27-06-2021, 10:57 PM
अपडेट - 18
उसके बाद मैं वहाँ से बाहर आ गये…आज मैं जय सर की कार मे नही बैठी और घर से बाहर निकल कर पोलीस स्टेशन की ओर जाने लगी….उस टाइम दिमाग़ बहुत गरम था..पर चलते चलते जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था….मेरा गुस्सा कम होता जा रहा था…दिमाग़ मे अजीब अजीब से ख़याल आ रहे थे…और अंत मे अपने ही ख्यालों से मजबूर होकर मैं पोलीस स्टेशन से कुछ दूरी पर रुक गयी……मुझमे इतनी हिम्मत नही थी कि, मैं पोलीस मे जाकर कंप्लेंट करू….अगर करती तो भी क्या होता….मेरा रेप तो हुआ नही था…ऊपेर से दीपा मेरे बारे मे कुछ भी ग़लत बोल सकती थी…..
मुझे खुद अपनी बदनामी का डर सताने लगा था….अगर कॉंपलेट करती तो हाथ कुछ ना लगता और ऊपेर से मुझे और भाभी दोनो को ही इतनी अच्छी जॉब से हाथ धोना पड़ता. और ना इस शहर मे मुझे और भाभी को और जॉब मिलती…छोटा सा सहर था…भाई के आक्सिडेंट के बाद जो 25 लाख मिले थे…उनमे से 8 लाख तो घर बनाने मे ही खरच हो चुके थे. और भाभी अभी भी नये फर्निचर और घर का समान खरीदने का सोच रही थी…मैं फिर से उस बदहाल जिंदगी को नही जीना चाहती थी….
इसलिए ना चाहते हुए भी मैं घर को वापिस मूड गयी…बस पकड़ी और घर आई…जब मैं घर पहुँची तो भाभी मुझे घर के गेट पर ही मिल गयी….वो पड़ोस मे किसी के घर जा रही थी…..”अर्रे डॉली आ गयी तू….” खाना बना हुआ है…मैं वेर्मा जी के घर जा रही हूँ….तू चेंज करके फ्रेश होकर खाना खा लेना…..मैं थोड़ी देर मे आती हूँ…..” भाभी के जाने के बाद मैने गेट को बंद किया और सीधा अपने रूम मे चली आई….
रूम में पहुँचते ही, मेने अपने पर्स को चारपाई पर गुस्से से फेंका और अपनी कपड़े उतारने लगी….पहले मेने अपनी कमीज़ उतारी और फिर अपनी सलवार मैं उन्हे रखने और दूसरी सलवार कमीज़ निकालने के लिए जैसे ही अलमारी की तरफ बढ़ी….तो टेबल पर रखे टेबल फॅन की हवा सीधी मेरी जाँघो के बीच मेरी पेंटी पर टकराई, तो मुझे अपनी पेंटी मेरी चुनमुनियाँ पर चिपकी हुई महसूस हुई…एक अजीब जिंझोड़ देने वाली लहर मेरे पूरे बदन मे फेल गयी…मेने अपनी पेंटी के ऊपेर से अपनी चुनमुनियाँ पर हाथ रखा तो मेरे हाथों की उंगलियाँ उसमे लगे मेरी चुनमुनियाँ के कामरास से चिपचिपा गयी….
मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था…मैं ऐसे ही रूम से बाहर निकली और सीधा बाथरूम मे चली गयी….मेने वहाँ जाकर अपनी पेंटी उतारी, और उसे पानी से भरी हुई बाल्टी मे डाल दिया…और फिर अपनी जाँघो को थोड़ा सा फैला कर अपनी चुनमुनियाँ की फांको के बीच मे जैसे ही हाथ लगाया तो मेरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चुनमुनियाँ से निकले पानी से एक दम तरबतर हो गयी…मेने अपने हाथ को अपनी आँखो के सामने लाकर देखा तो मैं एक दम हैरान रह गयी…जब से मेरा डाइवोर्स हुआ है…तब से ही मुझे सेक्स और मर्द जात से नफ़रत सी हो गयी थी….पर आज जब अपनी चुनमुनियाँ की फिर से ये हालत देखी तो मैं दंग रह गयी….
मुझे अब दीपा और राज पर और गुस्सा आ रहा था…मेने अपनी चुनमुनियाँ से निकले हुए पानी को सॉफ करने के लिए अपने हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया…और उसका उल्टा ही असर मुझ पर होने लगा…ना चाहते हुए भी मुझे अजीब सा खेंचाव फिर से अपनी चुनमुनियाँ के बीच मे महसूस होने लगा…..मैं वही दीवार से पीठ टिका कर धीरे-2 नीचे बैठ गयी. मेरी टाँगे विपरीत दिशा मे फेली हुई थी….और मैं अब तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ को रगड़ रही थी….और अपनी सुहागरात को याद करते हुए अपनी चुनमुनियाँ मे उंगली करने लगी थी.
