26-06-2021, 03:57 PM
हसरतें
हेलो दोस्तों मेरा नाम सुनैना है। मेरे दो बच्चे हैं । बड़ी बेटी का नाम नीतू है और उसकी शादी हो चुकी है। बेटे का नाम सुधीर है वह भी b.a. के फाइनल ईयर का स्टूडेंट है
मेरेपति का अपना बिजनेस है। हम एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अच्छा घर बार है, ज़िन्दगी जीने की सभी सहूलतें हैं। किसी चीज की कोई कमी नहीं है। इस समय मेरी उम्र 43 साल की है। अभी पिछले साल ही मेरी बेटी की शादी हुई।
पिछले साल मेरी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जिसने मेरी पूरी जिंदगी बदल कर रख दी। मुझे तो यह भी समझ नहीं आ रहा कि मैं इस अनोखे मोड़ को सुखदायक कहूं या दुख दायक।
उस घटना को बयान करने से पहले मैं उस घटना के असली कारण को बताना चाहती हूं जिसके कारण यह घटना घटी। इस घटना का असली कारण था मेरे पति का हर दिन शराब पीना। मेरे पति हर रोज शराब पीते हैं। शादी के समय में वो ऐसे नहीं थे उस समय वह नौकरी करते थे। जिंदगी सुखी थी। बच्चों के जन्म के बाद उन्होंने अपना बिजनेस शुरू किया। शुरुआत में काम अत्यधिक होने के कारण दौड़ धुप करनी पड़ती थी। वो इतना थक जाते थे के कभी कभी थकान मिटाने के लिए दो एक दो पेग दारू के लगा लिया करते थे। धीरे-धीरे यह उनकी आदत बन गई।
पहले पहले मैं उनको उनकी इस आदत के लिए खूब कोसा करती थी मगर धीरे धीरे मैंने उनकी आदत को स्वीकार कर लिया। इसके दो तीन कारण थे पहला कारण तो बता मैं खुद देख सकती थी कि वह दारू को अय्याशी के लिए नहीं बल्कि एक जरूरत के हिसाब से पीते थे। दूसरा मुख्य कारण था कि वह दारू पीकर कभी भी हल्ला नहीं करते थे लड़ाई झगड़ा नहीं करते थे। वह काम से आते थे दारु पीते थे और उसके बाद सो जाते थे
मगर सबसे बड़ा कारण यह था कि दारु पीने के बाद वह हर रोज मेरी खूब दम लगाकर चुदाई करते थे। मेरी हर हर रोज भरपुर ठुकाई होती थीर। अक्सर लोग कहते हैं कि जैसे जैसे आदमी की जवानी ढलती है दिन बीतते हैं वैसे वैसे सेक्स की चुदाई की इच्छा कम होने लगती है। यह बात मेरे पति के हिसाब से बिल्कुल ठीक थी। धीरे-धीरे उनकी चोदने की इच्छा कम हो रही थी
लेकिन मेरे बारे में जो बिल्कुल उल्टी बात थी जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ रही थी मेरी चुदवाने की इच्छा और भी तेज होती जा रही थी ऐसे में जब मेरे पति रात को दारू से टुन्न होकर दनादन मेरी चूत मैं लंड पेलते थे और मेरी खूब दमदार चुदाई करते थे तो मैं भला उनकी दारू को बुरा भला कैसे कह सकती थी।
बस उनके मुंह से आने वाली दुर्गन्ध अच्छी नहीं लगती थी। लेकिन एक बार जबाब उनका लण्ड मेरी चूत के अंदर उत्पात मचाना सुरु करता था तो दुर्गन्ध भी खुशबू लगने लगती थी। मेने कभी यह नहीं सोचा था के उनकी दारू की लत्त जिसका मुझे भरपूर लाभ मिलता था आगे चलकर कभी मेरे लिए इतनी बड़ी मुश्किल बन्न सकती थी के मेरी पूरी ज़िन्दगी ही बदल देगी।
##
हुआ यूँ के मेरी बेटी की शादी के समय मेरे जेठ जी भी अपने पूरे परिवार सहित आये हुए थे। वो अमेरिका में रहते हैं। उनका एक बेटा है जिसकी सगाई अमेरिका में हो चुकी थी मगर शादी दोनों परिवार भारत में ही करना चाहते थे। इसीलिए जब वो नीतू की शादी के लिए भारत आये तो उन्होनो साथ में ही अपने बेटे की शादी करने का भी निर्णय कर लिया।
मेरी बेटी की शादी के ठीक एक महीने बाद उनके बेटे की शादी की तारिख निकली। अब हम बंगलौर में रहते हैं जबके मेरे जेठ के लड़के के सुसराल वाले पुणे के हैं। चूँकि हम लड़के वाले थे इस लिए हमें बारात लेकर पुणे जाना था। मेरे जेठ जी ने पुणे का एक पूरा होटल बुक् करवा लिया था।
शादी के दो दिन पहले हम होटल पहुंचे थे। दोनों परिवार इतने रईस थे और शादी पर इतना खर्च हुआ के शादी की चकाचोंध देख कर पूरी दुनिया विस्मित हो उठी। नीतू को अपने पति के साथ अलग कमर मिला था और मुझे अपने पति के साथ एक अलग कमरा जबके मेरे बेटे सुधीर को दो और लड़को के साथ कमरा शेयर करना पड़ा था।
पहली रात तो सफ़र की थकान ने हमें इतना थक दिया था के उस रात में और मेरा पति घोड़े बेचकर सोते रहे।
मगर दूसरे दिन मेरा मन मचल रहा था। पूरा दिन शादी की ररंगीनियों में गुज़रा था। घर की सजावट से लेकर खाने पीने तक सभ कुछ इतना शानदार था के बस मन वाह वाह कर उठे। वैसे भी विदेश में वसने के कारन शादी का माहोल भी काफी खुलापन लिए था। लडकिया ऐसे छोटे छोटे और टाइट कपडे पहन कर घूम रही थी जैसे उन्होनो कपडे अपने अंगों को ढकने की बजाये उन्हें दिखाने के लिए पहने हुए थे। मगर लडकिया तो लडकिया औरतें भी कम् नहीं लग रही थी। किसी की साड़ी का पल्लू पारदर्शी था और अंदर से पूरा ब्लाउज मोटे मोटे मम्मो के दर्शन करवा रहा था तो किसी का लहंगा इतना टाइट था के गांड का पूरा उभार खुल कर नज़र आता था। कोई डीप गले का सूट पहन कर आधे मम्मे दिखाती घूम रही थी तो कई बिना ब्रा के इतना टाइट सूट पहन कर घूम रही थी के देखने वाले को पूरे मम्मो के दर्शन हो जाये। निप्पल तक पूरे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे।
मर्दों की खूब चांदी थी। गानों पर नाचते हुए औरतों को खूब मसल रहे थे। और गाने भी कैसे....मुन्नी बदनाम हुयी, बीड़ी जला ले... उफ्फ्फ ऐसा माहोल मेने नहीं देखा था। जिस तरह खुलेआम मरद औरतें एक दूसरे के साथ ठरक भोग रहे थे
उनको देख कर मेरी ठरक भी कुछ् जयादा ही बढ़ गयी थी। मेरे निप्पल कड़े हो गए थे और चूत भी खूब रस बहा रही थी। ऐसे में एक मनचले ने नाचते हुए बहाने से दो तीन बार मुझे रगड़ दिया। उफ़फ हरामी ने चिंगारी को हवा देकर भड़का दिया था अब मेरा पूरा जिस्म वासना की भीषण अग्नि में जल रहा था।
वहां का माहोल गरम और गरम होता जा रहा था। हर कोई इशारों इशारों में बातें कर रहा था। हर मरद औरत टंका फिट कर रहे थे। आज कई औरतें पराये मर्दों के निचे लेटने वाली थी। कईयो की आज सील टूटने वाली थी। आज रात चुदाई का खूब दौर चलने वाला था।
खुद मेरी बेटी मेरे सामने अपने पति से लिपटी हुयी थी। उसे तो लगता था मेरी मोजुदगी से कोई मतलब ही नहीं था। खैर उसका दोष भी कया था, नयी नयी शादी हुयी थी। चूत को लण्ड मिला था और जिस तरह से मेरा दामाद उसे खुद से चिपकाये हुए था, जैसे वो बार बार उसके अंगो को सहला रहा था, मसल रहा था लगता था मेरी बेटी की खूब दिल खोलकर ठुकाई करता था।
इधर वो कम्बखत जिसने नाचने के दौरान कई बार मुझे मसला था मेरे आगे पीछे ही घूम रहा था। कमीने ने बड़े ज़ोर ज़ोर से मम्मो को मसला था। निप्पल मैं अभी भी हलकी हलकी चीस उठ रही थी। अभी भी मौका देखकर वो कई बार मेरे नितम्बो में ऊँगली घुसा चूका था।
मेने उसे घूर कर देखा मगर हद दर्जे का ढीठ इंसान था। वैसे भी जवान था। कोई पैंतीस के करीब का होगा। जिसम भी बालिश्ठ था। ऐसे आदमी बहुत ज़ोरदार चुदाई करते हैं। वो जिस तरह से मुझे देख रहा था लगता था बस मौके की तलाश कर रहा था के कब् मुझे ठोकने का उसे मौका मिला। वो मेरी और देखते हुए ऐसे होंठो पर जीभ फिरा रहा था और इस तरह पेंट के ऊपर से अपने लण्ड को मसल रहा था जेसे वहीँ मुझे खड़े खड़े ही चोद देना चाहता हो। पेंट का उभार देखकर लगता था खूब मोटा तगड़ा लण्ड था।
मेरी चूत पानी पानी हो चुकी थी। पूरी देह कामाग्नि मैं जल रही थी। अब तो मेरा दिल भी खुल कर चुदवाने के लिए मचल रहा था। और मेरे सामने वो अजनबी पूरी तरह तयार था मेरी भरपूर चुदाई के लिए। एक तो पिछली रात को मेरी चुदायी नहीं हुयी थी और ऊपर से आज के माहोल ने मुझे इतना गरम कर दिया था के एकबारगी तो मेरा दिल भी मचल उठा के आज पराये लण्ड से चुद जायुं। उफ्फ्फ कामोन्माद मेरे सर चढ़कर बोल रहा था और मैं जिसने आज ताक अपने पति के सिवा किसी दूसरे लण्ड को छूआ तक नहीं था आज पराये मरद के नीचे लेटने के लिए मचल रही थी। दिल कर रहा था आज अपने जिसम को लूटा दूँ, उस अनजान आदमी से अपना कांड करवा दूँ, अपनी चूत के साथ साथ अपनी गांड भी उससे मरवायुं।
और यकीनन ऐसा हो भी जाता अगर में वहां से चली न आती। अगर कुछ देर और वहां रूकती तोह जरूर उससे ठुकवा बैठती। मैं कमरे में आते ही नहाने चली गयी। ठन्डे पानी ने आग को और भड़का दिया। चूत लण्ड के लिए रो रही थी। मेरे मम्मे मैं कसाव भर गया था। निप्पल इतने अकड़े हुए थे के ज़ोर ज़ोर से मसल कर ही उनको ढीला किया जा सकता था।
मेरा दिल तो जरूर था ऊँगली से खुद को शांत करने का। मगर मेने अपने पति का इंतज़ार करना ही बेहतर समझा। आग तो आज उसके दिल में भी बराबर लगी होगी। कल रात उसके लण्ड को भी चूत नसीब नहीं हुयी थी। और वेसे भी वो आज खूब पिए हुए था। आज तो जरूर पतिदेव मेरी चूत की ऐसी तैसी कर देने वाले थे। उन्हें भी मेरी चूत मारे बिना नींद कहाँ आती थी। जरूर आने ही वाले थे। मगर इंतज़ार एक पल का भी नहीं हो रहा था। मेने बदन पोंछा और कमरे की बत्ती बंद करके पूरी नंगी ही बेड पर लेट गयी।
मुझे नहाये हुए दस् मिनट ही गुज़रे होंगे के अचानक से कमरे का दरवाजा खुला और पतिदेव अंदर आये। मेने झट से अपने ऊपर चादर खींच ली के कहीं उनके साथ कोई हो ना। मगर वो अकेले थे उन्होनो दरवाजा खोला और अंदर कदम रखते ही वो गिर पड़े। लगता था दारू कुछ जयादा ही चढ़ा ली थी। मेने कुछ पल इंतज़ार किया के वो उठकर बेड की तरफ आ जाये। मगर जिस तरह उन्होनो पी रखी थी उससे तो उनका बेड ढूंढ पाना भी मुश्किल ही था।
मुझे ही हिम्मत करनी थी। मैं चादर हटाकर बेड से निचे उतरी। दरवाजा हल्का सा खुला था इसलिए मेने बत्ती नहीं जलायी। पूरी नंगी दरवाजे के पास गयी। दरवाजा बंद करके मेने पति को सहारा दिया और वो खांसता हुआ उठ खड़ा हुआ। उससे शराब की तेज़ गंध आ रही थी। मुझे शक हो रहा था के वो इतने नशे में मुझे चोद भी पायेगा के नहीं। में किसी तरह पति को बेड तक लेकर गयी और वो उस पर गिर पड़ा।
मेने जल्दी से उसके बदन पर हाथ घुमाया तोह मेरा दिल ख़ुशी से झूम उठा। उसका लण्ड पत्थर की तरह कठोर था। मेने उसे हाथ में पकड़ कर मसला तोह उसने तेज़ ज़ोरदार झटका खाया। उफ्फ्फ आज तो उसका लण्ड कुछ जयादा ही तगड़ा जान पढता था। एकदम कड़क था। बल्कि मेरे मसलने से और भी कडा होता जा रहा था। अब मुझे परवाह नहीं थी। अगर पतिदेव कुछ नहीं भी करते तो में खुद लण्ड पर बैठकर दिल खोलकर चुदवाने वाली थी।
मेने पेंट को खोला और खींच कर टांगो से निकल दी। फिर मेने जांघिये को इलास्टिक से पकड़ खींचते हुए पैरों से निकाल कर निचे फेंक दिया। मैं बेड के किनारे बैठ लण्ड को हाथ में लेकर मसलने लगी।
"उफ्फ्फ्फ्फ़.........कहाँ थे जी आप अब तक। यहां मेरी चूत जल रही है और आपको शराब के बिना कुछ नजर ही नहीं आता। कल रात भी आपने मुझे नहीं चोदा। वैसे आपको तो शायद याद न हो मगर इस पूरे साल में कल पहली रात थी जब अपने मेरी चूत नहीं मारी थी।"
पतिदेव की तेज़ तेज़ भरी साँसे गूंज रही थी। वो जाग रहे थे मगर कुछ बोल नहीं रहे थे जा शायद जयादा शराब पिने के कारन बोलने लायक नहीं रहे थे।
"थोड़ी कम पी लेते।" मैं पतिदेव के टट्टो को हाथों मैं भर सहलाती बोली। मेने थोडा सा दवाब बढ़ाया तो उनके मुंह से तेज़ सिसकी निकली। वो जाग रहे थे अब कोई शक नहीं था। मेने अपना मुंह झुकाया और सुपाड़े को अपने होंठो में भर लिया। जैसे ही मेरी जिव्हा लण्ड की मुलायम त्वचा से टकराई पतिदेव के मुंह से 'आह्ह्ह्ह्ह्' की ज़ोरदार सिसकारी निकली। में मन ही मन मुस्करा उठी। लण्ड को होंठो में दबा में सुपाड़े को चाटती उसे चूसने लगी। एक हाथ से टट्टे सहलाती मैं मुख को धीरे धीरे ऊपर नीचे करने लगी। लण्ड और अधिक फूलता जा रहा था। मुझे हैरानी होने लगी थी मगर हैरानी से ज्यादा ख़ुशी हो रही थी। मेरा मुख और भी तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगा।
तभी पतिदेव ने मेरे सर को पकड़ लिया और अपना पूरा लण्ड मेरे मुंह में घुसाने लगे। मेने उनके पेट पर हाथ रखकर उन्हें ऐसा करने से रोका। पहले मैं उनका पूरा लण्ड मुंह में ले लेती थी मगर आज जिस प्रकार उनका लौड़ा फूला हुआ था मैं चाह कर भी उनका पूरा लण्ड मुंह में नहीं ले सकती थी। वैसे भी उस समय मैं लण्ड मुंह में नहीं अपनी चूत में चाहती थी।
मेने लण्ड से अपना मुख हटाया और पतिदेव की टांगे उठाकर बेड के ऊपर कर दी। फिर मैं फ़ौरन बेड के ऊपर चढ़ गयी। एक हाथ से लण्ड पकडे मैं पतिदेव के ऊपर सवार हो गयी। उनकी छाती पर एक हाथ रखकर मैं ऊपर को उठी जबके दूसरे हाथ से उनका लण्ड थामे रखा। जहां अंधेरे में मेने अपनी कमर हिलाकर अंदाज़े से लण्ड के निशाने पर रखी और फिर धीरे धीरे कमर नीचे लाने लगी।
लण्ड मेरे दोनों नितम्बो के बिच घुसता हुआ आगे मेरी चूत की और सरकने लगा। जैसे ही लण्ड का सुपाड़ा मेरी भीगी चूत के होंठो से टकराया हम दोनों के मुख से आह निकल गयी। आज हम दोनों कुछ जयादा ही उत्तेजित थे। पतिदेव का लौड़ा तो कुछ जयादा ही मचल रहा था।
"ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ देखिये ना आपका लण्ड कितनी बदमाशी कर रहा है। एक दिन चूत नहीं मिली तो कैसे अकड़ कर उछल कूद मचा रहा है। अभी इसको मज़ा चखाती हूँ।" मैं लण्ड को हाथ में दबाये मैंउस पर चूत का दबाव देने लगी। मेरी चूत के होंठ खुले और सुपाड़ा धीरे धीरे अंदर सरकने लगा। उफ्फफ़फ़फ़ सुपाड़ा अंदर घुसते घुसते मुझे पसीना आने लगा। लण्ड इतना फूला हुआ था के मेरी चूत को बुरी तरह से फैला रहा था। मेने अपने सूखे होंठो पर जीभ फिराई और फिर से दबाव बढ़ाना शुरु किया। मेरी रस से सरोबर चूत में पल पल लण्ड अंदर धंसता जा रहा था।
मुझे हलकी हलकी पीड़ा के साथ अत्यधिक चुभन महसूस हो रही थी जिसने मुझे असमंजस में डाल दिया था। मगर मैं कामोन्माद के चरम पर थी और उस समय सिर्फ और सिर्फ चुदवाने के बारे में ही सोच रही थी। आज तक सिर्फ और सिर्फ मेरे पति ने ही मुझे चोदा है। एक इकलौता लण्ड मेरी हूत में हज़ारों हज़ारों दफा गया है इसलिए मुझे अच्छा खासा एहसास है के वो चूत के अंदर किस सीमा तक घुसता है। और आज जब वो लण्ड उस सीमा से काफी आगे पहुँच चूका था तो मुझे हैरत होने लगी। शायद आज अतिउत्तेजना की वजह से उनका लण्ड कुछ अत्यधिक फूल गया था। जब मेने उसे मुठी में भरा था तो मुझे वो बहुत मोटा लगा था। अचानक नजाने कयों मुझे अजीब सा लगा और मैं अपना एक हाथ नीचे हम दोनों के बीच ले गयी। उफ्फ्फ मेरे आस्चर्य की सीमा न रही। लण्ड तो अभी भी एक इंच से जयादा बाहर था।
मैं कुछ समझ पाती उसी समय मेरे पति के दोनों हाथ मेरी कमर पर कस गए और आईईईईईईए.......... मेरे मुंह से तेज़ सिसकारी निकल गयी। कमीने ने दोनों हाथों में मेरी कमर जकड़ कर नीचे को दबाया और नीचे से अपनी कमर ऊपर को उछाली और पूरा लण्ड मेरी चूत में पेल दिया। वो कमीना ही था। मेरे पति का लण्ड इतना लम्बा मोटा नहीं हो सकता था। वो कौन था मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था और में सोचने की हालात में भी नहीं थी।
कमीने ने लण्ड अंदर घुसाते ही धक्के लगाने सुरु कर दिए। मेरी कमर पकड़ वो नीचे से दनादन मेरी चूत में लण्ड पेलने लगा। मेरी कमर को उसने बहुत कस कर पकड़ा हुआ था के कहीं मैं भाग न जायुं। मगर मैं भागने की स्थिति में तो थी नहीं। कामोत्तेजना तो पहले ही मेरे सर चढ़ी हुयी थी और चूत में उस भयंकर लण्ड के ताकतवर धक्को ने मुझे पसत कर दिया। मेरे मुख से सिसकियाँ निकलने लगी। मैं आह उनन्ह उफ्फ्फ करती सिसकती कराहती चुदने लगी। सिसकियों के साथ साथ में खुद अपनी कमर हिलती चुदाई में उसका साथ देने लगी।
मुझे राजी देखकर उसकी पकड़ धीरे धीरे मेरी कमर पर हलकी पढने लगी। जैसे ही मेरी कमर पर उसकी पकड़ ढीली पड़ी मेने अपने दोनों हाथ उसकी छाती पर रखे और उछाल उछाल कर अपनी चूत उसके लण्ड पर पटकने लगी। वो भी ताल से ताल मिलाता मेरी चूत में लण्ड पेलने लगा। फच फच की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी।