27-06-2021, 12:14 AM
अपडेट - 15
राज: हंस क्यों रही हो…उधर मूह करो अपना….
मैं: (हंसते हुए दूसरी तरफ मूह घूमाते हुए) अच्छा लो कर लिया….
राज: इधर मत देखना….
मैं: अच्छा बाबा नही देखती तुम कर लो…
राज डोर के पास जाकर खड़ा हो गया….मुझे उसके कपड़ों के सरकने की आवाज़ सुनाई दे रही थी….पर उस समय तक भी मेरे जेहन मे राज को लेकर ऐसा कोई ख़याल नही था….दो मिनिट हो चुके थे….पूरे घर मे सन्नाटा पसरा हुआ था…मेरा पति भी शायद अब बेहोश हो चुका था….इतनी दारू पीने के बाद होश किसे रहता है.
“कर लिया….” मैने मज़ाक मे हँसते हुए कहा
…”नही रूको अभी….”
मैं: हंसते हुए ) इतनी देर….पहले ही इतनी बारिश हो रही है….और ऊपेर से तुम हहा हाँ पूरा घर मत डुबो देना…
राज: (खीजते हुए) शट अप…..सीईईई….
राज को पहले कभी मेने इस तरह से चिढ़ते हुए नही देखा था….मैने मूह घुमा कर राज की तरफ देखा…राज की पीठ मेरी तरफ थी….”क्या हुआ बाबा..” मेने चिंता भरी आवाज़ मे कहा…
.”कुछ नही” राज ने फिर से उखड़ी हुई आवाज़ मे जवाब दिया…दो मिनिट और बीत चुके थे….
मैं: क्या हुआ बाबा बताओ तो सही…
राज: वो मुझे ऐसा लग रहा है कि, जैसे मुझे पेशाब आ रहा हो….पर बाहर नही निकल रहा….पता नही क्या हो गया है…..
मैं: अर्रे नही आ रहा तो रहने दो…..बाद मे कर लेना….
राज: नही ये देखो ये कैसी हार्ड हो रखी है…इधर आओ….
मुझे अब सच मे राज की चिंता होने लगी थी…अगर कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं क्या करती….मैं उठ कर राज के पास गयी…उसने अपने हाथ से अपनी लुली को छुपा रखा था….
”हाथ हटाओ पीछे देखू क्या हुआ है…” राज ने एक बार मेरी तरफ देखा. मैं घुटनो के बल नीचे बैठी हुई थी….फिर उसने अपना हाथ अपने बाबूराव से हटा लिया…और अगले ही पल मे एक दम से कांप गयी….राज का बाबूराव उस समय साढ़े 4 या 5 इंच के करीब था…पर एक दम हार्ड था…एक तना हुआ….
तभी राज के बाबूराव ने एक ज़ोर का झटका खाया….जिसे देख मैं कांप गयी….राज के बाबूराव के सुपाडे के ऊपेर चमड़ी चढ़ि हुई थी….”राज इसकी चमड़ी पीछे करके पेशाब करने की कॉसिश करो…..” राज ने अपने बाबूराव के सुपाडे की चमड़ी को पीछे करने की कॉसिश की पर फिर हाथ हटा लिया…..”ससिईईई”
मैं: क्या हुआ दर्द हो रहा है….?
राज: नही बहुत अजीब सा लग रहा है….ऐसा पहले कभी नही हुआ…
मैं: देखो इसकी चमड़ी पीछे होगी तो ही तुम्हे पेशाब आएगा….इसकी चमड़ी पीछे होती है ना….?
राज: हां होती है…पर जब ये सॉफ्ट होता है…
मैं: मैं करके देखूं….