पर फिर अचानक से मेरे जेहन वो नज़ारा उभर आया….जब मेरे फेस के ऊपेर दीपा की चुनमुनियाँ मे राज का बाबूराव अंदर बाहर हो रहा था….कभी मुझे अपनी सुहागरात की चुदाई की तस्वीरें मेरे जेहन मे आती तो कभी दीपा की चुनमुनियाँ में अंदर बाहर होता राज का बाबूराव….इतने सालो मे मेने कभी अपने आप को बहकने नही दिया था…. “अपनी शक्ल देखी है जो मैं तेरे रेप करूँगा…” राज के ये शब्द मेरे कानो में तीर की तरह चुभ रहे थे…..मेने नीचे नज़र करके अपनी वाइट कलर की पुरानी सी ब्रा मे क़ैद अपनी 34फ की अपनी चुचियाँ की ओर देखा….और एक हाथ से अपनी चुचियाँ को ब्रा के ऊपेर से मसलने लगी…..
“ मैं क्या इतनी बदसूरत हूँ….” मैं तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ और मम्मों को मसलते हुए बुदबूदाई…..और अपनी चुनमुनियाँ के दाने को और तेज़ी से मसलने लगी….गरमी की वजह से मेरा पूरा बदन पसीने से नहा चुका था….और मैं काँपते हुए झड़ने लगी… और वही बदहाल सी होकर बैठ गयी….तभी मुझे गेट खुलने की आवाज़ आए…. “ कॉन है” मेने बाथरूम मे बैठे-2 ही आवाज़ लगाई….”
पायल भाभी : मैं हूँ डॉली तू बाथरूम मे है अभी तक खाना खाया कि नही..?
मैं: नही भाभी अभी नही खाया….गरमी बहुत है इसलिए सोचा नहा लेती हूँ…..
भाभी: अच्छा जल्दी से नहा ले मैं खाना लगाती हूँ….
उसके बाद मैने अपनी चुनमुनियाँ को सॉफ किया और नहा कर भाभी को आवाज़ दी…” भाभी मेरे कपड़े दे दो….” भाभी थोड़ी देर बाद मेरे लिए कपड़े ले कर आ गयी..” मेने कपड़े पहने और फिर बाहर आई और भैया भाभी के साथ खाना खाया…दोपहर के 2 बज चुके थे…मुझे नींद आने लगी थी….इसलिए सोचा कुछ देर सो लेती हूँ..तो मैं अपने रूम मे आ गयी….कि तभी मेरे मोबाइल बजने लगा….जब मेने मोबाइल उठा कर देखा तो जय सर की कॉल आ रही थी…मैने कॉल पिक की….
मैं: हेलो जी सर,
सर: और डॉली कैसी हो…?
मैं: जी मैं ठीक हूँ…..
सर: अच्छा घर पर फोन किया था….तो राज ने बताया कि आज तुमने उसे पढ़ाया नही है…कह रहा था कि, थोड़ी देर पहले उनके घर से फोन आया था…बहुत जल्दी में थी इसलिए चली गयी कोई प्राब्लम तो नही है ना….?
मैं: जी वो आक्च्युयली सर वो भैया की तबीयत….. (मेने बहाना बना दिया)
सर: अच्छा अच्छा ठीक है…पहले घर बाकी सब बाद मे….
मैं: सर वो एक बात कहनी थी आपसे….
सर: हां बोलो डॉली….
मैं: सर मैं कुछ दिन नही आ पाउन्गी….
सर: कोई बात नही…तुम अपने भैया का ख़याल रखो….
मैं: जी सर,
सर: अच्छा अब मैं फोन रखता हूँ….
मेने मोबाइल रखा और फिर चारपाई पर लेट गयी….दिल को जैसे सकून सा मिल गया था. कि कम से कम अब सर के घर नही जाना पड़ेगा….और बाकी की छुट्टियाँ आराम से कटेंगी… यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता नही चला….
शाम को 6 बजे मुझे भाभी ने आकर उठाया…..”उठ डॉली चाइ रखी है पी ले और जल्दी से तैयार हो जा….”
मैं: क्या हुआ भाभी तैयार होकर कहाँ जाना है….
भाभी: तू उठ कर चाइ पी और तैयार हो बाद में बताती हूँ…
मैं उठी चाइ पी और फिर तैयार हुई….और थोड़ी देर बाद मैं भाभी के साथ घर से निकली….”भाभी जा कहाँ रहे हैं ये तो बताओ…” मेने भाभी के हाथ को पकड़ते हुए कहा. “
मिस्टर. वेर्मा के घर…
मैं: मिस्टर वेर्मा के घर…पर क्यों….? आप तो दोपहर को भी उनके घर थी ना ?
भाभी: हां गयी थी….पता है मिस्टर. वेर्मा ने लाइनाये का नया बिज्निस शुरू किया है….यार एक से बढ़ कर एक डिज़ाइन है उनके पास…..वही देखने गयी थी…पहले सोचा कि खरीद लेती हूँ….फिर सोचा कि तुम्हे साथ मे लाकर खरीदुन्गी तुम भी अपने लिए खरीद लेना….
