26-06-2021, 04:50 PM
(This post was last modified: 26-06-2021, 05:20 PM by usaiha2. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
“मॉम ! मॉम !”
“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
“मैं कितनी देर से आपको आवाज़ दे रहा हूँ । आपको क्या हो गया हे ?
“ सॉरी सुधीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ मेने आँखें मलते हुए कहा ।
सुधीर ने मेरे चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि में किन ख़यालों में डूबी हुई थी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।
“ देखो मॉम , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को
भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"
“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “
“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "
“तुम क्या कह रहे हो सुधीर ? जो हुआ उसे भूल जाऊँ ? कैसे ? " मेरी पीड़ा अब गुस्से में बदल रही थी ।
एक तो मै पहले से ही परेशान थी , ऊपर से सुधीर का बड़ों की तरह ऐसे बातें करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था ।
गुस्से से मेरा मुंह लाल हो गया ।
“ मॉम , प्लीज , पहले मेरी बात सुनो । मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि माँ बेटे के बीच मर्यादा की जो रेखा होती है , हमें उसे पहले जैसे ही बरक़रार रखना चाहिए । मैं तुम्हारा बेटा , तुम मेरी मॉम हो । जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर भुला देना चाहिए । आपको मेरी इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है ? उस घटना को भूल जाने में आपको प्रॉब्लम क्या है ? "
तुम्हें कुछ अंदाजा भी है कि उस रात के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है ? और तुमने कितनी आसानी से कह दिया , सब भूल जाओ । मैं कैसे भूल जाऊँ ? मर्यादा की जिस रेखा की तुम बात कर रहे हो , उसे तो तुम कब का पार कर चुके हो ।“ इतनी सी बात ...... ? ये इतनी सी बात है ......? बकवास बंद करो सुधीर !! भाड़ में गयी तुम्हारी ये लेक्चर बाजी ।
सुधीर अब वो रेखा हम दोनों के बीच है ही नहीं क्योंकि उस रात के बाद अब हम दोनों उस रेखा के एक ही तरफ हैं ।
उस रात जो बदन तुम्हारे जिस्म के नीचे था , वो मेरा बदन था , तुम्हारी अपनी सगी माँ का । अब आँखें फेर लेने से क्या होगा ।और ये बात नशे के बाद भी तुम जानते थे सच को झुठला तो नहीं सकते ना तुम । "
मेरी आँखों से टपटप आँसू बहने लगे ।“ बात सिर्फ उस रात के सेक्स की नहीं है । लेकिन उस रात बिताये पलों के बाद , जाने अनजाने में , मेरे मन में जो आशाएं , उम्मीदें , जो इच्छाएं जन्मी थी , उनका क्या ? जो सपने रात भर मुझे बेचैन किये रहते थे , उनका क्या ? मैं उन्हें भुला ही नहीं सकती , चाहे मैं कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लूँ । समझे तुम ? "
मेरे अंदर की इतने दिनों की पीड़ा , उसकी तड़प , लावा बनकर फूट पड़ी ।
“तुम सभी मर्द एक जैसे होते हो । तुम लोगों को इस बात का कुछ अंदाजा ही नहीं होता कि जब एक औरत किसी लड़के को
अपना दिल दे बैठती है तो उस पर क्या बीतती है । लड़कों को लगता है कि औरत पर थोड़ा पैसा खर्च कर दो , कुछ गिफ्ट वगैरह दे दो और वो औरत उनके लिए अपने कपडे उतार दे । क्यों ? क्योंकि वो ऐसा चाहते हैं , बस । वो किसी भी तरह सिर्फ सेक्स करने की कोशिश में रहते हैं । औरत की भावनाओं की उन्हें कोई क़द्र नहीं होती । उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है कि कैसे भी पटाकर औरत की टांगे फैला दी जाएँ और इससे पहले कि औरत कहीं अपना इरादा ना बदल दे , झट से उसके ऊपर चढ़के उसके अंदर अपना पानी गिरा दें । कई बेवक़ूफ़ औरते इनके चक्करों में फंस भी जाती हैं और जब तक उन्हें समझ आती है , लड़के अपना काम निकाल के , उनको छोड़ कर जा चुके होते हैं ।
लेकिन ये बातें मुझे जल्द ही समझ आ गयी थीं । मैं जानती थी की उस दिन मेरे लिए सेक्स बहुत मायने रखता था,तुम नहीं होते तो शायद किसी और से चुदवा लेती ,तुम्हारे पापा की शराबखोरी ने उन्हें सेक्स में कमजोर बना दिया था और हर रात में अतृप्त रह जाती थी,उस रात तुमने मुझे कई रातो के बाद तृप्त किया था ,हा ये सही हे की मुझे जब ये पता चला की तुमने मेरे साथ सेक्स किया हे तो में नाराज थी लेकिन इन दो महीनो में मुझे पता चल गया हे की में तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।
मै बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी ।
मेरी पीड़ा देखकर सुधीर का दिल भर आया । उसने मुझ को
आलिंगन में भरकर मेरा सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने बेटे की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर मेने एक गहरी सांस ली । मेरी आँखों से फिर आँसू बह चले ।
सुबकते हुए में बोली , " सुधीर उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है। मै उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को पाने के लिए तड़प रही हूँ ।
लेकिन जब वो अजनबी मेरा बेटा यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना बेटा निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “
मै फिर चुप हो गयी और अपने बेटे के सीने से लगी रही ।
सुधीर के आलिंगन से मेरी तड़प फिर बढ़ने लगी ।
मै फिर से बेचैन हो उठी ।
“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़ रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “
फिर मेने अपनी आँखें उठाकर सुधीर की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो कुछ दिन से दिख रहे थे
" सुधीर प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे बेटे हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे माँ बेटे बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे बेटे ।"
अपनी सुबकती हुई माँ को सीने से लगाए हुए सुधीर गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।
मेने अपने को सुधीर के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछे और सुधीर को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।
लेकिन सुधीर की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।
" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं ।
मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "
इससे पहले कि सुधीर कुछ जवाब दे पाता , मै तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी
सुधीर की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । अपने बेडरूम में बेड पर लेटे हुए उसके दिमाग में उस रात के दृश्य घूमने लगे । उस अँधेरे कमरे में वो मादक औरत जिसने उसे जी भर के कामतृप्ति दी थी । लेकिन मेने जो बातें अभी कहीं थी , उनसे सुधीर उलझन में था । अगर वो मेरी बात मानकर मेरा दिल रख लेता है तो भी उनके बीच
कुछ अलग नहीं होने वाला था । क्योंकि आपस में सेक्स तो वो पहले ही कर चुके थे । अब इससे ज्यादा और हो ही क्या सकता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर ये किस्सा शुरू हुआ तो फिर ये एक बार ही नहीं होगा । ये होते रहेगा और उनकी लाइफ को और उनके आपसी रिश्तों को और उलझा देगा ।
सुधीर अभी कोई मन नहीं बना पा रहा था । उसको इन सब बातों पर सोचने के लिए कुछ और वक़्त की जरुरत थी ।
उसने सोचा होगा कि अगर वो मेरी बात नहीं मानता और मुझको मना कर देता है तो फिर एक ही छत के नीचे वो कैसे रह पायेंगे । उनके रिश्ते के बीच एक दरार पैदा हो जायेगी ।
सुधीर फिर उस रात की औरत के बारे में सोचने लगता है । वो औरत उसे भी बहुत पसंद आयी थी और उस रात को याद करके उसका लंड भी कई बार खड़ा हो जाता था । पर अब हालत दूसरे थे , वो औरत कोई अनजान नहीं , खुद उसकी माँ थी ।
अब अगर वो मॉम के बेडरूम में चला भी जाता है तो अपनी मॉम के साथ वैसे सेक्स थोड़ी कर पायेगा जैसे उसने उस रात अनजान औरत के साथ उसको dominate करके किया था और जो submissive nature की मुझे बहुत पसंद आया था । वो वैसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि उसे मालूम था , अपनी मॉम के सामने वो नर्वस हो जायेगा । सुधीर कुछ भी decide नहीं कर पाया । उसने सारी समस्या को वक़्त और किस्मत के भरोसे छोड़ दिया ।
जो किस्मत में होगा देखा जायेगा । उसने सोचा कि देखते हैं सुबह में कैसा रियेक्ट करती हू ।
उधर मै रात में अपने कमरे में सुधीर के आने का इंतज़ार करती रही । वो रात मेरे लिए बहुत लम्बी और तड़पा देने वाली साबित हुई । जैसे जैसे समय बीतता गया , में डिप्रेशन की गहराईयों में गिरते चली गयी ।
दूसरे दिन सुबहमें बहुत दुखी थी ।
अपनी पैंटी के ऊपर एक लम्बी ढीली टीशर्ट डालकर नाश्ता बना रही थी । नाश्ता करते समय हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था । हम चुपचाप अपनी प्लेटों की तरफ देखकर खाना खा रहे थे । खा क्या रहे थे , बस प्लेट में खाना इधर उधर घुमा रहे थे । दोनों ही अपने अपने विचारों में खोये हुए थे ।
जब मेने नाश्ता कर लिया तो मेने नज़रें उठाकर सुधीर को देखा , अपने हैंडसम बेटे को ।लेकिन अब में जानती थी कि मुझे अपने बेटे के प्रति शारीरिक आकर्षण को वहीँ पर ख़तम कर देना चाहिए । हम दोनों की नज़रें आपस में मिली । मेरा दिल तड़प उठा । मेरी आँखों में दर्द उमड़ आया । सुधीर द्वारा ठुकरा दिए जाने की पीड़ा से मेरे आँसू गालों पर बहने लगे ।
“ तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” में बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।
मेरा दुःख देखकर सुधीर का दिल भर आया । मेरे उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया ,भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी माँ मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।
सुधीर अपनी कुर्सी से उठा और मेरी ओर बढ़ा । मेरे को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके मुझे अपनी ओर खींचा । मेने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर सुधीर की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , सुधीर निर्णय ले चुका था ।
मेने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया । हम दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे ।
सुधीर ने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़कर मुझे प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । मै मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी मै खुद ही सुधीर से चिपट गयी । सुधीर की बांहों में जो ख़ुशी मेरे को मिली उससे मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मेरा दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।
सुधीर ने फिर से अपनी माँ के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था ।
सुधीर ने अपना सर झुकाकर मेरे को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , मै खूबसूरत थी और अब तो सुधीर का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । सुधीर ने मेरे माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर मेरे सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । मेने सुधीर का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , मेरे पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी मुझे सुधीर का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । मेने अपने सर को थोड़ा हटाया और सुधीर की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।
" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " मै फुसफुसाई ।
"हमारी ख़ुशी के लिए मॉम " सुधीर मुस्कुराया ।
फिर सुधीर ने अपना चेहरा झुकाके मेरे होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । मेने भी अपने कंपकपाते होंठ सुधीर के होठों से लगा लिये ।हम दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे ।
शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ हो गया सुधीर ने अपने दोनों हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रखे हुए थे और मेने अपनी बाहें सुधीर के गले में डाली हुई थी । मेने अपने होंठ सुधीर के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ सुधीर की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब मेरी उँगलियों ने सुधीर के निप्पल को छुआ तो मेने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।
अपनी बाँहों में लेकर मेरे प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए सुधीर को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । मेरे नाजुक और रसीले होठों को सुधीर चूमते रहा । फिर सुधीर ने अपना बांया हाथ मेरी पैंटी के अंदर खिसकाया । उसने मेरे बदन में कम्पन महसूस किया ।
कुछ पलों तक उसने अपना हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रोके रखा और अपनी मॉम के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों चूतड़ों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से मेरी चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ । मेने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये ।
सुधीर ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । हम दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । सुधीर की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से मेने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।
सुधीर ने मेरे बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही मेरी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो में झड़ जाउंगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ मेरी चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ मेरे होठों से अलग कर लिये । लेकिन मेरे को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया मै तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी.