राज के हार्ड और तने हुए बाबूराव को देख कर मेरा दिल मचलने लगा था कि, मैं उससे हाथ मे पकड़ कर देखूं….एक दम गोरा सॉफ बाबूराव था…जबकि मेरे पति का बाबूराव एक दम काला था…और बढ़ा सा था…”हां तुम करो दीपा भाभी….” मेने अपने काँपते हुए हाथ को धीरे-2 राज की बाबूराव की तरफ बढ़ाया…और धड़कते हुए दिल के साथ उसके बाबूराव पर रख दिया….जैसे ही मेने उसके बाबूराव को छुआ..मेरे बदन अजीब सी लहर दौड़ गयी…और साथ ही राज के बाबूराव ने मेरे हाथ मे झटका खाया…”सीईइ अह्ह्ह्ह दीपा भाभी…..” उसने मेरे कंधे के ऊपेर हाथ रखते हुए सिसकना शुरू कर दिया
…”क्या हुआ दर्द हो रहा है..” मेने राज के चेहरे की ओर देखते हुए कहा….राज की आँखे बंद हो रही थी….
राज: नही बहुत अच्छा फील हो रहा है….अब दर्द नही हो रहा है…..
मेरा दिल भी बहकने लगा था….मेने राज के बाबूराव को धीरे- 2 सहलाना शुरू कर दिया…राज और सिसकने लगा….”अब कैसे लग रहा है राज….” मेने राज की ओर देखते हुए कहा
…”बहुत अच्छा फील हो रहा है….सीईईई ऐसे ही करते रहो….राज बाबा का बाबूराव और तन गया था….और मुझे अपनी चुनमुनियाँ पर तेज सरसराहट से महसूस हो रही थी. और मेरी चुनमुनियाँ में मुझे गीला पन महसूस होने लगा था….राज बाबा के एक दम गोरे बाबूराव को देख कर मे बहकने लगी थी….
पर अगले ही पल मुझे अहसास हुआ कि, मैं ये क्या करने जा रही हूँ….मैने राज बाबा का बाबूराव छोड़ा और फिर से उस गद्दे पर आकर लेट गयी…..राज बाबा ने मुझे आवाज़ दी..पर मैं कुछ ना बोल सकी…..तभी मुझे अहसास हुआ कि, राज बाबा मेरे पीछे आकर लेट गये है….और उनका बाबूराव मुझे अपनी गान्ड के ऊपेर पीठ पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. मेरा बदन एक दम से कांप गया….”दीपा भाभी…इसे ठीक कर दो ना..बहुत दर्द हो रहा है….”
मैं: (कांपती हुई आवाज़ मे) बाबा ये ये अपने आप ठीक हो जाएगा थोड़ी देर मे….
राज: नही देखो ना….अब ये और हार्ड हो गया है….प्लीज़ इसे ठीक कर दो ना…
मैं: नही बाबा आप समझ क्यों नही रहे है….ये पाप है….
राज: पाप कैसे है….मुझे नही पता प्लीज़ इसे ठीक कर दो…..प्लीज़ मुझे बहुत बेचैनी से महसूस हो रही है….देखो ना इधर….
राज बाबा ने मेरे कंधे को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमाने की कॉसिश की, और फिर मैं खुद ही उनकी तरफ करवट लेकर घूम गयी….मेने जब नीचे देखा तो मेरे दिल की धड़कने फिर से तेज हो गयी….राज बाबा का बाबूराव झटके खा रहा था…और उसके हर झटके के साथ मेरा दिल उछले जा रहा था…
.”प्लीज़ इसे ठीक करो ना….” राज बाबा ने किसी बच्चे की तरह मेरे गाल को सहलाते हुए कहा…मेने एक बार फिर से राज बाबा के बाबूराव पर नज़र डाली…भले ही राज बाबा का बाबूराव उस समय इतना बड़ा नही था. पर इतना हार्ड था कि, कोई भी औरत उससे बहुत मज़ा ले सकती थी….
मैं: (कांपती हुई आवाज़ मे) ये ये ऐसे ठीक नही होगा राज बाबा….
अब वासना का नशा मुझ पर हावी होने लगा था….दिल के किसी कोने से एक आवाज़ ज़रूर आ रही थी कि, जो मैं कर रही हूँ…वो सरासर ग़लत है….पर कई दिनो से मेरी प्यासी चुनमुनियाँ की आवाज़ के सामने दिल और दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था…
.”तो कैसे ठीक होगा….प्लीज़ मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है….” मैने राज के बाबूराव को हाथ नीचे लेजा कर अपने हाथ मे पकड़ कर दबाया तो राज एक दम से सिसक उठा…..”सीईइ दीपा भाभी….” मैने राज के चेहरे की ओर देखा तो उसकी आँखे धीरे-2 बंद हो रही थी…
मैं: दर्द हो रहा है…..?
