27-06-2021, 05:51 AM
अपडेट - 16
मेने राज की आँखो मे झाँका तो राज की आँखो मे अजीब से चमक थी….और काँपति हुई आवाज़ मे बोली “राज इसे अंदर करो….” मेने एक हाथ से राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया…और दूसरे हाथ से राज की कमर को पकड़ कर नीचे की ओर दबाने लगी…राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेने सिसकते हुए राज के बाबूराव को छोड़ कर अपनी बाहों को उसकी कमर पर कस लिया….और अपनी टाँगो को उठा कर उसके कमर पर कसते हुए, उसे अपनी ओर दबाना शुरू कर दिया…..
राज का बाबूराव मेरी पनियाई हुई चुनमुनियाँ मे फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….मैने सिसकते हुए राज के चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया और उससे पागलो की तरह चूमने लगी….पर अगले ही पल मुझे इस बात का अहसास कि राज बाबा सेक्स से अंजान नही है. जब उन्होने ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से अंदर की तरफ पेला…मेरा रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….मैं हैरत से राज बाबा के चेहरे की ओर देख रही थी. और मुझे सच मे बहुत मज़ा आ रहा था….फिर क्या था….राज बाबा ने अपना बाबूराव बाहर निकाला -2 कर मेरी चुनमुनियाँ मे पेलना शुरू कर दिया…मैं बदहवास से उनके साथ लिपटाते जा रही थी….
और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी…उस दिन मे कई दिनो बाद झड़ी थी…और उस दिन के बाद मैं राज बाबा से कई बार चुदि…और अब मुझे उनके बाबूराव की आदत पड़ गयी है…
मैं: दीपा तुम्हे ज़रा भी शरम नही आ रही है ये सब सुनाते हुए….
दीपा: दीदी शरम तो आ रही है….पर आप ने ही तो कहा था कि, सब कुछ बताना..
बेहया बेशरम कही की, मेने मन ही मन दीपा के बारे मे सोचा…”सुनो दीपा अब तक तुमने जो करना था कर लिया….और उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती हूँ….पर एक बात अच्छे से समझ लो…राज अभी बच्चा है…और तुम उसकी लाइफ बर्बाद कर रही हो…. तुम्हे राज के साथ अपने इस नज़ायज़ रिस्ते को ख़तम करना होगा….नही तो मैं राज के अंकल को सब कुछ बता दूँगी…”
दीपा: मेडम जी आप जो कहँगी मैं वो करूँगी….पर प्लीज़ साहब को मत बताना..
मैं: ठीक है फिर मेरे बात का ध्यान रखना…नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..
दीपा: जी मेडम जी….
दीपा की बातें सुन कर आज मेरा मन पहली बार बहकने लगा था…मन मे अजीब सी हलचल हो रही थी…..मैं अपने आप को अपने लिए ही कसूरवार ठहरा रही थी कि, मैने आज तक अपने साथ ये सब क्यों क्या…कहाँ पूरी दुनिया के लोग अपनी अपनी जिंदगी के मज़े लूट रहे है….और कहाँ मैं अपने घमंड और गुस्से का खुद ही शिकार होकर अपनी जिंदगी खराब कर रही हूँ… मैं वहाँ से निकल कर घर वापिस आ गयी…
घर पहुँच कर देखा तो हमारे घर का काम अब ख़तम होने को था…. जैसे ही मैं घर के अंदर पहुँची तो भाभी ने बताया कि, मजदूर बोल रहे थे कि एक हाफते बाद आप अपने घर मे शिफ्ट कर सकते है…इस बात को लेकर मैं भी बहुत खुस थी. फाइनली हमारे पास भी अपना एक ऐसा घर था जो कि इंसान के रहने लायक था…अगली सुबह भी 10 बजे मुझे सर की कार लेने के लिए आ गयी…मेरा मन तो नही था..पर जय सर की वजह से मैं तैयार हुई और कार मे बैठ कर जय सर के घर आ गयी. डोर आज फिर दीपा ने ही खोला था…..
मैं अंदर आकर सोफे पर बैठी तो दीपा मेरे लिए कोल्ड्रींक ले आई….”सर कहाँ है..” मैने ग्लास उठाते हुए कहा…
.”जी सर तो आज सहर से बाहर गये है…” दीपा ने सर को झुकाए हुए कहा….मेने ध्यान दिया तो मुझे पता चला कि, दीपा के निचले होंठ पर कट का निशान था…जो कल नही था…
.”दीपा ये क्या हुआ तुम्हारे होंठ के पास…” मेरी बात सुन कर दीपा एक दम से घबरा गयी और हड़बड़ाते हुए बोली…” वो मेडम जी कल शायद रात को कीड़े ना काट लिया था….”
मैं: और राज कहाँ है….?
दीपा: वो अपने रूम मे है…
मैं: अच्छा ठीक है मैं ऊपेर ही जाती हूँ….
मैने ग्लास टेबल पर रखा और ऊपेर चली गयी…जब मैं राज के रूम मे पहुँची तो, राज अपने कंप्यूटर पर कुछ कर रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कंप्यूटर ऑफ कर दिया…. “अपनी बुक्स निकालो चलो…” मेने उसके सामने सोफे पर बैठते हुए कहा…राज कुछ ना बोला और उठ कर बाहर जाने लगा…
मैं: कहाँ जा रहे हो….? मैं तुमसे कह रही हूँ….
राज: मैं कही भी जाउ…तुम्हे उससे कोई मतलब….
मैं: देखो सीधी तरह मेरी बात मान लो…वरना मैं सर को तुम्हारी शिकायत करूँगी.
राज: तुम्हे जो करना है वो करो…
मैं: राज सीधी तरह मानते हो या फिर मैं सर को फोन करूँ….
मेरी बात सुन कर राज वापिस अंदर आया….और उसने बॅग उठा कर मेरे सामने टेबल पर रख दिया…”चलो अब अपनी इंग्लीश की बुक निकालो…..” राज ने बॅग खोला और उसमे से इंग्लीश की बुक निकाल ली….क्यों अब आए ना लाइन पर सीधी तरह तुम कोई बात नही मानते….मेरी बात सुन कर राज एक दम से भड़क उठा…उसने बुक उठा कर एक तरफ फेंकी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया…और फिर मेरा हाथ पकड़ कर खेंचते हुए मुझे बेड पर लेजा कर धक्का दे दिया…और फिर तेज़ी से रूम के डोर की तरफ गया…राज की इस हरक़त से मैं एक दम घबरा गयी…
राज ने डोर पर जाकर दीपा को आवाज़ दी….और फिर से अंदर आया और मेरे ऊपेर झपट पड़ा….अगले ही पल वो फिर से मेरे ऊपेर था…इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती….पता नही उसने कहाँ से रस्सी निकाल कर मुझे उल्टा करके मेरे दोनो हाथो को मेरी पीठ के पीछे लेजा कर बांधने लगा…
”ये ये क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे आह राज…प्लीज़ छोड़ो मुझे…..” पर राज तो जैसे मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही था…उसने मेरे हाथो को बाँध कर मुझे सीधा किया….”साली बहुत स्यानी बनती है ना तू….साली बेहन की लौडी एक बार तुझे छोड़ दिया था कि शायद सुधर जाए… पर लगता है तू सीधी तरह नही सुधरेगी….”
राज: साली खुद तो तू पिछले 7 सालो से अपनी पति से डाइवोर्स करके घर पर बैठी है. और दूसरो की लाइफ मे टाँग अडाने की आदत पाल रखी है….देख आज तेरे साथ क्या करता हूँ…कि आज के बाद किसी की लाइफ मे इंटर्फियर नही करेगी…दीपा…” तभी दीपा रूम आई और मुझे और राज को इस हालत मे देख कर एक दम से घबरा गयी…राज ने दीपा के पास जाकर उसे रूम के अंदर किया और डोर लॉक करके दीपा को खेंचते हुए बेड पर ले आया….
उसने दीपा को ठीक मेरे ऊपेर खड़ा किया…दीपा की टाँगे मेरी कमर के दोनो तरफ थी….”ये साली तुझसे क्या कह रही थी बता ज़रा इसे….” राज ने दीपा के पीछे आकर खड़ा होते हुए कहा…अब दोनो मेरी कमर के दोनो ओर टाँगे करके मेरे ऊपेर खड़े थे… “राज बाबा वो वो ये बोल…..”
राज: हां बोल ना क्या कहा था इसने तुमसे….
दीपा: (एक बार मेरी तरफ घबराते हुए देख कर) वो वो ये कह रही थी कि , अब मैं आगे से आपके साथ वो सब ना करू….
राज: साली खुद की चूत मे लंड नही ले पाई आज तक और अब दूसरो की जिंदगी के मज़े भी खराब करने के चक्कर मे है…..तू बोल तू रह लेगी मेरे लंड के बिना…
दीपा: (मेरी ओर देख कर सहमी सी आवाज़ मई) नही राज बाबा…..
