22-06-2021, 03:55 PM
जितेश - मैंने गिरधारी को फोन करके शाम को और असलहा कारतूस लाने को कहा था। तुम लोग भी थोड़ा बहुत अपना के साथ में चलो। हम सिर्फ पांच हैं और वहां का तो पता ही होगा, सूर्य देव के कुत्तों की तरह कितने आदमी लगे होंगे?
विनोद - मेरे पास तो कुछ रहा नहीं। मैंने तो दुनिया ही छोड़ दी थी।
साकी - ठीक है, कोई बात नहीं, मैं इंतजाम कर दूंगा , जितेश तेरे पास कितने कारतूस है।
जितेश - मेरे पास अभी 12 कारतूस है। दो पिस्टल और एक चाकू है। गिरधारी से मैंने एक और पिस्टल और कम से कम 20 कारतूस लाने को कहा है |
जितेश - अगर गोलाबारी शुरू हुई तो मान के चलो इतनी जल्दी तो नहीं छोड़ेंगे | राइफल को लेकर छुपा के चलना बड़ा मुश्किल है और सिक्युरिटी की नजर पड़ गई तो सूर्य देव के अड्डे पर पहुंचने से पहले ही धरे जाएंगे।
रहीम - तो फिर कुछ ना कुछ और तो करना पड़ेगा। बिना राइफल के मैं नहीं जाने वाला हूं। सिर्फ पिस्टल से क्या होगा?
साकी - हां, मैं भी इसकी बात से सहमत हूं। हम पिस्टल से उनके आदमी का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अगर बात बिगड़ी तो हमें सब को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
विनोद - बात तो सही कह रहे हो तो क्या किया जाए? तो वैसे सूर्य देव ने कहां बुलाया वही उसका पुराना अड्डा मिल्क पुराना मिल कंपाउंड!
जितेश - ठीक है। क्या प्लान है?
विनोद - हमें एक साथ नहीं जाना चाहिए और कोशिश करो एक दो और आदमी का इंतजाम कर सकते हो तो कर लो।
विनोद -प्लान के हिसाब से मै और जितेश दोनों सूर्य देव से बात करने जायेगेऔर बाकी सब लोग सपोर्ट के लिए मिल के अंदर और बाहर रहेंगे।
विनोद - मिल का नक्शा हो तो ठीक रहेगा। गुड्डू को हम गेट के पास रख देंगे ताकि आसपास के मूवमेंट की खबर होती रहे और साकी पिछले गेट पर पहरा देना | रहीम ऑटो से मछली लेकर अन्दर जायेगा और सीट के नीचे रायफल या बन्दुक जो हो सके वो रख लेना | जैसे ही किसी को भी खतरा लगे तो सबको तुरंत आगाह करना | यह हमारा साथ में आखरी काम है। इसके बाद हम और कोई काम नहीं करना और जितेश तुम्हारे एक सलाह है। औरत के चक्कर में मत पड़ो, चूत बहुत कुत्ती चीज होती है मेरी सलाह मानो दूर रहो दूर रहो। कुत्ते की तरह मारे जाओगे, मैं बता रहा हूं।
सभी बैठ करके खाना खाने लगे और शाम होने का इंतजार करने लगे। अभी काफी वक्त था तो? सभी के लिए ढाबे वाला शराब के पैग बना कर दे गया और उसने वहां पर मुर्गे के कुछ टुकड़े भी रख दिए थे। जिनको भी करके शराब पीने लगे और ताश खेलने लगे। ताश खेलते शाम के 5:00 बज गया। जितेश ने गिरधारी को को फोन मिलाया लेकिन गिरधारी ने फोन नहीं उठाया। जितेश ने सोचा हो सकता वह कहीं बिजी हो घड़ी में 5:30 बजते ही जितेश और विनोद एक मोटरसाइकिल पर चुपचाप पुरानी मिल कंपाउंड की तरफ रवाना हो गए। दूसरी बाइक पर साकी , और तीसरी पर गुड्डू उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। रहीम ऑटो लेकर के उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। ऑटो के अंदर जो बड़ी देसी दुनाली बंदूक यदि जो कभी भी इमरजेंसी के वक्त काम आ सकती थी। ऑटो के अंदर रहीम ने मछलियों की टोकरियाँ रख ली क्योंकि वह इसी के सहारे मिल कंपाउंड के अंदर घुसने वाला था |
