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Misc. Erotica // शायरी - कुछ नंगी - कुछ कपड़ों के साथ //
#2
बड़ी इतराती है ना तू अपने हुस्न पर,
किसी दिन गांड में डाल दिया तो तिरछी-तिरछी चलेगी।



ये बारिश भी कितना कहर ढा रही है..
इस मौसम में भी वो गैरो से चुदवा रही है.!!


सतरंज में वजीर और चुदाई में शरीर,
साथ न दे तो खेल खत्म समझिये..!!

आशिक़ का जनाजा कब्र में पड़ा है,

आशिक़ का जनाजा कब्र में पड़ा है,
भोसड़ी वाले कि हड्डियां तो गल गयी,
लेकिन लंड अभी तक खड़ा है।

नेपाल चढ़ा पहाड़ पे करके चूतड़ चौड़े,
नीचे बैठा हिंदुस्तान बोला, उतर बहन के लौड़े।
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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RE: // शायरी - कुछ नंगी - कुछ कपड़ों के साथ // - by suneeellpandit - 24-06-2021, 11:43 AM



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