राज: बोल फिर अभी मेरा लंड लेगी इसके सामने अपनी चूत मे….
दीपा ने घबराते हुए हां मे सर हिला दिया….”राज तुम ये ठीक नही कर रहे हो….बहुत हो गया….अब तक मेने तुम्हारी सब घटिया हरकतों को बर्दाश्त किया है पर अब और नही….छोड़ो मुझे मेरे हाथ खोलो….दीपा मेरे हाथ….” इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती…राज ने दीपा को आगे की और धकेल कर नीचे घुटनों के बल बैठा दिया….और फिर उसके कंधे को पकड़ कर आगे की तरफ झुकाने लगा…दीपा मेरी आँखों मे देखते हुए आगे की तरफ झुक गयी….उसकी कमर अब मेरे चेहरे से थोड़ा सा ऊपेर थी….और अगले ही पल राज ने दीपा के साड़ी और पेटिकॉट को पकड़ कर उसकी कमर के ऊपेर चढ़ा दिया….
और अगले ही पल मेरा केलज़ा मूह को आ गया…दीपा की चिकनी बिना वाली चुनमुनियाँ ठीक मेरे चेहरे के ऊपेर थी…मैं आँखे फाडे दीपा की चुनमुनियाँ को देख रही थी…और तभी मेरी नज़रों के सामने राज का तना हुआ बाबूराव आया….एक दम तना हुआ….जिसे देखते ही मैने अपने आँखे बंद कर ली…पर उसके बाबूराव की छाप मेरी आँखो मे समा चुकी थी…उसके बाबूराव का गुलाबी सुपाडा लाल होकर दहक रहा था…” चल साली आँखे खोल और देख, कैसे तेरे सामने इसको चोदता हूँ और तू ललिता रंडी मेरे बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेने के लिए कैसे भीख मांगती है….चल खोल अपनी आँखे…” राज ने मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए कहा ”राज स्टॉप दिस नॉनसेंस… नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा….” मेने अपना फेस दूसरी तरफ घूमाते हुए कहा.
मेने राज की आँखो मे झाँका तो राज की आँखो मे अजीब से चमक थी….और काँपति हुई आवाज़ मे बोली “राज इसे अंदर करो….” मेने एक हाथ से राज के बाबूराव को पकड़ कर अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर सेट किया…और दूसरे हाथ से राज की कमर को पकड़ कर नीचे की ओर दबाने लगी…राज के बाबूराव का सुपाडा मेरी चुनमुनियाँ के छेद को फेलाता हुआ अंदर जा घुसा….मेने सिसकते हुए राज के बाबूराव को छोड़ कर अपनी बाहों को उसकी कमर पर कस लिया….और अपनी टाँगो को उठा कर उसके कमर पर कसते हुए, उसे अपनी ओर दबाना शुरू कर दिया…..
राज का बाबूराव मेरी पनियाई हुई चुनमुनियाँ मे फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….मैने सिसकते हुए राज के चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया और उससे पागलो की तरह चूमने लगी….पर अगले ही पल मुझे इस बात का अहसास कि राज बाबा सेक्स से अंजान नही है. जब उन्होने ने अपने बाबूराव को बाहर निकाल कर फिर से अंदर की तरफ पेला…मेरा रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….मैं हैरत से राज बाबा के चेहरे की ओर देख रही थी. और मुझे सच मे बहुत मज़ा आ रहा था….फिर क्या था….राज बाबा ने अपना बाबूराव बाहर निकाला -2 कर मेरी चुनमुनियाँ मे पेलना शुरू कर दिया…मैं बदहवास से उनके साथ लिपटाते जा रही थी….
और अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल कर राज के बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ की गहराइयों मे लेने की कॉसिश कर रही थी…उस दिन मे कई दिनो बाद झड़ी थी…और उस दिन के बाद मैं राज बाबा से कई बार चुदि…और अब मुझे उनके बाबूराव की आदत पड़ गयी है…
मैं: दीपा तुम्हे ज़रा भी शरम नही आ रही है ये सब सुनाते हुए….
दीपा: दीदी शरम तो आ रही है….पर आप ने ही तो कहा था कि, सब कुछ बताना..