राज: नही सीईईई….जब तुम इसे पकड़ती हो तो अच्छा फील होता है…..ये कैसे ठीक होगा…आह प्लीज़ इसे ठीक करो ना….
मैं: राज बाबा मैं इसे ठीक कर सकती हूँ…पर पहले तुम मुझसे प्रॉमिस करो कि, ये बात किसी को नही बताओगे….
राज: सीईइ ठीक है नही बताउन्गा जल्दी करो….
मेने राज के बाबूराव को छोड़ा और उठ कर खड़ी हो गयी….राज मेरी तरफ सवालियों नज़रों से देख रहा था….”क्या हुआ ?” राज ने अपने बाबूराव के आगे हाथ रखते हुए कहा….”कुछ नही मैं अभी आती हूँ…” ये कह कर मैं रूम के डोर पर आई तो देखा कि बाहर बारिश अब हलकी हो चुकी थी….हलकी-2 फुहार पड़ रही थी… मैं जल्दी से पिछले रूम की तरफ भागी…जिसमे मेरा पति लेटा हुआ था….रूम के अंदर आकर मेने अपने पति को पकड़ कर ज़ोर-2 से हिलाया….पर वो शराब के नशे मे धुत सोया हुआ था..
नीचे खाली बॉटल चारपाई पर पड़ी हुई थी….मैने अपने पेटिकोट को पकड़ कर ऊपेर उठाया और अपनी पेंटी को उतार कर हाथ मे पकड़ लिया…मैं रूम से बाहर आई, और रूम के डोर को बाहर से लॉक कर दिया…और फिर से उस बैठक मे आ गयी…मेरी चुनमुनियाँ मे यही सोच कर धुनकी की तरह धुनकने लगी थी कि, राज बाबा का बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ मे जाने वाला है….मेने बैठक मे आकर अपनी गीली साड़ी के नीचे राज की नज़रों से बचा कर अपनी पेंटी को रख दिया…”राज बाबा आप सच मे किसी को बताओगे तो नही…?”
राज: नही बताऊ….अब जल्दी इसे ठीक करो….
मैं राज के पास जाकर लेट गये…और उसके हाथ को उसके बाबूराव के आगे से हटाया, और उसके तने हुए बाबूराव को अपने हाथ मे कस्के पकड़ लिया…”सीईईई ओह” राज ने सिसकते हुए मेरे कंधे को कस्के पकड़ लिया….मेने हम दोनो के ऊपेर कंबल को ओढ़ लिया…और राज के बाबूराव को हिलाते हुए, दूसरे हाथ से अपने पेटिकॉट को धीरे-2 खिसका कर कमर तक ऊपर उठा लिया….मैने राज के कान मे उसे अपने ऊपेर आने को कहा…और उसे अपने ऊपेर खेंचने लगी…जैसे ही राज मेरे ऊपेर आया, मेने उसके पेंट को खिसका कर उसकी टाँगो से सरका दिया…..और अपनी टाँगो को फेला कर उसे अपनी टाँगो के बीच मे लेटा लिया….
राज का तना हुआ बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ के थोड़ा सा ऊपेर मेरे पेट पर रगड़ खाने लगा…मैं उसके तने हुए बाबूराव को अपने नंगे जिस्म पर महसूस करके एक दम से मस्त हो गयी. वासना की खुमारी मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी….मेने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राज के बाबूराव को पकड़ा और अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर फैलाते हुए, राज के बाबूराव के सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर रख दिया….राज के बाबूराव के सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ पर महसूस करते ही मेरा पूरा बदन थरथरा उठा. चुनमुनियाँ की फांके राज के बाबूराव को अपने अंदर लेने के लिए कुलबुलाने लगी…
राज: हंस क्यों रही हो…उधर मूह करो अपना….