इन सब ने पहले से तैयारी कर रखी थी। उन्हें पता था कि मिल कंपाउंड के अंदर सूर्य देव के आदमियों के लिए खाना बनने के लिए सामान जाता है। उस ऑटोवाले को जितेश ने पैसे देकर उसका ऑटो ले लिया और रहीम को दे दिया था | मछली भरे ऑटो को कौन रोकता और कौन मछलियों की बदबू सूंघता | इसलिए रहीम का मिल में घुसना आसान था | लेकिन जितेश को चिंता थी कि गिरधारी का फोन क्यों नहीं उठा रहा है। जाने से पहले एक बार उसने फिर 5:30 बजे गिरधारी को फोन मिलाया, लेकिन गिरधारी का फोन अभी भी बंद था। गिरधारी ने फोन नहीं उठाया।
सब मिलकर अपने अपने प्लान के अनुसार मिल कंपाउंड पहुंचे..... पुराना मिल कंपाउंड असल में एक शुगर मिल का कंपाउंड था, जिसके अंदर अब तीन गेहू के गोदाम बना दिए गए थे और बाकी पुरानी मिल कंपाउंड के अंदर से सारे अवैध धंधे सूर्यदेव चलाता था, जिसमें लड़कियों की तस्करी, नशे की तस्करी, कच्ची शराब का धंधा, हथियारों की तस्करी सब कुछ शामिल था। सिक्युरिटी को भी पता था लेकिन सिक्युरिटी वहां नहीं जाती थी क्योंकि उसे हर हफ्ते बिजनेस पाटनर की तरह उनका कट थाने पहुंच जाता था।
सबसे पहले रहीम मिल कंपाउंड के अंदर दाखिल हुआ। और इधर उधर पूरी तरह से घुमाते हुए जो भी रास्ता उसे नजर उस पर टहलते हुए घूम कर के वह एक जगह पर खड़ा हो गया और एक आदमी से पूछा, भाई मछली लाया हूँ कहां ले जानी है | गार्ड ने घूर कर रहीम को देखा |
गार्ड - मनोज कहाँ है और तुम कौन हो |
रहीम - जी जीजा जी आज बीमार है इसलिए मुझे भेज दिया |
गार्ड - ठीक है ठीक है
गार्ड ने रसोई का रास्ता दिखा दिया। रहीम ने ऑटो उधर ही बढ़ा दिया के चलते ही फोन मिला दिया और जितेश को रास्ता क्लियर होने की बात कह दी। जितेश रहीम का फोन आते ही अपनी बाइक के साथ में मिल कंपाउंड के गेट पर आ गया। यहां 8 गार्डन मुस्तैदी से खड़े थे।
सबने घूर कर उन्हें देखा, विनोद और जितेश ने भी घूरा। एक उसमें से चौड़ा सा लंबा सा आदमी काला आगे बढ़ा - क्या चाहिए ?
विनोद - हमें सूर्यदेव से मिलना है?
काला आदमी - कौन सूर्यदेव ?
जितेश ने बिना ही दबाव में आए - तुम्हारा बाप सूर्य देव। उसने हमें बुलाया है।
काला आदमी आखे बड़ी बड़ी करके जितेश को घूरने लगा - नाम ?
जितेश - जितेश और विनोद |
काला आदमी पीछे हटते हुए किसी से खुसुर फुसुर करने लगा | एक आदमी ने फ़ोन मिलाया | कुछ देर के इन्तजार के बाद - ठीक है, तुम जा सकते हो, लेकिन तलासी लेनी होगी ?
जितेश - अगर तलाशी लोगे तो हम अंदर नहीं जाएंगे। उसने पहले ही पिस्टल निकाल कर दिखा दी। हमारी सुरक्षा के लिए और इसके बिना हम अन्दर नहीं जायेगे |
विनोद - मै भी नहीं ।
काला आदमी अपनी पिस्टल निकालता हुआ - निकल यहाँ से |
जितेश भी उसे घूरने लगा | एक पल नहीं लगा जितेश ने भी पिस्टल तान दी | देखेते ही देखते सभी गार्ड ने अपने हथियार उठा लिए |
विनोद ने बात बिगडती देख - जितेश हम यहाँ लड़ने नहीं आये है, काले आदमी से सूर्य देव से बात कराओ अभी के अभी, वर्ना गोलिया चल जाएगी यहाँ ।
काला आदमी - गार्डो को बोला - देख क्या रहे हो, पकड़ो सालों को | सभी अपने अपने हथियार थामे उन दोनों की तरफ बढ़ने लगे |
विनोद - मै कह रहा हूँ तुम सालो गलती कर रहे हो, सूर्य देव को जो चाहिए वो हमारे पास है और हमसे पंगा लेकर तुम अपनी मौत बुला रहे हो | हमें कुछ हुआ न तो सूर्य देव तुम्हें सीधे गोली मार देगा |
काला आदमी - पीछे हटो वरना यही लाश पड़ी मिलेगी तुम दोनों की |
विनोद - कलूटे तेरे सूर्य देव टुकड़े करके कुत्तो को खिला देगा जब उसे पता चलेगा, हम मैडम की इंफॉर्मेशन लेकर आये थे और तूने हमें मिल में घुसने तक नहीं दिया |
काले आदमी के चेहरे का जैसे रंग उड़ गया | उसे पता था कुछ दिन पहले एक औरत मिल कंपाउंड से भाग गयी थी और सूर्य देव ने उस गार्ड को सबके सामने गोली मार दी थी | उसने झट से कही फ़ोन मिलाया | फ़ोन एक लड़की ने उठाया |
काला आदमी - साहब से बात कराओ |
लड़की ने फ़ोन सूर्य देव को दे दिया |
सूर्य देव - हाँ बोलो |
काला आदमी - साहब असलहा लेकर आ रहे है | इसके बिना जाने को तैयार नहीं है |
सूर्य देव - कितने आदमी है |
काला आदमी - साहब दो , कह रहे है मैडम की इनफार्मेशन है |
सूर्य देव - बात कराओ जरा |
सूर्य देव - जितेश बोलो!
जितेश - कैसे हो सूर्य देव मैं बढ़िया हूं तुम बताओ। जो तुम्हें चाहिए वह शायद हम तुम्हारे लिए ढूंढ सकते हैं। लेकिन तुम्हारा यह पालतू मुझे अंदर ही आने दे रहा है और बिना औजारों के हम अन्दर नहीं आएंगे। तुम्हारा कोई भरोसा नहीं। पिछली बार भी हम सच्चे थे तो भी तुमने हम पर गोलियां चलवा दी थी। किस्मत हमारी अच्छी थी। हम बच गए थे। हम तुम पर भरोसा नहीं कर सकते।
सूर्यदेव खामोश रहा |
जितेश - मैडम चाहिए तुमको या नहीं ।
सूरज ने फोन पर हाथ रख कर एक भद्दी सी गाली दी जितेश को |
सूर्यदेव गार्ड को फोन देने को बोला - ठीक है गार्ड का फोन दो।
सूर्यदेव गार्ड से - आने दो, सबको चौकन्ना कर दो | सबकी बन्दूको के निशाने पर इनकी खोपड़ियाँ रहनी चाहिये | |
जितेश और विनोद दोनों फिर से मोटरसाइकिल बैठ के अंदर घुस गए।
जितेश बाइक चला रहा था लेकिन उसकी नजरे चारो तरफ दौड़ रही थी। हर रास्ते को गौर से देख रहा था और आसपास उसकी तरफ नाल ताने खड़े आदमियों को | सूर्य देव के आदमी टकटकी लगाए उसी की तरफ घूर घूर के देख रहे थे। वो समझ गया था, कोई मौका नहीं छोड़ने वाला है।
विनोद जितेश के कान में धीरे से - साला इसने तो सारी फ़ौज ही हमारी कनपटी पर तान दी है। हमें यहां आना ही नहीं चाहिए था | कुछ गड़बड़ हुई तो चने की भून दिए जायेगे |
जितेश - सही किया जो असलहा लेकर आये है भोसड़ी वाला में कुत्ते की तरह मार डालता हैअगर हम खाली हाथ आते | चलो जो होगा देखा जाएगा। कुछ गड़बड़ करी तो भोसड़ी वाले को आज ही टपका के जाएंगे।
विनोद - वो ऐसा कुछ नहीं करेगा। जितेश निश्चिंत रहो।
जितेश - क्योंकि अगर उसने ऐसा किया। तो फिर आज उसे? विलास बोटी बोटी में काट डालेगा।
विनोद - तू ससुरा इतना कॉन्फिडेंस में कैसे है , वैसे तूने उस औरत को कहां रखा हुआ है |
जितेश - मैडम जहाँ है सुरक्षित है सही समय पर बता दूंगा , दोस्त भरोसा करो।
विनोद - भरोसा है बिटवा तभी तो हम आए हैं। वरना पैसो के लिए कोई जिंदगी तोड़े दांव पर लगाता है |
कुछ देर बाइक चलाने के बाद जितेश एक बड़े से गोदाम के गेट के सामने बाइक रोकी दोनों उतर कर अंदर गए। वहां पर गार्ड खड़ा था। गार्ड को देखते जितेश ने अन्दर जाने को बोला। गार्ड ने बिना कुछ कहे चुपचाप गेट खोल दिया। अंदर जाने के बाद एक लंबे से गलियारे में चलने के बाद में जितेश एक छोटे से केबिन के सामने पहुंच गया। केबिन के चारों तरफ से शीशे लगे हुए थे | वहां पर एक खूबसूरत सी लड़की बाहर रिसेप्शन बैठी थी। सर मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं?
जितेश - सूर्यदेव से मिलना है जितेश नाम है मेरा |
लड़की ने फोन मिलाया उसके बाद कुछ बात करने के बाद - सर आप सोफे पर बैठिये | सर अभी बिजी है फ्री होते ही आपको बुलायेगे |
जितेश और विनोद वही सोफे पर बैठ गये। रिसेप्शन पर बैठी हुई लड़की से अपना काम करने लगी। सर आपको कुछ चाहिए कुछ खाएंगे। कुछ चाय नाश्ता |
जितेश - नहीं नहीं, हम ऐसे ही ठीक है।
थोड़ी देर बाद लड़की उठकर के अंदर की तरफ गई। लड़की पूरी तरह से फॉर्मल ड्रेस में थी , लेकिन उसकी स्कर्ट जरूरत से ज्यादा छोटी थी। तब उसकी गोरी गोरी जांघे साफ-साफ ने नुमाया हो रही थी। बालक उसकी जांघों को देखते हुए ससुरा यह साला पहले भी रंडी बाज था। अभी भी साला रंडी बाज है। ऐसी लड़कियों को साला इस खंडहर फैक्ट्री के अंदर नौकरी दे रखा है। भोसड़ी वाला हमेशा कड़क चूत को ही काम पर रखता है बिना चोदे तो साला छोड़ता नहीं होगा रात में।
जितेश और विनोद कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे लड़की थोड़ी देर बाद आई मुस्कुराते हुए और बोली सर आपने मेरे साथ आइये । असल में सूर्यदेव कुछ कर नहीं रहा था बल्कि जितेश और विनोद को face करने की हिम्मत जुटा रहा था | भले ही सूर्यदेव अपने किले में अपनी फ़ौज के बीच में था लेकिन हिम्मत तो इंसान के जिगर में ही पैदा होती है और सूर्यदेव एक नंबर का फट्टू था शुरू से |
दोनों उस लड़की के मटकते चूतड़ देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगे | लड़की ने केबिन का शीशा खोला और अंदर गई। अंदर बढ़िया ऐसी चल रहा था और उस में बहुत अच्छे-अच्छे लग्जरी सोफे पड़े हुए थे । जितेश! और विनोद को बैठने को कहा।
लड़की वापस बाहर चली गयी | कमरा पूरी तरह से किसी फाइव स्टार किसी मल्टीनेशनल कंपनी के ऑफिस जैसा था। बाहर से कोई भी नहीं कह सकता था कि फैक्ट्री के अंदर कोई इतना शानदार ऑफिस होगा।
सोफे काफी दूर में पड़े हुए थे जिनमें कम से 5 से 10 आदमी बैठ सकते थे। उसके सामने एक बड़ी सी मेज पड़ी हुई थी। जाहिर सी बात है।कुछ देर बाद सूर्यदेव अपने तीन आदमियों के साथ केबिन में घुसा तीनों आदमियों के हाथ में बढ़िया सी कार्बाइन वाली मल्टी बैरल बंदूक थी।
विनोद - मेरे पास तो कुछ रहा नहीं। मैंने तो दुनिया ही छोड़ दी थी।
साकी - ठीक है, कोई बात नहीं, मैं इंतजाम कर दूंगा , जितेश तेरे पास कितने कारतूस है।
जितेश - मेरे पास अभी 12 कारतूस है। दो पिस्टल और एक चाकू है। गिरधारी से मैंने एक और पिस्टल और कम से कम 20 कारतूस लाने को कहा है |
जितेश - अगर गोलाबारी शुरू हुई तो मान के चलो इतनी जल्दी तो नहीं छोड़ेंगे | राइफल को लेकर छुपा के चलना बड़ा मुश्किल है और सिक्युरिटी की नजर पड़ गई तो सूर्य देव के अड्डे पर पहुंचने से पहले ही धरे जाएंगे।
रहीम - तो फिर कुछ ना कुछ और तो करना पड़ेगा। बिना राइफल के मैं नहीं जाने वाला हूं। सिर्फ पिस्टल से क्या होगा?
साकी - हां, मैं भी इसकी बात से सहमत हूं। हम पिस्टल से उनके आदमी का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। अगर बात बिगड़ी तो हमें सब को अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
विनोद - बात तो सही कह रहे हो तो क्या किया जाए? तो वैसे सूर्य देव ने कहां बुलाया वही उसका पुराना अड्डा मिल्क पुराना मिल कंपाउंड!
जितेश - ठीक है। क्या प्लान है?
विनोद - हमें एक साथ नहीं जाना चाहिए और कोशिश करो एक दो और आदमी का इंतजाम कर सकते हो तो कर लो।
विनोद -प्लान के हिसाब से मै और जितेश दोनों सूर्य देव से बात करने जायेगेऔर बाकी सब लोग सपोर्ट के लिए मिल के अंदर और बाहर रहेंगे।
विनोद - मिल का नक्शा हो तो ठीक रहेगा। गुड्डू को हम गेट के पास रख देंगे ताकि आसपास के मूवमेंट की खबर होती रहे और साकी पिछले गेट पर पहरा देना | रहीम ऑटो से मछली लेकर अन्दर जायेगा और सीट के नीचे रायफल या बन्दुक जो हो सके वो रख लेना | जैसे ही किसी को भी खतरा लगे तो सबको तुरंत आगाह करना | यह हमारा साथ में आखरी काम है। इसके बाद हम और कोई काम नहीं करना और जितेश तुम्हारे एक सलाह है। औरत के चक्कर में मत पड़ो, चूत बहुत कुत्ती चीज होती है मेरी सलाह मानो दूर रहो दूर रहो। कुत्ते की तरह मारे जाओगे, मैं बता रहा हूं।
सभी बैठ करके खाना खाने लगे और शाम होने का इंतजार करने लगे। अभी काफी वक्त था तो? सभी के लिए ढाबे वाला शराब के पैग बना कर दे गया और उसने वहां पर मुर्गे के कुछ टुकड़े भी रख दिए थे। जिनको भी करके शराब पीने लगे और ताश खेलने लगे। ताश खेलते शाम के 5:00 बज गया। जितेश ने गिरधारी को को फोन मिलाया लेकिन गिरधारी ने फोन नहीं उठाया। जितेश ने सोचा हो सकता वह कहीं बिजी हो घड़ी में 5:30 बजते ही जितेश और विनोद एक मोटरसाइकिल पर चुपचाप पुरानी मिल कंपाउंड की तरफ रवाना हो गए। दूसरी बाइक पर साकी , और तीसरी पर गुड्डू उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। रहीम ऑटो लेकर के उनके पीछे-पीछे रवाना हो गया। ऑटो के अंदर जो बड़ी देसी दुनाली बंदूक यदि जो कभी भी इमरजेंसी के वक्त काम आ सकती थी। ऑटो के अंदर रहीम ने मछलियों की टोकरियाँ रख ली क्योंकि वह इसी के सहारे मिल कंपाउंड के अंदर घुसने वाला था |
इन सब ने पहले से तैयारी कर रखी थी। उन्हें पता था कि मिल कंपाउंड के अंदर सूर्य देव के आदमियों के लिए खाना बनने के लिए सामान जाता है। उस ऑटोवाले को जितेश ने पैसे देकर उसका ऑटो ले लिया और रहीम को दे दिया था | मछली भरे ऑटो को कौन रोकता और कौन मछलियों की बदबू सूंघता | इसलिए रहीम का मिल में घुसना आसान था | लेकिन जितेश को चिंता थी कि गिरधारी का फोन क्यों नहीं उठा रहा है। जाने से पहले एक बार उसने फिर 5:30 बजे गिरधारी को फोन मिलाया, लेकिन गिरधारी का फोन अभी भी बंद था। गिरधारी ने फोन नहीं उठाया।
सब मिलकर अपने अपने प्लान के अनुसार मिल कंपाउंड पहुंचे..... पुराना मिल कंपाउंड असल में एक शुगर मिल का कंपाउंड था, जिसके अंदर अब तीन गेहू के गोदाम बना दिए गए थे और बाकी पुरानी मिल कंपाउंड के अंदर से सारे अवैध धंधे सूर्यदेव चलाता था, जिसमें लड़कियों की तस्करी, नशे की तस्करी, कच्ची शराब का धंधा, हथियारों की तस्करी सब कुछ शामिल था। सिक्युरिटी को भी पता था लेकिन सिक्युरिटी वहां नहीं जाती थी क्योंकि उसे हर हफ्ते बिजनेस पाटनर की तरह उनका कट थाने पहुंच जाता था।
सबसे पहले रहीम मिल कंपाउंड के अंदर दाखिल हुआ। और इधर उधर पूरी तरह से घुमाते हुए जो भी रास्ता उसे नजर उस पर टहलते हुए घूम कर के वह एक जगह पर खड़ा हो गया और एक आदमी से पूछा, भाई मछली लाया हूँ कहां ले जानी है | गार्ड ने घूर कर रहीम को देखा |
गार्ड - मनोज कहाँ है और तुम कौन हो |
रहीम - जी जीजा जी आज बीमार है इसलिए मुझे भेज दिया |
गार्ड - ठीक है ठीक है
गार्ड ने रसोई का रास्ता दिखा दिया। रहीम ने ऑटो उधर ही बढ़ा दिया के चलते ही फोन मिला दिया और जितेश को रास्ता क्लियर होने की बात कह दी। जितेश रहीम का फोन आते ही अपनी बाइक के साथ में मिल कंपाउंड के गेट पर आ गया। यहां 8 गार्डन मुस्तैदी से खड़े थे।
सबने घूर कर उन्हें देखा, विनोद और जितेश ने भी घूरा। एक उसमें से चौड़ा सा लंबा सा आदमी काला आगे बढ़ा - क्या चाहिए ?
विनोद - हमें सूर्यदेव से मिलना है?
काला आदमी - कौन सूर्यदेव ?
जितेश ने बिना ही दबाव में आए - तुम्हारा बाप सूर्य देव। उसने हमें बुलाया है।
काला आदमी आखे बड़ी बड़ी करके जितेश को घूरने लगा - नाम ?
जितेश - जितेश और विनोद |
काला आदमी पीछे हटते हुए किसी से खुसुर फुसुर करने लगा | एक आदमी ने फ़ोन मिलाया | कुछ देर के इन्तजार के बाद - ठीक है, तुम जा सकते हो, लेकिन तलासी लेनी होगी ?
जितेश - अगर तलाशी लोगे तो हम अंदर नहीं जाएंगे। उसने पहले ही पिस्टल निकाल कर दिखा दी। हमारी सुरक्षा के लिए और इसके बिना हम अन्दर नहीं जायेगे |
विनोद - मै भी नहीं ।
काला आदमी अपनी पिस्टल निकालता हुआ - निकल यहाँ से |
जितेश भी उसे घूरने लगा | एक पल नहीं लगा जितेश ने भी पिस्टल तान दी | देखेते ही देखते सभी गार्ड ने अपने हथियार उठा लिए |
विनोद ने बात बिगडती देख - जितेश हम यहाँ लड़ने नहीं आये है, काले आदमी से सूर्य देव से बात कराओ अभी के अभी, वर्ना गोलिया चल जाएगी यहाँ ।
काला आदमी - गार्डो को बोला - देख क्या रहे हो, पकड़ो सालों को | सभी अपने अपने हथियार थामे उन दोनों की तरफ बढ़ने लगे |
विनोद - मै कह रहा हूँ तुम सालो गलती कर रहे हो, सूर्य देव को जो चाहिए वो हमारे पास है और हमसे पंगा लेकर तुम अपनी मौत बुला रहे हो | हमें कुछ हुआ न तो सूर्य देव तुम्हें सीधे गोली मार देगा |
काला आदमी - पीछे हटो वरना यही लाश पड़ी मिलेगी तुम दोनों की |
विनोद - कलूटे तेरे सूर्य देव टुकड़े करके कुत्तो को खिला देगा जब उसे पता चलेगा, हम मैडम की इंफॉर्मेशन लेकर आये थे और तूने हमें मिल में घुसने तक नहीं दिया |
काले आदमी के चेहरे का जैसे रंग उड़ गया | उसे पता था कुछ दिन पहले एक औरत मिल कंपाउंड से भाग गयी थी और सूर्य देव ने उस गार्ड को सबके सामने गोली मार दी थी | उसने झट से कही फ़ोन मिलाया | फ़ोन एक लड़की ने उठाया |
काला आदमी - साहब से बात कराओ |
लड़की ने फ़ोन सूर्य देव को दे दिया |
सूर्य देव - हाँ बोलो |
काला आदमी - साहब असलहा लेकर आ रहे है | इसके बिना जाने को तैयार नहीं है |
सूर्य देव - कितने आदमी है |
काला आदमी - साहब दो , कह रहे है मैडम की इनफार्मेशन है |
सूर्य देव - बात कराओ जरा |
सूर्य देव - जितेश बोलो!
जितेश - कैसे हो सूर्य देव मैं बढ़िया हूं तुम बताओ। जो तुम्हें चाहिए वह शायद हम तुम्हारे लिए ढूंढ सकते हैं। लेकिन तुम्हारा यह पालतू मुझे अंदर ही आने दे रहा है और बिना औजारों के हम अन्दर नहीं आएंगे। तुम्हारा कोई भरोसा नहीं। पिछली बार भी हम सच्चे थे तो भी तुमने हम पर गोलियां चलवा दी थी। किस्मत हमारी अच्छी थी। हम बच गए थे। हम तुम पर भरोसा नहीं कर सकते।
सूर्यदेव खामोश रहा |
जितेश - मैडम चाहिए तुमको या नहीं ।
सूरज ने फोन पर हाथ रख कर एक भद्दी सी गाली दी जितेश को |
सूर्यदेव गार्ड को फोन देने को बोला - ठीक है गार्ड का फोन दो।
सूर्यदेव गार्ड से - आने दो, सबको चौकन्ना कर दो | सबकी बन्दूको के निशाने पर इनकी खोपड़ियाँ रहनी चाहिये | |
जितेश और विनोद दोनों फिर से मोटरसाइकिल बैठ के अंदर घुस गए।
जितेश बाइक चला रहा था लेकिन उसकी नजरे चारो तरफ दौड़ रही थी। हर रास्ते को गौर से देख रहा था और आसपास उसकी तरफ नाल ताने खड़े आदमियों को | सूर्य देव के आदमी टकटकी लगाए उसी की तरफ घूर घूर के देख रहे थे। वो समझ गया था, कोई मौका नहीं छोड़ने वाला है।
विनोद जितेश के कान में धीरे से - साला इसने तो सारी फ़ौज ही हमारी कनपटी पर तान दी है। हमें यहां आना ही नहीं चाहिए था | कुछ गड़बड़ हुई तो चने की भून दिए जायेगे |
जितेश - सही किया जो असलहा लेकर आये है भोसड़ी वाला में कुत्ते की तरह मार डालता हैअगर हम खाली हाथ आते | चलो जो होगा देखा जाएगा। कुछ गड़बड़ करी तो भोसड़ी वाले को आज ही टपका के जाएंगे।
विनोद - वो ऐसा कुछ नहीं करेगा। जितेश निश्चिंत रहो।
जितेश - क्योंकि अगर उसने ऐसा किया। तो फिर आज उसे? विलास बोटी बोटी में काट डालेगा।
विनोद - तू ससुरा इतना कॉन्फिडेंस में कैसे है , वैसे तूने उस औरत को कहां रखा हुआ है |
जितेश - मैडम जहाँ है सुरक्षित है सही समय पर बता दूंगा , दोस्त भरोसा करो।
विनोद - भरोसा है बिटवा तभी तो हम आए हैं। वरना पैसो के लिए कोई जिंदगी तोड़े दांव पर लगाता है |
कुछ देर बाइक चलाने के बाद जितेश एक बड़े से गोदाम के गेट के सामने बाइक रोकी दोनों उतर कर अंदर गए। वहां पर गार्ड खड़ा था। गार्ड को देखते जितेश ने अन्दर जाने को बोला। गार्ड ने बिना कुछ कहे चुपचाप गेट खोल दिया। अंदर जाने के बाद एक लंबे से गलियारे में चलने के बाद में जितेश एक छोटे से केबिन के सामने पहुंच गया। केबिन के चारों तरफ से शीशे लगे हुए थे | वहां पर एक खूबसूरत सी लड़की बाहर रिसेप्शन बैठी थी। सर मैं आपकी क्या मदद कर सकती हूं?
जितेश - सूर्यदेव से मिलना है जितेश नाम है मेरा |
लड़की ने फोन मिलाया उसके बाद कुछ बात करने के बाद - सर आप सोफे पर बैठिये | सर अभी बिजी है फ्री होते ही आपको बुलायेगे |
जितेश और विनोद वही सोफे पर बैठ गये। रिसेप्शन पर बैठी हुई लड़की से अपना काम करने लगी। सर आपको कुछ चाहिए कुछ खाएंगे। कुछ चाय नाश्ता |
जितेश - नहीं नहीं, हम ऐसे ही ठीक है।
थोड़ी देर बाद लड़की उठकर के अंदर की तरफ गई। लड़की पूरी तरह से फॉर्मल ड्रेस में थी , लेकिन उसकी स्कर्ट जरूरत से ज्यादा छोटी थी। तब उसकी गोरी गोरी जांघे साफ-साफ ने नुमाया हो रही थी। बालक उसकी जांघों को देखते हुए ससुरा यह साला पहले भी रंडी बाज था। अभी भी साला रंडी बाज है। ऐसी लड़कियों को साला इस खंडहर फैक्ट्री के अंदर नौकरी दे रखा है। भोसड़ी वाला हमेशा कड़क चूत को ही काम पर रखता है बिना चोदे तो साला छोड़ता नहीं होगा रात में।
जितेश और विनोद कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे लड़की थोड़ी देर बाद आई मुस्कुराते हुए और बोली सर आपने मेरे साथ आइये । असल में सूर्यदेव कुछ कर नहीं रहा था बल्कि जितेश और विनोद को face करने की हिम्मत जुटा रहा था | भले ही सूर्यदेव अपने किले में अपनी फ़ौज के बीच में था लेकिन हिम्मत तो इंसान के जिगर में ही पैदा होती है और सूर्यदेव एक नंबर का फट्टू था शुरू से |
दोनों उस लड़की के मटकते चूतड़ देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगे | लड़की ने केबिन का शीशा खोला और अंदर गई। अंदर बढ़िया ऐसी चल रहा था और उस में बहुत अच्छे-अच्छे लग्जरी सोफे पड़े हुए थे । जितेश! और विनोद को बैठने को कहा।
लड़की वापस बाहर चली गयी | कमरा पूरी तरह से किसी फाइव स्टार किसी मल्टीनेशनल कंपनी के ऑफिस जैसा था। बाहर से कोई भी नहीं कह सकता था कि फैक्ट्री के अंदर कोई इतना शानदार ऑफिस होगा।
सोफे काफी दूर में पड़े हुए थे जिनमें कम से 5 से 10 आदमी बैठ सकते थे। उसके सामने एक बड़ी सी मेज पड़ी हुई थी। जाहिर सी बात है।कुछ देर बाद सूर्यदेव अपने तीन आदमियों के साथ केबिन में घुसा तीनों आदमियों के हाथ में बढ़िया सी कार्बाइन वाली मल्टी बैरल बंदूक थी।