बेहया बेशरम कही की, मेने मन ही मन दीपा के बारे मे सोचा…”सुनो दीपा अब तक तुमने जो करना था कर लिया….और उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती हूँ….पर एक बात अच्छे से समझ लो…राज अभी बच्चा है…और तुम उसकी लाइफ बर्बाद कर रही हो…. तुम्हे राज के साथ अपने इस नज़ायज़ रिस्ते को ख़तम करना होगा….नही तो मैं राज के अंकल को सब कुछ बता दूँगी…”
दीपा: मेडम जी आप जो कहँगी मैं वो करूँगी….पर प्लीज़ साहब को मत बताना..
मैं: ठीक है फिर मेरे बात का ध्यान रखना…नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा..
दीपा: जी मेडम जी….
दीपा की बातें सुन कर आज मेरा मन पहली बार बहकने लगा था…मन मे अजीब सी हलचल हो रही थी…..मैं अपने आप को अपने लिए ही कसूरवार ठहरा रही थी कि, मैने आज तक अपने साथ ये सब क्यों क्या…कहाँ पूरी दुनिया के लोग अपनी अपनी जिंदगी के मज़े लूट रहे है….और कहाँ मैं अपने घमंड और गुस्से का खुद ही शिकार होकर अपनी जिंदगी खराब कर रही हूँ… मैं वहाँ से निकल कर घर वापिस आ गयी…
घर पहुँच कर देखा तो हमारे घर का काम अब ख़तम होने को था…. जैसे ही मैं घर के अंदर पहुँची तो भाभी ने बताया कि, मजदूर बोल रहे थे कि एक हाफते बाद आप अपने घर मे शिफ्ट कर सकते है…इस बात को लेकर मैं भी बहुत खुस थी. फाइनली हमारे पास भी अपना एक ऐसा घर था जो कि इंसान के रहने लायक था…अगली सुबह भी 10 बजे मुझे सर की कार लेने के लिए आ गयी…मेरा मन तो नही था..पर जय सर की वजह से मैं तैयार हुई और कार मे बैठ कर जय सर के घर आ गयी. डोर आज फिर दीपा ने ही खोला था…..
मैं अंदर आकर सोफे पर बैठी तो दीपा मेरे लिए कोल्ड्रींक ले आई….”सर कहाँ है..” मैने ग्लास उठाते हुए कहा…
.”जी सर तो आज सहर से बाहर गये है…” दीपा ने सर को झुकाए हुए कहा….मेने ध्यान दिया तो मुझे पता चला कि, दीपा के निचले होंठ पर कट का निशान था…जो कल नही था…
.”दीपा ये क्या हुआ तुम्हारे होंठ के पास…” मेरी बात सुन कर दीपा एक दम से घबरा गयी और हड़बड़ाते हुए बोली…” वो मेडम जी कल शायद रात को कीड़े ना काट लिया था….”
मैं: और राज कहाँ है….?
दीपा: वो अपने रूम मे है…
मैं: अच्छा ठीक है मैं ऊपेर ही जाती हूँ….
मैने ग्लास टेबल पर रखा और ऊपेर चली गयी…जब मैं राज के रूम मे पहुँची तो, राज अपने कंप्यूटर पर कुछ कर रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर कंप्यूटर ऑफ कर दिया…. “अपनी बुक्स निकालो चलो…” मेने उसके सामने सोफे पर बैठते हुए कहा…राज कुछ ना बोला और उठ कर बाहर जाने लगा…
मैं: कहाँ जा रहे हो….? मैं तुमसे कह रही हूँ….
राज: मैं कही भी जाउ…तुम्हे उससे कोई मतलब….
मैं: देखो सीधी तरह मेरी बात मान लो…वरना मैं सर को तुम्हारी शिकायत करूँगी.
राज: तुम्हे जो करना है वो करो…
मैं: राज सीधी तरह मानते हो या फिर मैं सर को फोन करूँ….
मेरी बात सुन कर राज वापिस अंदर आया….और उसने बॅग उठा कर मेरे सामने टेबल पर रख दिया…”चलो अब अपनी इंग्लीश की बुक निकालो…..” राज ने बॅग खोला और उसमे से इंग्लीश की बुक निकाल ली….क्यों अब आए ना लाइन पर सीधी तरह तुम कोई बात नही मानते….मेरी बात सुन कर राज एक दम से भड़क उठा…उसने बुक उठा कर एक तरफ फेंकी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे से उठा दिया…और फिर मेरा हाथ पकड़ कर खेंचते हुए मुझे बेड पर लेजा कर धक्का दे दिया…और फिर तेज़ी से रूम के डोर की तरफ गया…राज की इस हरक़त से मैं एक दम घबरा गयी…
राज ने डोर पर जाकर दीपा को आवाज़ दी….और फिर से अंदर आया और मेरे ऊपेर झपट पड़ा….अगले ही पल वो फिर से मेरे ऊपेर था…इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती….पता नही उसने कहाँ से रस्सी निकाल कर मुझे उल्टा करके मेरे दोनो हाथो को मेरी पीठ के पीछे लेजा कर बांधने लगा…
”ये ये क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे आह राज…प्लीज़ छोड़ो मुझे…..” पर राज तो जैसे मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही था…उसने मेरे हाथो को बाँध कर मुझे सीधा किया….”साली बहुत स्यानी बनती है ना तू….साली बेहन की लौडी एक बार तुझे छोड़ दिया था कि शायद सुधर जाए… पर लगता है तू सीधी तरह नही सुधरेगी….”
राज: साली खुद तो तू पिछले 7 सालो से अपनी पति से डाइवोर्स करके घर पर बैठी है. और दूसरो की लाइफ मे टाँग अडाने की आदत पाल रखी है….देख आज तेरे साथ क्या करता हूँ…कि आज के बाद किसी की लाइफ मे इंटर्फियर नही करेगी…दीपा…” तभी दीपा रूम आई और मुझे और राज को इस हालत मे देख कर एक दम से घबरा गयी…राज ने दीपा के पास जाकर उसे रूम के अंदर किया और डोर लॉक करके दीपा को खेंचते हुए बेड पर ले आया….
उसने दीपा को ठीक मेरे ऊपेर खड़ा किया…दीपा की टाँगे मेरी कमर के दोनो तरफ थी….”ये साली तुझसे क्या कह रही थी बता ज़रा इसे….” राज ने दीपा के पीछे आकर खड़ा होते हुए कहा…अब दोनो मेरी कमर के दोनो ओर टाँगे करके मेरे ऊपेर खड़े थे… “राज बाबा वो वो ये बोल…..”
राज: हां बोल ना क्या कहा था इसने तुमसे….
दीपा: (एक बार मेरी तरफ घबराते हुए देख कर) वो वो ये कह रही थी कि , अब मैं आगे से आपके साथ वो सब ना करू….
राज: साली खुद की चूत मे लंड नही ले पाई आज तक और अब दूसरो की जिंदगी के मज़े भी खराब करने के चक्कर मे है…..तू बोल तू रह लेगी मेरे लंड के बिना…
दीपा: (मेरी ओर देख कर सहमी सी आवाज़ मई) नही राज बाबा…..
राज: बोल फिर अभी मेरा लंड लेगी इसके सामने अपनी चूत मे….
दीपा ने घबराते हुए हां मे सर हिला दिया….”राज तुम ये ठीक नही कर रहे हो….बहुत हो गया….अब तक मेने तुम्हारी सब घटिया हरकतों को बर्दाश्त किया है पर अब और नही….छोड़ो मुझे मेरे हाथ खोलो….दीपा मेरे हाथ….” इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाती…राज ने दीपा को आगे की और धकेल कर नीचे घुटनों के बल बैठा दिया….और फिर उसके कंधे को पकड़ कर आगे की तरफ झुकाने लगा…दीपा मेरी आँखों मे देखते हुए आगे की तरफ झुक गयी….उसकी कमर अब मेरे चेहरे से थोड़ा सा ऊपेर थी….और अगले ही पल राज ने दीपा के साड़ी और पेटिकॉट को पकड़ कर उसकी कमर के ऊपेर चढ़ा दिया….
और अगले ही पल मेरा केलज़ा मूह को आ गया…दीपा की चिकनी बिना वाली चुनमुनियाँ ठीक मेरे चेहरे के ऊपेर थी…मैं आँखे फाडे दीपा की चुनमुनियाँ को देख रही थी…और तभी मेरी नज़रों के सामने राज का तना हुआ बाबूराव आया….एक दम तना हुआ….जिसे देखते ही मैने अपने आँखे बंद कर ली…पर उसके बाबूराव की छाप मेरी आँखो मे समा चुकी थी…उसके बाबूराव का गुलाबी सुपाडा लाल होकर दहक रहा था…” चल साली आँखे खोल और देख, कैसे तेरे सामने इसको चोदता हूँ और तू ललिता रंडी मेरे बाबूराव को अपनी चुनमुनियाँ मे लेने के लिए कैसे भीख मांगती है….चल खोल अपनी आँखे…” राज ने मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए कहा ”राज स्टॉप दिस नॉनसेंस… नही तो मुझसे बुरा कोई नही होगा….” मेने अपना फेस दूसरी तरफ घूमाते हुए कहा.