फिर सुधीर मेरी टीशर्ट को उतारने लगा । में ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की । अब सुधीर की आँखों के सामने अपनी मॉम की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं , जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । सुधीर ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । मेरी उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी। फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम बेटे के गठीले जिस्म को देखकर मेरी आँखों में चमक आ गयी ।
मेने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था ।हम दोनों ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।
दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । मेरे खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर सुधीर का लंड तनकर खड़ा हो गया । मेने भी पहली बार अच्छे से सुधीर के लंड को देखा । मेने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया । मुझे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात सुधीर ने मेरी चूत की खूब धुलाई की थी । सुधीर अभी भी मेरे नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में हम दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।
सुधीर ने मेरे नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । मेरे को अपने बदन में पेट के पास सुधीर के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । मेने अपने होंठ फिर से सुधीर के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । सुधीर ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब मेरी आँखों के सामने सुधीर का तना हुआ लंड था । मै समझ गयी कि उसका बेटा क्या चाहता है । मेने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया ।
“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।
“मैं कितनी देर से आपको आवाज़ दे रहा हूँ । आपको क्या हो गया हे ?
“ सॉरी सुधीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ मेने आँखें मलते हुए कहा ।
सुधीर ने मेरे चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि में किन ख़यालों में डूबी हुई थी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।
“ देखो मॉम , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को
भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"
“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “
“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "
“तुम क्या कह रहे हो सुधीर ? जो हुआ उसे भूल जाऊँ ? कैसे ? " मेरी पीड़ा अब गुस्से में बदल रही थी ।
एक तो मै पहले से ही परेशान थी , ऊपर से सुधीर का बड़ों की तरह ऐसे बातें करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा था ।
गुस्से से मेरा मुंह लाल हो गया ।
“ मॉम , प्लीज , पहले मेरी बात सुनो । मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि माँ बेटे के बीच मर्यादा की जो रेखा होती है , हमें उसे पहले जैसे ही बरक़रार रखना चाहिए । मैं तुम्हारा बेटा , तुम मेरी मॉम हो । जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर भुला देना चाहिए । आपको मेरी इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है ? उस घटना को भूल जाने में आपको प्रॉब्लम क्या है ? "
तुम्हें कुछ अंदाजा भी है कि उस रात के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है ? और तुमने कितनी आसानी से कह दिया , सब भूल जाओ । मैं कैसे भूल जाऊँ ? मर्यादा की जिस रेखा की तुम बात कर रहे हो , उसे तो तुम कब का पार कर चुके हो ।“ इतनी सी बात ...... ? ये इतनी सी बात है ......? बकवास बंद करो सुधीर !! भाड़ में गयी तुम्हारी ये लेक्चर बाजी ।
सुधीर अब वो रेखा हम दोनों के बीच है ही नहीं क्योंकि उस रात के बाद अब हम दोनों उस रेखा के एक ही तरफ हैं ।
उस रात जो बदन तुम्हारे जिस्म के नीचे था , वो मेरा बदन था , तुम्हारी अपनी सगी माँ का । अब आँखें फेर लेने से क्या होगा ।और ये बात नशे के बाद भी तुम जानते थे सच को झुठला तो नहीं सकते ना तुम । "
मेरी आँखों से टपटप आँसू बहने लगे ।“ बात सिर्फ उस रात के सेक्स की नहीं है । लेकिन उस रात बिताये पलों के बाद , जाने अनजाने में , मेरे मन में जो आशाएं , उम्मीदें , जो इच्छाएं जन्मी थी , उनका क्या ? जो सपने रात भर मुझे बेचैन किये रहते थे , उनका क्या ? मैं उन्हें भुला ही नहीं सकती , चाहे मैं कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लूँ । समझे तुम ? "
