25-06-2021, 12:02 PM
घर आने के बाद.....
माँ:- चलो बेटा,अब हम खाना खा लेते है।बाद मैं मुझे काम भी करना है।
मैं:- माँ अब पूरा दिन काम नही करना। देखा ना क्या हुआ था सुबह?
माँ:- ह्म्म्म ठीक है।
मैं:- चलो अब खा लेते हैं।और माँ कल से मुझे भी रेगुलर कॉलज जाना पडेगा। तो निरज जो भी बोले आप अच्छे से करना ,मन मत करते रहना।
माँ:- अब करना ही पड़ेगा।
अब खाना खाने के बाद दोनों माँ बेटे हॉल में बैठे थे, भावना टीवी मैं देख रही थी और हर्ष फ़ोन मैं लगा हुआ था। ऐसे ही शाम हो गयी और प्रकाश घर आए और उसको भी सब बताया,तो उसने भी बोला कि वो ट्रेनर जैसा बोले तुम मन मत करना। और रात को खाना खा के सब सो गए।
रात के करीब 1 बज रहे होंगे, भावना को नींद नही आ रही थी,उसके दिमाग तो बीजली की रफ्तार से दौड़ रहा था। वो अंदर से सोच रही थी।
अब क्या करूँ मैं, मेरी समझ में नही आ रहा। डॉक्टर ने बोला तो करना पड़ेगा,और ये दोनों भी करने को बोल रहे है।
(वो जो कपड़े लिए है उसको बाहर निकल के देखते हुए) ऐसे कपड़े पहन कर मैं एक अनजान लड़के के सामने.......लेकिन करना पड़ेगा नही तो ये लोग नही मानेंगे। अब घर मैं तो सिर्फ मैं अकेली रहूंगी, एक काम करूँगी मैं घर का मैन डोर खुला ही रखूंगी,ताकि लोग कुछ उल्टा सीधा न सोचें।
ऐसे सोचते सोचते वो वापस सो गई,और अब हुए सुबह।
मैं:- चलो माँ, आज आपका पहला दिन है,अचे से सब करना ठीक है।और हाँ हर बात पे मना मत करना।
पापा:- हाँ, भावना,तुम्हारी सेहत के लिए है सब ।
माँ:-जी।
पापा:- वैसे वो कितने बजे आएगा? और कितने समय तक करवाएगा?
मैं:- पापा वो 11 से 12:30 तक होगा।
पापा:- ठीक है,
मैं:- चलो मैं चलता हूँ। बेस्ट ऑफ लक माँ।
माँ:- हाँ बेटा।
और हर्ष के जाने के बाद प्रकाश भी निकल जाता है। अब घर मैं भावना अपने दिमाग में सब कुछ सोचते सोचते काम करने लगती है। और 11 बज जाते है और घर की घंटी बजती है। भावना दरवाजा खोलते हुए।
माँ:-जी आइये।
निरज:- जी सुख्रिया।
मैं:-(थोड़ा झिजक रही थी) जी चाय पिएंगे आप?
निरज:- नही नही मैं चाय नही पीता।
माँ:- जी ठीक है।
निरज:- तो हम एक्सरसाइज शुरू करे? आप इन कपड़ो मैं करेंगी क्या?
माँ:- जी नही,वो कपड़े लिए है इसके लिए।
निरज:- जी आप वो पहन कर आये। वरना आपको रिलैक्स फील नही होगा।
माँ:- जी।आप बैठो यहाँ, मैं पहन कर आती हूँ।
और भावना ऊपर चली जाती है,और वो कपड़े पहन लेती है,लेकिन जैसे कि बताया पहले,कपड़े स्लीवलेस थे तो भावना अपनी ब्रा की स्ट्रैप को अचे से छुपा रही थी। और बाद मैं वो नीचे आईं।
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निरज:-( देख के खड़े होते हुए) अरे ,आप तो बहोत अच्छी दिख रही हो,.... ,जी मेरा मतलब है कि आपको अब अच्छा लगेगा।
माँ:-(शर्माते हुए) जी।
निरज:- तो चलो,लेकिन क्या हम खुले मैं कर सकते है? यहाँ घर में नही हो सकता। क्या हम ऊपर टेरेस हो तो वहां चले?
माँ:-(धीरी आवाज में) जी वो घर के पीछे खुली जगह है,वहां चलिए।
अब भावना ने दरवाजा खुला रखा मैन डोर का ताकि कोई उल्टा सीधा ना समझे। ( आप भी समज गए होंगे)
अब भावना निरज को पीछे ले जा रही थी। तो भावना आगे चल रही थी और उसके पीछे निरज। और निरज तो सिर्फ भावना की गांड को ही घूरे जा रहा था।
निरज:-ये अच्छी जगह है,खुले मैं है तो आपको ताजा हवा भी मिलेगी।
माँ:-जी।अब क्या करना होगा?
निरज:- जी आज तो आप पहले बॉडी को वॉर्मअप कीजिये।
माँ:- वो कैसे?
निरज:- देखिये मैं आपको कर के दिखता हूँ।
और निरज squats करके दिखता है।
निरज:-ऐसे करना होगा आपको पहले।
माँ:-(झिझकते हुए) क्या...सच मैं?
निरज:-देखिये आप करेंगी नही तो आपकी सेहत और बिगड़ सकती है।
माँ:-जी करती हूँ।
अब निरज साइड मैं खड़ा होके भावना को देखता है।
जब भावना नीचे बैठती है तो उसकी गोल गोल गांड बाहर उभर आती है,निरज की नजर वहाँ पे ही टिकी रहती है।
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भावना जब ऊपर नीचे होती तो उसके बूब्स थोड़े थोड़े हिल रहे थे,उसको देख निरज और ज्यादा गर्म हो जाता है।
निरज:- बढिया कर रही है आप।और थोड़े समय तक करते रहिए,इससे आपकी बॉडी मैं गर्मी होगी और आपके मसल्स ठीक होंगे।
माँ:-(एक्सरसाइज करते हुए) जी ।।
निरज:- आप अच्छा कर रही है,बस पीछे का हिस्सा हो सके उतना बाहर निकलने की कोशिश करो।
माँ:-(हड़बड़ी में) जी.... क्या!!
निरज:-नही आप बुरा मत समजो, इससे आपकी बॉडी का हर हिस्सा काम करना चाहिए।
माँ:-जी।
अब थोड़ी देर करने के बाद.....
निरज:- जी अब आप ये बंद कर सकती हो।
माँ:- ( खड़े होते हुए) जी।
निरज:- देखिये आपको पसीना आ रहा है,आपकी बॉडी अब धीरे धीरे वॉर्मअप हो रही है।
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माँ:-(हाँफती हुई) जी सही कहां आपने।
निरज भावना के जिस्म पर आए हुए पसीने को देख रहा था क्या मादक लग रहा था।और उसके जिस्म मैं से पसीनो की महक पागल बना रही थी निरज को। अब निरज planks करके दिखाते हुए.
निरज :-अब आप ऐसे करिये।
माँ:-(निचे बैठ कर करते हुए) जी।
अब निरज भावना को ही देखे जा रहा था।जब भावना के दोनों पैर साथ मैं निचे होते तो वो कुतिया की पॉश मैं होती।तब उसकी गांड बाहर की तरफ से मस्त दिखाई देती है।और भावना ने ब्रा पहनी थी फिर भी थोड़े थोड़े बूब्स नीचे लटक रहे थे। अब भावना को और ज्यादा पसीना आ गया था। निरज भावना की चारो तरफ घूमता ,लेकिन सबसे ज्यादा समय पीछे लगता ताकि उसकी उभरी हुई गांड देख सके।
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थोड़े समय करने के बाद फिर निरज बोला कि अब आप ये बंध कर दे। और भावना फिर से खड़ी हो गयी।इस बार बोहोत पसीना था।
निरज:-थक गई लगता है आप?
माँ:-(हफ्ते हुए) जी।आज पहली बार ये सब किया ना तो थक गई।
निरज:-हाँ ऐसा होता है । कोई बात नही आपको धीरे धीरे आदत लग जाएगी।
माँ:-जी।
निरज:-(side lunges करके दिखाते हुए) अब आप ये करिए।
माँ:- जी।
और भावना फिर से लग जाती है। और निरज बोलता है किआ आपको ये करने से अपने पैर और हिप्स को रिलैक्स करेगा। निरज उसके चेहरे को देख रहा था,जो पूरा पसीने से भीग चुका था। अब भावना ठीक से कर नही पा रही थी ,तो निरज ने हाथ से पकड़ के बताते हुए कहा
निरज:- (पैर को पकड़ते हुए) जी ऐसे नही ,ऐसे करिये।
माँ:-(थोड़ा हिचकिचाहते हुए) जी ठीक है।
अब भावना के जिस्म को किसी दूसरे मर्द ने पहली बार छुआ था तो उसको बहुत ही अजीब और गर्मी फील हुई।घर के आदमियों के टच करना और बाहर के आदमियों के टच करना बोहोत अलग होता है, तो भावना फिर से अपने एक्सरसाइज मैं लग गयी। थोड़ी देर बाद निरज ने बोला....
निरज:-जी अब आप pushups कर लीजिए,जिससे आपकी ऊपर की बॉडी को राहत मिले।
माँ:-(उसको आता था वो तो खुद करने लग गयी) जी।
निरज:-देखिये आपसे जितनी हो उतनी करो,ठीक है।
माँ:-(4,5 करने के बाद) जी बस इससे ज्यादा नही कर पाऊंगी।
निरज :-कोई बात नही ये भी काफी है। अब आज के लिए इतना ही रखते है। 12:30 बज गए है।
माँ:-जी ठीक है।
अब निरज भावना के छाती पे लगे हुए पसीने को घूर रहा था,और उसको बहुत मजा आ रहा था।
और ये भावना देख लेती है।लेकिन वो कुछ नही बोलती, और निरज भी देख लेता है उसको देखते हुए ,तो वो भी चालाक था,तो बात पलट दी,
निरज:-(उसके पसीने को देखते हुए) आज कैसा लगा आपको?
माँ:-जी अच्छा लग रहा है।
निरज:- जी कल भी इसी समय आ जाऊंगा,अब मैं चलता हूँ।
माँ:-जी।
अब निरज चला जाता है,और भावना दरवाजा बंध कर देती है,और अपने पसीने से लटपट जिस्म को देखती है,और अपने रूम से टॉवल और कपड़े लेके बाथरूम मैं नहाने चली जाती है। फिर वो नहा के आती है और थोड़ी देर बैठने के बाद खाना खाने लगती है, और सोचती भी है,
आज वैसे अच्छा तो लग रहा है,थोड़ा दर्द कर रहा है,लेकिन अच्छा फील हो रहा है,लेकिन उसको साथ साथ निरज के टच किये हुए हाथ की भी याद आ जाती है, और उसका शरीर थोड़ा हल्का सा गरम भी हो जाता है,और जो अपनी छाती पे देख रहा था वो भी याद करती है, और सोचती है कि वो कैसे देख रहा था। लेकिन बाद में सोचती है,उसका तो काम ही ट्रेनिंग देना है,वो अच्छे से देखेगा नही तो ट्रैन कैसे कर पायेगा। और खाने के बाद वो थोड़ी देर सो जाती है।
इधर निरज जिम आता है और उसका वो दोस्त पहुचता है।
दोस्त:-क्या बे मजे लिए की नही?
निरज:-अबे आज तो सिर्फ आँख सेकी।
दोस्त:-क्या किया फिर और?
निरज:- कुछ नही आज तो वॉर्मअप करवाया,क्या गजब फिगर है यार,
दोस्त:-हाँ वो तो देखा था उस दिन।
निरज:- उसकी गांड टाइट है एकदम और बूब्स भी तने हुए है।
दोस्त:-(हस्ते हुए) क्या खयाल है फिर?
निरज:- तू देखता जा,बस ,धीरे धीरे हाथो मैं लाना होगा,थोड़ी अच्छे घर से है।
दोस्त:-तूने कितनो को लाया है ये भी आ जायेगी।
निरज:- हां, मौका भी अच्छा है,उसका बेटा और पति नही होते घर पर।
दोस्त:- तब तो तेरे मजे है,चल मजे ले तू।
निरज:-हाँ
अब उधर हर्ष कॉलेज में था और सोच रहा था कि माँ ने अच्छे से किया होगा या नही। तो उसने निरज को कॉल किया।
निरज:-(अपने दोस्त को कहते हुए) देख उसके बेटे का फोन आ रहा है।
दोस्त:-उठा के बात कर।
निरज:-हेलो
मैं:-जी आज गए थे ना तुम?
निरज:-जी हाँ।
मैं:-माँ ने अच्छे से सब किया ना?
निरज:- जी आंटी ने सब अच्छे से किया है।
मैं:-चलो ठीक है यही जानने के लिए फोन किया था।
निरज:- जी ठीक है।
मैं:- रखता हूँ ।
माँ:- चलो बेटा,अब हम खाना खा लेते है।बाद मैं मुझे काम भी करना है।
मैं:- माँ अब पूरा दिन काम नही करना। देखा ना क्या हुआ था सुबह?
माँ:- ह्म्म्म ठीक है।
मैं:- चलो अब खा लेते हैं।और माँ कल से मुझे भी रेगुलर कॉलज जाना पडेगा। तो निरज जो भी बोले आप अच्छे से करना ,मन मत करते रहना।
माँ:- अब करना ही पड़ेगा।
अब खाना खाने के बाद दोनों माँ बेटे हॉल में बैठे थे, भावना टीवी मैं देख रही थी और हर्ष फ़ोन मैं लगा हुआ था। ऐसे ही शाम हो गयी और प्रकाश घर आए और उसको भी सब बताया,तो उसने भी बोला कि वो ट्रेनर जैसा बोले तुम मन मत करना। और रात को खाना खा के सब सो गए।
रात के करीब 1 बज रहे होंगे, भावना को नींद नही आ रही थी,उसके दिमाग तो बीजली की रफ्तार से दौड़ रहा था। वो अंदर से सोच रही थी।
अब क्या करूँ मैं, मेरी समझ में नही आ रहा। डॉक्टर ने बोला तो करना पड़ेगा,और ये दोनों भी करने को बोल रहे है।
(वो जो कपड़े लिए है उसको बाहर निकल के देखते हुए) ऐसे कपड़े पहन कर मैं एक अनजान लड़के के सामने.......लेकिन करना पड़ेगा नही तो ये लोग नही मानेंगे। अब घर मैं तो सिर्फ मैं अकेली रहूंगी, एक काम करूँगी मैं घर का मैन डोर खुला ही रखूंगी,ताकि लोग कुछ उल्टा सीधा न सोचें।
ऐसे सोचते सोचते वो वापस सो गई,और अब हुए सुबह।
मैं:- चलो माँ, आज आपका पहला दिन है,अचे से सब करना ठीक है।और हाँ हर बात पे मना मत करना।
पापा:- हाँ, भावना,तुम्हारी सेहत के लिए है सब ।
माँ:-जी।
पापा:- वैसे वो कितने बजे आएगा? और कितने समय तक करवाएगा?
मैं:- पापा वो 11 से 12:30 तक होगा।
पापा:- ठीक है,
मैं:- चलो मैं चलता हूँ। बेस्ट ऑफ लक माँ।
माँ:- हाँ बेटा।
और हर्ष के जाने के बाद प्रकाश भी निकल जाता है। अब घर मैं भावना अपने दिमाग में सब कुछ सोचते सोचते काम करने लगती है। और 11 बज जाते है और घर की घंटी बजती है। भावना दरवाजा खोलते हुए।
माँ:-जी आइये।
निरज:- जी सुख्रिया।
मैं:-(थोड़ा झिजक रही थी) जी चाय पिएंगे आप?
निरज:- नही नही मैं चाय नही पीता।
माँ:- जी ठीक है।
निरज:- तो हम एक्सरसाइज शुरू करे? आप इन कपड़ो मैं करेंगी क्या?
माँ:- जी नही,वो कपड़े लिए है इसके लिए।
निरज:- जी आप वो पहन कर आये। वरना आपको रिलैक्स फील नही होगा।
माँ:- जी।आप बैठो यहाँ, मैं पहन कर आती हूँ।
और भावना ऊपर चली जाती है,और वो कपड़े पहन लेती है,लेकिन जैसे कि बताया पहले,कपड़े स्लीवलेस थे तो भावना अपनी ब्रा की स्ट्रैप को अचे से छुपा रही थी। और बाद मैं वो नीचे आईं।
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निरज:-( देख के खड़े होते हुए) अरे ,आप तो बहोत अच्छी दिख रही हो,.... ,जी मेरा मतलब है कि आपको अब अच्छा लगेगा।
माँ:-(शर्माते हुए) जी।
निरज:- तो चलो,लेकिन क्या हम खुले मैं कर सकते है? यहाँ घर में नही हो सकता। क्या हम ऊपर टेरेस हो तो वहां चले?
माँ:-(धीरी आवाज में) जी वो घर के पीछे खुली जगह है,वहां चलिए।
अब भावना ने दरवाजा खुला रखा मैन डोर का ताकि कोई उल्टा सीधा ना समझे। ( आप भी समज गए होंगे)
अब भावना निरज को पीछे ले जा रही थी। तो भावना आगे चल रही थी और उसके पीछे निरज। और निरज तो सिर्फ भावना की गांड को ही घूरे जा रहा था।
निरज:-ये अच्छी जगह है,खुले मैं है तो आपको ताजा हवा भी मिलेगी।
माँ:-जी।अब क्या करना होगा?
निरज:- जी आज तो आप पहले बॉडी को वॉर्मअप कीजिये।
माँ:- वो कैसे?
निरज:- देखिये मैं आपको कर के दिखता हूँ।
और निरज squats करके दिखता है।
निरज:-ऐसे करना होगा आपको पहले।
माँ:-(झिझकते हुए) क्या...सच मैं?
निरज:-देखिये आप करेंगी नही तो आपकी सेहत और बिगड़ सकती है।
माँ:-जी करती हूँ।
अब निरज साइड मैं खड़ा होके भावना को देखता है।
जब भावना नीचे बैठती है तो उसकी गोल गोल गांड बाहर उभर आती है,निरज की नजर वहाँ पे ही टिकी रहती है।
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भावना जब ऊपर नीचे होती तो उसके बूब्स थोड़े थोड़े हिल रहे थे,उसको देख निरज और ज्यादा गर्म हो जाता है।
निरज:- बढिया कर रही है आप।और थोड़े समय तक करते रहिए,इससे आपकी बॉडी मैं गर्मी होगी और आपके मसल्स ठीक होंगे।
माँ:-(एक्सरसाइज करते हुए) जी ।।
निरज:- आप अच्छा कर रही है,बस पीछे का हिस्सा हो सके उतना बाहर निकलने की कोशिश करो।
माँ:-(हड़बड़ी में) जी.... क्या!!
निरज:-नही आप बुरा मत समजो, इससे आपकी बॉडी का हर हिस्सा काम करना चाहिए।
माँ:-जी।
अब थोड़ी देर करने के बाद.....
निरज:- जी अब आप ये बंद कर सकती हो।
माँ:- ( खड़े होते हुए) जी।
निरज:- देखिये आपको पसीना आ रहा है,आपकी बॉडी अब धीरे धीरे वॉर्मअप हो रही है।
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माँ:-(हाँफती हुई) जी सही कहां आपने।
निरज भावना के जिस्म पर आए हुए पसीने को देख रहा था क्या मादक लग रहा था।और उसके जिस्म मैं से पसीनो की महक पागल बना रही थी निरज को। अब निरज planks करके दिखाते हुए.
निरज :-अब आप ऐसे करिये।
माँ:-(निचे बैठ कर करते हुए) जी।
अब निरज भावना को ही देखे जा रहा था।जब भावना के दोनों पैर साथ मैं निचे होते तो वो कुतिया की पॉश मैं होती।तब उसकी गांड बाहर की तरफ से मस्त दिखाई देती है।और भावना ने ब्रा पहनी थी फिर भी थोड़े थोड़े बूब्स नीचे लटक रहे थे। अब भावना को और ज्यादा पसीना आ गया था। निरज भावना की चारो तरफ घूमता ,लेकिन सबसे ज्यादा समय पीछे लगता ताकि उसकी उभरी हुई गांड देख सके।
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थोड़े समय करने के बाद फिर निरज बोला कि अब आप ये बंध कर दे। और भावना फिर से खड़ी हो गयी।इस बार बोहोत पसीना था।
निरज:-थक गई लगता है आप?
माँ:-(हफ्ते हुए) जी।आज पहली बार ये सब किया ना तो थक गई।
निरज:-हाँ ऐसा होता है । कोई बात नही आपको धीरे धीरे आदत लग जाएगी।
माँ:-जी।
निरज:-(side lunges करके दिखाते हुए) अब आप ये करिए।
माँ:- जी।
और भावना फिर से लग जाती है। और निरज बोलता है किआ आपको ये करने से अपने पैर और हिप्स को रिलैक्स करेगा। निरज उसके चेहरे को देख रहा था,जो पूरा पसीने से भीग चुका था। अब भावना ठीक से कर नही पा रही थी ,तो निरज ने हाथ से पकड़ के बताते हुए कहा
निरज:- (पैर को पकड़ते हुए) जी ऐसे नही ,ऐसे करिये।
माँ:-(थोड़ा हिचकिचाहते हुए) जी ठीक है।
अब भावना के जिस्म को किसी दूसरे मर्द ने पहली बार छुआ था तो उसको बहुत ही अजीब और गर्मी फील हुई।घर के आदमियों के टच करना और बाहर के आदमियों के टच करना बोहोत अलग होता है, तो भावना फिर से अपने एक्सरसाइज मैं लग गयी। थोड़ी देर बाद निरज ने बोला....
निरज:-जी अब आप pushups कर लीजिए,जिससे आपकी ऊपर की बॉडी को राहत मिले।
माँ:-(उसको आता था वो तो खुद करने लग गयी) जी।
निरज:-देखिये आपसे जितनी हो उतनी करो,ठीक है।
माँ:-(4,5 करने के बाद) जी बस इससे ज्यादा नही कर पाऊंगी।
निरज :-कोई बात नही ये भी काफी है। अब आज के लिए इतना ही रखते है। 12:30 बज गए है।
माँ:-जी ठीक है।
अब निरज भावना के छाती पे लगे हुए पसीने को घूर रहा था,और उसको बहुत मजा आ रहा था।
और ये भावना देख लेती है।लेकिन वो कुछ नही बोलती, और निरज भी देख लेता है उसको देखते हुए ,तो वो भी चालाक था,तो बात पलट दी,
निरज:-(उसके पसीने को देखते हुए) आज कैसा लगा आपको?
माँ:-जी अच्छा लग रहा है।
निरज:- जी कल भी इसी समय आ जाऊंगा,अब मैं चलता हूँ।
माँ:-जी।
अब निरज चला जाता है,और भावना दरवाजा बंध कर देती है,और अपने पसीने से लटपट जिस्म को देखती है,और अपने रूम से टॉवल और कपड़े लेके बाथरूम मैं नहाने चली जाती है। फिर वो नहा के आती है और थोड़ी देर बैठने के बाद खाना खाने लगती है, और सोचती भी है,
आज वैसे अच्छा तो लग रहा है,थोड़ा दर्द कर रहा है,लेकिन अच्छा फील हो रहा है,लेकिन उसको साथ साथ निरज के टच किये हुए हाथ की भी याद आ जाती है, और उसका शरीर थोड़ा हल्का सा गरम भी हो जाता है,और जो अपनी छाती पे देख रहा था वो भी याद करती है, और सोचती है कि वो कैसे देख रहा था। लेकिन बाद में सोचती है,उसका तो काम ही ट्रेनिंग देना है,वो अच्छे से देखेगा नही तो ट्रैन कैसे कर पायेगा। और खाने के बाद वो थोड़ी देर सो जाती है।
इधर निरज जिम आता है और उसका वो दोस्त पहुचता है।
दोस्त:-क्या बे मजे लिए की नही?
निरज:-अबे आज तो सिर्फ आँख सेकी।
दोस्त:-क्या किया फिर और?
निरज:- कुछ नही आज तो वॉर्मअप करवाया,क्या गजब फिगर है यार,
दोस्त:-हाँ वो तो देखा था उस दिन।
निरज:- उसकी गांड टाइट है एकदम और बूब्स भी तने हुए है।
दोस्त:-(हस्ते हुए) क्या खयाल है फिर?
निरज:- तू देखता जा,बस ,धीरे धीरे हाथो मैं लाना होगा,थोड़ी अच्छे घर से है।
दोस्त:-तूने कितनो को लाया है ये भी आ जायेगी।
निरज:- हां, मौका भी अच्छा है,उसका बेटा और पति नही होते घर पर।
दोस्त:- तब तो तेरे मजे है,चल मजे ले तू।
निरज:-हाँ
अब उधर हर्ष कॉलेज में था और सोच रहा था कि माँ ने अच्छे से किया होगा या नही। तो उसने निरज को कॉल किया।
निरज:-(अपने दोस्त को कहते हुए) देख उसके बेटे का फोन आ रहा है।
दोस्त:-उठा के बात कर।
निरज:-हेलो
मैं:-जी आज गए थे ना तुम?
निरज:-जी हाँ।
मैं:-माँ ने अच्छे से सब किया ना?
निरज:- जी आंटी ने सब अच्छे से किया है।
मैं:-चलो ठीक है यही जानने के लिए फोन किया था।
निरज:- जी ठीक है।
मैं:- रखता हूँ ।