26-06-2021, 05:01 PM
मेरे को अपनी जीभ पर लंड से टपकी pre - cum की बूँद का स्वाद महसूस हुआ । अपना दूसरा हाथ मै सुधीर की जांघों के पिछले हिस्से पर फेरने लगी और लंड को चूसते चूसते अपने हाथ को सुधीर के चूतड़ों पर फिराने लगी । सुधीर ने मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़ा और अपने लंड को मेरे मुंह में गले तक डाल दिया । मेरे को दम घुटता सा महसूस हुआ ।
मै समझ गयी कि dominating nature का सुधीर उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक मेरा मुंह चोदने के बाद सुधीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । में ने लंड को चूसते और चाटते हुए सुधीर की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की ।
तभी सुधीर ने मेरे को रोक दिया और मुझको खड़ा करके मेरे होठों पर गहरा चुम्बन फिर सुधीर ने मुझे उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । मेरे पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। मेरे को सुधीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और सुधीर का लंड मेरी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर सुधीर ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये।हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । हमारे हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी मेने न साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली , "सुधीर अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
सुधीर ने मेरी आँखों में देखा फिर बोला , "देखो मॉम तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
मेने दोनों हाथों से सुधीर के चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। सुधीर का पूरा लंड मेरी पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया । "अहह ........ सुधीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए मै बोली ।
सुधीर के मोटे लंड से मेरे को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । मेरे चेहरे के भाव देखकर सुधीर ने मुझसे पूछा " मॉम तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? " में ने एक पल के लिए आँखे खोली , सुधीर को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं सुधीर , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुमkarte raho .
सुधीर ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । मेरी तेज चीख निकल गयी । फिर सुधीर चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से मेरी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा ।
कुछ देर बाद अपने मुंह को मेरी क चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।सुधीर के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से मेरी सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से मेने सुधीर के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया ।
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । सुधीर भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी माँ यानी मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक हम दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
कुछ देर बाद सुधीर ने मुझे किचन काउंटर से उतार दिया और मुझे घुमाकर कमर से झुका दिया ।
मेने ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" में पीछे की ओर सर मोड़कर सुधीर को देखते हुए बोली ।
सुधीर बस मुस्कुरा दिया । मेरी खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने मेरी एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब में घबरा गयी मेने सोचा सुधीर उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब सुधीर के मोटे लंड ने मेरी गांड की जो कुटाई की थी , उससे मै दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी ।
मैंने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा ।
पर सुधीर ने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, मेरी चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।
में तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।
सुधीर ने पूछा , "तुमने नहीं क्यों कहा ?"
" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " मेने शरारत भरी मुस्कान से सुधीर को देखा ।
सुधीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि मेने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब मै उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं दूंगी । वो तो बस मज़े में मेरे मुंह से सुनना चाह रहा था । पर मेने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
अब सुधीर ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । मै भी अपने बेटे का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । सुधीर बीच बीच में मेरी मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और मेरे को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।
धक्के रोक देने से मेरा मज़ा बिगड़ जा रहा था तो मेने खुद ही अपनी चूत आगे पीछे करते हुए सुधीर के लंड को चोदना शुरू कर दिया ।
मेरी कामुकता देखकर सुधीर को भी जोश चढ़ गया । उसने पूरी तेजी से जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए ।
मेरी सिसकारियां उसी तेजी से धक्कों के साथ बढ़ती गयीं ।
सिसकारियों लेते लेते ही मै बोली ,"सुधीर मेरे बेटे !!! हाँ ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाते रहो .....आह आह .आआ हहहह ..."