मैं: (हंसते हुए दूसरी तरफ मूह घूमाते हुए) अच्छा लो कर लिया….
राज: इधर मत देखना….
मैं: अच्छा बाबा नही देखती तुम कर लो…
राज डोर के पास जाकर खड़ा हो गया….मुझे उसके कपड़ों के सरकने की आवाज़ सुनाई दे रही थी….पर उस समय तक भी मेरे जेहन मे राज को लेकर ऐसा कोई ख़याल नही था….दो मिनिट हो चुके थे….पूरे घर मे सन्नाटा पसरा हुआ था…मेरा पति भी शायद अब बेहोश हो चुका था….इतनी दारू पीने के बाद होश किसे रहता है.
“कर लिया….” मैने मज़ाक मे हँसते हुए कहा
…”नही रूको अभी….”
मैं: हंसते हुए ) इतनी देर….पहले ही इतनी बारिश हो रही है….और ऊपेर से तुम हहा हाँ पूरा घर मत डुबो देना…
राज: (खीजते हुए) शट अप…..सीईईई….
राज को पहले कभी मेने इस तरह से चिढ़ते हुए नही देखा था….मैने मूह घुमा कर राज की तरफ देखा…राज की पीठ मेरी तरफ थी….”क्या हुआ बाबा..” मेने चिंता भरी आवाज़ मे कहा…
.”कुछ नही” राज ने फिर से उखड़ी हुई आवाज़ मे जवाब दिया…दो मिनिट और बीत चुके थे….
मैं: क्या हुआ बाबा बताओ तो सही…
राज: वो मुझे ऐसा लग रहा है कि, जैसे मुझे पेशाब आ रहा हो….पर बाहर नही निकल रहा….पता नही क्या हो गया है…..
मैं: अर्रे नही आ रहा तो रहने दो…..बाद मे कर लेना….
राज: नही ये देखो ये कैसी हार्ड हो रखी है…इधर आओ….
मुझे अब सच मे राज की चिंता होने लगी थी…अगर कुछ गड़बड़ हो गयी तो मैं क्या करती….मैं उठ कर राज के पास गयी…उसने अपने हाथ से अपनी लुली को छुपा रखा था….
”हाथ हटाओ पीछे देखू क्या हुआ है…” राज ने एक बार मेरी तरफ देखा. मैं घुटनो के बल नीचे बैठी हुई थी….फिर उसने अपना हाथ अपने बाबूराव से हटा लिया…और अगले ही पल मे एक दम से कांप गयी….राज का बाबूराव उस समय साढ़े 4 या 5 इंच के करीब था…पर एक दम हार्ड था…एक तना हुआ….
तभी राज के बाबूराव ने एक ज़ोर का झटका खाया….जिसे देख मैं कांप गयी….राज के बाबूराव के सुपाडे के ऊपेर चमड़ी चढ़ि हुई थी….”राज इसकी चमड़ी पीछे करके पेशाब करने की कॉसिश करो…..” राज ने अपने बाबूराव के सुपाडे की चमड़ी को पीछे करने की कॉसिश की पर फिर हाथ हटा लिया…..”ससिईईई”
मैं: क्या हुआ दर्द हो रहा है….?
राज: नही बहुत अजीब सा लग रहा है….ऐसा पहले कभी नही हुआ…
मैं: देखो इसकी चमड़ी पीछे होगी तो ही तुम्हे पेशाब आएगा….इसकी चमड़ी पीछे होती है ना….?
राज: हां होती है…पर जब ये सॉफ्ट होता है…
मैं: मैं करके देखूं….
राज के हार्ड और तने हुए बाबूराव को देख कर मेरा दिल मचलने लगा था कि, मैं उससे हाथ मे पकड़ कर देखूं….एक दम गोरा सॉफ बाबूराव था…जबकि मेरे पति का बाबूराव एक दम काला था…और बढ़ा सा था…”हां तुम करो दीपा भाभी….” मेने अपने काँपते हुए हाथ को धीरे-2 राज की बाबूराव की तरफ बढ़ाया…और धड़कते हुए दिल के साथ उसके बाबूराव पर रख दिया….जैसे ही मेने उसके बाबूराव को छुआ..मेरे बदन अजीब सी लहर दौड़ गयी…और साथ ही राज के बाबूराव ने मेरे हाथ मे झटका खाया…”सीईइ अह्ह्ह्ह दीपा भाभी…..” उसने मेरे कंधे के ऊपेर हाथ रखते हुए सिसकना शुरू कर दिया
…”क्या हुआ दर्द हो रहा है..” मेने राज के चेहरे की ओर देखते हुए कहा….राज की आँखे बंद हो रही थी….