मैं: नही भाभी मुझे ज़रूरत नही है…..
भाभी: अच्छा दोपहर को जो तुझे ब्रा दी थी मेने कपड़ों के साथ वो मेने देखी थी.. क्या हालत हो चुकी है….अब तो उसकी जान छोड़ दे…..(भाभी ने हँसते हुए कहा)
मैं: नही भाभी मुझे सच मे कुछ नही लेना….फज़ूल खर्ची है सब….
भाभी: (थोड़ी सी सीरीयस टोन मे) देख डॉली अब तक हम दोनो ने नज़ाने अपनी कितनी ख्वाहिशों का गला दबाया है….अब और नही…यार हमें भी तो जिंदगी जीने का हक़ है ना….और अब हमारे पास पैसों की कमी भी नही है….ऐसे काम करके और पैसे कमा कर क्या करना जो अपने लिए चन्द रुपये ना खरच करें…अब हम इतना तो अफोर्ड कर सकते ही है…
मैं: अच्छा मेरी माँ चल…पर मैं तो पैसे लेकर ही नही आई….जल्दी मे मुझे ले आई हो….
भाभी: मैं लेकर आई हूँ ना…तू घर जाकर मुझे दे देना….
थोड़ी देर बाद हम मिस्टर. वेर्मा के घर पहुँच गये…मिस्टर. वेर्मा ने हमे बैठाया और खुद पानी लेने चले गये….पानी पीने के बाद मिस्टर. वेर्मा हमें फाक्नी ब्रा पेंटी और नाइटी सभी तरह की लाइनाये दिखाने लगे….”वाह मिस्टर वेर्मा ये सभी डिज़ाइन तो बहुत अच्छे है….” भाभी की आँखो मे इतने फॅन्सी अंडरगार्मेंट देख कर चमक आ गयी थी..” दिल करता है सभी के सभी खरीद लूँ….”
मिस्टर वर्मा: तो ले जाओ ना…..किस ने मना किया है….
भाभी: ले तो जाउ…पर इतने पैसे कहाँ है मेरे पास…
मिस्टर वेर्मा: पैसे कोई भागे थोड़े ही जा रहे है घर की बात है….जब दिल करे दे देना….ये देखिए ये ब्रा और पेंटी आप पर बहुत सूट करेगा…
भाभी: (उस पेंटी और ब्रा के सेट को उठाते हुए,) ये कैसी पेंटी है और ये ब्रा तो देखो एक दम जाली है….और ये पेंटी देखो तो सही ढके गी कम और दिखाए गी ज़यादा..
हँसी मज़ाक करते हुए भाभी ने अपने लिए दो नाइटी और चार सेट ब्रा और पेंटी के खरीद लिया….भाभी की ज़िद्द की वजह से मुझे भी वो पेंटी और ब्रा के सेट खरीदने पड़े जिनको पहले मैने कभी देखा तक नही था…एक दम न्यू डिज़ाइन थी….और मेरे लिए दो शॉर्ट नाइटी भी खरीद ली…..
उसके बाद हम दोनो घर आ गये…..और फिर मेने और भाभी ने रात का खाना बनाया और हम सब ने खाना खाया ये दिन जो सुबह मेरे लिए बहुत भारी था….शाम तक मुझे कुछ राहत मिल चुकी थी…
अगली सुबह उठी तो मैं अपने आप को बहुत हलका महसूस कर रही थी. जैसे मेरे सर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो….दिन इस तरह कट रहे थे….26 जून को हमारा घर बन कर तैयार हो चुका था…नीचे तीन रूम थे….पीछे के रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड में किचिन था और सामने हाल था…जिसे हमने ड्रॉयिंग रूम के लिए रखा था. और फिर आगे गेट के तरफ दो रूम थे…
और ऊपेर सिर्फ़ एक रूम था…जो मेरा था….उस रूम में अटेच बाथरूम था…रूम से बाहर निकलते ही एक साइड मे एक एक्सट्रा किचिन और था और आगे बरामदा था..बाकी का हिस्सा खाली था…उसके ऊपेर छत नही थी….मैने और भाभी ने मार्केट से दो डबल बेड और दो नये टीवी और दो कूलर खरीद लिए थे…और बाकी कुछ और ज़रूरी चीज़े जो घर मे आम्तोर पर इस्तेमाल होती है…वो सब खरीब ली थी…. हमने एक दिन मैं ही 1 लाख रुपये उड़ा दिए थे….
उसी दिन सारा फर्निचर और समान हमने घर पर शिफ्ट करवा लिया था…27 जून को हमने ग्रह प्रवेश का दिन रखा था…घर की पूजा करवाई गयी थी…उसी दिन भाभी के मम्मी पापा और भाभी का भाई जो उनसे छोटा था…वो भी आए हुए थे. और वो खुस थे कि, अब हम किसी ढंग घर में रहँगे….घर में छोटी सी पार्टी रखी थी….जिसमे गली की कुछ औरतें और बच्चे भी शामिल थे…पार्टी के बाद रात का वक़्त था….मैं नीचे भैया के पास बाहर गेट के पास वाले रूम में बैठी हुई थी.
तभी मुझे अंदर से भाभी की आवाज़ आई….” मम्मी ये क्या बात हुई…आप आज ही तो आए हो दो दिन रूको ना और…” शायद भाभी के मम्मी पापा अगले दिन वापिस जाने की बात कर रहे थी…थोड़ी देर बाद भाभी और उनके मम्मी पापा रूम आए…और हम सभी बैठे थे….”अब बोलो ना पापा…जो बात करनी है डॉली से कर लो….”
अंकल: डॉली बेटा अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ,.,.
मैं: अंकल आप ऐसे क्यों बोल रहे है….आप कहिए ना क्या कहना है…
अंकल: डॉली बेटा देखो बेटा तुम लोगो को इस नये घर में देख कर मेरा दिल में जो ख़ुसी है मैं वो बयान नही कर सकता….अब तुम दोनो भाभी ननद अच्छी जगह जॉब भी कर रही हो….और तुम लोगो पर सदा खुशियों की बरसात ऐसे ही होती रहे यही मेरी इच्छा है…..
मैं: अंकल जी आपका आशीर्वाद चाहिए….
अंकल: देखो बेटा….इस घर पर तुम दोनो का बराबर का हक़ है…बेटा मैं तुमसे कुछ मांगू तो मना तो नही करोगी….
मैं: जी अंकल आप कहिए ना आप क्या चाहते है….?
अंकल: बेटा तुम आरके से शादी कर लो….(आरके भाभी के भाई का नाम)
मैं: अंकल ये आप क्या कह रहे है….आप तो जानते ही हो कि,
अंकल: बेटा मैं जानता हूँ…पर कब तक तुम ऐसे अकेली रहो गी…देखो बेटा मेरी उम्र हो गयी है….मैं इस दुनियाँ को अच्छे से समझता हूँ….लोग बातें बनाने से परहज नही करते..और वैसे भी आरके को तो तुम अच्छी तरह से जानती हो…तुम्हे तो सब पता है कि आरके कितना अच्छा लड़का है…ना कोई नशे के लत है और ना ही बुरा शॉंक है उसे कोई. अच्छी जॉब भी कर रहा है….बेटा जब से आरके का डाइवोर्स हुआ है… तब से वो बहुत अकेला-2 रहता है…
इसलिए उसकी चिंता होती रहती है…अब तो उसका ट्रान्स्फर भी तुम्हारे सिटी मे हो गया है. मेने आरके से बात की है…और उसने कहा है कि, उसे कोई एतराज नही कि अगर तुम शादी के बाद भी जॉब करो….
मैं: ये सब तो ठीक है पर अंकल ऐसे अचानक से मुझे सोचने का कुछ वक़्त तो दीजिए ना….?
अंकल: कोई जल्दी नही बेटा…..सोच कर बता देना….
उसके बाद हमने खाना खाया और मैं ऊपेर अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गयी और अंकल की बातों के बारे मे सोचने लगी….आरके सच मे अच्छा लड़का था….बहुत ही शर्मीले से सभाव का था वो…किसी ज़्यादा बातचीत नही करता था और ना ही कभी उसके किसी से उँची आवाज़ में बात करते सुना था….और फिर उस दिन जो मेरी चुनमुनियाँ मे आग भड़की थी…अभी भी मुझे उसकी गरमी रात को महसूस होती थी…आख़िर कब तक अपनी जिंदगी यूँ ही अकले सोकर गुज़ारुँगी…..
ये सब सोचते सोचे मुझे नींद आ गयी….अगली सुबह नाश्ते के बाद भाभी के मम्मी पापा और भाई तैयार होकर घर से जाने को निकालने वाले थी….मैं और भाभी उन्हे बाहर गेट तक छोड़ने आए….”तो बेटा क्या सोचा तुमने…” अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…..”जी किस बारे में….”
अंकल: (मुस्कुराते हुए) हमारी बहू बनने के बारे में…
मैं: (मैं उनकी बात सुन कर शरमा सी गयी…) जी जैसे आपको और भाभी को ठीक लगे.
मैने शरमाते हुए आरके की तरफ देखा तो वो मुझसे भी ज़्यादा शरमा रहा था… उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर से अपने पापा की तरफ देखने लगा… “ठीक है बेटा दो दिन बाद 29 को आरके की ट्रान्स्फर यहाँ हो रही है….उसी दिन कोर्ट में तुम दोनो की मॅरेज करवा देते है….अब हमें कॉन से शोर शराबा करना है….तुम्हारे भाई से भी मेरी बात हो गयी है….”
