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Adultery मायके का जायका
#51
भितर कि आवाजें बाहर भी अपना प्रभाव डाल रहि थी।मैं नजरे निचे किए हुए ही सभों के ओर देखने लगी।।सबों के पैन्ट में तंबू बने हुए थे,वैसे तो गिली मैं और सीमा भी हो चुकी थी।आश्चर्य तो रमेश भैया को देख कर हो रही थी,भितर बिबि चुद रहि थी और बाहर उनका लंड फुफकारे मार रहा था।साथ ही सारे सिपाही अपने हाथ अपने पैन्ट के उपर से हि अपने हथेली से सहलाते हुए आपस में गप्प लरा रहे थे।फिर ऊनमें से एक ने मामी को उंगली दिखाते हुए अपने पास आने का ईशारा किया,पहले तो मामी ने आंखो से रमेश भैया के तरफ ईशारा किया मानो कह रही हो कि ईसके सामने कैसे आऊं,ईसपर उस सिपाही ने अपनी आंखे लाल कर गुस्साई नजरों से घुराऔर अपने बेंच से ऊठने का ऊपक्रम करने कि कोशिश कर ही रहा था कि मामी धीमी कदमों से चलती हुई ऊन सब के पास पहूंची।वहां ऊनके पहूंचते ही एक सिपाही मामी के कमर मे हाथ डालकर अपने तरफ खिंचते हुए बेंच पर ईस तरह बैठाया कि मामी कि एक जांघ ऊसिपाही के एक जांघ पर थी और दूसरी बेंच पर।मेरी नजर ऊनपर ही थी,वो झेंपती,कसमसाती बैठी तो सहारा लेने के लिएअपने बाएं हाथ को बेंच से पकरने हेतु निचे कि तो दूसरा जवान और नजदीक बल्कि मामी कि जांघो से सट गया और मामी कि हथेली सिधे ऊस जवान के पैन्ट मेंबने तम्बू यानि लौड़े पंर परा।वह हरामी अपने मकसद मे सफल हो गया और हो हो कर हंसता हुआ बोला हां ई भईल सही तरिका बैठे खतिरा।फिर शैतानी भरी हंसी में अपने साथी को बोला,देख रे गोविन्दर ई बुरचोदी का पकड़ले हउए।अरे खोल के थमा दे,बेचारी के,गरमाईल बा शाली.चूंची मसलवावत रहे बेचारी,धंसवावे से पहले ही पकर के ले अईनी बुरचोदी के।चूंकि आवाज अब तेज हो गई थी अतः हमलोग भी सब देख और सुन रहे थे।और मामी शर्मसार होती हुई सिर निचे किए हुए बोलती जा रही थी,कैसे करतानी जी,ऊईई आः लागता बोले जा रही थी।रमेश भैया मुंह लटकाए उस कमरे के तरफ कभी कभार नजर मार ले रहे थे ,ऊस घर का दरवाजा भी आधी खुली हुई थी।सीमा मेरे से एकदम सट के खरी थी,हमलोग ठीक से एक दूसरी से कभी झेंपी नजरो से देख रहे थे।उधर उषा कि मामी भी दो जवानो से मसली जा रही थी, कमर से ऊपर नंगी,ऊनकी दोनो बरी बरी चूंचीयां दोनो जवानो ने एक एक हथेली में जकर रखी थी और। दूसरे हाथ से मामी कि जांघो को सहला रहे थे,सहलाते सहलातेअपनी एक उंगृली मामी के बुर में सारी सहित घुसेर देते और कई बार तो दोनो अपनी अपनी ऊंगली ए
क साथ ठांस देते,और मामी बेचारी वर्म से आवाज भी नही निकाल पा रही् थी।
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RE: मायके का जायका - by Meerachatwani111 - 27-06-2021, 01:30 PM



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