता रहे थे कि घर का किराया बचा हुआ है..
मेरे जीजू तो बिल्कुल चुप हो गए ठाकुर साहब की बात सुनकर..
ठाकुर साहब: सुनो अनूप मेरी बात ध्यान से.. गुप्ता अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नीयत ठीक नहीं है तुम्हारी पत्नी के लिए... घर के किराए के बदले वह तुम्हारी रूपाली को अपने बिस्तर पर... तुम क्या चाहते हो कि तुम्हारी पत्नी घर के किराए के लिए..
मेरे जीजू: ठाकुर साहब... मैं अपाहिज हो चुका हूं.. (रोने लगे)..
ठाकुर साहब: अनूप.. रोना बंद करो और मर्द बनो... अपनी बीवी को किसी ऐरे गैरे मर्द के हाथों का खिलौना मत बनने दो..
मेरे जीजू: ठाकुर साहब मैं क्या करूं आप ही मुझे कुछ रास्ता बताइए.
ठाकुर साहब: तुम लोग तो अच्छे लोग हो... तुम चाहो तो मैं तुम्हारी एक मदद कर सकता हूं.. बस इंसानियत के नाते.
मेरे जीजू : वह क्या ठाकुर साहब..
ठाकुर साहब: मैं एक 2BHK में रहता हूं.. अकेला रहता हूं.. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे परिवार को कुछ दिनों के लिए अपने घर में सहारा दे सकता हूं..
मेरे जीजू: यह आप क्या कर रहे हो ठाकुर साहब.. हम आपके ऊपर इतनी बड़ी मुसीबत नहीं बनना चाहते हैं..
ठाकुर साहब: देखो अनूप.. मैं भी अकेला रहता हूं.. घर में कोई नहीं है बस एक नौकरानी है खाना बनाने के लिए... तुम लोग साथ रहोगे तो बच्चे भी साथ रहेंगे और बच्चों के साथ मेरा भी मन लगेगा.. साथ ही साथ मुझे रूपाली के हाथों का खाना खाने के लिए भी मिलेगा..
मेरे जीजू: फिर भी ठाकुर साहब यह कैसे होगा.
ठाकुर साहब: तुम रूपाली से बात करके देखो एक बार..
मेरे जीजू ने रुपाली दीदी को आवाज दी.. मेरी बहन तो दरवाजे पर खड़ी हो सब कुछ सुन रही थी.. वह अंदर आ गई..
मेरे जीजू ने पूरी कहानी समझाई मेरी बहन को.
मेरी रूपाली दीदी: यह आप क्या कह रहे हैं.. ऐसा कैसे हो सकता है.. हम नहीं जा सकते हैं इनके साथ..
मेरे जीजू: अब क्या चारा है हमारे पास. मैं तो ठाकुर साहब को मना कर ही रहा हूं.. पर वह बार-बार अपने साथ आने के लिए हमें कह रहे हैं..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि क्यों ठाकुर साहब हमारे परिवार को अपने घर में रखना चाहते हैं ताकि वह उनके पास रह सके..
मेरी बहन: नहीं अनूप ...ऐसा नहीं हो सकता.. हम ठाकुर साहब के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते हैं.. धन्यवाद ठाकुर साहब.. पर हम लोग ऐसा नहीं कर सकते है..
ठाकुर साहब: फिर से सोच लो रूपाली... कहां जाओगी तुम लोग..
मेरे जीजू: हां रूपाली.. कहां जाएंगे हम लोग.. वह गुप्ता भी अच्छा आदमी नहीं है.. उसकी नियत ठीक नहीं है तुम्हारे लिए..
मेरी रूपाली दीदी: ठाकुर साहब हम लोग अपने लिए कुछ ना कुछ इंतजाम कर लेंगे.. आप चिंता मत कीजिए हमारे लिए...
ठाकुर साहब: ठीक है रुपाली मैं चलता हूं..
मेरे जीजू: माफ कर दीजिए ठाकुर साहब.
ठाकुर साहब: अरे माफी की कोई बात नहीं है.. अनूप.. जब तुम्हारी पत्नी ने मना कर दिया तो फिर कुछ नहीं हो सकता है.. मैं चलता हूं.
ठाकुर साहब निकल गए वहां से...
अगले 2 दिन किसी प्रकार बीत गय... बड़ी मुश्किल से..
तीसरे दिन गुप्ता जी घर पर आ धमके.. और हमें घर से बाहर निकालने की धमकी देने लगे.. उनको लग रहा था कि धमकी देने से मेरी रूपाली दीदी उनके नीचे आ जाएगी बड़ी आसानी से...
मेरे जीजू: रूपाली? अब क्या? तुम्हारी जिद की वजह से ठाकुर साहब नाराज हो गए... अब हम इस घर को खाली करके कहां जाएंगे.
मेरी रूपाली दीदी: तो तुम क्या चाहते हो कि हम लोग उस गुंडे के घर में जाकर रहें..
मेरे जीजू: गुंडा नहीं है वह... यहां का एमएलए बनने वाला है... रूपाली.. अब हम क्या करेंगे..
मेरी रूपाली दीदी: तो मैं क्या करूं?
मेरे जीजू: तुम्हारे पास कोई और जगह जाने के लिए? बोलो?
मेरी दीदी: नहीं.
मेरे जीजू: ठीक है.. ठाकुर साहब से बात करता हूं.
मेरे रूपाली दीदी: तुमको जो करना है करो.. मैं बात नहीं करने वाली उनसे.. चाहे कुछ भी हो जाए..
मेरी जीजू ठाकुर साहब को कॉल करके उनसे बात करने लगे..
मेरी रूपाली दीदी अच्छी तरह जानती थी कि उनके पास कोई चारा नहीं है... आज या तो ठाकुर साहब के घर पर जाना होगा या फिर इस गुप्ता का बिस्तर गर्म करना होगा.
मेरी रूपाली दीदी को लगा ठाकुर साहब के घर पर जाना ही आसान रास्ता है.
जब ठाकुर साहब ने मेरे जीजू से बात की फोन पर, तो उन्हें बड़ी खुशी हुई... उन्होंने अपने नौकर रोहन को बुलाया और हमारे परिवार को उनके घर में शिफ्ट करने की हिदायत दी..
रोहन ने सारा काम बहुत तेजी से कर दीया... घर शिफ्ट करने में कोई तकलीफ नहीं हुई.. रोहन के कारण.. सब कुछ बड़ी आसानी के साथ हो गया था.. 30 जून को हमारा पूरा परिवार ठाकुर साहब के घर में शिफ्ट हो चुका था.. सब कुछ रोहन कर रहा था.. हमारे घर में कुछ खास ज्यादा फर्नीचर भी नहीं था.. इसीलिए कुछ ज्यादा तकलीफ भी नहीं हुई.
ठाकुर साहब के घर में एक नौकरानी थी... कंचन.. 27 बरस की.. रोहन की बहन.. कंचन का पति उसकी शादी के 1 महीने के बाद ही मर गया था... वाह ठाकुर साहब के घर का नौकर था.. कंचन के पति के मरने के बाद ठाकुर साहब ने कंचन को अपने घर में नौकरानी रखा हुआ था और उसके भाई रोहन को अपने घर में नौकर...
रोहन उस टू बीएचके फ्लैट के हॉल में सोता था... और उसकी बहन कंचन ठाकुर साहब के साथ बेडरूम में..