उसके बाद मैं वहाँ से बाहर आ गये…आज मैं जय सर की कार मे नही बैठी और घर से बाहर निकल कर पोलीस स्टेशन की ओर जाने लगी….उस टाइम दिमाग़ बहुत गरम था..पर चलते चलते जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था….मेरा गुस्सा कम होता जा रहा था…दिमाग़ मे अजीब अजीब से ख़याल आ रहे थे…और अंत मे अपने ही ख्यालों से मजबूर होकर मैं पोलीस स्टेशन से कुछ दूरी पर रुक गयी……मुझमे इतनी हिम्मत नही थी कि, मैं पोलीस मे जाकर कंप्लेंट करू….अगर करती तो भी क्या होता….मेरा रेप तो हुआ नही था…ऊपेर से दीपा मेरे बारे मे कुछ भी ग़लत बोल सकती थी…..
मुझे खुद अपनी बदनामी का डर सताने लगा था….अगर कॉंपलेट करती तो हाथ कुछ ना लगता और ऊपेर से मुझे और भाभी दोनो को ही इतनी अच्छी जॉब से हाथ धोना पड़ता. और ना इस शहर मे मुझे और भाभी को और जॉब मिलती…छोटा सा सहर था…भाई के आक्सिडेंट के बाद जो 25 लाख मिले थे…उनमे से 8 लाख तो घर बनाने मे ही खरच हो चुके थे. और भाभी अभी भी नये फर्निचर और घर का समान खरीदने का सोच रही थी…मैं फिर से उस बदहाल जिंदगी को नही जीना चाहती थी….
इसलिए ना चाहते हुए भी मैं घर को वापिस मूड गयी…बस पकड़ी और घर आई…जब मैं घर पहुँची तो भाभी मुझे घर के गेट पर ही मिल गयी….वो पड़ोस मे किसी के घर जा रही थी…..”अर्रे डॉली आ गयी तू….” खाना बना हुआ है…मैं वेर्मा जी के घर जा रही हूँ….तू चेंज करके फ्रेश होकर खाना खा लेना…..मैं थोड़ी देर मे आती हूँ…..” भाभी के जाने के बाद मैने गेट को बंद किया और सीधा अपने रूम मे चली आई….
रूम में पहुँचते ही, मेने अपने पर्स को चारपाई पर गुस्से से फेंका और अपनी कपड़े उतारने लगी….पहले मेने अपनी कमीज़ उतारी और फिर अपनी सलवार मैं उन्हे रखने और दूसरी सलवार कमीज़ निकालने के लिए जैसे ही अलमारी की तरफ बढ़ी….तो टेबल पर रखे टेबल फॅन की हवा सीधी मेरी जाँघो के बीच मेरी पेंटी पर टकराई, तो मुझे अपनी पेंटी मेरी चुनमुनियाँ पर चिपकी हुई महसूस हुई…एक अजीब जिंझोड़ देने वाली लहर मेरे पूरे बदन मे फेल गयी…मेने अपनी पेंटी के ऊपेर से अपनी चुनमुनियाँ पर हाथ रखा तो मेरे हाथों की उंगलियाँ उसमे लगे मेरी चुनमुनियाँ के कामरास से चिपचिपा गयी….
मुझे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था…मैं ऐसे ही रूम से बाहर निकली और सीधा बाथरूम मे चली गयी….मेने वहाँ जाकर अपनी पेंटी उतारी, और उसे पानी से भरी हुई बाल्टी मे डाल दिया…और फिर अपनी जाँघो को थोड़ा सा फैला कर अपनी चुनमुनियाँ की फांको के बीच मे जैसे ही हाथ लगाया तो मेरे हाथ की उंगलियाँ मेरी चुनमुनियाँ से निकले पानी से एक दम तरबतर हो गयी…मेने अपने हाथ को अपनी आँखो के सामने लाकर देखा तो मैं एक दम हैरान रह गयी…जब से मेरा डाइवोर्स हुआ है…तब से ही मुझे सेक्स और मर्द जात से नफ़रत सी हो गयी थी….पर आज जब अपनी चुनमुनियाँ की फिर से ये हालत देखी तो मैं दंग रह गयी….
मुझे अब दीपा और राज पर और गुस्सा आ रहा था…मेने अपनी चुनमुनियाँ से निकले हुए पानी को सॉफ करने के लिए अपने हाथ से रगड़ना शुरू कर दिया…और उसका उल्टा ही असर मुझ पर होने लगा…ना चाहते हुए भी मुझे अजीब सा खेंचाव फिर से अपनी चुनमुनियाँ के बीच मे महसूस होने लगा…..मैं वही दीवार से पीठ टिका कर धीरे-2 नीचे बैठ गयी. मेरी टाँगे विपरीत दिशा मे फेली हुई थी….और मैं अब तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ को रगड़ रही थी….और अपनी सुहागरात को याद करते हुए अपनी चुनमुनियाँ मे उंगली करने लगी थी.