राज: नही बहुत अच्छा फील हो रहा है….अब दर्द नही हो रहा है…..
मेरा दिल भी बहकने लगा था….मेने राज के बाबूराव को धीरे- 2 सहलाना शुरू कर दिया…राज और सिसकने लगा….”अब कैसे लग रहा है राज….” मेने राज की ओर देखते हुए कहा
…”बहुत अच्छा फील हो रहा है….सीईईई ऐसे ही करते रहो….राज बाबा का बाबूराव और तन गया था….और मुझे अपनी चुनमुनियाँ पर तेज सरसराहट से महसूस हो रही थी. और मेरी चुनमुनियाँ में मुझे गीला पन महसूस होने लगा था….राज बाबा के एक दम गोरे बाबूराव को देख कर मे बहकने लगी थी….
पर अगले ही पल मुझे अहसास हुआ कि, मैं ये क्या करने जा रही हूँ….मैने राज बाबा का बाबूराव छोड़ा और फिर से उस गद्दे पर आकर लेट गयी…..राज बाबा ने मुझे आवाज़ दी..पर मैं कुछ ना बोल सकी…..तभी मुझे अहसास हुआ कि, राज बाबा मेरे पीछे आकर लेट गये है….और उनका बाबूराव मुझे अपनी गान्ड के ऊपेर पीठ पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस हुआ. मेरा बदन एक दम से कांप गया….”दीपा भाभी…इसे ठीक कर दो ना..बहुत दर्द हो रहा है….”
मैं: (कांपती हुई आवाज़ मे) बाबा ये ये अपने आप ठीक हो जाएगा थोड़ी देर मे….
राज: नही देखो ना….अब ये और हार्ड हो गया है….प्लीज़ इसे ठीक कर दो ना…
मैं: नही बाबा आप समझ क्यों नही रहे है….ये पाप है….
राज: पाप कैसे है….मुझे नही पता प्लीज़ इसे ठीक कर दो…..प्लीज़ मुझे बहुत बेचैनी से महसूस हो रही है….देखो ना इधर….
राज बाबा ने मेरे कंधे को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमाने की कॉसिश की, और फिर मैं खुद ही उनकी तरफ करवट लेकर घूम गयी….मेने जब नीचे देखा तो मेरे दिल की धड़कने फिर से तेज हो गयी….राज बाबा का बाबूराव झटके खा रहा था…और उसके हर झटके के साथ मेरा दिल उछले जा रहा था…
.”प्लीज़ इसे ठीक करो ना….” राज बाबा ने किसी बच्चे की तरह मेरे गाल को सहलाते हुए कहा…मेने एक बार फिर से राज बाबा के बाबूराव पर नज़र डाली…भले ही राज बाबा का बाबूराव उस समय इतना बड़ा नही था. पर इतना हार्ड था कि, कोई भी औरत उससे बहुत मज़ा ले सकती थी….
मैं: (कांपती हुई आवाज़ मे) ये ये ऐसे ठीक नही होगा राज बाबा….
अब वासना का नशा मुझ पर हावी होने लगा था….दिल के किसी कोने से एक आवाज़ ज़रूर आ रही थी कि, जो मैं कर रही हूँ…वो सरासर ग़लत है….पर कई दिनो से मेरी प्यासी चुनमुनियाँ की आवाज़ के सामने दिल और दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था…
.”तो कैसे ठीक होगा….प्लीज़ मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है….” मैने राज के बाबूराव को हाथ नीचे लेजा कर अपने हाथ मे पकड़ कर दबाया तो राज एक दम से सिसक उठा…..”सीईइ दीपा भाभी….” मैने राज के चेहरे की ओर देखा तो उसकी आँखे धीरे-2 बंद हो रही थी…
मैं: दर्द हो रहा है…..?
राज: नही सीईईई….जब तुम इसे पकड़ती हो तो अच्छा फील होता है…..ये कैसे ठीक होगा…आह प्लीज़ इसे ठीक करो ना….
मैं: राज बाबा मैं इसे ठीक कर सकती हूँ…पर पहले तुम मुझसे प्रॉमिस करो कि, ये बात किसी को नही बताओगे….
राज: सीईइ ठीक है नही बताउन्गा जल्दी करो….
मेने राज के बाबूराव को छोड़ा और उठ कर खड़ी हो गयी….राज मेरी तरफ सवालियों नज़रों से देख रहा था….”क्या हुआ ?” राज ने अपने बाबूराव के आगे हाथ रखते हुए कहा….”कुछ नही मैं अभी आती हूँ…” ये कह कर मैं रूम के डोर पर आई तो देखा कि बाहर बारिश अब हलकी हो चुकी थी….हलकी-2 फुहार पड़ रही थी… मैं जल्दी से पिछले रूम की तरफ भागी…जिसमे मेरा पति लेटा हुआ था….रूम के अंदर आकर मेने अपने पति को पकड़ कर ज़ोर-2 से हिलाया….पर वो शराब के नशे मे धुत सोया हुआ था..
नीचे खाली बॉटल चारपाई पर पड़ी हुई थी….मैने अपने पेटिकोट को पकड़ कर ऊपेर उठाया और अपनी पेंटी को उतार कर हाथ मे पकड़ लिया…मैं रूम से बाहर आई, और रूम के डोर को बाहर से लॉक कर दिया…और फिर से उस बैठक मे आ गयी…मेरी चुनमुनियाँ मे यही सोच कर धुनकी की तरह धुनकने लगी थी कि, राज बाबा का बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ मे जाने वाला है….मेने बैठक मे आकर अपनी गीली साड़ी के नीचे राज की नज़रों से बचा कर अपनी पेंटी को रख दिया…”राज बाबा आप सच मे किसी को बताओगे तो नही…?”
राज: नही बताऊ….अब जल्दी इसे ठीक करो….
मैं राज के पास जाकर लेट गये…और उसके हाथ को उसके बाबूराव के आगे से हटाया, और उसके तने हुए बाबूराव को अपने हाथ मे कस्के पकड़ लिया…”सीईईई ओह” राज ने सिसकते हुए मेरे कंधे को कस्के पकड़ लिया….मेने हम दोनो के ऊपेर कंबल को ओढ़ लिया…और राज के बाबूराव को हिलाते हुए, दूसरे हाथ से अपने पेटिकॉट को धीरे-2 खिसका कर कमर तक ऊपर उठा लिया….मैने राज के कान मे उसे अपने ऊपेर आने को कहा…और उसे अपने ऊपेर खेंचने लगी…जैसे ही राज मेरे ऊपेर आया, मेने उसके पेंट को खिसका कर उसकी टाँगो से सरका दिया…..और अपनी टाँगो को फेला कर उसे अपनी टाँगो के बीच मे लेटा लिया….
राज का तना हुआ बाबूराव मेरी चुनमुनियाँ के थोड़ा सा ऊपेर मेरे पेट पर रगड़ खाने लगा…मैं उसके तने हुए बाबूराव को अपने नंगे जिस्म पर महसूस करके एक दम से मस्त हो गयी. वासना की खुमारी मेरे सर चढ़ कर बोलने लगी थी….मेने अपना एक हाथ नीचे लेजा कर राज के बाबूराव को पकड़ा और अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर फैलाते हुए, राज के बाबूराव के सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ के छेद पर रख दिया….राज के बाबूराव के सुपाडे को अपनी चुनमुनियाँ पर महसूस करते ही मेरा पूरा बदन थरथरा उठा. चुनमुनियाँ की फांके राज के बाबूराव को अपने अंदर लेने के लिए कुलबुलाने लगी…