और देखते ही देखते मै बदन में कंपकपी के साथ दूसरी बार कामतृप्त हो गयी ।
इस बार का ओर्गास्म कुछ ज्यादा ही तेज और देर तक आया था ।पर अभी सुधीर का पानी नहीं निकला था । वो दोनों हाथ से मेरी गांड पकड़कर मेरी चूत को पेलता रहा ।
कुछ देर बाद सुधीर को भी लगा कि वो अब झड़ने वाला है । उसने आगे झुककर दोनों हाथों में मेरी चूचियां पकड़ ली और दोनों चूचियों को मसलने लगा । फिर उसका बदन कांपा और उसके लंड से वीर्य निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा । थककर वो मेरी पीठ में ही पस्त हो गया ।हम दोनों जी भरकर कामतृप्त हो चुके थे ।
कुछ पलों बाद जब सुधीर की सांस लौटी तब वो मेरे बदन से अलग हुआ । उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया । चूत से वीर्य और चूतरस का मिला जुला जूस बाहर निकलकर मेरी टांगों में बहने लगा ।मै मुस्कुरायी और सुधीर की तरफ मुड़कर थोड़ा झुकी फिर दोनों हाथों में सुधीर का लंड पकड़कर उसको चूमा। फिर खड़े होकर सुधीर के गले में बाहें डालकरसुधीर के होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया ।
"थैंक यू मेरे बेटे !! तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। "
"थैंक्स मुझे नहीं , अपनी हिम्मत को कहना मॉम जिस की वजह से आज मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूँ । "
"मेरा बेटा , मेरा बॉयफ्रेंड। " मेरे दमकते चेहरे पर अब सुख की मुस्कान थी ।
माँ बेटे की इस चुदाई के चक्कर में सुधीर के कॉलेज जाने का वक़्त निकल चुका था । पर हमें इसकी कोई परवाह नहीं थी ।
जब घर में इतना सुख मिल रहा हो तो कॉलेज जाके करना भी क्या था ।
##
शाम को जब सुधीर मार्केट से घर वापस आया तो में टीवी देख रही थी । सुधीर भी सोफे पर बैठ गया और मेरे हाथ से रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा। इस वक़्त सारे चूतियापे के प्रोग्राम आ रहे थे इसलिए जल्दी ही वो बोर हो गया ।और मेरे को रिमोट पकड़ा दिया । जितनी देर तक वो चैनल बदलने में लगा था , मै TV स्क्रीन की बजाय उसी को देख रही थी । जब सुधीर ने उसे रिमोट पकड़ा दिया तो मेने रिमोट को टेबल पर रख दिया और खुद सुधीर से जांघें सटा कर बैठ गयी और उसके कंधे पर अपना सर रख दिया । समीर ने मेरे कंधे पर अपनी बांह रख दी ।
कुछ देर बाद मेने अपनी एक टाँग उठाकर सुधीर की जांघों के ऊपर डाल दी और उसके गले में बाँहें डालकर अपनी आँखें बंद करके होंठ गोल करके आगे को बढ़ाये । सुधीर ने अपना हाथ मेरे सर के पीछे लगाकर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये और फिर हम दोनों की चुम्माचाटी शुरू हो गयी ।दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसा घुसाकर , जीभ से ही ब्रश करने लगे ।
मेरे निप्पल खड़े होकर तन गए । अब मै सुधीर की गोद में बैठ गयी और अपनी तनी हुई चूचियां सुधीर की छाती में गड़ा के फिर से चुम्बन चालू कर दिया । अपने शॉर्ट्स के नीचे मुझे सुधीर का खड़ा होता लंड चुभता सा महसूस हुआ । अब मेने अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सुधीर के लंड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया । मुझे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई ।
मै समझ गयी कि dominating nature का सुधीर उसे उसी तरह से अपने काबू में कर रहा है , जैसे उसने उस रात किया था । थोड़ी देर तक मेरा मुंह चोदने के बाद सुधीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे सर पर पकड़ ढीली कर दी । वो अभी झड़ना नहीं चाहता था और इन पलों को और लम्बा खींचना चाहता था । में ने लंड को चूसते और चाटते हुए सुधीर की बढ़ती हुई उत्तेजना महसूस की ।
तभी सुधीर ने मेरे को रोक दिया और मुझको खड़ा करके मेरे होठों पर गहरा चुम्बन फिर सुधीर ने मुझे उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया । मेरे पैर फैलाकर खुद उनके बीच आ गया। मेरे को सुधीर के हाथ अपनी नग्न पीठ पर घूमते महसूस हुए और सुधीर का लंड मेरी चूत को स्पर्श कर रहा था । फिर सुधीर ने अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये।हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूमने लगे और एक दूसरे के मुंह में जीभ घुमाने लगे । हमारे हाथ एक दूसरे के बदन और पीठ पर घूम रहे थे ।
तभी मेने न साँस लेने के लिए चुम्बन तोड़ दिया और बोली , "सुधीर अगर तुम्हें सही नहीं लग रहा है तो अभी भी रुक सकते हो । मैं नहीं चाहती कि बाद में तुम कुछ और फील करो । मुझे तो अच्छा लग रहा है पर मैं चाहती हूँ कि तुम फिर से सोच लो ।"
सुधीर ने मेरी आँखों में देखा फिर बोला , "देखो मॉम तुम जितना मुझे चाहती हो , मैं भी तुम्हें उतना ही चाहता हूँ । सिर्फ निर्णय न ले पाने से उलझन थी , झिझक थी । जो अब दूर हो चुकी है ।अब तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो और मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड ।"फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर लगा दिया और थोड़ा अंदर धकेल दिया ।
मेने दोनों हाथों से सुधीर के चूतड़ों को पकड़ा और धीरे धीरे अपनी तरफ खींचने लगी। सुधीर का पूरा लंड मेरी पूरी तरह से गीली हो चुकी चूत में घुसता चला गया । "अहह ........ सुधीर बहुत अच्छा लग रहा है " मदहोशी में आँखे बंद करके सिसकारी लेते हुए मै बोली ।
सुधीर के मोटे लंड से मेरे को अपनी टाइट चूत में कुछ दर्द सा भी महसूस हो रहा था लेकिन दर्द के साथ साथ बहुत कामसुख भी मिल रहा था । मेरे चेहरे के भाव देखकर सुधीर ने मुझसे पूछा " मॉम तुम्हें कुछ परेशानी , दर्द तो नहीं हो रहा ? " में ने एक पल के लिए आँखे खोली , सुधीर को देखा , हल्का मुस्कुरायी , " नहीं सुधीर , मुझे कोई दर्द नहीं हो रहा । तुमkarte raho .
सुधीर ने सुपाड़ा छोड़कर बाकी लंड बाहर निकाल लिया । फिर मेरे चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर , अचानक एक झटके में पूरा लंड अंदर धांस दिया । मेरी तेज चीख निकल गयी । फिर सुधीर चूत में थपाथप धक्के लगाने लगा । धक्के लगाते हुए ही अपने एक हाथ से मेरी हिलती हुई बड़ी बड़ी चूचियों को पकड़कर उन्हें मसलने लगा ।
कुछ देर बाद अपने मुंह को मेरी क चूचियों पर रखकर उन्हें चूसने लगा ।सुधीर के अपनी चूत पर पड़ते धक्कों से मेरी सिसकारियां बढ़ती चली गयीं । दर्द और उत्तेजना से मेने सुधीर के कन्धों पर अपने नाख़ून गड़ा दिये और अपनी टांगों को उसकी कमर के चारों ओर लपेट लिया ।
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ गया ओर उसको एक जबरदस्त ओर्गास्म की लहरें आयीं । सुधीर भी ज्यादा देर नहीं रुक पाया और उसने अपनी माँ यानी मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया । फिर कुछ समय तक हम दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
फिर कुछ समय तक दोनों एक दूसरे को आलिंगन में जकड़े रहे । दोनों ही एक दूसरे से अलग होना नहीं चाह रहे थे ।
कुछ देर बाद सुधीर ने मुझे किचन काउंटर से उतार दिया और मुझे घुमाकर कमर से झुका दिया ।
मेने ने अपनी बांहें किचन काउंटर पर टिका दीं । उसकी बड़ी बड़ी चूचियां लटकी हुई थीं और लम्बी चिकनी टाँगें थोड़ा फैली हुई थीं ।"लगता है अभी मेरे प्रेमी का मन नहीं भरा ।" में पीछे की ओर सर मोड़कर सुधीर को देखते हुए बोली ।
सुधीर बस मुस्कुरा दिया । मेरी खूबसूरत गांड उसके सामने थी । उसने मेरी एक टांग मोड़कर किचन काउंटर पर रख दी । अब में घबरा गयी मेने सोचा सुधीर उसकी गांड में लंड घुसाने जा रहा है , वो भी बिना किसी lube के , जैसे उसने उस रात अँधेरे कमरे में घुसेड़ दिया था । तब सुधीर के मोटे लंड ने मेरी गांड की जो कुटाई की थी , उससे मै दो दिन तक ठीक से चल नहीं पायी थी ।
मैंने जोर से सर हिलाकर "नहीं " कहा ।
पर सुधीर ने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया और अपने तने हुए लंड को, मेरी चूतरस से भीगी हुई चूत में पीछे से घुसेड़ दिया ।
में तो कुछ और ही सोच रही थी , हुआ कुछ और ।
सुधीर ने पूछा , "तुमने नहीं क्यों कहा ?"
" कुछ नहीं , मैंने सोचा तुम आज फिर मेरे बदन की कुटाई करने वाले हो । " मेने शरारत भरी मुस्कान से सुधीर को देखा ।
सुधीर मुस्कुरा दिया , उसे अच्छी तरह से पता था कि मेने “ नहीं “ क्यों कहा था। वो जानता था अब मै उसके मोटे लंड को अपनी टाइट गांड में डालने नहीं दूंगी । वो तो बस मज़े में मेरे मुंह से सुनना चाह रहा था । पर मेने भी सीधे कहने की बजाय इशारों में जवाब दिया था ।
अब सुधीर ने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़कर पीछे से धक्के लगाने शुरू कर दिए । मै भी अपने बेटे का पूरा साथ देते हुए पीछे को गांड दबाकर लंड अपनी चूत में ज्यादा से ज्यादा अंदर भरने की कोशिश करने लगी । सुधीर बीच बीच में मेरी मखमली पीठ पर हाथ फेरने लगता । कभी आगे हाथ बढ़ाकर उसकी नीचे को लटक के हिलती हुई मुलायम चूचियों और निप्पल को हाथ में दबाकर मसलने लगता और मेरे को तड़पाने के लिए धक्के रोक देता ।
धक्के रोक देने से मेरा मज़ा बिगड़ जा रहा था तो मेने खुद ही अपनी चूत आगे पीछे करते हुए सुधीर के लंड को चोदना शुरू कर दिया ।
मेरी कामुकता देखकर सुधीर को भी जोश चढ़ गया । उसने पूरी तेजी से जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए ।
मेरी सिसकारियां उसी तेजी से धक्कों के साथ बढ़ती गयीं ।
सिसकारियों लेते लेते ही मै बोली ,"सुधीर मेरे बेटे !!! हाँ ऐसे ही तेज तेज धक्के लगाते रहो .....आह आह .आआ हहहह ..."