पर फिर अचानक से मेरे जेहन वो नज़ारा उभर आया….जब मेरे फेस के ऊपेर दीपा की चुनमुनियाँ मे राज का बाबूराव अंदर बाहर हो रहा था….कभी मुझे अपनी सुहागरात की चुदाई की तस्वीरें मेरे जेहन मे आती तो कभी दीपा की चुनमुनियाँ में अंदर बाहर होता राज का बाबूराव….इतने सालो मे मेने कभी अपने आप को बहकने नही दिया था…. “अपनी शक्ल देखी है जो मैं तेरे रेप करूँगा…” राज के ये शब्द मेरे कानो में तीर की तरह चुभ रहे थे…..मेने नीचे नज़र करके अपनी वाइट कलर की पुरानी सी ब्रा मे क़ैद अपनी 34फ की अपनी चुचियाँ की ओर देखा….और एक हाथ से अपनी चुचियाँ को ब्रा के ऊपेर से मसलने लगी…..
“ मैं क्या इतनी बदसूरत हूँ….” मैं तेज़ी से अपनी चुनमुनियाँ और मम्मों को मसलते हुए बुदबूदाई…..और अपनी चुनमुनियाँ के दाने को और तेज़ी से मसलने लगी….गरमी की वजह से मेरा पूरा बदन पसीने से नहा चुका था….और मैं काँपते हुए झड़ने लगी… और वही बदहाल सी होकर बैठ गयी….तभी मुझे गेट खुलने की आवाज़ आए…. “ कॉन है” मेने बाथरूम मे बैठे-2 ही आवाज़ लगाई….”
पायल भाभी : मैं हूँ डॉली तू बाथरूम मे है अभी तक खाना खाया कि नही..?
मैं: नही भाभी अभी नही खाया….गरमी बहुत है इसलिए सोचा नहा लेती हूँ…..
भाभी: अच्छा जल्दी से नहा ले मैं खाना लगाती हूँ….
उसके बाद मैने अपनी चुनमुनियाँ को सॉफ किया और नहा कर भाभी को आवाज़ दी…” भाभी मेरे कपड़े दे दो….” भाभी थोड़ी देर बाद मेरे लिए कपड़े ले कर आ गयी..” मेने कपड़े पहने और फिर बाहर आई और भैया भाभी के साथ खाना खाया…दोपहर के 2 बज चुके थे…मुझे नींद आने लगी थी….इसलिए सोचा कुछ देर सो लेती हूँ..तो मैं अपने रूम मे आ गयी….कि तभी मेरे मोबाइल बजने लगा….जब मेने मोबाइल उठा कर देखा तो जय सर की कॉल आ रही थी…मैने कॉल पिक की….
मैं: हेलो जी सर,
सर: और डॉली कैसी हो…?
मैं: जी मैं ठीक हूँ…..
सर: अच्छा घर पर फोन किया था….तो राज ने बताया कि आज तुमने उसे पढ़ाया नही है…कह रहा था कि, थोड़ी देर पहले उनके घर से फोन आया था…बहुत जल्दी में थी इसलिए चली गयी कोई प्राब्लम तो नही है ना….?
मैं: जी वो आक्च्युयली सर वो भैया की तबीयत….. (मेने बहाना बना दिया)
सर: अच्छा अच्छा ठीक है…पहले घर बाकी सब बाद मे….
मैं: सर वो एक बात कहनी थी आपसे….
सर: हां बोलो डॉली….
मैं: सर मैं कुछ दिन नही आ पाउन्गी….
सर: कोई बात नही…तुम अपने भैया का ख़याल रखो….
मैं: जी सर,
सर: अच्छा अब मैं फोन रखता हूँ….
मेने मोबाइल रखा और फिर चारपाई पर लेट गयी….दिल को जैसे सकून सा मिल गया था. कि कम से कम अब सर के घर नही जाना पड़ेगा….और बाकी की छुट्टियाँ आराम से कटेंगी… यही सब सोचते सोचते कब नींद आ गयी पता नही चला….
शाम को 6 बजे मुझे भाभी ने आकर उठाया…..”उठ डॉली चाइ रखी है पी ले और जल्दी से तैयार हो जा….”
मैं: क्या हुआ भाभी तैयार होकर कहाँ जाना है….
भाभी: तू उठ कर चाइ पी और तैयार हो बाद में बताती हूँ…
मैं उठी चाइ पी और फिर तैयार हुई….और थोड़ी देर बाद मैं भाभी के साथ घर से निकली….”भाभी जा कहाँ रहे हैं ये तो बताओ…” मेने भाभी के हाथ को पकड़ते हुए कहा. “
मिस्टर. वेर्मा के घर…
मैं: मिस्टर वेर्मा के घर…पर क्यों….? आप तो दोपहर को भी उनके घर थी ना ?
भाभी: हां गयी थी….पता है मिस्टर. वेर्मा ने लाइनाये का नया बिज्निस शुरू किया है….यार एक से बढ़ कर एक डिज़ाइन है उनके पास…..वही देखने गयी थी…पहले सोचा कि खरीद लेती हूँ….फिर सोचा कि तुम्हे साथ मे लाकर खरीदुन्गी तुम भी अपने लिए खरीद लेना….
