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Misc. Erotica // शायरी - कुछ नंगी - कुछ कपड़ों के साथ //
#10
एक चूंची की आत्माकथा

मेरा जनम 12 साल बाद हुआ, रंग लायी मेरे चाहने वालों की दुआ;


जब मैं बिलकुल चूची थी, तब मैं फ्रॉक मैं सोती थी;

फिर मेरे आकार का विस्तार हुआ, निम्बू बड़ के अनार हुआ;

जब मैं बढ़ने लगी, सब की नज़र मुझ पर पड़ने लगी;

हुआ फिर ब्रा मेरा घर, अब लगने लगा मुझे डर;

जब मेरा साइज़ हुआ बड़ा, जाने कितनो का फिर हुआ खड़ा;

भीड़ में लड़कों ने हाथ मारा, मुझे एहसास हुआ बहुत प्यारा;

फिर न जाने कितनो ने दबाया, सच कहूं तो बड़ा मज़ा आया;

किसी ने प्यार से सहलाया, किसी को प्यार से चुसवाया;

किसी ने मुझे मसल दिया, किसी ने मुझ पर अपना रगड़ दिया;

अब जब मैं गयी झूल, सारे मुझ को गए भूल।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: // शायरी - कुछ नंगी - कुछ कपड़ों के साथ // - by suneeellpandit - 24-06-2021, 12:05 PM



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