और देखते ही देखते मै बदन में कंपकपी के साथ दूसरी बार कामतृप्त हो गयी ।
इस बार का ओर्गास्म कुछ ज्यादा ही तेज और देर तक आया था ।पर अभी सुधीर का पानी नहीं निकला था । वो दोनों हाथ से मेरी गांड पकड़कर मेरी चूत को पेलता रहा ।
कुछ देर बाद सुधीर को भी लगा कि वो अब झड़ने वाला है । उसने आगे झुककर दोनों हाथों में मेरी चूचियां पकड़ ली और दोनों चूचियों को मसलने लगा । फिर उसका बदन कांपा और उसके लंड से वीर्य निकलकर मेरी चूत में गिरने लगा । थककर वो मेरी पीठ में ही पस्त हो गया ।हम दोनों जी भरकर कामतृप्त हो चुके थे ।
कुछ पलों बाद जब सुधीर की सांस लौटी तब वो मेरे बदन से अलग हुआ । उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया । चूत से वीर्य और चूतरस का मिला जुला जूस बाहर निकलकर मेरी टांगों में बहने लगा ।मै मुस्कुरायी और सुधीर की तरफ मुड़कर थोड़ा झुकी फिर दोनों हाथों में सुधीर का लंड पकड़कर उसको चूमा। फिर खड़े होकर सुधीर के गले में बाहें डालकरसुधीर के होठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया ।
"थैंक यू मेरे बेटे !! तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया। "
"थैंक्स मुझे नहीं , अपनी हिम्मत को कहना मॉम जिस की वजह से आज मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूँ । "
"मेरा बेटा , मेरा बॉयफ्रेंड। " मेरे दमकते चेहरे पर अब सुख की मुस्कान थी ।
माँ बेटे की इस चुदाई के चक्कर में सुधीर के कॉलेज जाने का वक़्त निकल चुका था । पर हमें इसकी कोई परवाह नहीं थी ।
जब घर में इतना सुख मिल रहा हो तो कॉलेज जाके करना भी क्या था ।
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शाम को जब सुधीर मार्केट से घर वापस आया तो में टीवी देख रही थी । सुधीर भी सोफे पर बैठ गया और मेरे हाथ से रिमोट लेकर चैनल बदलने लगा। इस वक़्त सारे चूतियापे के प्रोग्राम आ रहे थे इसलिए जल्दी ही वो बोर हो गया ।और मेरे को रिमोट पकड़ा दिया । जितनी देर तक वो चैनल बदलने में लगा था , मै TV स्क्रीन की बजाय उसी को देख रही थी । जब सुधीर ने उसे रिमोट पकड़ा दिया तो मेने रिमोट को टेबल पर रख दिया और खुद सुधीर से जांघें सटा कर बैठ गयी और उसके कंधे पर अपना सर रख दिया । समीर ने मेरे कंधे पर अपनी बांह रख दी ।
कुछ देर बाद मेने अपनी एक टाँग उठाकर सुधीर की जांघों के ऊपर डाल दी और उसके गले में बाँहें डालकर अपनी आँखें बंद करके होंठ गोल करके आगे को बढ़ाये । सुधीर ने अपना हाथ मेरे सर के पीछे लगाकर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिये और फिर हम दोनों की चुम्माचाटी शुरू हो गयी ।दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ घुसा घुसाकर , जीभ से ही ब्रश करने लगे ।
मेरे निप्पल खड़े होकर तन गए । अब मै सुधीर की गोद में बैठ गयी और अपनी तनी हुई चूचियां सुधीर की छाती में गड़ा के फिर से चुम्बन चालू कर दिया । अपने शॉर्ट्स के नीचे मुझे सुधीर का खड़ा होता लंड चुभता सा महसूस हुआ । अब मेने अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सुधीर के लंड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया । मुझे अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई ।