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Adultery मेरी बेकरार बीवी और मैं बेचारा पति - Original Writer Robin Raj
#8
मैं तैयार होकर बाहर आया, नास्ता लग चुका था]

विजय भी तैयार हो गया था]

मैं : विजय आज कहाँ जाना है मैं छोड़ दूँ]

विजय: नहीं भैया कहीं नहीं आज आराम ही करूँगा, आज रात कि गाड़ी से तो वापसी है]

मैं: हाँ आज तो तुझको जाना ही है कुछ दिन और रुक जाता]

विजय: आउंगा न भैया अगली छुट्टी मिलते ही यहीं आउंगा] अब तो आप लोगो के बिना मन ही नहीं लगेगा]

कह मेरे से रहा था जबकि देख जुली को रहा था]

फिर जूली ने ही कहा सुनो मुझे जरा बाज़ार जाना है कुछ कपडे लेने हैं]

मैं : यार मेरे पास तो टाइम ही नहीं है तुम विजय के साथ चली जाना]

जूली: ठीक है कुछ पैसे दे जाना]

मैं : ठीक है क्या लेना है, कितने दे दूँ]

जूली: अब दो तीन जोड़ी तो अंडरगार्मेन्ट्स ही लाने हैं १ तो अभी ही टूट गई अब कोई बची ही नहीं] थोड़े ज्यादा ही दे देना]

वो मुस्कुराते हुए विजय को ही देख रही थी] पहले तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था मगर अब उन दोनों की ये बाते सुन सब समझ रहा था]

जूली: अच्छा ५००० दे देना अब की बार अच्छी और महंगे वाले चड्डी ब्रा लाऊंगी]

वो बिना शरमाये अपने कपड़ो के नाम बोल रही थी]

मैं : ठीक है जान ज़रा अच्छे लाना और पहन भी लिया करना]

विजय: हा हा हा भैया ठीक कहा आपने] हाँ भाभी ऐसे लाना जिनको पहन भी लो आपको तो पता नहीं ऐसे कपड़ो में दूसरों को कितनी परेशानी होती होगी]

जूली: अच्छा बच्चू (उसके कान पकड़ते हुए) बहुत बड़ा हो गया है तू अब] ऐसी नजर रखता है अपनी भाभी पर
बेटा सोच साफ़ होनी चाहिए कपड़ो से कोई फर्क नहीं पड़ता]

विजय: हाँ भाभी आपने ठीक कहा मैंने तो मजाक किया था]

मैं : उन दोनों की नोकझोंक सुनकर मुस्कुरा रहा था कुछ बोला नहीं बस सोच रहा था कि कैसे इन दोनों कि आज कि हरकतें देखि जाएँ]

ये अब घर पर तो सम्भव नहीं था]

तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया मैंने जूली के पर्स में रु० रखते हुए सोचा]

उसका ये पर्स मेरी समस्या कुछ हद तक दूर कर सकता है]

मैंने कुछ समय पहले एक voice recorder लिया था जो एक पेन कि शेप में था]

मैंने उसको ऑन कर जूली के पर्स में नीचे की ओर डाल दिया]

उसकी छमता लगभग ८ घंटे की थी अब जो कुछ भी होगा, कम से कम उनकी आवाजें तो रिकॉर्ड हो ही जाएंगी]

मैंने ये पहले भी चेक किया था जबर्दस्त पॉवर वाला था और १०० मीटर की रेंज की आवाजें रिकॉर्ड कर लेता था]

अब मैं निश्चिंत हो सब को बाय कर ऑफिस के लिए निकल गया]

अब देखते हैं क्या होता है पूरे दिन........

[b]मैं शाम ७ बजे वापस आया घर का माहौल थोडा शांत था] जूली कुछ पैक कर रही थी] विजय अपने कमरे में था]

मैं भी अपने कमरे में जाकर चेंज करता हूँ तभी मुझे जूली का पर्स दिखता है]

मैं तुरंत उसे खोलकर voice recorder निकाल लेता हूँ वो अपने आप ऑफ हो गया था]

मुझे ३-४ बिल दिखते हैं मैं उनको चेक करता हूँ जूली ने काफी शॉपिंग की थी]

उसकी २ लिंगेरी, कुछ कॉस्मेटिक और विजय की
टी-शर्ट, नेकर और अंडरवियर भी था]

जनरली मैं कभी ये सब नहीं देखता था इसलिए जूली की सब हरकतें आसानी से दिख रही थी]

अब मेरा दिल उनकी सभी बातें जान्ने का था आज तो उनके बीच बहुत कुछ हुआ होगा]

मगर ये सब अभी सम्भव नहीं था मैंने पेन से चिप निकाल कर अपने पर्स में रख ली सोचा बाद में सुन लूंगा]

वाहर विजय जूली को मना रहा था मत उदास हो भाभी, फिर जल्दी ही आउंगा]

ओह जूली इसलिए उदास थी मैंने भी उसको हसाने की कोशिश की मगर वो नॉर्मल ही रही]

मैं : विजय कितने बजे की ट्रैन है तेरी

विजय: भैया ८:५० की है मैं ८ बजे ही निकल जाऊँगा

मैं : पागल है क्या मैं छोड़ दूंगा आराम से चलेंगे]
चल खाना खा लेते हैं]

विजय: आप क्यों परेसान होते हो भैया मैं चला जाऊँगा]

मैं : नहीं, तुझसे कहा न] जूली तुम भ आओगी क्या]

जूली: नहीं मुझे अभी बहुत काम है और मैं इसको जाते नहीं देख पाउंगी इसलिए तुम ही जाओ]

मैं मन ही मन मुस्कुरा उठा, ओह इतना प्यार

और तभी मन में एक कोतुहल भी जागा कि विजय को छोड़ने के बाद मेरे पास इन दोनों की बात सुनने का समय होगा]

और हम जल्दी जल्दी खाना खाने लगे]

मैंने बाथरूम में जा चिप अपने फ़ोन में लगा ली और रिकॉर्डिंग चेक की]

थैंक्स गॉड सब कुछ ठीक था और बहुत कुछ उसमे लग रहा था]

फिर सब कुछ जल्दी ही हो गया और हम जाने के लिए तैयार हो हो गए]

मैं बाहर गाड़ी निकालने आ गया विजय अपनी भाभी को अच्छी तरह मिलकर १० मिनट बाद बाहर आया]

मैं : क्या हुआ बड़ी देर लगा दी]

विजय: हाँ भैया, भाभी रोने लगी थीं]

मैं: हाँ वो तो पागल है सभी को दिल से चाहती है]

विजय: हाँ भैया, भाभी बहुत अच्छी हैं उनका बहुत ख्याल रखना]

मैं : अच्छा बच्चू अभी तक कौन रख रहा था]

विजय: नहीं भैया मेरा ये मतलब नहीं था] आप काम में बिजी रहते हो न तभी कह रहा था]

मैं: हाँ वो तो है चल अच्छा अपना ध्यान रखना और किसी चीज की जरुरत हो तो बता देना]

विजय: हाँ भैया आपसे नहीं तो किस्से कहूंगा]

मुझे उसके जाने की ना जाने क्यों बहुत जल्दी थीं मैं आप लोगों की तरह उस टेप को सुन्ना चाह रहा था]

और कुछ ही देर मैं विजय की ट्रैन चली गई मैं जल्दी से गाड़ी में आकर वैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की
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RE: मेरी बेकरार बीवी और मैं बेचारा पति - Original Writer Robin Raj - by Leo2524 - 27-06-2021, 10:47 AM



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