मैं: नही भाभी मुझे ज़रूरत नही है…..
भाभी: अच्छा दोपहर को जो तुझे ब्रा दी थी मेने कपड़ों के साथ वो मेने देखी थी.. क्या हालत हो चुकी है….अब तो उसकी जान छोड़ दे…..(भाभी ने हँसते हुए कहा)
मैं: नही भाभी मुझे सच मे कुछ नही लेना….फज़ूल खर्ची है सब….
भाभी: (थोड़ी सी सीरीयस टोन मे) देख डॉली अब तक हम दोनो ने नज़ाने अपनी कितनी ख्वाहिशों का गला दबाया है….अब और नही…यार हमें भी तो जिंदगी जीने का हक़ है ना….और अब हमारे पास पैसों की कमी भी नही है….ऐसे काम करके और पैसे कमा कर क्या करना जो अपने लिए चन्द रुपये ना खरच करें…अब हम इतना तो अफोर्ड कर सकते ही है…
मैं: अच्छा मेरी माँ चल…पर मैं तो पैसे लेकर ही नही आई….जल्दी मे मुझे ले आई हो….
भाभी: मैं लेकर आई हूँ ना…तू घर जाकर मुझे दे देना….
थोड़ी देर बाद हम मिस्टर. वेर्मा के घर पहुँच गये…मिस्टर. वेर्मा ने हमे बैठाया और खुद पानी लेने चले गये….पानी पीने के बाद मिस्टर. वेर्मा हमें फाक्नी ब्रा पेंटी और नाइटी सभी तरह की लाइनाये दिखाने लगे….”वाह मिस्टर वेर्मा ये सभी डिज़ाइन तो बहुत अच्छे है….” भाभी की आँखो मे इतने फॅन्सी अंडरगार्मेंट देख कर चमक आ गयी थी..” दिल करता है सभी के सभी खरीद लूँ….”
मिस्टर वर्मा: तो ले जाओ ना…..किस ने मना किया है….
भाभी: ले तो जाउ…पर इतने पैसे कहाँ है मेरे पास…
मिस्टर वेर्मा: पैसे कोई भागे थोड़े ही जा रहे है घर की बात है….जब दिल करे दे देना….ये देखिए ये ब्रा और पेंटी आप पर बहुत सूट करेगा…
भाभी: (उस पेंटी और ब्रा के सेट को उठाते हुए,) ये कैसी पेंटी है और ये ब्रा तो देखो एक दम जाली है….और ये पेंटी देखो तो सही ढके गी कम और दिखाए गी ज़यादा..
हँसी मज़ाक करते हुए भाभी ने अपने लिए दो नाइटी और चार सेट ब्रा और पेंटी के खरीद लिया….भाभी की ज़िद्द की वजह से मुझे भी वो पेंटी और ब्रा के सेट खरीदने पड़े जिनको पहले मैने कभी देखा तक नही था…एक दम न्यू डिज़ाइन थी….और मेरे लिए दो शॉर्ट नाइटी भी खरीद ली…..
उसके बाद हम दोनो घर आ गये…..और फिर मेने और भाभी ने रात का खाना बनाया और हम सब ने खाना खाया ये दिन जो सुबह मेरे लिए बहुत भारी था….शाम तक मुझे कुछ राहत मिल चुकी थी…
अगली सुबह उठी तो मैं अपने आप को बहुत हलका महसूस कर रही थी. जैसे मेरे सर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो….दिन इस तरह कट रहे थे….26 जून को हमारा घर बन कर तैयार हो चुका था…नीचे तीन रूम थे….पीछे के रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड में किचिन था और सामने हाल था…जिसे हमने ड्रॉयिंग रूम के लिए रखा था. और फिर आगे गेट के तरफ दो रूम थे…
और ऊपेर सिर्फ़ एक रूम था…जो मेरा था….उस रूम में अटेच बाथरूम था…रूम से बाहर निकलते ही एक साइड मे एक एक्सट्रा किचिन और था और आगे बरामदा था..बाकी का हिस्सा खाली था…उसके ऊपेर छत नही थी….मैने और भाभी ने मार्केट से दो डबल बेड और दो नये टीवी और दो कूलर खरीद लिए थे…और बाकी कुछ और ज़रूरी चीज़े जो घर मे आम्तोर पर इस्तेमाल होती है…वो सब खरीब ली थी…. हमने एक दिन मैं ही 1 लाख रुपये उड़ा दिए थे….
उसी दिन सारा फर्निचर और समान हमने घर पर शिफ्ट करवा लिया था…27 जून को हमने ग्रह प्रवेश का दिन रखा था…घर की पूजा करवाई गयी थी…उसी दिन भाभी के मम्मी पापा और भाभी का भाई जो उनसे छोटा था…वो भी आए हुए थे. और वो खुस थे कि, अब हम किसी ढंग घर में रहँगे….घर में छोटी सी पार्टी रखी थी….जिसमे गली की कुछ औरतें और बच्चे भी शामिल थे…पार्टी के बाद रात का वक़्त था….मैं नीचे भैया के पास बाहर गेट के पास वाले रूम में बैठी हुई थी.
तभी मुझे अंदर से भाभी की आवाज़ आई….” मम्मी ये क्या बात हुई…आप आज ही तो आए हो दो दिन रूको ना और…” शायद भाभी के मम्मी पापा अगले दिन वापिस जाने की बात कर रहे थी…थोड़ी देर बाद भाभी और उनके मम्मी पापा रूम आए…और हम सभी बैठे थे….”अब बोलो ना पापा…जो बात करनी है डॉली से कर लो….”
अंकल: डॉली बेटा अगर तुम बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ,.,.
मैं: अंकल आप ऐसे क्यों बोल रहे है….आप कहिए ना क्या कहना है…
अंकल: डॉली बेटा देखो बेटा तुम लोगो को इस नये घर में देख कर मेरा दिल में जो ख़ुसी है मैं वो बयान नही कर सकता….अब तुम दोनो भाभी ननद अच्छी जगह जॉब भी कर रही हो….और तुम लोगो पर सदा खुशियों की बरसात ऐसे ही होती रहे यही मेरी इच्छा है…..
मैं: अंकल जी आपका आशीर्वाद चाहिए….
अंकल: देखो बेटा….इस घर पर तुम दोनो का बराबर का हक़ है…बेटा मैं तुमसे कुछ मांगू तो मना तो नही करोगी….
मैं: जी अंकल आप कहिए ना आप क्या चाहते है….?
अंकल: बेटा तुम आरके से शादी कर लो….(आरके भाभी के भाई का नाम)
मैं: अंकल ये आप क्या कह रहे है….आप तो जानते ही हो कि,
अंकल: बेटा मैं जानता हूँ…पर कब तक तुम ऐसे अकेली रहो गी…देखो बेटा मेरी उम्र हो गयी है….मैं इस दुनियाँ को अच्छे से समझता हूँ….लोग बातें बनाने से परहज नही करते..और वैसे भी आरके को तो तुम अच्छी तरह से जानती हो…तुम्हे तो सब पता है कि आरके कितना अच्छा लड़का है…ना कोई नशे के लत है और ना ही बुरा शॉंक है उसे कोई. अच्छी जॉब भी कर रहा है….बेटा जब से आरके का डाइवोर्स हुआ है… तब से वो बहुत अकेला-2 रहता है…
इसलिए उसकी चिंता होती रहती है…अब तो उसका ट्रान्स्फर भी तुम्हारे सिटी मे हो गया है. मेने आरके से बात की है…और उसने कहा है कि, उसे कोई एतराज नही कि अगर तुम शादी के बाद भी जॉब करो….
मैं: ये सब तो ठीक है पर अंकल ऐसे अचानक से मुझे सोचने का कुछ वक़्त तो दीजिए ना….?
अंकल: कोई जल्दी नही बेटा…..सोच कर बता देना….
उसके बाद हमने खाना खाया और मैं ऊपेर अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गयी और अंकल की बातों के बारे मे सोचने लगी….आरके सच मे अच्छा लड़का था….बहुत ही शर्मीले से सभाव का था वो…किसी ज़्यादा बातचीत नही करता था और ना ही कभी उसके किसी से उँची आवाज़ में बात करते सुना था….और फिर उस दिन जो मेरी चुनमुनियाँ मे आग भड़की थी…अभी भी मुझे उसकी गरमी रात को महसूस होती थी…आख़िर कब तक अपनी जिंदगी यूँ ही अकले सोकर गुज़ारुँगी…..
ये सब सोचते सोचे मुझे नींद आ गयी….अगली सुबह नाश्ते के बाद भाभी के मम्मी पापा और भाई तैयार होकर घर से जाने को निकालने वाले थी….मैं और भाभी उन्हे बाहर गेट तक छोड़ने आए….”तो बेटा क्या सोचा तुमने…” अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…..”जी किस बारे में….”
अंकल: (मुस्कुराते हुए) हमारी बहू बनने के बारे में…
मैं: (मैं उनकी बात सुन कर शरमा सी गयी…) जी जैसे आपको और भाभी को ठीक लगे.
मैने शरमाते हुए आरके की तरफ देखा तो वो मुझसे भी ज़्यादा शरमा रहा था… उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर से अपने पापा की तरफ देखने लगा… “ठीक है बेटा दो दिन बाद 29 को आरके की ट्रान्स्फर यहाँ हो रही है….उसी दिन कोर्ट में तुम दोनो की मॅरेज करवा देते है….अब हमें कॉन से शोर शराबा करना है….तुम्हारे भाई से भी मेरी बात हो गयी है….”