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Adultery मेरी बेकरार बीवी और मैं बेचारा पति - Original Writer Robin Raj
#2
अब मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया] कुछ पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है मैं लगभग चेतना विहीन हो गया था जब अंदर से कुछ आवाजें आयीं तब मैं उठा और पौधों को सही करके पानी देने लगा]

पानी देते हुए अचानक अपने भाई विजय की बात दिमाग में गूंजने लगी और न जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगे फैलाये लेटी है और विजय अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है]

और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसा भाग है ये कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पुरे जोश में था]

अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी एन्जॉय करो और उसको भी करने दो]

मैंने दूसरा रास्ता चुना क्युकि मैं भी पाकसाफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था]

सबसे बड़ी बात तो यही थी कि जूली एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकि ये शायद उसकी अपनी इच्छाएं थी]

दोस्त मेरे मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है इसमें जो मिले उससे एन्जॉय केर लेना चाहिए]

कम से कम जूली मेरा ख्याल तो रख ही रही थी मेरी इनसल्ट तो नहीं कर रही थी] अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा]

ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया, और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर आ गया]

अंदर सब कुछ नॉर्मल था] जूली किचन में वैसे ही काम कर रही थी और विजय बाथरूम में था]


[b]करीब १० मिनट के बाद विजय नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती वदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था] जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था]

मैं अपने कपडे ले बाथरूम में चला जाता हूँ] जूली वैसे ही किचन में काम कर रही थी]

विजय: भैया क्या हुआ आज कुछ जल्दी ही है]

मैं : हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है] जूली जल्दी नास्ता तैयार कर दो मैं बस नहाकर आता हूँ] मैं वहीँ से जूली को बोल देता हूँ]

जूली: ठीक है आप आइये, नास्ता तैयार ही है] विजय तुम भी जल्दी से आ जाओ सब साथ ही कर लेंगे]

विजय: ठीक है भाभी मैं तो तैयार ही हूँ ऐसे ही कर लूंगा]

मैंने बाथरूम में जाकर सॉवॅर ऑन किया और उन दोनों को देखने का सोचा]

बाथरूम की एक साइड की वाल में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से किचन का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था] 

मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर किचन में देखने का प्रयास किया]

वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था वरस्ते उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी]

विजय: भाभी क्या बनाया नास्ते में आज

जूली: सब कुछ तुम्हारी पसंद का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो]

विजय: आपको तो पता है मैं ये सब नहीं पीता मुझे तो दूध ही पसंद है]

जूली: हाँ हाँ मुझे पता है और वो भी तुम डायरेक्ट ही पीते हो 

और दोनों के जोर से हसने की आवाज आती है 

जूली: अरे क्या करते हो अभी मैंने मन किया था न उफ़ क्या कर रहे हो 

मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था]

मगर ये निश्चित था कि विजय मेरी बीबी के दूध पी रहा था]

अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर ये मेरे लिए भी सस्पेन्स था]

मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही excited हो रहा था]

जूली: ओह विजय क्या केर रहे हो प्लीज अभी मत करो देखो वो आते होंगे ओह नहीं आह क्या करते हो]
ओह विजय तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना] 

विजय: पुच puchh puchhhh सुपररररर सपररररर 
अहाआआ भाभी कितने मस्त हैं आपके मम्मे 
ओह्ह्ह भाभी ऐसे ही सहलाओ आहा कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को आहाअ ओह्ह्ूओ पुच पुच 

मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजे सुन रहा था और सोच रहा था कि ये मेरे सामने ही कितना आगे बढ़ सकते हैं]

क्या आज ही मुझे इनकी चुदाई देखने को मिल जायेगी]

पता नहीं क्या होगा...... 
[/b]
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RE: मेरी बेकरार बीवी और मैं बेचारा पति - Original Writer Robin Raj - by Leo2524 - 26-06-2021, 04:08 AM



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