मेरे अंदर की इतने दिनों की पीड़ा , उसकी तड़प , लावा बनकर फूट पड़ी ।
“तुम सभी मर्द एक जैसे होते हो । तुम लोगों को इस बात का कुछ अंदाजा ही नहीं होता कि जब एक औरत किसी लड़के को
अपना दिल दे बैठती है तो उस पर क्या बीतती है । लड़कों को लगता है कि औरत पर थोड़ा पैसा खर्च कर दो , कुछ गिफ्ट वगैरह दे दो और वो औरत उनके लिए अपने कपडे उतार दे । क्यों ? क्योंकि वो ऐसा चाहते हैं , बस । वो किसी भी तरह सिर्फ सेक्स करने की कोशिश में रहते हैं । औरत की भावनाओं की उन्हें कोई क़द्र नहीं होती । उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है कि कैसे भी पटाकर औरत की टांगे फैला दी जाएँ और इससे पहले कि औरत कहीं अपना इरादा ना बदल दे , झट से उसके ऊपर चढ़के उसके अंदर अपना पानी गिरा दें । कई बेवक़ूफ़ औरते इनके चक्करों में फंस भी जाती हैं और जब तक उन्हें समझ आती है , लड़के अपना काम निकाल के , उनको छोड़ कर जा चुके होते हैं ।
लेकिन ये बातें मुझे जल्द ही समझ आ गयी थीं । मैं जानती थी की उस दिन मेरे लिए सेक्स बहुत मायने रखता था,तुम नहीं होते तो शायद किसी और से चुदवा लेती ,तुम्हारे पापा की शराबखोरी ने उन्हें सेक्स में कमजोर बना दिया था और हर रात में अतृप्त रह जाती थी,उस रात तुमने मुझे कई रातो के बाद तृप्त किया था ,हा ये सही हे की मुझे जब ये पता चला की तुमने मेरे साथ सेक्स किया हे तो में नाराज थी लेकिन इन दो महीनो में मुझे पता चल गया हे की में तुम्हारे बिना नहीं रह सकती।
मै बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी ।
मेरी पीड़ा देखकर सुधीर का दिल भर आया । उसने मुझ को
आलिंगन में भरकर मेरा सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने बेटे की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर मेने एक गहरी सांस ली । मेरी आँखों से फिर आँसू बह चले ।
सुबकते हुए में बोली , " सुधीर उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है। मै उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को पाने के लिए तड़प रही हूँ ।
लेकिन जब वो अजनबी मेरा बेटा यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना बेटा निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “
मै फिर चुप हो गयी और अपने बेटे के सीने से लगी रही ।
सुधीर के आलिंगन से मेरी तड़प फिर बढ़ने लगी ।
मै फिर से बेचैन हो उठी ।
“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़ रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “
फिर मेने अपनी आँखें उठाकर सुधीर की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो कुछ दिन से दिख रहे थे
" सुधीर प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे बेटे हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे माँ बेटे बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे बेटे ।"
अपनी सुबकती हुई माँ को सीने से लगाए हुए सुधीर गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।
मेने अपने को सुधीर के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछे और सुधीर को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।
लेकिन सुधीर की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।
" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं ।
मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "
इससे पहले कि सुधीर कुछ जवाब दे पाता , मै तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी
सुधीर की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । अपने बेडरूम में बेड पर लेटे हुए उसके दिमाग में उस रात के दृश्य घूमने लगे । उस अँधेरे कमरे में वो मादक औरत जिसने उसे जी भर के कामतृप्ति दी थी । लेकिन मेने जो बातें अभी कहीं थी , उनसे सुधीर उलझन में था । अगर वो मेरी बात मानकर मेरा दिल रख लेता है तो भी उनके बीच
कुछ अलग नहीं होने वाला था । क्योंकि आपस में सेक्स तो वो पहले ही कर चुके थे । अब इससे ज्यादा और हो ही क्या सकता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर ये किस्सा शुरू हुआ तो फिर ये एक बार ही नहीं होगा । ये होते रहेगा और उनकी लाइफ को और उनके आपसी रिश्तों को और उलझा देगा ।
सुधीर अभी कोई मन नहीं बना पा रहा था । उसको इन सब बातों पर सोचने के लिए कुछ और वक़्त की जरुरत थी ।
उसने सोचा होगा कि अगर वो मेरी बात नहीं मानता और मुझको मना कर देता है तो फिर एक ही छत के नीचे वो कैसे रह पायेंगे । उनके रिश्ते के बीच एक दरार पैदा हो जायेगी ।
सुधीर फिर उस रात की औरत के बारे में सोचने लगता है । वो औरत उसे भी बहुत पसंद आयी थी और उस रात को याद करके उसका लंड भी कई बार खड़ा हो जाता था । पर अब हालत दूसरे थे , वो औरत कोई अनजान नहीं , खुद उसकी माँ थी ।
अब अगर वो मॉम के बेडरूम में चला भी जाता है तो अपनी मॉम के साथ वैसे सेक्स थोड़ी कर पायेगा जैसे उसने उस रात अनजान औरत के साथ उसको dominate करके किया था और जो submissive nature की मुझे बहुत पसंद आया था । वो वैसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि उसे मालूम था , अपनी मॉम के सामने वो नर्वस हो जायेगा । सुधीर कुछ भी decide नहीं कर पाया । उसने सारी समस्या को वक़्त और किस्मत के भरोसे छोड़ दिया ।
जो किस्मत में होगा देखा जायेगा । उसने सोचा कि देखते हैं सुबह में कैसा रियेक्ट करती हू ।
उधर मै रात में अपने कमरे में सुधीर के आने का इंतज़ार करती रही । वो रात मेरे लिए बहुत लम्बी और तड़पा देने वाली साबित हुई । जैसे जैसे समय बीतता गया , में डिप्रेशन की गहराईयों में गिरते चली गयी ।
दूसरे दिन सुबहमें बहुत दुखी थी ।
अपनी पैंटी के ऊपर एक लम्बी ढीली टीशर्ट डालकर नाश्ता बना रही थी । नाश्ता करते समय हम दोनों में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था । हम चुपचाप अपनी प्लेटों की तरफ देखकर खाना खा रहे थे । खा क्या रहे थे , बस प्लेट में खाना इधर उधर घुमा रहे थे । दोनों ही अपने अपने विचारों में खोये हुए थे ।
जब मेने नाश्ता कर लिया तो मेने नज़रें उठाकर सुधीर को देखा , अपने हैंडसम बेटे को ।लेकिन अब में जानती थी कि मुझे अपने बेटे के प्रति शारीरिक आकर्षण को वहीँ पर ख़तम कर देना चाहिए । हम दोनों की नज़रें आपस में मिली । मेरा दिल तड़प उठा । मेरी आँखों में दर्द उमड़ आया । सुधीर द्वारा ठुकरा दिए जाने की पीड़ा से मेरे आँसू गालों पर बहने लगे ।
“ तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” में बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।
मेरा दुःख देखकर सुधीर का दिल भर आया । मेरे उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया ,भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी माँ मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।
सुधीर अपनी कुर्सी से उठा और मेरी ओर बढ़ा । मेरे को अपनी तरफ घुमाकर उसने मजबूत बाँहों के घेरे में भरके मुझे अपनी ओर खींचा । मेने अपनी आँसुओं से भरी आँखें उठाकर सुधीर की आँखों में देखा , वहां अब असमंजस के भाव नहीं थे , सुधीर निर्णय ले चुका था ।
मेने अपनी बाहें उसके गले में डालकर उसकी छाती में अपना सर रख दिया । हम दोनों थोड़ी देर तक एक दूसरे की बांहों में ऐसे ही खड़े रहे ।
सुधीर ने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़कर मुझे प्यार से थोड़ा और अपनी तरफ खींचा । मै मानो इन्ही पलों का इंतज़ार कर रही थी मै खुद ही सुधीर से चिपट गयी । सुधीर की बांहों में जो ख़ुशी मेरे को मिली उससे मुझे ऐसा महसूस हुआ मानो मेरा दिल ही उछल कर बाहर आ जायेगा ।
सुधीर ने फिर से अपनी माँ के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था ।
सुधीर ने अपना सर झुकाकर मेरे को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , मै खूबसूरत थी और अब तो सुधीर का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । सुधीर ने मेरे माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर मेरे सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । मेने सुधीर का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , मेरे पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी मुझे सुधीर का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । मेने अपने सर को थोड़ा हटाया और सुधीर की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।
" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " मै फुसफुसाई ।
"हमारी ख़ुशी के लिए मॉम " सुधीर मुस्कुराया ।
फिर सुधीर ने अपना चेहरा झुकाके मेरे होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । मेने भी अपने कंपकपाते होंठ सुधीर के होठों से लगा लिये ।हम दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे ।
शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ हो गया सुधीर ने अपने दोनों हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रखे हुए थे और मेने अपनी बाहें सुधीर के गले में डाली हुई थी । मेने अपने होंठ सुधीर के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ सुधीर की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब मेरी उँगलियों ने सुधीर के निप्पल को छुआ तो मेने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।
अपनी बाँहों में लेकर मेरे प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए सुधीर को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । मेरे नाजुक और रसीले होठों को सुधीर चूमते रहा । फिर सुधीर ने अपना बांया हाथ मेरी पैंटी के अंदर खिसकाया । उसने मेरे बदन में कम्पन महसूस किया ।
कुछ पलों तक उसने अपना हाथ मेरे बड़े गोल चूतड़ों पर रोके रखा और अपनी मॉम के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों चूतड़ों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से मेरी चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ । मेने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये ।
सुधीर ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । हम दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । सुधीर की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से मेने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।
सुधीर ने मेरे बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही मेरी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो में झड़ जाउंगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ मेरी चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ मेरे होठों से अलग कर लिये । लेकिन मेरे को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया मै तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी.
फिर सुधीर मेरी टीशर्ट को उतारने लगा । में ने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर टीशर्ट उतारने में मदद की । अब सुधीर की आँखों के सामने अपनी मॉम की बड़ी बड़ी गोल चूचियां थीं , जिन्हें वो पहली बार देख रहा था । सुधीर ने दोनों चूचियों के निप्पल को एक एक करके अपने होठों के बीच लेकर उनका चुम्बन लिया । मेरी उत्तेजना से सिसकारी निकल गयी। फिर उसने अपनी कमीज भी उतार दी । कमीज़ उतरते ही अपने हैंडसम बेटे के गठीले जिस्म को देखकर मेरी आँखों में चमक आ गयी ।
मेने तुरंत अपने हाथों को उसके गठीले जिस्म पर फिराया । फिर उसका निक्कर का बटन खोलकर उसे फर्श पर गिरा दिया। पैंटी और अंडरवियर छोड़कर अब दोनों के बदन पर कोई कपड़ा नहीं था ।हम दोनों ने एक दूसरे के बदन पर बचे आखिरी कपडे को पकड़ा और नीचे को खींच लिया ।
दोनों पहली बार एक दूसरे के नग्न बदन को देख रहे थे । मेरे खूबसूरत नग्न जिस्म को देखकर सुधीर का लंड तनकर खड़ा हो गया । मेने भी पहली बार अच्छे से सुधीर के लंड को देखा । मेने लंड को हाथ में लेकर उसकी मोटाई का अंदाजा लिया । मुझे याद आया इसी मोटे लंड से उस रात सुधीर ने मेरी चूत की खूब धुलाई की थी । सुधीर अभी भी मेरे नग्न जिस्म की खूबसूरती में खोया हुआ था । उस रात अँधेरे कमरे में हम दोनों ने एक दूसरे को महसूस किया था पर आज पहली बार दोनों एक दूसरे के नंगे बदन को अपनी आँखों से देख रहे थे ।
सुधीर ने मेरे नग्न बदन को अपने आलिंगन में भर लिया । मेरे को अपने बदन में पेट के पास सुधीर के खड़े लंड की चुभन महसूस हुई । मेने अपने होंठ फिर से सुधीर के होठों से लगा लिए । कुछ देर तक दोनों चुम्बन लेते रहे । सुधीर ने अपने होंठ अलग किये और फिर अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रखकर उसको नीचे घुटनों के बल झुका दिया । अब मेरी आँखों के सामने सुधीर का तना हुआ लंड था । मै समझ गयी कि उसका बेटा क्या चाहता है । मेने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ सुपाड़े पर रख दिये और उसका चुम्बन लिया । फिर अपना मुंह खोलकर सुपाड़े को अंदर ले लिया ।